ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए पाएं 1 लाख 20 हजार रूपए का अनुदान

Get a grant of Rs 1 lakh 20 thousand for the cultivation of dragon fruit

थाइलैंड, वियतनाम और इज़राइल जैसे देशों में लोकप्रिय ड्रैगन फ्रूट को इन दिनों भारत में भी काफी पसंद किया जा रहा है। भारतीय बाजार में इस फल की कीमत 200 से 250 रूपए है। इस कारण खेती के नज़रिए से भी ड्रैगन फ्रूट काफी प्रचलन में है। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार राज्य के किसानों को खेती में अधिक लाभ पहुंचाने के लिए एक विशेष योजना चला रही है। 

इस योजना के तहत प्रदेश सरकार किसानों को परम्परागत खेती से अलग उद्यनिकी और मसाला आदि फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसकी खेती के लिए किसानों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद की तौर पर अनुदान दिया जा रहा है। इसके तहत ड्रैगन फ्रूट के बाग के लिए 1 लाख 20 हजार रूपए प्रति एकड़ के अनुदान का प्रावधान है। इस योजना की मदद से एक किसान अधिकतम 10 एकड़ तक अनुदान की सुविधा का लाभ ले सकता है।

योजना के माध्यम से अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदक को ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा‘ पोर्टल पर पंजीकरण करना जरूरी है। इसके लिए किसान बागवानी विभाग की वेबसाइट hortnet.gov.in पर जाकर आवदेन करें।  हालांकि योजना का लाभ ‘पहले आओ पहले पाओ’ व्यवस्ता के आधार पर मिलेगा। 

स्रोत: कृषि समाधान

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दुग्ध डेयरी के लिए पाएं 7 लाख रूपए का अनुदान, जल्द उठाएं योजना का लाभ

Dairy Entrepreneur Development Scheme

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन एक प्रमुख व्यवसाय है। वहीं किसान के लिए भी पशुपालन आय का प्रमुख स्रोत है। ऐसे में दूग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार कई योजनाएं चला रही है। इन्हीं में से एक ‘डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट योजना’ है। जिसकी मदद से किसान पशुपालन और दुग्ध डेयरी खोलने के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।

इस योजना के तहत 10 भैंसों की डेयरी शुरू करने के लिए सरकार 7 लाख रूपए तक सब्सिडी प्रदान करती है। इसके लिए आवेदक वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय बैंक, राज्य सहकारी बैंक, राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक एवं नाबार्ड से जुड़ी अन्य संस्थाओं से सम्पर्क करके लोन प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत पशुपालन के लिए सामान्य वर्ग के डेयरी चालकों को 25% और महिला व एससी वर्ग के लिए 33% की सब्सिडी प्रदान की जाती है।

हालांकि एक लाख रूपए से ज्यादा लोन प्राप्त करने के लिए आवेदक को अपनी जमीन संबंधी कागजात गिरवी रखने पड़ेंगे। इसके साथ ही आवेदन करते समय आधार कार्ड, पैन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र की कॉपी के साथ एक कैंसल चेक संलग्न करना होगा। अगर आप भी डेयरी शुरू करना चाहते हैं तो जल्द सरकार की इस योजना का लाभ उठाएं।

स्रोत: कृषि जागरण

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ग्रामीणों को मिलेगा 2 लाख तक का ब्याज मुक्त लोन, जल्द करें आवेदन

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर परिवार खेतीबाड़ी के माध्यम से अपना जीवनयापन कर रहे हैं। वहीं कई परिवार कृषि के अलावा पशुपालन, हस्तशिल्प, लघु उद्योग, कताई-बुनाई, रंगाई-छपाई जैसे व्यवसाय करके अपनी अजीविका चला रहे हैं। हालांकि कई बार देखा गया है कि, आर्थिक तंगी के चलते ये लोग अपने व्यवसाय का विस्तार नहीं कर पाते हैं।

इन ग्रामीण परिवारों की आर्थिक सहायता के लिए राजस्थान सरकार ने जरूरी कदम उठाया है। ‘राजस्थान ग्रामीण परिवार आजीविक ऋण योजना’ के तहत राज्य के जरूरतमंद ग्रामीणों को 25 हजार रूपए से 2 लाख रूपए तक का लोन बिना किसी ब्याज दर पर दिया जाएगा। जिसकी मदद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े दूसरे व्यवसायों को भी गति मिलेगी। 

योजना के लिए पात्रता

इस योजना के अन्तर्गत लघु एवं सीमांत किसान, भूमिहीन श्रमिक, मौखिक पट्टेदार, बटाईदार और काश्त के रूप में काम करने वाले परिवारों को लाभान्वित किया जाएगा। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों, उत्पादक समूहों और व्यवसायिक समूहों के व्यक्तिगत सदस्यों को भी सामूहिक गतिविधियों के लिए लोन उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि सामूहिक लोन सिर्फ हर समूह से अधिकतम 10 सदस्य ही प्राप्त कर सकेंगे, जिन्हें व्यक्तिगत रूप से अधिकतम 2 लाख रूपए प्रदान किए जाएगें। इसके अलावा जिला कलेक्टर द्वारा भी पात्रता रखने वाले ग्रामीण परिवारों का चयन किया जाएगा।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

योजना के तहत अकृषि लोन के लिये आवेदक के पास बैंक में खाता, आधार कार्ड या जनाधार एवं किसान कार्ड होना जरूरी है। वहीं किसान क्रेडिट कार्ड न होने पर आवेदक के लिए केसीसी जारी कराया जाएगा, जिसके लिए अलग से कोई फीस नहीं ली जाएगी। बता दें कि लोन राशि जारी होने के बाद इसकी अदायगी के लिए एक साल का समय दिया जाएगा।

स्रोत: एबीपी

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मछली पालकों को मिलेगा अग्रिम अनुदान, जानें योजना से जुड़े लाभ

मछली पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही हैं। जिन योजनाओं का उद्देश्य मछली पालक किसानों और मछुआरों को प्रोत्साहित करना है। इसी क्रम में हरियाणा सरकार द्वारा राज्य के मछली पालकों के लिए एक खास योजना शुरू की गई है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालकों को सोलर प्लांट लगाने के लिए अग्रिम यानी एडवांस सब्सिडी दी जाएगी। मछली पालक किसानों और मछुआरों को यह सब्सिडी तब मुहैया कराई जाएगी, जब उन्हें समय पर सब्सिडी नहीं मिल पाया करेगी। इस योजना के अंतर्गत मछली पालकों को प्रति हॉर्स पावर के लिए 20 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रूपए तक की सब्सिडी दी जाएगी। 

बता दें कि आधुनिक मछली पालन की तकनीकों को अपनाने पर काफी ज्यादा बिजली की खपत होती है, जिसके चलते ज्यादा बिल भी आता है। इस कारण राज्य सरकार मछली पालकों को भी सोलर प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी की सुविधा प्रदान कर ही है, ताकि मछली पालक कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकें।

स्रोत: कृषि जागरण

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आयुष्मान भारत योजना से इलाज के लिए मिलते हैं 5 लाख रूपये

देश में अधिकतर किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इसके चलते वे अपना और अपने परिवार का सही से इलाज नहीं करवा पाते हैं। ऐसी परिस्थिति में कई बार ज्यादा दिक्कतों की वजह से वे अपनों को भी खो बैठते हैं। किसानों की इस परेशानी को खत्म करने के लिए भारत सरकार द्वारा ‘आयुष्मान भारत कार्ड योजना’ चलाई जा रही है। इस योजना को ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के नाम से भी जाना जाता है।

इस योजना के अंतर्गत देश के निर्धन परिवारों का कम से कम 5 लाख रूपए तक का स्वास्थ्य बीमा करवाया जाता है। जिसकी मदद से लाभार्थी परिवार निजी अस्पतालों में बिना महंगी फीस दिए आसानी से अपना इलाज करवा सकते हैं। केंद्र की इस योजना के तहत देश के करोड़ों परिवारों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। 

आयुष्मान भारत कार्ड योजना का मुख्य उद्देश्य देश में एक लाख स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों की स्थापना करना और प्रति वर्ष दस करोड़ परिवारों को 5 लाख रूपये के स्वास्थ्य बीमा कवर से जोड़ना है। इस योजना के अंतर्गत सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) में चिन्हित डी-1 से डी-7 (डी-6 को छोड़कर) वंचित वर्ग के ग्रामीण परिवारों को शामिल किया जा रहा है। केंद्र के अनुसार आने वाले समय में बाकी वर्गों को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा।

आयुष्मान कार्ड योजना के फायदे 

  • देश के हर कमज़ोर और गरीब परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

  • लड़कियों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता दी जाती है।

  • योजना में पहले से ही मौजूद बीमारियों, डे-केयर उपचार एवं फॉलो-अप जैसी कई जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं।

  • योजना से जुड़े लाभार्थी, देश के सभी तृतीयक और माध्यमिक अस्पतालों से चिकित्सा उपचार का लाभ उठा सकते हैं।

आयुष्मान भारत कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसान नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के आधिकारिक वेबसाइट setu.pmjay.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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गर्भवती महिलाओं को मिलेगा 6 हजार रूपए का लाभ, जानें आवेदन प्रक्रिया

देश की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार कई प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में केंद्र द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए ‘प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना’ चलाई जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के लिए अच्छी सुविधा प्रदान कराना है।

योजना से मिलने वाले लाभ 

इसके तहत पहली बार गर्भधारण करने वाली महिला और स्तनपान करने वाली महिला को इस योजना का लाभ दिया जाता है। योजना के अंतर्गत लाभार्थी महिलाओं को 6000 रूपए की सहायता राशि प्रदान की जाती है। यह आर्थिक मदद चार किस्तों में दी जाती है, ताकि महिलाएं जरूरत के अनुसार इस राशि का उपयोग कर सकें।

आवेदन की प्रक्रिया

बता दें कि योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक के पास उसका और उसके पति का आधारकार्ड और बैंक खाता होना आवश्यक है। आवेदन करने के लिए योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करवा सकते हैं। हालांकि जो महिलाएं सरकारी पदों पर कार्यरत हैं, उन्हें केंद्र की इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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शुरू करें अपना मशरूम कंपोस्ट यूनिट, सरकार देगी आधा खर्च

पारंपरिक फसलों के साथ अब कई किसान फल, फूल, सब्जी एवं औषधीय फसलों की खेती भी बढ़ चढ़ कर अपना रहे हैं। इसी क्रम में किसानों की पसंदीदा लिस्ट में मशरूम की खेती टॉप पर है। जिसके माध्यम से किसानों को आय में काफी मुनाफा होता है। मशरूम की खेती के प्रति किसानों की इस बढ़ती रुचि को देखते हुए बिहार सरकार एक विशेष योजना चला रही है।

राज्य सरकार की इस योजना के तहत मशरूम की खेती के लिए किसानों को आर्थिक मदद प्रदान कर रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान मशरूम की खेती के जरिए आय में बढ़ोतरी कर सकें। इस योजना के अंतर्गत किसानों को मशरूम उत्पादन, मशरूम के बीज और मशरूम की कंपोस्ट उत्पादन इकाई लगाने के लिए 50% तकी की सब्सिडी दी जा रही है, जिसका भुगतान इकाई लागत के अनुसार दिया जाएगा।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए बिहार कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाएं। साथ ही योजना से जुड़ी अधिक जानकारी भी इसी वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं, इसके अलावा योजना के लिए नजदीकी जिले में स्थित राज्य उद्यान विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं।

स्रोत: एबीपी

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फलों के बाग लगाने पर मिल रहा 75% अनुदान, जानें योजना से जुड़े लाभ

कुछ सालों से खेतीबाड़ी में बागवानी वाली फसलें लगाने का चलन बढ़ा है। इन फसलों की खेती करने से किसानों को खूब मुनाफा हुआ है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा किसान बागवानी के जरिए बढ़िया कमाई कर सकें, इसके लिए राजस्थान सरकार ने एक अहम फैसला लिया है।

राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार बगीचे लगाने के लिए किसानों को अनुदान प्रदान किया जाएगा। राजस्थान उद्यानिकी विकास मिशन द्वारा अगले 2 सालों में 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में फल के बगीचे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है। जिसके अंतर्गत राज्य के 10 हजार किसानों को बगीचे विकसित करने के लिए 75% अनुदान दिया जाएगा।

इस योजना के तहत किसानों को 4.0 हैक्टेयर क्षेत्र के लिए अनुदान देने का प्रावधान है। वहीं अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के किसानों एवं जनजातीय क्षेत्रों के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल सीमा 0.2 हैक्टेयर तय किया गया है। इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को रोपाई के दौरान निर्धारित पौधों की संख्या से 10% अधिक पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए उद्यानिकी विभाग के पोर्टल पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: आज तक

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बत्तख पालन के लिए सरकार देगी लोन, ऐसे करें पोल्ट्री फॉर्म तैयार

पोल्ट्री व्यवसाय शुरु करने के लिए बत्तख पालन एक अच्छा विकल्प है। बत्तख पालन दूसरे पोल्ट्री व्यवसाय के मुकाबले कई गुना सस्ता और ज्यादा मुनाफा देने वाला है। वो इसलिए क्योंकि यह पक्षी किसी भी वातावरण में आसानी से ढल जाता है। इसी वजह से बत्तखों को बीमारियां कम होती हैं। 

बत्तख के मांस और अंडे की बढ़ती डिमांड

बत्तख के मांस और अंडे में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इस कारण बाजार में भी इसकी मांग बढ़ रही है। जहां बढ़ती मांग के चलते इसकी कीमतों में भी वृद्धि हुई है। बाजार में मिल रहे अच्छे भाव की वजह से किसानों को बत्तख पालन से लाखों रूपए का मुनाफा हो रहा है।

सरकारी संस्थाएं दे रहीं सब्सिडी

बत्तख पालन के लिए सरकार की तरफ से एससी और एसटी वर्ग के लाभार्थियों को 35% सब्सिडी दी जा रही है। वहीं सामान्य लाभार्थियों को 25% सब्सिडी की सहायता प्रदान की जाती है, साथ ही राष्ट्रीय कृषि व विकास ग्रामीण बैंक से बत्तख पालन के लिए किसान लोन प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के माध्यम से भी बत्तख पालन के लिए लोन प्रदान किया जा रहा है।

बत्तख पालन करना बेहद आसान

अगर आप मछली पालन या धान की खेती कर रहे हैं तो आपके लिए बत्तख पालना बहुत आसान होगा। दरअसल ये पक्षी अपने आहार में खेतों में गिरे अनाज के दाने, कीड़े मकोड़े, छोटी मछलियां, मेंढ़क और पानी में रहने वाले दूसरे कीड़े व शैवाल खाते हैं। इन पक्षियों की सबसे अच्छी बात यह है कि, ये घर से खेत जाना और वापिस घर आना आसानी से सीख जाते हैं।

ऐसे करें पोल्ट्री फार्म की तैयार

बत्तख 16 हफ्तों में बत्तख व्यस्क होकर अंडा देने लगती है। वहीं एक साफ सुथरा अंडा प्राप्त करने के लिए बक्से तैयार करने होते हैं, जिसमें बत्तख अंडा देती हैं। बत्तख पालन के लिए घर सूखा और हवादार होना चाहिए। व्यवसाय को शुरु करने से पहले अंडे और मांस के लिए बत्तखों की किस्में पता होनी बेहद जरूरी है।  

स्रोत: आज तक 

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बंजर जमीन से होगी बंपर कमाई, आजीविका योजना से मिलेगी सरकारी मदद

देश के किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर प्रयास करती रहती हैं। इसी कड़ी में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ‘आजीविका योजना’ की शुरूआत की गई है। जिसके तहत केंद्र सरकार द्वारा किसानों की बंजर हो चुकी जमीनों पर सोलर पंप व सोलर पैनल स्थापित करने की योजनाएं चला रही है।

योजना का उद्देश्य

  • इस योजना का उद्देश्य बंजर-बेकार जमीनें के मालिक, किसानों, विकासकर्ता और साथ ही संबंधित डिस्कॉम या फिर कंपनी के साथ जोड़ना है।

  • यह योजना के माध्यम से सौर ऊर्जा प्लांट लगाने वाली कंपनियां सीधे किसानों से जुड़ पाएंगी।

  • इसकी मदद से कंपनियों को सरलता से जमीन लीज पर उपलब्ध होंगी।

  • बंजर जमीन से भी किसानों को रोजगार उपलब्ध होगा।

  • हरित ऊर्जा राज्य बनाने के लक्ष्य को हासिल करना।

बाकि राज्यों की तुलना में राजस्थान को सौर ऊर्जा क्षेत्र में नंबर एक पर है। फिलहाल राज्य में अबतक 142 गीगावाट सौर ऊर्जा 127 गीगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता है।

स्रोत: कृषि जागरण

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