टमाटर में अधिक फूल धारण एवं पछेती झुलसा रोग नियंत्रण के उपाय!

Necessary spray for more flowers and late blight disease control in Tomato crops

टमाटर की फसल में अधिक फूल धारण एवं पछेती झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए, गोडिवा सुपर (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डिफ़ेनोकोनाज़ोल 11.4% एससी) @ 15 मिली +  न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क – 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम ट्रेस मात्रा में 5% + अमीनो एसिड) @ 25 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

न्यूट्रीफुल मैक्स

  • इससे फूल अधिक लगते है, एवं फलो की रंग एवं गुणवत्ता को बढ़ाता है। 

  • सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधो की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

  • जड़ से पोषक तत्वों के परिवहन को भी बढ़ाता है।

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प्याज की फसल में रोपाई के 40 दिन बाद जरूरी है पोषक तत्व प्रबंधन!

Nutrient management is necessary after 40 days of transplanting in onion crop

प्याज की फसल में इस अवस्था में अच्छे जड़ों के विकास एवं पौधों की स्वस्थ वृद्धि के लिए, यूरिया 30 किलोग्राम + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किलोग्राम + मैग्नीशियम सल्फेट 10 किलोग्राम इन सभी को आपस में मिलाकर एक एकड़ के हिसाब से समान रूप से भुरकाव करें।

  • यूरिया: प्याज की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत है| इसके उपयोग से, पत्तियो में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है| यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

  • कैल्शियम नाइट्रेट: कैल्शियम नाइट्रेट से प्याज की कंद का आकार बढ़ाता है, एवं बेहतर गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त होती है। साथ ही पौधो में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है।

  • मैग्नीशियम सल्फेट: मैग्नेशियम सल्फेट प्याज की फसल में मैग्नेशियम के प्रयोग से हरियाली बढ़ती है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती हैं अंततः उच्च पैदावार और फसल की गुणवत्ता बढ़ती है| साथ ही सल्फर गंध बढ़ाने में मदद करता है।

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प्याज में थ्रिप्स एवं बैंगनी धब्बा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of thrips and purple spot disease in onion crops

थ्रिप्स: इस कीट के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही प्याज की पत्तियों को खुरचकर रस चूसते हैं। क्षतिग्रस्त पत्तियां चमकीली सफेद दिखाई देती हैं, जो बाद में ऐंठकर मुड़ जाती हैं तथा सूख जाती हैं। इसे जलेबी रोग भी कहते हैं। 

बैंगनी धब्बा: इस रोग के लक्षण पहले छोटे, पानी से लथपथ घावों के रूप में प्रकट होता है, जो सफेद केंद्र विकसित करते हैं। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है, घाव भूरे से बैंगनी रंग के हो जाते हैं, जो पीले रंग के क्षेत्र से घिरे होते हैं। कभी-कभी इससे बल्ब भी संक्रमित हो जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय:

इस कीट के नियंत्रण के लिए, एलओसी – 5 (लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 05% ईसी) @ 120 मिली या जम्प (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी) @ 30 ग्राम + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली + स्कोर (डिफेनोकोनाज़ोल 25% ईसी) @150-200 मिली या नोवाक्रस्ट (एजऑक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी) @ 300 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें

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चने की फसल में उकठा रोग की पहचान व बचाव के उपाय

Symptoms and prevention measures of Fusarium wilt disease in gram crop

रोग की पहचान: चने में होने वाला यह फफूंद जनित रोग बेहद खतरनाक है। यह रोग किसी भी अवस्था में फसल को प्रभावित कर सकता है। इसका मुख्य लक्षण पत्तियों का नीचे से ऊपर की ओर पीला और भूरा पड़ना व अंत में पौधों का मुरझा कर सूख जाना है। तने को चीर कर देखने से आंतरिक उत्तक भूरे रंग का दिखाई देता है, जिस कारण से पोषक तत्व एवं पानी पौधों के सभी भाग तक नहीं पहुँच पाते हैं और पौधे मरने लगते हैं। पौधों को उखाड़ कर देखने पर कॉलर एवं जड़ क्षेत्र गहरा भूरा या काले रंग का दिखाई देता है।

रोकथाम के उपाय: इस रोग से बचने के लिए बुवाई के समय कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यू.पी.) @ 10 ग्राम प्रति किग्रा बीज के हिसाब से उपचारित करके बोना चाहिए। पर जिन किसान भाइयों ने बुआई के समय ऐसा नहीं किया है वे प्रकोप होने के बाद इसकी रोकथाम के लिए कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी 1.0% डब्ल्यू.पी.) @ 1 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में समान रूप से भुरकाव कर हल्की सिंचाई करें। इससे जल्द बचाव होगा और फसल स्वस्थ हो जायेगी।

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सरसों में तेज फूल वृद्धि व माहू नियंत्रण के लिए जरुरी छिड़काव!

Necessary spray for more flowers and Aphids control in mustard crops!

सरसों की फसल में अधिक फूल धारण एवं माहू कीट नियंत्रण के लिए, न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम ट्रेस मात्रा में  5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + थियानोवा 25 (थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी) @ 20 – 40 ग्राम  या धनवान 20 (क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी) @ 200 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

न्यूट्रीफुल मैक्स के लाभ 

🌱इससे फूल अधिक आते है, एवं फलियों की रंग एवं गुणवत्ता को बढ़ाता है। 

🌱सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

🌱जड़ से पोषक तत्वों के परिवहन को भी बढ़ाता है।

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आपकी फसल में ट्राई डिजॉल्व मैक्स का उपयोग करेगा जबरदस्त असर

Using Tri Dissolve Maxx in your crop will give tremendous effect

👉🏻ट्राई डिजॉल्व मैक्स में ह्यूमिक, जैविक कार्बन, पोटैशियम, कैल्शियम एवं अन्य प्राकृतिक स्थिरक तत्व हैं। 

👉🏻यह पौधों की स्वस्थ एवं वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ावा देता है। 

👉🏻जड़ विकास में मदद करता है।

👉🏻साथ ही जैविक पोटैशियम एवं कैल्शियम फल की गुणवत्ता बढ़ाता है। 

प्रयोग विधि:- ट्राई डिजॉल्व मैक्स @ 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में भुरकाव करें या ट्राई डिजॉल्व मैक्स @ 200 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

इसका प्रयोग सभी फसलों जैसे- दलहनी, तिलहनी एवं सब्जी वर्गीय फसल में कर सकते हैं।

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मटर की फसल में माहू की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of Aphid pest in pea crop

मटर की फसल में माहू कीट के प्रमुख रस चूसक कीट होते हैं। इस कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही टहनियों, कोमल पत्तियों, तना एवं पुष्पक्रम से रस चूसते हैं। इससे पत्तियां मुड़ कर विकृत हो जाती हैं और पौधों में बौनापन आ जाता है। यह कीट हनीड्यू स्राव करती हैं जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं।

नियंत्रण के उपाय 

तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार इस कीट के नियंत्रण के लिए, रोगोर (डाइमेथोएट 30% ईसी) @ 15 मिली +  सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 5 मिली + नोवामैक्स @ 30 मिली प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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मटर में अधिक फूल वृद्धि व फली छेदक इल्ली से बचाव हेतू जरुरी छिड़काव!

Necessary spray for more flowers and pod borer control in pea crops

मटर की फसल में अधिक फूल 🌷धारण एवं फली छेदक इल्ली 🐛 के लिए, तुस्क (मैलाथियान 50.00% ईसी) @ 600 मिली +  न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम सूक्ष्म पोषक तत्व मात्रा में 5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

न्यूट्रीफुल मैक्स:

👉🏻इससे फूल अधिक लगते है, एवं फलों की रंग एवं गुणवत्ता बढ़ती है। 

👉🏻सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

👉🏻जड़ से पोषक तत्वों की परिवहन क्षमता भी बढ़ती है।

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फसल को दें 2 डोज ट्राई-कोट मैक्स और पाएं जबरदस्त पैदावार

Get fast growth and bumper yield in cotton crop with Tri-Coat Maxx

👉🏻ट्राई कोट मैक्स में कार्बनिक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुलविक, कार्बनिक पोषक तत्वों का एक मिश्रण है।
👉🏻यह अच्छे बीज अंकुरण के लिए प्रभावी है।
👉🏻यह फसल में विभिन्न पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है।
👉🏻उर्वरक दक्षता बढ़ाता है और तीव्र जड़ विकास में मदद करता है।
👉🏻पौधों की वानस्पतिक विकास एवं प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
👉🏻इसके उपयोग से फसल हरी भरी एवं स्वस्थ रहती है।
👉🏻यह एक जैविक उत्पाद है इसलिए इसके उपयोग से मिट्टी की संरचना बेहतर होती है।

इस उत्पाद के संघटकों को जानें
👉🏻इस उत्पाद में ह्यूमिक एसिड है जो बीज के अंकुरण को बढ़ाता है। मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है एवं सूखे की स्थिति के लिए फसल को सहनशील बनाता है। मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ाता है। जिससे यह एक उत्कृष्ट जड़ उत्तेजक बन जाता है।

👉🏻इस उत्पाद में फुलविक एसिड भी है जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व को अवशोषित करने में मदद करता है।

उपयोग का समय एवं मात्रा: ट्राई कोट मैक्स @ 4 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि की तैयारी या खाद के साथ जमीन में भुरकाव करें, एवं बुआई के 30 दिन बाद ट्राई कोट मैक्स 4 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से एक बार फिर से उसी फसल में भुरकाव कर सिंचाई करें, और पाएं बेहतरीन उत्पादन।

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खरपतवारों से गेहूँ को होगा 25 से 35% तक का नुकसान, जानें बचाव के उपाय

Weeds will cause 25 to 35% damage to the wheat crop, learn preventive measures

🌾गेहूँ की फसल में खरपतवार एक सबसे बड़ी समस्या है। खरपतवारों के कारण फसल उत्पादन में 25 से 35% तक की कमी देखी गई है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो पोषक तत्व फसलों को दिए जाते हैं, वे खरपतवार के द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। जिससे मुख्य फसल कमजोर हो जाती है।

🌾गेहूँ में मुख्यतः दो तरह के खरपतवारों की समस्या होती है और ये होते हैं सकरी पत्ती वाले खरपतवार (मोथा, कांस, जंगली जई, गेहूंसा (गेहूँ का मामा) आदि) तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (बथुआ, सेंजी, कासनी, जंगली पालक,  कृष्णनील, हिरनखुरी आदि)। 

🌾इनसे बचाव के लिए बुवाई के 30 से 35 दिन के अंदर जब खरपतवार 2 से 5 पत्तों की अवस्था में होते हैं तब खरपतवारनाशक का छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। छिड़काव के लिए फ्लैट फैन या फ्लड जेट नोजल का इस्तेमाल करें। 10 से 12 टंकी प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।  

👉🏻सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए झटका (क्लोडिनाफॉप प्रोपरगिल 15% डब्ल्यूपी) @ 160 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए, वीडमार सुपर (2,4-डी डाइमिथाइल अमीन साल्ट 58% एसएल) @ 300-500 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻सकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए वेस्टा (क्लॉडिनाफोप प्रोपेरजील 15% + मेटसुल्फुरोन मिथाइल 1 % डब्ल्यूपी) @ 160 ग्राम या सेंकोर (मेट्रिब्यूजिन 70% डब्ल्यूपी) @ 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

👉🏻छिड़काव के समय सावधानी जरूर बरतें, मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने पहन कर हीं छिड़काव करें तथा जब हवा का बहाव ज्यादा हो तब छिड़काव बिल्कुल न करें।

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