Root knot nematode of coriander

  • संक्रमित जड़ो में गांठे बन जाती हैं और अनिश्चित आकार में पूरी जड़ पर फैल जाती हैं।
  • इसके नियंत्रण के लिए स्वस्थ एवं रोग रहित बीजो का चुनाव करे |
  • खेत में प्रयोग की जा रही मशीनों और औजारों को अच्छे से साफ़ करे |
  • धनिया की फसल में खरपतवार का उचित प्रबंधन करें।
  • जिस खेत में यह रोग आने की सम्भावना हैं वहाँ गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें और खेत को तेज धूप में खुला छोड़ दें |
  • जब संक्रमण पौधे पर होता है तो ड्रिप सिंचाई के द्वारा 2-4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से पैसीलोमाईसिस लीलासिन्स से जैविक नियंत्रण करें।

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Harvesting of muskmelon

  • किस्म और कृषि जलवायु के आधार पर लगभग 110 दिनों में खरबूज के फल तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • जब फल परिपक्व हो जाते हैं तब बाहरी आवरण का रंग बदल जाता हैं,और छिलका नरम हो जाता हैं| 
  • पके हुए फल आसानी से बेल से अलग हो जाते हैं।
  • खरबूज की तुड़ाई हाथ से की जाती हैं |

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Importance of mulching in tomato

  • प्लास्टिक मल्चिंग टमाटर की फसल में लगने वाले कीड़ों, बीमारियों और खरपतवारों से बचाती है|
  • काले रंग की पॉलिथीन के द्वारा खरपतवारो का नियंत्रण किया जाता है और साथ ही हवा, बारिश व सिंचाई से होने वाले मृदा कटाव को भी रोकती है|
  • पारदर्शी पॉलीथिन का उपयोग  मृदा जनित रोगों और नमी संरक्षण को नियंत्रित करने में किया जाता है।

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Cutting in makkhan grass

  • पहली कटाई बुवाई के 50 से 60 सेमी की ऊँचाई या 50 से 60 दिनों के बाद करनी चाहिए।
  • अगली कटाई विकास के आधार पर 25 से 30 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए।

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Harvesting in moong

  • जब मूंग की फलिया 80-85 % तक परिपक़्व हो जाये तब फसल की कटाई करनी चाहिए |
  • कटाई के पूर्व पैराक्वाट की 800 मिली मात्रा का 150-200 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जाना चाहिए जिससे बाकी फसल भी सूख जाये |
  • मूंग की कटाई हसिये की सहायता से करे|
  • पौधे को उखाड़ना नहीं चाहिए |

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Use of Makkhan grass

  • मक्खन घास उच्च पोषण वाली फसल हैं और इसकी कई बार कटाई की जा सकती हैं।
  • दुधारू पशुओ को मक्खन घास खिलाने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती हैं। साथ ही वसा की मात्रा और घुलनशील ठोस की मात्रा भी बढ़ती हैं|
  • मक्खन घास बहुत रसीली और अधिक स्वादिष्ट घास होती हैं।

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Importance of PSB in Cowpea

  • बरबटी/लोबिया में पी.एस.बी. के उपयोग से पत्तियों की संख्या और शाखाओं में वृद्धि होती हैं।
  • जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते  हैं।
  • पी.एस.बी. रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने में मदद करता हैं |
  • इसका उपयोग करने से  25 – 30% फॉस्फेटिक उर्वरक की पूर्ति हो जाती हैं।
  • पी.एस.बी. के उपयोग से बरबटी/लोबिया की उपज में वृद्धि होती  हैं।

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Soil selection for sorghum

  • मिट्टी की जल धारण क्षमता अच्छी हो तो वह ज्वार की फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।
  • ज्वार को दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

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Management of melon worm in watermelon

  • ईल्ली पत्तियों एवं फूलों को खाती हैं|
  • कभी कभी अन्डो से निकलने के तुरंत बाद इस कीट के भृंग/मेंगट तरबूज के फलो में प्रवेश कर क्षति पहुँचाते हैं |
  • प्रभावी नियंत्रण के लिए तरबूज की बुवाई से पहले ही खेत में गहरी जुताई कर कीट के कोकून को नष्ट कर दे।
  • चुकी इस कीट की संख्या गर्मी के मौसम में कम रहती हैं उसी के अनुसार बुवाई का समय निर्धारित करे.
  • खरपतवारो का उचित प्रबंधन करे।
  • साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 350-500 मिली / एकड़ का छिड़काव करें।
  • या फिप्रोनिल 5% एससी @ 250-300 मिली / एकड़ का छिड़काव करें|

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Control of anthracnose in cowpea

  • बरबटी की पत्तियाँ, तने व फलियाँ इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती हैं।
  • छोटे-छोटे लाल-भूरे रंग के धब्बे फलियों पर बनते है व शीघ्रता से बढ़ते हैं |
  • आर्द्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवणु पनपते हैं।
  • रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
  • रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक बरबटी न उगाये।
  • रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
  • मैनकोजेब 75% डब्ल्यू पी @ 400-600/एकड़ की दर पानी में घोल बनाकर प्रति सप्ताह छिड़काव करें।

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