Soil requirement for muskmelon

खरबूज की खेती के लिए उत्तम मिट्टी –

  • खरबूज सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है|
  • इसके लिए रेतीली दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है|
  • मिट्टी अच्छे जल निकास वाली और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर होना चाहिए|
  • मिट्टी का पी.एच. 6.0 से 7.0 होने से उत्पादन अधिक होता है साथ ही फल का स्वाद भी अच्छा रहता है|
  • मिट्टी का तापक्रम 15° सेंटीग्रेड से कम हो जाने पर बीज की वृद्धि और पौधे का विकास रुक जाता है|
  • लवण सहित क्षारीय भूमि खरबूज की खेती के लिए उत्तम नहीं मानी जाती है|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Important Practices for Increase Yield of Watermelon

तरबूज की उपज बढ़ाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:-

  • काले प्लास्टिक से मल्चिंग  करने से कई तरह के लाभ होते है जैसे – यह मिट्टी को गर्म रखेगा, खरपतवार वृद्धि में बाधा डालेगा, और फलो का विकास, साफ़ सुथरे वातावरण में करने में सहायक होगा ।
  • तरबूज के बीज की बोवाई से ले कर फल तैयार होने तक विभिन्न अवस्थाए  जैसे बोवाई, फूल आने के पूर्व, फल बनते समय पानी का होना बहुत जरूरी  है|
  • मिट्टी को नम रखना जरूरी है, लेकिन यह ध्यान रखते हुए कि खेत में अतिरिक्त पानी भरा नहीं हो । बेल के आधार पर सुबह के समय पानी देना अच्छा होता है, सिचाई के समय यह ध्यान रखे की पत्तिया गीली नहीं हो | जैसे ही  फल बढ़ने लगे पानी कम कर देना चाहिए। शुष्क मौसम या गर्म मौसम फलो को मीठा बनाने में सहायक होता है |
  • यदि आप उर्वरक का चुनाव कर रहे है तो, यह  सुनिश्चित कर ले कि जो उर्वरक आप चुन रहे है वह फॉस्फोरस और पोटेशियम की तुलना में अधिक नाइट्रोजन प्रदान करता हो।लेकिन जब फलो का विकास हो रहा हो तब वो उर्वरक  चुने जो फॉस्फोरस और पोटेशियम ज्यादा दे और नाइट्रोजन कम प्रदान करे| तरल समुद्री शैवाल का उपयोग करना ज्यादा अच्छा होता हैं।
  • एक ही बेल  पर अलग-अलग नर और मादा फूल पैदा करती  हैं। सामान्यत मादा फूल आने के कई सप्ताह पहले नर फूलों का आना  शुरू हो जाता हैं। नर फूल का गिरना पैदावार को नुकसान नहीं पहुँचाता । अगर ये झड भी जाए तो मादा फूल बेल पर रहते है और फल बनाते है ।
  • मधुमक्खिया परागण के लिए आवश्यक होती है, जिससे बेल में फलो की संख्या बढ़ती है |जब फल पक रहा हो तब उसे सड़ने से बचने के लिए धीरे से उठा कर जमीन और फल के बीच गत्ते का  टुकड़ा या भूसा रख देना चाहिए |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Sowing Time of Clusterbean (Guar)

ग्वार फली की बुआई का उचित समय:-

  • फसल मे अधिक उत्पादन बीज की गुणवत्ता पर अधिक निर्भर करता है|
  • वर्षा आधारित क्षेत्रों में बीज की बुवाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े में की जाती है|
  • सिंचित क्षेत्रों में बीज की बुवाई जुलाई माह के आख़िरी सप्ताह में की जाती है|
  • गर्मी के मौसम में बीज के बुवाई का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है|
  • ग्वार के बीज को बोने का दूसरा समय फरवरी के आखिरी सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक होता है|
  • गर्मी के मौसम में समय पर बुवाई ना करने पर अधिक तापक्रम के समय पुष्पन प्रभावित होता है|
  • गर्मी के मौसम में बीजों को बोते समय वातावरण का तापक्रम 25-30 सेंटीग्रेट होना चाहिए|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Suitable Climate for Muskmelon Cultivation

खरबूज की खेती के लिए आवश्यक वातावरणीय दशा:- 

  • खरबूज के बीज को बोने के सही समय नवंबर से फरवरी तक होता है|
  • गर्म -शुष्क मौसम फल की वृद्धि एवं अच्छे स्वाद के लिए अच्छा माना जाता है|
  • उच्च तापक्रम एवं धूप खरबूज में शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है|
  • खरबूज की मिठास वंशानुगत विशेषताओं पर निर्भर करती है लेकिन पर्यावरणीय दशा कुछ हद तक इसे प्रभावित करती है|
  • यह ठंड के लिए अतिसंवेदनशील है एवं यह गर्मी की फसल के रूप में उगाया जाता है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of Aphids in Pea

मटर में माहु का नियंत्रण:-

  • हरे रंग के छोटे कीट होते है । वयस्क, बड़े नाशपाती के आकार वाले हरे, पीले या गुलाबी रंग के होते है।

हानि :-  

  • पत्तियों, फूलों व फल्लियों से रस चूसते है ।  
  • प्रभावित पत्तियां मुड़ जाती है व टहनियां छोटी रह जाती है ।
  • यह कीट मीठे पदार्थ का रिसाव करते है जो सूटी मोल्ड को विकसित करते है ।

नियंत्रण :-  

  • निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  
  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

The likelihood of Frost

पाला पड़ने की संभावना:-

  • पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।
  • जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रुक जाती है, तो रात्रि को पाला पड़ने की संभावना रहती है।
  • वैसे साधारणता पाले का अनुमान दिन के बाद के वातावरण से लगाया जा सकता है।
  • सर्दी के दिनों में जिस दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए तथा आसमान साफ रहे हैं, या उस दिन आधी रात के बाद से ही हवा रुक जाए, तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है।
  • रात को विशेष तीसरे एवं चौथे पहर में पाला पड़ने की संभावनाएं रहती हैं।
  • साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाए, यदि शीतलहर हवा के रुप में चलती रहे तो नुकसान नहीं होता है परंतु यदि इसी बीच हवा चलना रुक जाए तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of Fruit borer in Tomato

टमाटर में फल छेदक का नियंत्रण:-

  • फल छेदक छेद बनाकर फल में प्रवेश करता है और पूरी तरह से उन्हें नष्ट कर देता है जिससे गुणवत्ता और उपज दोनों में भारी नुकसान हो जाता है।
  • इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए, प्रोफेनफोस 40% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या इंडोक्सकार्ब 14.5% एससी @ 200 मिलीलीटर /एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट (5% एस.जी) 80 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करे |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Fertilizer Requirments for Watermelon

तरबूज़ की खेती के लिए उचित उर्वरक की मात्रा:- 

  • तरबूज की खेती में अच्छी उपज के लिए अच्छी तरह सड़ी हुई खाद 15-25 टन/हेक्टेयर मृदा की तैयारी के समय उपयोग करें|
  • इसकी खेती में कुल 135 क़ि.ग्रा. यूरिया, 100 क़ि.ग्रा डी.ए.पी. एवं 70 किलोग्राम एम.ओ.पी. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है|
  • इसमें फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा एवं नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के पूर्व उपयोग किया जाता है|
  • बची हुई नाइट्रोजन को बुवाई के 10-15 दिनों बाद उपयोग किया जाता है|
  • सामान्यतः नाइट्रोजन की अधिक मात्रा उच्च तापक्रम पर तरबूज मे फूलों की संख्या को कम कर देता है और साथ में उपज को भी प्रभावित करता है|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Harvest and Post Harvest Management of Onion

प्याज की तुड़ाई एवं तुड़ाई उपरान्त तकनीक

तुड़ाई:-

  • किस्मों के आधार पर प्याज, रोपण के 3 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • गर्मी के दिनों में भूमि कडी हो जाती है तब कंदों को भूमि से बाहर निकालने के लिए खुरपी का इस्तेमाल किया जाता है।
  • रबी मौसम की तुलना में खरीफ मौसम की फसल मे कम उपज होती है।

पैकिंग:-

  • लम्बी दूरी के बाजारों में ट्रक, रेल या वायुयान के द्वारा परिवहन के लिए जूट एवं नेट के बोरो का उपयोग पैकिग के लिए किया जाता है।
  • सामान्यतः 40 कि.ग्राम क्षमता के जूट एवं नेट बैग का उपयोग देश में एवं निर्यात के लिए 6-25 कि.ग्राम क्षमता वाले बोरो का उपयोग किया जाता है।
  • निर्यात के उद्देश्य से प्याज को 14-15 कि.ग्राम क्षमता की टोकरियों में भी पैक किया जाता है।

छटाई:-

  • कंदों को उपचारित करने के बाद हाथों एवं मशीनों के द्वारा आकार के आधार पर विभिऩ्न श्रेणी में श्रेणीकरण किया जाता है।
  • श्रेणीकृत प्याज को भंडारण के पूर्व उसमे से सड़े, कटे एवं अवाँछित लक्षण वाले कंदों को अलग कर देना चाहिये।
  • श्रेणी गत करने से पहले कंदों के ऊपर के सूखे छिलको को अलग कर देना चाहिये जिससे कंद आकर्षक दिखायी देते है।
  • उपचारित प्याजों को उनके आकार एवं घरेलू बाजार की उपलब्धता एवं निर्यात आधार पर श्रेणीकृत किया जाता है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Gramophone organised its ‘Field Day’

ग्रामोफ़ोन के फील्ड डे पर उमड़ी किसानो की भीड़ – 08 दिसंबर, 2018 को, ग्रामोफोन ने अपना ‘फील्ड डे’ आयोजित किया जहां सामान्य तौर उपयोग की जाने वाली कृषि पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई आधुनिक कृषि पद्धतियों से किया गया। ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों ने किसान को हर कदम पर निर्देशित किया और फसल चक्र की समीक्षा की जिस वजह से फसल की गुणवत्ता बहुत अच्छी है और परिणाम काफी उत्साहजनक हैं। बैंकपुरा गांव (धामनोद) के किसान मनीष अग्रवाल ग्रामोफ़ोन के बारे में कहते है की, “मैं इस सीजन में ग्रामोफोन के विशेषज्ञों से मदद ले रहा हूं और अन्य क्षेत्रों की तुलना में, मेरी फसल स्वस्थ है और मुझे उम्मीद है कि इस बार 30-40% ज़्यादा उत्पादन होगा”।

आइये देखते है सामान्य किसान द्वारा की खेती की फसल की गुणवत्ता का ग्रामोफ़ोन द्वारा आधुनिक पद्धतियों से उगाई गई फसल का तुलनात्मक अध्ययन

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share