पुर्तगाल से आये मिर्च ने भारत में काली मिर्च के एकाधिकार को खत्म किया

Chilli came from Portugal ended black pepper monopoly in India

इतिहास में भारत पूरी दुनिया में मसालों के लिए जाना जाता था। भारत में कई प्रकार के मसाले होते थे और इनमें प्रमुख थी काली मिर्च। एक वक़्त पर तीखे स्वाद के लिए काली मिर्च भारत समेत पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी। पर काली मिर्च के इस एकाधिकार को खत्म किया पुर्तगालियों के साथ आये मिर्च ने, जी हाँ मिर्च भारत में सबसे पहले सन 1498 में आई थी और इसे पुर्तगाली सबसे पहले गोवा लेकर आए थे। 

बस मिर्च के भारत आने भर की देर थी यह भारत के लोगों को भी खूब पसंद आई और जल्द ही भारत में भी इसकी खेती शुरू हो गई। आज पूरे विश्व में भारत ही है हर मायने में मिर्च का महाराजा। विश्व पटल पर भारत मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक देश है। यहाँ लगभग 751 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मिर्च की खेती की जाती है जिससे लगभग 2149 हजार मीट्रिक टन उत्पादन प्राप्त होता है। तो इस तरह तीखेपन की जंग में देशी काली मिर्च विदेशी मिर्च से हार गई।

कृषि से सम्बंधित ऐसी अन्य दिलचस्प जानकारी व अन्य सूचनाओं के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

1000 रुपये प्रति किलो बिकते हैं केकड़े, होती है लाखों में कमाई

Crabs are sold for 1000 rupees per kg

केकड़ा पालन किसानों के लिए कमाई का एक अच्छा स्रोत है। इसके पालन की प्रक्रिया कई तरीके से कर सकते हैं। इसमें खर्च भी बहुत ज्यादा नहीं लगता है और लाभ अच्छा मिल जाता है। बाजार में इसकी कीमत 1000 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा होते हैं। ज्यादा जानकारी के लिए देखे वीडियो।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

ये भी पढ़ें: केकड़ा पालन की विस्तृत जानकारी

कृषि क्षेत्र की ऐसी ही नई नई व महत्वपूर्ण जानकारी के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन एप के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

सल्फर आपकी फ़सलों को कैसे पहुँचाता है लाभ?

Importance of Sulfur in crops
  • सल्फर फ़सलों में प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है साथ ही साथ यह पर्णहरित लवक के निर्माण में भी योगदान देता है जिसके कारण पत्तियां हरी रहती हैं तथा पौधों के लिए भोजन का निर्माण हो पाता है।

  • सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है।

  • दलहनी फ़सलों में गंधक का प्रयोग पौधों की जड़ों में अधिक गाठें बनाने में सहायक होता है और इससे पौधों की जड़ों में उपस्थित राइज़ोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक से अधिक नाइट्रोजन लेकर फ़सलों को उपलब्ध करने में सहायक होते है।

  • यह तम्बाकू, सब्जियों एवं चारे वाली फ़सलों की गुणवत्ता को बढ़ता है।

  • सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों फ़सलों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।

  • सल्फर आलू में स्टार्च की मात्रा को बढ़ाता है।

  • सल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच मान को कम करता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

मध्य प्रदेश के इन क्षेत्रों में हो सकती है छिटपुट बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

मध्य भारत में फ़िलहाल मौसम काफी गर्म है। गुजरात में 1-2 दिनों के बाद बारिश थम जाएगी। हालांकि दक्षिणी पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में छुटपुट बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र जैसे इलाकों में अगले 2-3 दिनों के दौरान अच्छी बारिश होने की संभावना बन रही है।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

नारियल के रेशों से कुछ इस प्रकार तैयार होता है कोकोपीट

This is how coco peat is prepared from coconut fibers
  • बहुत से आवश्यक पोषक तत्व नारियल के रेशों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और इन्ही नारियल के रेशों को कृत्रिम रूप से अन्य पोषक खनिज लवणों के साथ मिलाकर मिट्टी का निर्माण करने की प्रक्रिया को “कोकोपीट” कहते हैं।

  • यह नारियल उद्योग का एक उत्पाद है और समुद्री इलाकों के लोगों को एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी देता है।

  • नारियल के ऊपरी रेशे को सड़ाकर कर उसे छिलके निकाल कर बुरादा बनाकर इसे प्राप्त किया जाता है।

  • पीट मोस या कोकोपिट दोनों का उद्देश्य एक सा ही है, दोनों ही गमले की मिट्टी को हवादार बनाते हैं साथ ही उसमें नमी रोककर रखते हैं और यह बहुत हल्का भी रहता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

गर्मियों के मौसम में जब खेत खाली हो तब इन कार्यों को जरूर करें

Work to be done in the empty field in summer
  • गर्मियों के समय बहुत से किसानों के खेत खाली पड़े रहते हैं। इसीलिए ऐसे समय में खेत से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को कर लेना उपयुक्त होता है।

  • किसान गर्मी के मौसम में खाली पड़े खेतों में डिकम्पोज़र का उपयोग करके अपने खेत में पड़े फसल अवशेषों को उपयोगी खाद में बदल कर अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं।

  • पुराने पूरी तरह सड़ चुके गोबर को खेत में डालकर खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की जा सकती है।

  • खेत की अच्छे से गहरी जुताई करके खेत में उग रहे खरपतवारों के बीजों को नष्ट किया जा सकता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

पीएम किसान योजना की आठवीं क़िस्त के 2000 रूपये किसानों को जल्द मिलने वाले हैं

PM Kisan Samman Nidhi Yojna

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सभी पात्र किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की अगली किस्त मई महीने के शुरुआत के बाद किसी भी वक़्त आनी शुरू हो जायेगी। बता दें की यह क़िस्त, इस योजना की आठवीं क़िस्त है और इससे पहले सात क़िस्त किसानों को दी जा चुकी है।

अगर आप इस योजना के पात्र किसान हैं तो अपना स्टेटस चेक कर लें और यह निश्चित कर लें की आपके आवेदन में कोई त्रुटि तो नहीं है।

अपना स्टेटस चेक करने के लिए :

  • योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थिति दिखाई देगी। अब आप उस पर क्लिक कर दें।

  • लाभार्थी की स्थिति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।

  • इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।

  • अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।

स्रोत : कृषि जागरण

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में हो सकती है बारिश, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather report

मध्य भारत के तेलंगना, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हुई है। आने वाले दिनों में पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ और तेलंगाना जैसे इलाकों में बारिश की गतिविधियां होने की संभावना पुनः बन रही है और इसके साथ मध्य महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों में भी बारिश की गतिविधियां जारी रहने ही संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

सिंचाई हेतु तालाब निर्माण पर मध्यप्रदेश के किसानों को मिलेगी 1 लाख तक की सब्सिडी

Balram Tal Scheme

कृषि क्षेत्र में विकास हेतु मध्य प्रदेश सरकार बलराम ताल योजना चला रही है। इस योजना का उद्देश्य सतही व भुमीगत जल की उपलब्धता को बढ़ाना है। इसके लिए सामान्य किसानों को खेत में तालाब बनाने के लिए होने वाले खर्च का 40% हिस्सा अनुदान के रूप में दिया जाता है।

इसमें हितग्राही किसान को अनुदान के 50% (अधिकतम राशि ₹80000) के अतिरिक्त खर्च को स्वयं वहन करना होगा। अगर हितग्राही अनुसूचित जाति/जनजाति के होंगे तो अनुदान के 75% (अधिकतम राशि ₹100000) के अतिरिक्त के खर्च को स्वयं वहन करना होगा। इस योजना में आवेदन के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर जाएँ।

स्रोत: किसान समाधान

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

Share

मिर्च की बुआई के पहले खेत में डिकम्पोजर के उपयोग से पिछली फसल के अवशेषों का करें निपटारा

How to use Decomposer before sowing chilli
  • डिकम्पोजर एक प्रकार का बायोफर्टिलाइजर है जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति सुधारक के रूप में भी काम करता है।

  • जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए।

  • किसान भाई पाउडर के रूप में डिकम्पोज़र को 4 किलो प्रति एकड़ की दर खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव करें।

  • भुरकाव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। आप छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद मिर्च की फसल की रोपाई कर सकते हैं।

  • चूंकि ये सूक्ष्म जीव पुरानी फसलों के अवशेषों को खाद में बदलने का काम करते हैं, इसलिए इनकी पाचन प्रक्रिया एनएरोबिक से एरोबिक में बदल जाती है, जो रोगकारक एवं हानिकारक जीवों को नष्ट कर देती है।

  • जैव संवर्धन और एंजाइमी कटैलिसीस की सहक्रियात्मक क्रिया के द्वारा पुरानी अवशेषों को स्वस्थ, समृद्ध, पोषक-संतुलित खाद में बदल देती है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share