सोयाबीन की फसल में अत्यधिक जल भराव से जड़ गलन की समस्या एवं बचाव के उपाय

Root rot problem and preventive measures due to excessive water logging in soybean crops

जलभराव की स्थिति में पानी आवश्यकता से अधिक मात्रा में खेत में मौजूद होता है। खेत में अतिरिक्त जल से निम्न हानि होती है-

सोयाबीन की फसल में अत्यधिक जल भराव के कारण, वायु संचार में बाधा एवं मृदा तापक्रम में गिरावट आती है, साथ ही लाभदायक जीवाणुओं की सक्रियता कम हो जाती है, एवं नाइट्रोजन स्थिरीकरण की क्रिया सही से नहीं हो पाती है। इस कारण पौधो की जड़ों को पूरी मात्रा में हवा, पानी, पोषक तत्व एवं खाली स्थान नहीं मिल पाता है। अधिक जल भराव के कारण हानिकारक लवण एकत्रित होते है, जिससे जड़ सड़न की समस्या देखने को मिलती है l

खेत में जलभराव को कम करने के लिए जल निकास जरूरी है। ये ऐसी फसल है जो न तो सूखा सहन कर सकती है और न ही अधिक पानी सहन कर सकती है। इसलिए जल निकासी के लिए बुवाई के समय ही नालियां तैयार कर लेना चाहिए व खेत में जलभराव होने की स्थिति में खेत से अतिरिक्त जल निकास नालियां बनाकर जल को खेत से बाहर निकाल दें।

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कपास की फसल में माहू कीट की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

Identification and control measures of aphids in cotton crops

माहू:- ये छोटे आकार के कीट होते हैं। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ हरे – पीले रंग के होते हैं, जो पत्तियों की निचली सतह पर असंख्य संख्या में पाए जाते हैं, जो पत्तियों का रस चूसते हैं। इसके फलस्वरूप पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं और पत्तियों का रंग पीला हो जाता है। प्रकोप बढ़ने पर पत्तियाँ ऐंठी हुई मतलब कड़क हो जाती हैं और कुछ समय बाद सूखकर गिर जाती हैं। इस कारण पौधे का विकास ठीक से नहीं पाता है एवं पौधा रोग ग्रस्त दिखाई देता है।  

नियंत्रण के उपाय:- 

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए, मार्शल (कार्बोसल्फान 25% ईसी) @ 500 मिली या नोवासेटा (एसिटामिप्रीड 20 % एससी) @ 20 ग्राम या केआरआई-मार्च (बुप्रोफेज़िन 25% एससी) @ 400 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूबी) @ 1 किग्रा/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

  • इसके अलावा किसान भाई कीट प्रकोप की सूचना के लिए, पीले चिपचिपे ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप ) @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में स्थापित करें। 

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मक्के में बैक्टीरियल डंठल सड़न की समस्या एवं रोकथाम के उपाय

The problem and prevention of bacterial stalk rot in maize crops

किसान भाइयों, यह रोग अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखने की मिलती है। इस रोग का प्रकोप होने पर पौधों के शीर्ष भाग की मध्य वाली पत्तियां कुम्हलाकर सूखना प्रारंभ कर देती हैं। इसी दौरान डंठल में सड़न (सॉफ्ट रॉट) की समस्या होने लगती है। ये तेजी से तने के निचले भागों में फ़ैलने लगती है और इससे दुर्गन्ध भी आना शुरू हो जाती है।

इस रोग के असर से तना कमजोर हो जाता है पौधे का शीर्ष भाग नीचे की तरफ लटक जाता है। इस तरह के शीर्ष भाग की पत्तियों के समूह को खींचकर तने से आसानी से अलग किया जा सकता है।

नियंत्रण के उपाय 

जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस) @ 500 ग्राम प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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सोयाबीन के स्वस्थ बढ़वार एवं फूल-फल विकास के लिए जरूरी छिड़काव

Necessary spraying for proper growth and flowering in soybean

सोयाबीन खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख तिलहन, दलहन फसलों में से एक है। सोयाबीन की उच्च पैदावार के लिए उचित पोषण प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है।

सोयाबीन में उचित वृद्धि और विकास के लिए निम्न दो उत्पादों का उपयोग बेहद जरूरी होता है। 

ट्राई कोट मैक्स – यह एक पौध वृद्धि प्रोत्साहक है। इसमें जैविक कार्बन 3% (ह्यूमिक, फुलविक, कार्बनिक पोषक तत्वों का मिश्रण) होता है। यह पौधों की जड़ों एवं तने के अच्छे विकास में मददगार साबित होता है और साथ ही साथ पौधों के प्रजनन प्रक्रिया को भी बढ़ाता है।  

उपयोग विधि – 4 किलो ग्राम ट्राई कोट मैक्स प्रति एकड़ के हिसाब से उस समय दिए जाने वाले पोषक तत्व के साथ मिलाकर भुरकाव करें।

न्यूट्रीफूल मैक्स: यह भी ख़ास पौध वृद्धि प्रवर्तक है। इसमें फुलविक एसिड अर्क – 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटाश सूक्ष्म मात्रा में 5% + अमीनो एसिड आदि तत्व पाए जाते हैं। यह फूलों की संख्या बढ़ाता है और उन्हें गिरने से बचाता है। फलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है, साथ ही पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाता है। सूखे, पाले आदि के खिलाफ रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ावा देता है।

उपयोग विधि: 250 मिली न्यूट्रीफूल मैक्स प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें

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धान की फसल के तेज ग्रोथ एवं कल्लो के अधिक फुटाव हेतु जरूरी पोषक तत्व प्रबंधन

Tri Dissolve Paddy Maxx

किसान भाइयों, धान की अधिक पैदावार लेने के लिये पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं। जिसमें रासायनिक उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जैविक उर्वरक, हरी-नीली शैवाल, गोबर की खाद एवं हरी खाद आदि का समुचित उपयोग किया जाता हैं। 

धान की बुवाई या रोपाई के समय दिए गए नाईट्रोजन की शेष 1/4 मात्रा कल्ले निकलने (कंसे फूटने) की अवस्था में दे। अगर रोपाई के समय जिंक सल्फेट का उपयोग नहीं किया गया तो जिंक सल्फेट 10 किग्रा प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।

वहीं गंधक की कमी वाले क्षेत्रों में गंधक युक्त उर्वरकों जैसे सिंगल सुपर फास्फेट या सल्फर आदि का प्रयोग करें। इसके अलावा फसल की अच्छी गुणवत्ता के लिए ट्रॉय डिज़ाल्व पैडी मैक्स का उपयोग जरूर करें। 

ट्राई डिज़ाल्व पैडी मैक्स:- यह एक जैव उत्तेजक पोषक तत्व है। जिसमें जैविक कार्बन, पोटेशियम, कैल्शियम, अन्य प्राकृतिक स्थिरक, आदि तत्व पाए जाते हैं। यह स्वस्थ और वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ावा देता है, प्रारंभिक अवस्था में जड़ का विकास करता है। इसके साथ ही विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ाता है। 

उपयोग की विधि:-   ट्राई डिज़ाल्व पैडी मैक्स का उपयोग 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से उस समय दिए जाने वाले पोषक तत्व के साथ मिलकर भुरकाव करें एवं 200 ग्राम ट्राई डिसॉल्व पैडी मैक्स प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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कपास की फसल में हरा तेला की समस्या एवं नियंत्रण के उपाय

Jassid problem and control measures in cotton crop

क्षति के लक्षण

इस कीट की शिशु और प्रौढ़ दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। यह कीट पौधों के तनों, पत्तियों और फूलों से रस चूसकर पौधों की वृद्धि को रोकते हैं। जिससे पौधे कमजोर, छोटे और बौने रह जाते हैं। इस कारण उपज कम हो जाती है और इस कीट द्वारा रस चूसने से पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। इनके अधिक प्रकोप होने पर पौधा मर जाता है।

नियंत्रण के उपाय:-

  • किसान भाई कीट प्रकोप की जानकारी के लिए, पीले चिपचिपे ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप) @ 8-10 प्रति एकड़, के हिसाब से खेत में स्थापित करें।

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूबी) @ 1 किग्रा/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए, मीडिया (इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल) @ 50 मिली या थियामिथोक्साम 25% डब्ल्यू जी @ 40 ग्राम, या लांसर गोल्ड (ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी) @ 400 ग्राम + (सिलिकोमैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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जानिए मक्के की फसल में ट्राई डिसोल्व मैक्स उपयोग के फायदे और विधि

Tri Dissolve Max in maize crop

ट्राई डिसॉल्व मैक्स में पोषक तत्व का संघटन होता है, इसमें कार्बनिक पदार्थ के साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाएं जाते हैं, जो फसल विकास के लिए आवश्यक हैं। ट्राई-डिसॉल्व मैक्स में ह्यूमिक एसिड, जैविक कार्बन, समुद्री शैवाल, कैल्शियम, मैग्नीशियम, बोरॉन, मॉलिब्डेनम पाएं जाते हैं। 

मक्के की फसल में ट्राई डिसॉल्व मैक्स के उपयोग  के फायदे

  • यह स्वस्थ और वानस्पतिक फसल वृद्धि को बढ़ावा देता है। 

  • जड़ विकास में मदद करता है। 

  • साथ ही मिट्टी में  विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ाता है।

उपयोग की विधि 

मिट्टी में आवेदन – ट्राई डिसॉल्व मैक्स @ 400 ग्राम प्रति एकड़, के हिसाब से भुरकाव करें। 

छिड़काव –  ट्राई डिसॉल्व मैक्स  @ 200 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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फसलों में सफेद लट कीट के नियंत्रण के उपाय

White grub pest outbreak in crops

👉🏻किसान भाइयों, सफेद लट सफेद रंग का कीट हैं जो सर्दियों में खेत में सुषुप्तावस्था में ग्रब के रूप में रहता है।

👉🏻क्षति के लक्षण:- आमतौर पर प्रारंभिक रूप में ये जड़ों में नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद ग्रब के लक्षण पौधे पर देखे जा सकते है, जैसे कि पौधे या पौध का एक दम से मुरझा जाना, पौधे की बढ़वार रूक जाना और बाद में पौधे का मर जाना इसका मुख्य लक्षण है।

👉🏻प्रबंधन:- इस कीट के नियंत्रण के लिए जून और जुलाई माह के शुरूवाती सप्ताह में मेटाराइजियम स्पीसिस [कालीचक्र] @ 2 किलो + 50-75 किलो पकी हुई गोबर की खाद के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें।

👉🏻सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपचार भी किया जा सकता है। इसके लिए डेनिटोल (फेनप्रोपाथ्रिन 10% ईसी) @ 500 मिली/एकड़, डेनटोटसु (क्लोथियानिडिन 50.00% डब्ल्यूजी) @ 100 ग्राम/एकड़ को मिट्टी में मिला कर उपयोग करें।

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मुख्य खेत में रोपाई के पहले जरूर करें प्याज के पौध का उपचार

onion seedlings
  • प्याज की पौध की मुख्य खेत में रोपाई के लिए सबसे पहले स्वस्थ पौध का चयन करें एवं 12 से 14 सेमी लंबी या नर्सरी में बुवाई के 5-6 सप्ताह पुरानी पौध की हीं रोपाई करें।

  • कभी कभी प्याज के पौध.. मिट्टी, जलवायु और सिंचाई के आधार पर 6-7 सप्ताह में भी रोपाई के योग्य हो जाते हैं।

  • बहरहाल रोपाई के पूर्व प्याज की पौध की जड़ों को राइजोकेअर (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0 % डब्ल्यूपी) @ 2.5 ग्राम या स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैनकोजेब 50% डब्ल्यूएस) @ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से तैयार घोल में 10 मिनट तक डूबा कर रखें।

  • इससे प्रारंभिक अवस्था में आने वाले रोग जैसे- आद्र गलन, जड़ गलन से फसल को बचाया जा सकता है।

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मिर्च की फसल में चिनोफोरा ब्लाइट रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

choanephora blight disease

मिर्च की फसल में इस रोग का कारक चिनोफोरा कुकुर्बिटारम है। इस रोग के कवक आमतौर पर पौधे के ऊपरी हिस्से, फूल ,पत्तियों,नई शाखाओं और फलों को संक्रमित करते हैं। प्रारम्भिक अवस्था में पानी से लथपथ क्षेत्र पत्ती पर विकसित होते हैं। जिस कारण प्रभावित शाखा सूखकर लटक जाती है। अधिक संक्रमण बढ़ने पर फल भूरे से काले रंग के हो जाते हैं, संक्रमित भाग पर कवक की परत देखी जा सकती है। 

जैविक प्रबंधन:- कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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