Symptoms and Control of Stemphylium Blight in Onion

स्टेमफाईटम झुलसा रोग:- छोटे पीले से नारंगी धब्बे या धारियां पत्ति के बीच में बनती है जो बाद में बड़ी धुरी के आकार से अंडाकार हो जाती है जो धब्बे के चारो ओर गुलाबी किनारे इसका लक्षण है| धब्बे पत्तियों के किनारे से नीचे की और बढ़ते है| धब्बे आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र बनाते है पत्तियां झुलसी दिखाई है पौधे की सभी पत्तियां प्रभावित होती है| चोपाई के 30 दिन बाद 10-15 दिन के अंतराल पर या बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फफूंदनाशियों मेन्कोजेब 75%WP @ 50 ग्राम प्रति पम्प, ट्रायसाईकलाज़ोल @ 20 मिली प्रति पम्प, हेक्सकोनाज़ोल @ 20 मिली, प्रोपिकोनाज़ोल @ 20 मिली प्रति पम्प का छिडकाव करे |

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Subsidy on Medicinal and Aromatic Crops

औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना:- योजना के तहत कृषक को स्वेच्छा से क्षेत्र के अनुकूल औषधीय एवं सुगंधित फसल के क्षैत्र विस्तार हैतु फसलवार 20 से 75% तक का अनुदान देय है| प्रत्येक कृषक को योजनान्तर्गत 0.25 हेक्टर से 2 हेक्टर तक लाभ देने का प्रावधान है | फसलवार अनुदान विवरण निम्नानुसार है:-

क्र. फसल का नाम अनुदान राशि( रूपये में)
1. आंवला 13,000/-
2. अश्वगंधा 5,000/-
3. बेल 20,000
4. कोलियस 8,600/-
5. गुडमार 5000/-
6. कालमेघ 5000/-
7. सफेद मुसली 62,500/-
8. सर्पगंधा 31,250/-
9. शतावर 12,500/-
10. तुलसी 6,000/-

आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Use of Bio-Fertilizer mycorrhiza (VAM)

जैविक उर्वरक मायकोराईजा(VAM):- मायकोराईजा फफूंद मायसेलिया और पौधे की जड़ों के बीच गठबंधन है। VAM एक एन्डोट्रॉफिक (अंदर रहता है) माइकोरार्इज़ा है जो एस्पेटेक्स फाइकाइसेट्स फफूंद द्वारा बनाई जाती है। VAM एक कवक है जो पौधों की जड़ों में प्रवेश करता है जिससे उन्हें मिट्टी से पोषक तत्व लेने में मदद मिलती है। VAM मुख्य रूप से फास्फोरस, जस्ता और सल्फर पोषक तत्वों को लेने में मदद करता है|  VAM हाईफा पौधों के रूट ज़ोन के आसपास नमी बनाए रखने में मदद करता है। यह जड़ एवं मिट्टी जनित रोगजनकों और नेमाटोड से प्रतिरोध को बढ़ाता है| ये कॉपर, पोटेशियम, एल्युमिनियम, मैंगनीज, लौह और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों को मिट्टी से पौधों की जड़ों तक पहुचाते हैं। मायकोरार्इज़ा सभी फसलों के लिए 4 किलोग्राम प्रति एकड़ बुआई के समय या बुवाई के 25-30 दिनों के बाद देना चाहिए|

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Subsidy on Horticultural Machinery

उद्यानिकी के विकास हेतु यंत्रीकरण को बढ़ावा देने की योजना:- कृषक जो आधुनिक यंत्रो का उपयोग उद्यानिकी फसलो में करना चाहते है उन्हें ऐसे यंत्रो पर इकाई लागत का 50% या अधिकतम निम्नानुसार अनुदान देय है-

क्र. उद्यानिकी मशीनरी अधिकतम अनुदान राशि
1 आलू प्लान्टर/डीगर के लिए 30000.00
2 लहसुन/प्याज प्लान्टर/डीगर 30000/-
3 ट्रेक्टर माउणटेड ऐगेब्लास्टर स्प्रेयर के लिए 75,000/-
4 पॉवर आपरेटेड प्रुनिग मशीन के लिए 20000/-
5 फोगिंग मशीन के लिए 10000/-
6 मल्च लेइंग मशीन 30000/-
7 पॉवर टिलर के लिए 75,000
8 पॉवर वीडर के लिए 50,000/-
9 ट्रेक्टर विथ रोटावेटर 1,50,000/-
10 प्याज/लहसुन मार्कर 500/-
11 पोस्ट होल डीगर 50,000/-
12 ट्री प्रुनर 45,000/-
13 प्लांट हेज ट्रिगर 35,000/-
14 मिस्ट ब्लोअर 30,000/-
15 पॉवर स्प्रे पम्प 25,000/-

आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Time for Fertilization in Garlic

लहसुन में खाद देने का समय:-

  1. खेत की तैयारी के समय
  2. लगते समय
  3. लगाने के 20-30 दिन बाद
  4. लगाने के 30-45 दिन बाद
  5. लगाने के 45-60 दिन बाद
  6. यदि किसी कारण से खाद की पुरी मात्रा नहीं दी गयी है तो कुछ जल्दी घुलने वाले उर्वरक 75 दिन की अवस्था में दिए जा सकते है |

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Subsidy for Spice Crop

मसाला क्षेत्र विस्तार योजना:- मसाला क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत उन्नत/संकर मसाला फसल के लिए इकाई लागत का 50% बीज वाली फसलो हैतु अधिकतम 10000/- रुपये प्रति हेक्टेयर तथा मसाला की कंद/प्रकंद वाली फसल जैसे:- हल्दी, अदरक और लहसुन के लिए अधिकतम रुपये 50,000/- प्रति हेक्टेयर अनुदान दिये जाने का प्रावधान है योजना में एक कृषक को 0.25 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर तक का लाभ दिया जा सकता है| सभी वर्ग के कृषक लाभ ले सकते है | आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Thrips control in Garlic

थ्रिप्स :- यह कीट छोटे एवं पीले रंग के होते है जो पत्तियों पर सफ़ेद धब्बे बना देते है यह पत्तियों से रस चूसते है |
नियंत्रण :- प्रोफेनोफोस @ 400 मिली /एकड़ या फिप्रोनिल 5% एससी @ 400 मिली प्रति एकड़ या एमामेक्टीन बेंजोएट 80-100 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड @ 75 मिली/ एकड़ का स्प्रे करे| छिडकाव सिलिकोन आधारित साल्वेंट मिला कर करे और जमीन से फिप्रोनिल 0.03% GR @ 8 किलो प्रति एकड़ या फोरेट 10 G @ 8 किलो प्रति एकड़ देने की अनुशंसा है|

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Subsidy for vegetable production

सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना:- सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत उन्नत/संकर सब्जी फसल के लिए इकाई लागत का 50% बीज वाली फसलो हैतु अधिकतम 10000/- रुपये प्रति हेक्टेयर तथा सब्जी की कंदवाली फसल जैसे:- आलू, अरबी के लिए अधिकतम रुपये 30,000/- प्रति हेक्टेयर अनुदान दिये जाने का प्रावधान है योजना में एक कृषक को 0.25 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर तक का लाभ दिया जा सकता है| सभी वर्ग के कृषक लाभ ले सकते है | आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

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Nutrient Management in Pea

मटर में पोषक तत्व प्रबंधन:-

बुआई के समय  30 किलो नाईट्रोजन प्रति हेक्टेयर की आधारीय खुराक प्रारंभिक वृद्धि को उत्तेजित करने के लिए पर्याप्त होती है। नाईट्रोजन की अधिक मात्रा ग्रंथियों के स्थिरीकरण पर बुरा प्रभाव डालती है |फसल फास्फोरस प्रयोग को अच्छी प्रतिक्रिया देती है क्योंकि यह जड़ में ग्रंथ गठन को बढ़ाकर नाइट्रोजन निर्धारण का समर्थन करता है। इससे मटर की उपज और गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।पौधे की उपज और नाइट्रोजन निर्धारण क्षमता बढ़ाने में पोटेशिक उर्वरकों का भी प्रभाव होता है।

सामान्य अनुशंसा :-

उर्वरको के प्रयोग की सामान्य अनुशंसा निम्न बातों पर निर्भर करता है-

  • मृदा उर्वरकता एवं दी जाने वाली कार्बनिकखाद/गोबर खाद की मात्रा |
  • सिंचाई की स्तिथि:- वर्षा आधरित या सिंचित
  • वर्षा आधारित फसल में उर्वरको की मात्रा आधी दी जाती है |

कितनी मात्रा में दे, कब देना हे-

  • मटर की भरपूर पैदावार के लिए 10 किलोग्राम यूरिया, 50 किलोग्राम डी.ए.पी, 15 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ  पोटाश और 6 किलोग्राम सल्फर 90% डब्लू.जी. को प्रति एकड़ प्रयोग करते है|
  • खेत की तैयारी के समय यूरिया की आधी मात्रा एवं डी.ए.पी, म्यूरेट ऑफ पोटाश और सल्फर की पूरी मात्रा को प्रयोग करते है| एवं शेष बची हुई यूरिया की मात्रा को दो बार में सिंचाई के समय देना चाहिए|

Source: IIVR, VARANASI and Handbook Of Agriculture

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Role of Calcium in Onion

कैल्शियम प्याज में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कैल्शियम से जड़ स्थापना में वृद्धि एवं कोशिकाओं का विस्तार को बढ़ता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है । यह रोग (ब्लैक रोट) और ठण्ड से सहिष्णुता बढ़ता है यद्यपि प्याज में कैल्शियम की सिफारिश की गई मात्रा उपज, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता के लिए अच्छी है। कैल्शियम की अनुशंसित खुराक 10 किलोग्राम / हेक्टेयर या मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार है।

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