किसानों को राहत, अल्पकालीन फसली ऋण चुकाने की मियाद एक महीने बढ़ाई गई

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से देश भर में चल रहे लॉक डाउन से बहुत सारे लोगों को परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। हमारे किसान भाइयों को भी इसकी वजह से कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्ही समस्याओं को देखते हुए भारत सरकार ने किसानों द्वारा ली गई अल्पकालीन फसली ऋण के भुगतान की तिथि एक महीने आगे बढ़ा दी है। 

केंद्र सरकार ने किसानों के लिए अल्पकालीन फसली ऋण के पुनर्भुगतान की अवधि 31 मई 2020 तक बढ़ाने का फैसला किया है। बता दें की अब किसान भाई 31 मई 2020 तक अल्पकालीन फसली ऋण को बगैर किसी दंडात्मक ब्याज के महज 4% सालाना ब्याज की दर पर भुगतान कर सकते हैं।

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गेहूँ और चावल की कीमतों पर केंद्र सरकार देगी रियायत

Central government will give concession on the prices of wheat and rice
  • कोरोना विश्व महामारी के इस मुश्किल दौर से निपटने के लिए सरकार ने कुछ बड़े कदम उठाये हैं। 
  • जनता को परेशानी ना हो इसका ध्यान रखते हुए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश के 80 करोड़ लोगों को सस्ती दर पर अनाज देने का फैसला किया गया है। 
  • सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 27 रूपये प्रति किलो वाला गेहूं मात्र ₹2 प्रति किलोग्राम में और 37 रूपये प्रति किलो वाला चावल 3 रूपये प्रति किलोग्राम में देने का फैसला किया है। 
  • इस पर 1 लाख 80 हजार करोड़ रूपये खर्च होंगें जो तीन महीने के लिए राज्यों को एडवांस में दिया गया है।
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प्याज की फसल में थ्रिप्स (तेला) का प्रबंधन कैसे करें?

यह एक छोटे आकार का कीट होता है, जो प्याज की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाता है। इसके शिशु और वयस्क दोनों रूप पत्तियों के कपोलों में छिपकर रस चूसते हैं जिससे पत्तियों पर पीले सफेद धब्बे बनते हैं, और बाद की अवस्था में पत्तियां सिकुड़ जाती है। यह कीट शुरू की अवस्था में पीले रंग का होता है जो आगे चलकर काले भूरे रंग का हो जाता है। इसका जीवन काल 8-10 दिन होता है। व्यस्क प्याज के खेत में ज़मीन में, घास पर और अन्य पौघो पर सुसुप्ता अवस्था में रहते है। सर्दियों में थ्रिप्स (तैला) कंद में चले जाते है और अगले वर्ष संक्रमण के स्त्रोत का कार्य करते है। यह कीट मार्च-अप्रैल के दौरान बीज उत्पादन और प्याज कंद पर बड़ी संख्या में वृद्धि करते हैं जिससे ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है, पत्तियाँ घूमी हुई नजर आती है और कंद निर्माण पुरी तरह बंद हो जाता है। भंडारण के दौरान भी इसका प्रकोप कंदों पर रहता है।   

रोकथाम के उपाय 

  • प्याज में रोग एवं नियंत्रण हेतु गर्मी में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए।
  • अधिक नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग ना करें। 
  • प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. @ 45 मिली या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% सी.एस. @ 20 मिली या स्पिनोसेड @ 10 मिली या फिप्रोनिल 5 एस.सी. SC  प्रति 15 लीटर की दर से छिड़काव करें।
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करेले के सेवन से होने वाले स्वास्थ्यवर्धक फायदे

Bitter gourd Benefits
  • करेले में फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह कफ, कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • पेट में गैस बनने और अपच होने पर करेले के रस का सेवन करना अच्छा होता है, जिससे लंबे समय के लिए यह बीमारी दूर हो जाती है।
  • करेले का जूस पीने से लीवर मजबूत होता है और लीवर की सभी समस्याएं खत्म हो जाती है तथा इससे पीलिया में भी लाभ मिलता है।
  • यह हानिकारक वसा को हृदय की धमनियों में जमने नहीं देता जिससे रक्त संचार व्यवस्थित बना रहता है।
  • इसमें मोमर्सिडीन और चैराटिन नामक के दो कम्पाउंड होते हैं जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करते हैं।
    करेला इंसुलिन को ऐक्टिव करता है, खाली पेट करेले का जूस पीने से डायबटीज़ में काफी फायदा होता है।
  • इसमें बीटा-कैरोटिन होता है जो आंखों से संबंधित बीमारियों को दूर रखता है और रोशनी बढ़ाने में भी मदद करता है।
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गर्मियों के मौसम में तरबूज का सेवन होगा लाभदायक

Watermelon is very beneficial in summer season
  • तरबूज में 92% मात्रा में पानी होता है जो शरीर को शीतलता और ताजगी देने के साथ साथ हाइड्रेट भी रखता है।
  • इसके सेवन करने से गर्मी में चलने वाली गर्म हवा (लू) से भी बचाव होता है।
  • तरबुज में एंटीऑक्सीडेंट होता है जो इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है। इसमें कैलोरी भी कम होती है जो मोटापे को नियंत्रित करता है।
  • तरबूज में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पायी जाती है जो शरीर की ऊपरी त्वचा का निर्माण विटामिन और देखभाल में मदद करती है और विटामिन सी शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है।
  • इसका सेवन रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करता है।
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गर्मी के मौसम में कैसे करे पशुओं की खास देखभाल  

  • गर्म मौसम होने से पशुओं पर भी तनाव साफ देखा जा सकता है।
  • अधिक तापमान के कारण पशु के आहार की स्थिति कम हो जाती है तथा व्यवहार में भी बदलाव आ जाती है।
  • लम्बे समय तक अधिक तापमान झेलने से पशुओं की हीट स्ट्रोक के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
  • इससे बचाव के लिए पशु को सीधे धुप से बचाव करना चाहिए और पशु के लिए पानी का उचित प्रबंधन करें।
  • पशु बाड़े में उचित नमी और ठंडक बनाये रखें।
  • गर्भवती पशुओं को प्रसूति बुखार (मिल्क फीवर) से बचाने के लिए खनिज मिश्रण 50-60 ग्राम प्रतिदिन दें।
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21 दिन के लॉकडाउन में सरकार ने किसानों की परेशानियों का रखा ख्याल, दी विशेष छूट

इस वक़्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से परेशान है। भारत में भी इस वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच केंद्र सरकार ने 21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन लगा दिया है। इसका अर्थ हुआ की 21 दिनों तक पूरे देश में बाजार, दफ्तर, यातायात के साधन आदि बंद रहेंगे। इस खबर के आने के बाद किसान भाइयों के बीच असमंजस की स्थिति बन गई थी। पर सरकार ने लॉकडाउन में भी किसानों के लिए विशेष छूट देकर इस असमंजस की स्थिति को खत्म कर दिया है।

दरअसल किसान भाइयों को उर्वरक और बीज जैसे कई कृषि उत्पादों की जरुरत पड़ती रहती है। ऐसे में अगर लॉकडाउन की वजह से उन्हें ये उत्पाद नहीं मिलते तो उन्हें बड़ी परेशानी झेलनी पड़ जाती। सरकार ने किसानों की इन्हीं परेशानियों को ध्यान में रखते हुए बीज और उर्वरक जैसे उत्पादों की खरीदी पर छूट दी है। इसका अर्थ यह हुआ की अपनी कृषि आवश्यकताओं को किसान भाई लॉकडाउन के दौरान भी आसानी से पूरा कर पाएंगे।

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बिना रसायन उपयोग किये मिट्टी उपचार कैसे करें?

बिना रसायन उपयोग किये मुख्यतः दो प्रकार की विधियों से मिट्टी उपचार या मिट्टी शोधन किया जा सकता है जो इस प्रकार है-

मिट्टी सोर्यीकरण अथवा मिट्टी सोलेराइजेशन- गर्मी में जब तेज धूप और तापमान अधिक हो तब मिट्टी सोलेराइजेशन का उत्तम समय होता है। इसके लिए क्यारियों को प्लास्टिक के पारदर्शी शीट से ढक कर एक से दो माह तक रखा जाता है, प्लास्टिक शीट के किनारों को मिट्टी से ढंक देना चाहिए ताकि हवा अंदर प्रवेश ना कर सके। इस प्रक्रिया से प्लास्टिक फिल्म के अंदर का तापमान बढ़ जाता है जिससे क्यारी के मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगों के बीजाणु तथा कुछ खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं। प्लास्टिक फिल्म के उपयोग करने से क्यारियों में मिट्टीजनित रोग एवं कीट कम हो जाते हैं। इस तरह से मिट्टी में बगैर रसायन रोग एवं कीट कम हो जाते हैं। इस तरह से मिट्टी में बिना कुछ डाले मिट्टी का उपचार किया जा सकता है।

जैविक विधि- जैविक विधि से मिट्टी शोधन करने के लिए ट्राईकोडर्मा विरिडी (संजीवनी/ कॉम्बेट) जो कि कवकनाशी है और ब्यूवेरिया बेसियाना (बेव कर्ब) जो कि कीटनाशी है,  से उपचार किया जाता है। इसके उपयोग के लिए 8 -10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद लेते हैं तथा इसमें 2 किलो संजीवनी/ कॉम्बेट और बेव कर्ब को मिला देते हैं एवं मिश्रण में नमी बनाये रखते है। यह क्रिया में सीधी धूप नहीं लगनी चाहिए अतः  इसे छाव या पेड़ के नीचे करते है। नियमित हल्का पानी देकर नमी बनाये रखना होता है। 4-5 दिन पश्चात फफूंद का अंकुरण होने से खाद का रंग हल्का हरा हो जाता है तब खाद को पलट देते है ताकि फफूंद नीचे वाली परत में भी समा जाये। 7 से 10 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से खेत में इसे बिखेर देना चाहिए। ऐसा करने से भी भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणुओं को नष्ट किया जा सकता है। ग्रामोफ़ोन द्वारा उपलब्ध मिट्टी समृद्धि किट में वे सभी जैविक उत्पाद है जो मिट्टी की संरचना सुधारने, लाभकारी जीवों की संख्या और पौधों के पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने, हानिकारक कवकों को नष्ट करने, जड़ों के विकास करने, जड़ों में राइजोबियम बढाकर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करते है।

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करेले की फसल में विषाणुजनित रोगों का प्रबंधन 

 

  • करेले में विषाणुजनित रोग आम तौर पर सफेद मक्खी तथा एफिड से होता है। 
  • इस रोग में सामन्यतः पत्तियों पर अनियमित हल्की व गहरी हरी एवं पीली धारियां या धब्बे दिखाई देते हैं।
  • पत्तियों में घुमाव, अवरुद्ध, सिकुड़न एवं पत्तियों की शिराएं गहरी हरी या पीली हल्की हो जाती हैं।
  • पौधा छोटा रह जाता है और फल फूल कम लगते है या झड़ कर गिर जाते हैं।  
  • रोग से बचाव के लिए सफेद मक्खी और एफिड को नियंत्रित करना चाहिए। 
  • इस प्रकार के कीटों की रक्षा हेतु 10-15 दिन के अंतराल पर एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 40 ग्राम/एकड़ और स्ट्रेप्टोमाईसीन 20 ग्राम  200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या
  • डाइफेनथूरोंन 100 ग्राम के साथ स्ट्रेप्टोमाईसीन 20 ग्राम  200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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करेले की फसल को रसचूसक कीटों से कैसे बचाएं

 

  • रसचूसक कीटों में एफिड, हरा तेला, सफ़ेद मक्खी, मीलीबग जैसे कीट आते हैं जो करेले की फसल को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • रसचूसक कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी या
  • थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। 
  • कीटनाशकों का बदल बदल कर छिड़काव करना चाहिए ताकि कीट कीटनाशकों के विरुद्ध प्रतिरोध शक्ति उत्पन्न न कर पाये। 
  • जैविक माध्यम से बवेरिया बेसियाना 1 किलो प्रति एकड़ उपयोग करें या उपरोक्त कीटनाशक के साथ मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं। 

 

 

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