Criteria of Selection of Cotton Variety

कपास की किस्म के चयन में ध्यान रखने योग्य बातें:-

  • प्रतिरोधकता:- चयन की जाने वाली किस्म कीट व रोग रोधी होना चाहिए |
  • उपज स्थिरता:- उपज स्थिरता अच्छी किस्म का गुण होता है जिसमें विभिन्न वातावरण में भी अच्छी उपज देने की क्षमता हो|
  • परिपक्वता अवधि:- परिपक्वता एक संकेत है कि किस्म को बोने से कटाई तक कितना समय लगेगा। कपास की किस्में  परिपक्वता को अक्सर जल्दी, मध्यम, देर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • रेशे की गुणवता :- उपज की कीमत रेशे की गुणवत्ता से सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है। रेशे की गुणवत्ता रेशे  की लंबाई, मजबूती और समानता आनुवंशिकी से काफी प्रभावित होती है और पर्यावरण द्वारा बहुत कम प्रभावित होती है।
  • उपलब्घ पानी :- किस्म का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे पास पानी की क्या व्यवस्था है और हमें किस तरह की किस्म चाहिए जैसे सिंचित, अर्धसिंचित एवं वर्षा आधारित |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Nursery Bed Preparation of Cabbage

पत्तागोभी की नर्सरी का निर्माण:-            

  • बीजों की बुवाई क्यारियों में की जाती हैं | प्रायः 4-6 सप्ताह पुरानी तैयार हुई पौध को रोपित किया जाता हैं|
  • क्यारियों की लम्बाई 3 मी. चोड़ाई 0.6 मी. एवं ऊचाई 10-15 से.मी. होनी चाहिये|
  • दो नर्सरी क्यारियों के बीच की दूरी 70 से.मी. होनी चाहियें, ताकि नर्सरी के अंदर निदाई, गुड़ाई एवं सिंचाई जैसी  अन्तरसस्य क्रियाएं आसानी से की जा सके|
  • नर्सरी क्यारियों की सतह चिकनी (भुरभुरी ) अच्छी तरह से समतल होनी चाहियें|
  • नर्सरी क्यारियों का निर्माण करते समय 8-10 कि.ग्रा. गोबर कि खाद को प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाना चाहिये |
  • भारी भूमि में ऊँची  क्यारियों का निर्माण करने से जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता हैं |
  • आद्रगलन बीमारी द्वारा पौध को होने वाली हानि से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम 15 से 20 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से भूमि में मिलाना चाहियें |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

डीएपी के दाम कम होने की संभावना

डीएपी के दाम कम होने की संभावना:-

पिछले दिनों में डीएपी उर्वरक के दाम उछाल सब्सिडी नीति न्यूट्रीएंट बेस्ड योजना में फास्फेट पर अनुदान में लगभग 27% की वृद्धि करना पड़ी थी | हालांकि केंद्र ने पोटाश पर अनुदान में लगभग 10% की कमी कर दी | केंद्र शासन के उर्वरक विभाग नई उर्वरक अनुदान नीति के क्रियान्वयन के लिए गाईड लाईन्स जारी करते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि बोरोन तथा जिंक कोटेड फास्फोटिक अथवा पोटेशिक उर्वरकों पर क्रमशः 300 रु. व 500 रु. प्रति टन की दर से अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी| जिससे किसानों में इन सूक्ष्म तत्वों के उपयोग को भी बढ़ावा मिले| उर्वरक विभाग ने यह भी निर्देश दिए है कि इन उर्वरकों के निर्माता उर्वरक के बैग पर अनुदान राशि दर्शाते हुए एम आर पी आवश्यक रूप से प्रिंट करें| प्रिंटेड एम आर पी से अधिक दर पर उर्वरक बेचना दंडनीय अपराध होगा|

Source:- www.krishakjagat.org

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Field preparation for Soybean

सोयाबीन के लिए भूमि की तैयारी:-

  • खेत में 3-4 बार हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर पाटा चलाकर समतल करना चाहिए|
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Nutrient Management of Bitter Gourd

करेले में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • खेत की तैयारी करते समय 25-30 टन गोबर की खाद खेत में मिलाना चाहिये  |
  • अंतिम जुताई के समय 75 कि.ग्रा. यूरिया, 200 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट एवं 75 कि.ग्रा. पोटाश की मात्रा खेत में मिलाये |
  • शेष बचे हुये 75 कि.ग्रा. यूरिया की मात्रा को दो से तीन बार में बराबर भागों में बाँट कर डाले |
  • फोस्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा एवं नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बोये गये बीज से 8 से 10  से.मी. के पूरी पर डाले |
  • खेत में नाइट्रोजन पोषक तत्व की कमी होने पर पत्तियाँ एवं लताए  पीले रंग की हों जाती हैं,साथ ही पौधों की वृद्धि रुक जाती है |
  • अधिक नाईट्रोजन देने से वानस्पतिक वृद्धि अधिक होती हैं और फलन कम होता हैं नर फूलों की संख्या बढ़ जाती हैं |
  • यदि भूमि में पोटेशियम की कमी होती, तब पौधे की बढ़वार और पत्तियों का क्षेत्रफल कम हों जाता हैं और फूल झड़ने लगते है व फल लगने बंद हों जाते है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Irrigation in Cauliflower

फूलगोभी में सिंचाई प्रबंधन:-

  • अच्छी फसल के लिए पर्याप्त नमी को बनाए रखना बहुत आवश्यक हैं|
  • रोपाई के बाद हल्का पानी दे |
  • उचित नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करे |
  • अगेती एवं मिड सीजन की फसल की सिंचाई मानसून पर निर्भर रहती है|
  • फूल बनते और बढ़ते समय उचित नमी बनाये रखना बहुत आवश्यक हैं |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Germination before sowing in bitter gourd

करेला में बुआई पूर्व अंकुरण:-

  • करेले के बीज का आवरण कड़ा होता है, इसलिए 2-3माह पुराने बीजों को रात भर के लिए ठन्डे पानी में भिगोया जाता है|
  • बीजों को अच्छे अंकुरण के लिए 1-2 दिन तक नम कपड़े में लपेट कर रखा जाता हैं |
  • बीजों में अंकुरण के तुरंत बाद ही बो दिया जाता है |
  • बीजों को 2 सेमी. गहराई में बोना चाहिये |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Season of planting of Cauliflower

फूलगोभी के रोपाई का समय

  • अगेती किस्मों की बुवाई मई से जून माह में की जाती हैं |
  • मध्यम किस्मों की बुवाई जून माह के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई माह के मध्य की जाती हैं |
  • मध्य पछेती किस्मों की बुवाई अगस्त माह में की जाती हैं|
  • पछेती किस्मों की बुवाई सितम्बर से अक्टूबर माह के मध्य की जाती हैं|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Field preparation of Cabbage:-

पत्तागोभी में भूमि की तैयारी:-

  • खेत में 3-4 बार हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर पाटा चलाकर समतल करना चाहिए|
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|
  • बुवाई मौसम व भूमि के प्रकार के अनुसार मेढ़ व नाली में करनी चाहिए|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Nutrient Management in Coriander

धनिया में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • 25 टन सड़ी गोबर की खाद, एजोस्पिरिलियम और पीएसबी कल्चर 2-2 kg प्रति हेक्टेयर बुआई के पहले दे |
  • 100 किलो नाईट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 पोटाश प्रति हेक्टेयर दो भागो में आधा बुआई से पहले तथा आधा बुआई के 30 दिन बाद दे |
  • 50 किलो मैग्नीशियम सल्फेट प्रति हेक्टयर बुआई के पहले देना चाहिए |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें|

Share