- यह कीट अपने शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था में मिर्च की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
- यह पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं।
- यह कीट पौधे पर उत्पन्न होने वाली काली कवक नामक हानिकारक कवक के संक्रमण का कारण भी बनती है।
- इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में मिर्च की फसल पूर्णतः सक्रमित हो जाती है।
- फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से मिर्च के पौधे की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
- प्रबंधन: इस कीट के नियंत्रण के लिए डायफैनथीयुरॉन 50%WP @250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिडामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
कई राज्यों में भारी बारिश की संभावना, जारी किया गया ऑरेंज अलर्ट
पूरे देश में मौसम बदल रहा है, कई राज्यों में बारिश हो रही है तो कहीं कहीं बारिश का अभी भी इंतजार है। ऐसे में मौसम विभाग संभावना जता रहा है की अगले कुछ दिन देश के कई क्षेत्रों में भारी बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश, सिक्किम, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में अगले कुछ दिन मॉनसून सक्रिय रहेगा और हल्की बारिश होगी।
इसके अलावा मौसम विभाग के अनुसार पूर्वी राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना और आंतरिक कर्नाटक में भी हल्की बारिश हो सकती है वहीं, अंडमान, नीकोबार द्वीपसमूह और तमिलनाडु में भारी बारिश की संभावना है।
ग़ौरतलब है की पिछले 24 घंटों में केरल के कई क्षेत्रों में मूसलाधार वर्षा हुई है और साथ ही हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पश्चिमी और उत्तरी मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareसोयाबीन मोज़ेक वायरस की ऐसे करें रोकथाम
- सोयाबीन मोज़ेक वायरस का वाहक है होता है रस चूसक कीट सफेद मक्खी।
- इस वायरस से संक्रमित पौधों में लक्षण पूरी तरह स्पष्ट नहीं होते हैं।
- इसके लक्षण सोयाबीन की फसल की किस्मों के अनुसार भिन्न – भिन्न हो सकते हैं।
- इसके प्रकोप के कारण पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं एवं पत्तियों पर पीले- हरे रंग के धब्बे बन जाते है।
- पत्तियों के अपूर्ण विकास के कारण पत्तियाँ विकृत हो जाती हैं एवं फल अच्छे से नहीं बन पाते हैं।
- इसके प्रकोप के कारण सोयाबीन के पौधे का विकास सही से नहीं हो पता है एवं उत्पादन पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
- इसके नियंत्रण लिए एसिटामिप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या बायफैनथ्रिन 10% EC @ 300 मिली/एकड़ या डायफैनथीयुरॉन 50% WP@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
सोयाबीन की फसल में रस्ट के लक्षण एवं बचाव
- सोयाबीन की फसल में इस रोग के कारण बहुत अधिक नुकसान होता है।
- इसके प्रकोप के लक्षण पौधे के सभी ऊपरी हिस्सों पर सबसे पहले दिखाई देते हैं।
- इसके बाद पत्तियों की ऊपरी सतह पर बड़ी संख्या में हल्के भूरे रंग या नारंगी रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में भूरे रंग या लाल भूरे रंग के धब्बों में बदल जाते हैं।
- प्रबंधन: थियोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाजोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ या प्रोपीकोनाज़ोल 25% EC@ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार हेतु ट्रायकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ या सुडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मध्य प्रदेश के बीहड़ इलाके में तीन लाख हेक्टेयर से ज्यादा ज़मीन को खेती योग्य बनाया जायेगा, विश्व बैंक करेगी मदद
मध्य प्रदेश के चंबल की वीरान धरती को उपजाऊ और खेती योग्य बनाने की कोशिश की जा रही है। अगर सब कुछ सही रहा तो इस क्षेत्र में भी अब हरियाली आएगी और फसलें लहलहाएंगी। इस कार्य में सहयोग के लिए विश्व बैंक एक व्यापक योजना पर विचार कर रहा है।
ग़ौरतलब है की चबल का बीहड़ मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश तीनों क्षेत्रों में फैला है और इसी इलाके को खेती योग्य बनाने को लेकर विश्व बैंक कार्य करने वाला है। विश्व बैंक के अधिकारी आदर्श कुमार ने मध्यप्रदेश में बीहड़ क्षेत्र के विकास की परियोजना पर काम करने के लिए अपनी सहमति जताई है। इस क्षेत्र में तीन लाख हेक्टेयर से ज्यादा ज़मीन खेती योग्य नहीं है। अगर यह विशाल क्षेत्र खेती योग्य बनेगा तो इलाके के लोगों को आजीविका का साधन मिलेगा और पर्यावरण की दृष्टि से भी यह समुचित कदम होगा। बीहड़ की वीरान भूमि में हरियाली लाने के साथ-साथ इलाके के समग्र विकास के लिए ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कृषि बाजार, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज लगाने की योजना है।
स्रोत: टीवी 9 भारतवर्ष
Shareसोयाबीन की फसल में गर्डल बीटल प्रबंधन
- इस कीट की मादा पौधे के तने के अंदर अंडे देती है और जब अंडे से शिशु निकलते हैं तो वे तने को खाकर कमजोर कर देते हैं।
- इससे तना बीच में से खोखला हो जाता है जिसके कारण खनिज तत्व पत्तियों तक नहीं पहुंच पाते एवं पत्तियां सुख जाती हैं।
- इस कारण फसल के उत्पादन में भी काफी कमी आ जाती है।
यांत्रिक प्रबंधन:
- गर्मियो के समय खाली खेत में गहरी जुताई करें। अधिक घनी फसल की बुआई ना करें।
- अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का उपयोग ना करें, यदि संक्रमण बहुत अधिक हो तो उचित रसायनों का उपयोग करें।
रासायनिक प्रबंधन:
- लेमड़ा सहेलोथ्रिन 4.9% EC@ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40 % + साइपरमेथ्रिन 4 % EC@400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- क्युँनालफॉस 25% EC 25% EC@400 मिली/एकड़ या बायफेनथ्रिन 10% EC@300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
जैविक प्रबंधन:
- बवेरिया बेसियाना @500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
सोयाबीन की फसल में ऐसे करें फली छेदक कीट का नियंत्रण
- इस कीट का आक्रमण सोयाबीन की फसल की शुरूआती अवस्था में ही हो जाता है।
- पहले यह कीट पौधे के नरम भागों को नुकसान पहुँचाती है और बाद में यह सोयाबीन की फली एवं बीजों को नुकसान पहुँचाती है।
- यह फली एवं फल छेदक इल्ली सोयाबीन की फली को बहुत अधिक को नुकसान पहुँचाती है।
- इसके प्रबधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @100 ग्राम/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC @ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसके जैविक प्रबंधन के लिए बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
आने वाले 3 से 4 दिनों में मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार अगस्त महीने में एक नया सिस्टम सक्रिय होने वाला है और ऐसा होने के बाद नए सिरे से बारिश का सिलसिला शुरू हो जाएगा। ग़ौरतलब है की पिछले चौबीस घंटे में मध्यप्रदेश के कई जिलों में इसका दिखा है। मौसम विभाग की तरफ से कई जिलों में बारिश होने की संभावना जताई है।
मौसम विभाग के मुताबिक अनूपपूर, उमरिया, डिंडौरी, दमोह, छतरपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड आदि जिलों में कही कही भारी बारिश की संभावना है। इसके साथ ही रीवा, शहडोल, ग्वालियर, चंबल आदि क्षेत्रों में गरज के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।
बात करें देश के अन्य राज्यों की तो मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों में आने वाले 3 से 4 दिनों में भारी बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में 29 से 31 जुलाई के बीच बारिश हो सकती है।
स्रोत: एमपी ब्रेकिंग न्यूज़
Shareमिर्च की फसल में 45 से 60 दिनों में उर्वरक प्रबंधन
- मिर्च की फसल में जिस प्रकार रोपाई के समय या रोपाई के बाद पोषण/उर्वरक प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार मिर्च की फसल जब 40 दिनों की हो जाती है तो उसके बाद 45 से 60 दिनों में भी पोषण/उर्वरक प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- इस समय पोषण/उर्वरक प्रबंधन करने से मिर्च की फसल में फूल अच्छे बनते हैं एवं फूल गिरने की समस्या भी फसल में नहीं होती है।
- इस समय जो पोषण/उर्वरक प्रबधन किया जाता है वह मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
इसके लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है
- यूरिया @ 45 किलो/एकड़ + DAP@ 50 किलो/एकड़ + मैगनेशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ + सूक्ष्म पोषक तत्व @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
मिर्च की फसल में 40-50 दिनों में छिड़काव प्रबंधन
- जिस प्रकार बुआई के समय एवं बुआई के 25-30 दिनों में कीट, रोगों एवं कवक जनित रोगों के नियंत्रण के लिए एवं अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए छिड़काव प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी तरह बुआई के 40-50 दिनों में भी छिड़काव किया जाना बहुत जरूरी होता है।
- खरीफ की फसल होने के कारण मिर्च की फसल जिस खेत में बोई जाती है वहां नमी अधिक होती है इस कारण बहुत से कवक जनित रोगों का प्रकोप मिर्च की फसल पर होता है।
- इन रोगों के नियंत्रण के लिए टेबूकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WDG @ 500 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसीन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार में कवक जनित रोगों के लिए सुडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ उपयोग करें।
- यदि खेत में मकड़ी का प्रकोप है तो इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9 % EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रॉपरजाइट 57% EC@ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8%SL @ 100 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कीट जनित रोगों के लिए बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- मिर्च की फसल की अच्छी वृद्धि एव विकास के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।