फसल से अच्छी उपज प्राप्ति में सफ़ेद जड़ों का होता है अहम योगदान

Importance of white roots for good crop production
  • फसल के अच्छे उत्पादन के लिए सफ़ेद जड़ों का विकास बहुत अच्छा होना आवश्यक होता है।
  • सफेद जड़ मिट्टी में अच्छे से अपनी पकड़ बना कर रखती है जिसके कारण मिट्टी का कटाव नहीं होता है।
  • इनकी वजह से पोषक तत्वों का परिवहन पौधों के ऊपरी हिस्से में आसान हो जाता है।
  • सफ़ेद जड़ों के अच्छे विकास के लिए जमीन में फॉस्फोरस की निश्चित मात्रा का होना बहुत आवश्यक है इसलिए फॉस्फोरस जमीन की तैयारी के समय डालना उचित रहता है।
  • सफ़ेद जड़ें लम्बी एवं बहुत सारे भागों में विभाजित होती हैं जो जल संचरण में सहायक होती हैं।
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1 दिसम्बर से मिलेगी पीएम किसान की सातवीं क़िस्त, पता करें लिस्ट में आपका नाम है या नहीं

PM Kisan Samman Nidhi Yojana

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की सातवीं किस्त कुछ घंटों बाद करीब 11.35 करोड़ किसानों के खाते में पहुँच जायेगी। इस योजना के अंतर्गत मिलने वाली 2000 रुपये की यह क़िस्त इस वित्तीय वर्ष की तीसरी किस्त होगी जो आगामी 1 दिसंबर से आनी शुरू हो जाएगी। अगर आप भी 7वीं किस्त का इंतजार कर रहे हैं तो लिस्ट में अपना नाम जरूर देख लें।

ऑनलाइन माध्यम से लिस्ट देखने के लिए :

  • आपको वेबसाइट? pmkisan.gov.in पर जा कर मेन्यू बार में मौजूद ‘फार्मर कार्नर’ पर जाना होगा।

  • यहां मौजूद ‘लाभार्थी सूची’ के लिंक पर क्लिक करें और फिर अपना राज्य, जिला, उप-जिला, ब्लॉक और गांव विवरण दर्ज करें।
  • ये सब करने के बाद गेट रिपोर्ट (Get Report) बटन पर क्लिक करें। ऐसा करने पर आपके सामने पूरी लिस्ट आ जाएगी जहाँ आप अपना नाम सर्च कर सकते हैं।

  • लिस्ट में नाम न होने पर हेल्पलाइन नंबर 011-24300606 पर आप इसकी शिकायत कर सकते हैं।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

 

 

 

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पौधे के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है मैग्नीशियम, जाने इसका महत्व

Importance of magnesium for plants
  • मैग्नीशियम पौधों में होने वाली खाना बनाने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तथा यह पत्तियों के हरेपन का प्रमुख तत्व है।
  • मैग्नीशियम सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है, जो पौधों में कई एंजाइम गतिविधियों और पादप ऊतकों को बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
  • मैग्नीशियम की मात्रा मिट्टी में औसतन 0.5 – 40 ग्राम/किलोग्राम तक होती है, परन्तु वर्तमान समय में अधिकांश मिट्टी में मैग्नीशियम की मात्रा 0.33 -25 ग्राम/किलोग्राम तक ही पायी जाती है।
  • पौधों पर मैग्नीशियम की कमी के पहले लक्षण नीचे की पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। इसके कारण पत्तियों की शिराएं गहरे रंग एवं शिराओं के बीच का भाग पीले लाल रंग का हो जाता है।
  • भूमि में नाइट्रोजन की कमी, मैग्नीशियम की कमी को बढ़ा देती है।
  • खेत की तैयारी करते समय बेसल डोज के साथ 10 किलोग्राम/एकड़ की दर से मैग्नीशियम सल्फेट (9.5%) की मात्रा को मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाकर दें।
  • मैग्नेशियम की कमी को दूर करने के लिये 250 ग्राम/एकड़ की दर से मैग्नेशियम सल्फेट का घोल बनाकर दो बार सप्ताहिक अंतराल से पत्तियों पर छिड़काव करें।
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गेहूँ की फसल में सिंचाई की विभिन्न अवस्थाएं

Different stages of irrigation in wheat crops
  • पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था) में करें।
  • दूसरी सिंचाई बुआई के 40-50 दिन पर (कल्ले निकलते समय) करें।
  • तीसरी सिंचाई बुआई के 60-65 दिन पर (गांठ बनते समय) करें।
  • चौथी सिंचाई बुआई के 80-85 दिन पर (पुष्प अवस्था) करें।
  • पांचवी सिंचाई बुआई के 100-105 दिन पर (दुग्ध अवस्था) करें।
  • छठीं सिंचाई बुआई के 115-120 दिन पर (दाना भरते समय)करें।
  • तीन सिंचाई होने की स्थिति में ताजमूल अवस्था, बाली निकलने के पूर्व और दुग्ध अवस्था पर सिंचाई करें।
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चने की फसल को पाले के प्रकोप से ऐसे बचाएं

How to control frost in gram crop
  • आमतौर पर शीतकाल की लंबी रातें ज्यादा ठंडी होती है और कई बार तापमान हिमांक पर या इस से भी नीचे चला जाता है ऐसी स्थिति में जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित हुए सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं इसे ही पाला कहते हैं जो फसलों और वनस्पतियों के लिए बहुत हानिकारक होता है।
  • पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलसे हुए दिखाई देते हैं एवं बाद में झड़ जाते हैं। इसके कारण अधपके फल सिकुड़ जाते हैं, उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं, कलिया गिर जाती है एवं फलियों में दाने नहीं बनते हैं।
  • अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत के चारो तरफ धुंआ पैदा कर दें, ऐसा करने से तापमान संतुलित हो जाता है और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।
  • जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हों उस दिन फसल पर गंधक का 0.1 प्रतिशत घोल बनाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह गिरे।
  • छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक का छिड़काव 15 से 20 दिन के अन्तर से दोहराते रहें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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आलू की फसल में पछेती अंगमारी रोग का ऐसे करें नियंत्रण

Late blight management in potato
  • यह रोग फाइटोपथोरा नमक कवक के कारण फैलता है और इससे आलू की फसल को काफी क्षति पहुँचती है।
  • यह रोग 5 दिनों के अंदर पौधों की हरी पत्तियों को नष्ट कर देता है।
  • इस रोग से पत्तियों के किनारों पर धब्बे बनना प्रारंभ होते हैं और धीरे-धीरे पूरी पत्ती पर यह धब्बे फैल जाते हैं। इसके प्रभाव से शाखाएं एवं तने भी ग्रसित हो जाते हैं और बाद में कंद पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
  • इसके कारण पत्तियों की निचली सतहों पर सफेद रंग के गोले बन जाते हैं, जो बाद में भूरे व काले हो जाते हैं।
  • पत्तियों के बीमार होने से आलू के कंदों का आकार छोटा हो जाता है और उत्पादन में कमी आ जाती है। इस रोग के अनुकूल मौसम होने पर पूरा खेत नष्ट हो जाता है।
  • मेटालेक्सिल 30% FS @ 10 ग्राम मात्रा को 10 लीटर पानी में घोल कर उसमें बीजों को डूबा कर उपचारित करने के बाद छाया में सुखाकर बुआई करनी चाहिए।
  • आलू की फसल में कवकनाशी जैसे क्लोरोथलोनील 75% WP@ 250 ग्राम/एकड़ या मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP@ 250 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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पीएम किसान योजना की 2000 रुपये की सातवीं किस्त इस तारीख से मिलेगी

The seventh installment of PM Kisan Yojana will be received from this date

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सातवीं क़िस्त के 2000 रूपये किसानों के खातों में भेजने की पूरी तैयारी कर ली है। आगामी एक दिसंबर से किसानों के बैंक खातों में ये रकम भेजी जाने लगेगी।

गौरतलब है की पिछले साल इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत हुई थी, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक मदद के तौर पर सीधे किसानों के बैंक खाते में पैसे भेज दिए जाते हैं। अब तक इस योजना के अंतर्गत छह किस्त किसानों के खातों में भेजे गए हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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गोभी के अच्छे उत्पादन के लिए उन्नत बीजों का चुनाव है जरूरी

How to choose the right seed in cabbage crop
  • गोभी वर्गीय फसलों के बीज किस्मों के परिपक्व होने के लिए तापमान एक बहुत महत्वपूर्ण कारक होता है।
  • हर किस्म के बीज की बुआई 27 डिग्री तक के तापमान की आवश्यकता होती है।
  • वैसे तापमान की आवश्यकता के अनुसार गोभी की किस्मों को चार प्रकारों में विभाजित किया गया है।
  • इन चार किस्मों में जल्दी पकने वाली किस्मे, माध्यम पकने वाली किस्मे, माध्यम देरी से पकने वाली किस्मे और देरी से पकने वाली किस्मे होती हैं और इन्हीं बातों का ध्यान रख कर बीजों का चयन करना चाहिए।
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फूलगोभी की फसल में बोरान का होता है खास महत्व

Importance of Boron in cauliflower
  • फूलगोभी में सूक्ष्म तत्वों के प्रयोग से उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है। इन तत्वों में बोरान प्रमुख है।
  • बोरोन की कमी से गोभी के फूल हल्की गुलाबी या भूरे रंग की हो जाती है जो खाने में कड़वी लगती है।
  • बचाव के लिए बोरेक्स या बोरान 5 किलोग्राम/एकड़ की दर से अन्य उर्वरकों के साथ खेत में डालें। यदि फसल पर बोरेक्स के 2-4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें तो आशातीत उपज और अच्छे फूल प्राप्त होते हैं।
  • बोरोन फूलगोभी में फूल को खोखला और भूरा रोग होने से बचाता है तथा उपज में भी वृद्धि करता है।
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फसल अवशेषों से बनेगा ईंधन, मध्य प्रदेश सरकार कर रही है तैयारी

Fuel will be made from crop residues, Madhya Pradesh government is preparing

किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने से प्रदूषण के साथ साथ खेतों की उर्वरता भी कम हो रही है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सरकार किसानों से पराली न जलाने का आग्रह करती रहती है। हालांकि अब इसी मसले पर मध्यप्रदेश सरकार नया कदम उठाने जा रही है जिससे इस समस्या का हमेशा के लिए समाधान हो सकता है।

मध्यप्रदेश में पराली को जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोकने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके तहत राज्य में पराली से ईंधन बनाने की इकाइयां लगाए जाने का प्रस्ताव है। राज्य के कृषि मंत्री ने कहा है कि पराली जलाने से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान को रोकने के लिए पराली से ईंधन बनाने के यूनिट लगाए जाएंगे।

स्रोत: इंडिया डॉट कॉम

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