Control of Mites in Chilli

मिर्च में मकड़ी का नियंत्रण:-

  • छोटे मकड़ी जैसे कीट होते जो अधिक संख्या में पत्तियों के नीचे जालों से ढंके रहते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क पत्तो से रस चूसते हैं।
  • प्रभावित पत्तियाँ किनारो मे मुड़ कर उल्टी नौका जैसे बन जाती हैं।
  • पत्तियों के डंठल लम्बे एवं छोटी पत्तियाँ दाँतेदार होकर गुच्छेदार हो जाती है।
  • पत्तियाँ गहरे धूसर रंग की एवं कम हो जाती है तथा फूल आने बन्द हो जाते है।
  • अधिक प्रकोप होने पर फल कड़े एवं सफेद धारीधार हो जाते है।   

नियंत्रण:-

  • माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए,  घुलनशील सल्फर 80% का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।  
  • अधिक प्रकोप होने पर प्रोपरजाईट 57% का  400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें |
  • इस कीट को फैलने से रोकने के लिये ग्रसित सभी प्रभावित भागों को इकट्ठा करके जला कर नष्ट कर देना चाहिये।  खेत की सफाई एवं उचित सिंचाई इस कीट की वृद्वि को नियंत्रित करती है।

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Aphids Attack in Chilli Crop

मिर्च में माहु का प्रकोप:-

  • शिशु एवं वयस्क कोमल, नाशपाती के आकार के काले रंग के होते हैं।
  • कोमल डालियों, पत्तो एवं पत्तो के निचले भाग में यह कीट रहते है।
  • यह कीट रस चूसकर,  वृद्धि कर रहे भागों पर नुकसान पहुँचाते है।
  • यह कीट मीठा पदार्थ का रिसाव करते हैं जो चिटीयों को आकर्षित करते है व काली फफूंद को विकसित करते है।

नियंत्रण :- निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  

  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प
  4. फिप्रोनिल 5% @ 50 मिली प्रति पम्प

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How to control Anthracnose or Pod Blight in Soybean crop

 

  • रोग सहनशील किस्में जैसे एनआरसी 7 व 12 का उपयोग करें।
  • बीज को थायरम + कार्बोक्सीन  @ 2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज के मान से उपचारित कर बुवाई करें।
  • रोग का लक्षण दिखाई देने पर  कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% @ 400 ग्राम. प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
  • अधिक प्रकोप होने पर टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली प्रति एकड़ की दर  स्प्रे करें|

 

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Symptoms of Anthracnose or Pod Blight in Soybean crop

  • यह एक बीज एवं मृदा जनित रोग है।
  • यदि संक्रमित बीज लगाया जाता है, तो प्रारंभिक रोग के विकास के परिणामस्वरूप डंपिंगऑफ (बीज या अंकुर सड़ने से पौधे की मृत्यु ) हो सकती है। 
  • सोयाबीन में फूल आने की अवस्था में तने, पर्णवृन्त व फली पर लाल से गहरे भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते है।
  • बाद में यह धब्बे फफूंद की काली सरंचनाओं (एसरवुलाई) व छोटे कांटे जैसी संरचनाओं से भर जाते है।
  • पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।

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How to control “Pink boll-worm”

  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करना चाहिए |
  • पुरानी फसल या पौधे के अवशेषो को नष्ट करना चाहिए |
  • मेटाराईजीयम स्पीसीज @ 750 मिली/एकड़ का स्प्रे करें| तथा दूसरा स्प्रे 15-20 दिन के अंतराल पर करें | इससे गुलाबी इल्ली का अच्छा नियंत्रण होता हैं।
  • क्विनालफॉस 25% ईसी @ 300 मिली/एकड़  प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ की मात्रा का स्प्रे करे|
  • फेनप्रोपथ्रिन 10% ईसी @ 400 मिली/एकड़ की मात्रा का स्प्रे करे।

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“Pink bollworm” Nature of damage

  • यह कपास का एक मुख्य कीट हैं जो, कपास के उत्पादन तथा गुणवत्ता दोनों को नुकसान पहुँचता हैं | 
  • इस कीट की  4 अवस्थाए होती हैं, इस कीट की इल्ली कोमल गुलाबी रंग की होती हैं | इस कीट की इल्ली ही फसल को नुकसान पहुँचती हैं |
  • इस कीट के वयस्क कपास के फूलो के अंदर अंडे देते हैं इन अंडो से निकली इल्ली अंदर ही अंदर बॉल को खाती हैं इसी वजह से बाहर की तरफ कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं | 
  • बॉल को खोलकर देखने पर अंदर की रुई सड़ी हुई दिखाई देती हैं यह इल्ली बीज को काट कर दो भागो में बाँट देती हैं|
  • संक्रमित पौधे से बॉल खुलने से पहले गिर जाते हैं जिससे उत्पादन कम हो जाता हैं |

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Management of Thrips in Cotton

कपास में थ्रिप्स का प्रबंधन:-

  • थ्रिप्स के शिशु एवं वयस्क पत्तियों के ऊपर एवं नीचे से उत्तकों को फाड़ कर रस चूसते हैं | वे लार उत्तकों में छोड़ते हैं और पौधों की कोशिकाओं का रस को चूसते हैं जिसके परिणामस्वरूप चांदी जैसे या भूरे रंग के उत्तकक्षय धब्बे बनते हैं।
  • थ्रिप्स से ग्रसित छोटे पौधे की बढ़वार धीमे हो जाते हैं और पत्तियां के ऊपर चमकदार कर्ल बन जाती हैं और सफेद चमकदार पैच के साथ विकृत हो जाती हैं। पत्तियों की सतह के नीचे जंग जैसे पेंच विकसित होती है|
  • फसल के वनस्पति विकास के दौरान अधिक प्रकोप होने पर कली देर से बनती हैं|
  • फल वाली अवस्था में अधिक थ्रिप्स लगने से घेटे गिरते हैं और फसल देर से आती है और उपज काम होती है | घेंटे बनते समय थ्रिप्स लगने से रेशे के गुणवत्ता कम हो जाती है |

प्रबंधन:-

  • बीज उपचार :- कपास के बीज को इमिडाक्लोप्रिड 60 एफएस @ 10 मिलीग्राम / किलोग्राम या थायोमेथॉक्सम 70 डब्ल्यूएस @ 5 ग्राम / किलोग्राम बीज से उपचारित करने से रस चूसक कीटों का प्रकोप शुरुआती अवस्था में कम हो जाता है |
  • कपास की फसल को खरपतवार मुक्त रखने से थ्रिप्स का फैलाव कम होता हैं|
  • जब थ्रिप्स का प्रकोप अधिक हो एवं मौसम साफ़ हो तब कीटनाशी का प्रयोग करना चाहिए|
  • फसल की शुरुआती अवस्था में खेत पर तैयार नीम सीड करनैल एक्सट्रेक्ट या नीम तेल @ 75 ml प्रति पंप तथा अच्छे फैलाव के लिए इसमें वाशिंग पाउडर 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के अनुसार मिला कर स्प्रे करने से थ्रिप्स की संख्या को रोका हैं|
  • कीटनाशक का प्रयोग:- निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें |
  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 15 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प
  4. थायोमेथॉक्सम 25% @ 5 ग्राम प्रति पम्प
  5. फिप्रोनिल 5% @ 50 मिली प्रति पम्प

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Control of White fly in Tomato

टमाटर में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रण:-

  • वयस्क एवं निम्फ दोनों पौधों का रस चूसते है ।
  • यह पत्ती मोड़क रोगों को फैलाते है ।
  • इससे ग्रसित पत्तियाँ मुड़ी हुई एवं धीरे धीरे घुमावदार हो जाती है ।   

नियंत्रण:-

  • डायमिथोएट 30% ईसी @ 300 मिली. प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर फसल की प्रारंभिक अवस्था में छिड़काव करें ।
  • नर्सरी अवस्था में सफेद मक्खी को रोकने के लिये नर्सरी के चारों तरफ नाइलोन की 100 मेश की जाली लगा दें ।   

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How to Control false wireworm in soybean

इस कीट के नियंत्रण के लिए इनमे से किसी एक  कीटनाशक का स्प्रे करे |

  • लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5% EC @ 200- 300 मिली/एकड़ | या
  • क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 9.3% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.6% ZC @ 100-150 मिली/एकड़ | या 
  • स्पिनोसैड 45% एससी @ 80-100 मिली/एकड़।

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False wireworm (Gonocephalum) damage symptoms in soybean

  • वयस्क कीट नए अंकुर के पत्तों को, या बढ़ती हुई नोक को, या जमीन के स्तर के पास तने को ‘रिंग बार्किंग’ करके खा जाती हैं जिसकी वजह से उभरते हुए अंकुर नष्ट हो जाते हैं। 
  • इसके वयस्क मिट्टी की सतह पर सक्रिय होते हैं | यह अनाज वाली फसलों की तुलना में दलहनी फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। 
  • यह कीट सोयबीन की फल्लियो में नवविकसित दानो को खाता हैं तथा फलियों को काट कर गिरा देता हैं | 

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