Control of Anthracnose or Pod Blight in Soybean

सोयाबीन में ऐन्थ्रेक्नोज व फली झुलसन रोग का नियंत्रण:

  • यह एक बीज एवं मृदा जनित रोग है।
  • सोयाबीन में फूल आने की अवस्था में तने, पर्णवृन्त व फली पर लाल से गहरे भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे दिखाई देते है।
  • बाद में यह धब्बे फफूंद की काली सरंचनाओं (एसरवुलाई) व छोटे कांटे जैसी संरचनाओं से भर जाते है।
  • पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है।

नियंत्रण:-

  • रोग सहनशील किस्में जैसे एनआरसी 7 व 12 का उपयोग करें।
  • बीज को थायरम + कार्बोक्सीन 2  ग्राम /कि.ग्रा. बीज के मान से उपचारित कर बुवाई करें।
  • रोग का लक्षण दिखाई देने पर  कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% 400 ग्रा. प्रति एकड़ के अनुसार छिड़काव करें।
  • अधिक प्रकोप होने पर टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC 200 मिली प्रति एकड़ के अनुसार स्प्रे करें|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Happy Raksha Bandhan

रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाऐ :-

चन्दन का टीका रेशम का धागा,

सावन की सुगंध बारिश की फुहार,

भाई की उम्मीद बहना का प्यार,

ग्रामोफ़ोन टीम की तरफ से मुबारक हो आपको “रक्षा बंधन का त्योहार”

Share

Spacing for Cauliflower

फूल गोभी के लिए दूरी:-

  • किस्मों, भूमि के प्रकार व मौसम के अनुसार पौध अन्तराल निर्भर करती है।
  • पौध अन्तराल निम्नलिखित है।
  • अगेती किस्म:- 45 x  45 से.मी.
  • मध्य अवधि किस्म:- 60 x 40 से.मी.
  • पिछेती किस्म:- 60 x 60 से.मी. या 60 x 45 से.मी.

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Damping Off Disease in Brinjal

बैगन में आद्र गलन रोग का नियंत्रण:-

लक्षण:- यह बीमारी प्रायः नर्सरी अवस्था में होती है ।

  • बारिश में अत्यधिक नमी एवं सामान्य तापमान मुख्य रूप से इस रोग के विकास हेतु अनुकूल होती है।
  • इस बीमारी का आक्रमण प्रायः पौधे के आधार स्तर पर होता  है। इस रोग में दो प्रकार के लक्षण दिखाई देते है ।
  • पहला आर्द्रगलन प्रायः बीज और पौध के उगने के पूर्व होता है।
  • दूसरा आधार के नये उतक में संक्रमण प्रारंभ  होता है ।
  • संक्रमित उत्तक मुलायम एवं उन पर कुछ समय बाद जल रहित धब्बों का निर्माण हो  जाता है । जिसके कारण आधारीय भाग सड़ जाता है। और अंततः पौध मर जाता है।

प्रबंधन:-

  • स्वस्थ बीजो को ही बुवाई हेतु उपयोग करे।
  • बीजो को बुआई के पूर्व थाइरम 2 ग्राम प्रति कि.ग्राम बीज को मात्रा की दर से उपचारित करे।
  • किसी भी एक जगह पर लगातार नर्सरी को न उगाये।
  • नर्सरी की ऊपरी भूमि को कार्बेन्डाजिम 50% WP 5 ग्राम प्रति मीटर क्षेत्रफल की दर से उपचारित करना चाहिये एवं नर्सरी को कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% के द्वारा 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल से छिड़काव करे।
  • ग्रीष्म ऋतु में मई माह के अंत में तैयार की गई नर्सरी में पानी छिड़काव कर ततपश्चात 250 गेज मोटी पालीथिन बिछाकर सूर्य ऊर्जा द्वारा 30 दिन तक उपचारित कर बीजो की बुवाई करें ।
  • आर्द्रगलन की रोकथाम हेतु जैविक कारक जैसे ट्राइकोडर्मा विरीडी को 1.2 कि. ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करे।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Suitable Soil for Bottle Gourd Cultivation

लौकी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

  • लौकी को सभी प्रकार की भूमि पर आसानी से उगाया जा सकता है, परन्तु भूमि अधिक अम्लीय या क्षारीय या लवणीय नही होना चाहि्ये।
  • लौकी के लिये दोमट या बालुई दोमट मृदा सबसे उपयुक्त होती है।
  • मृदा को कार्बनिक पदार्थो से युक्त होना चाहिये, साथ ही उस भूमि में अच्छी, जल निकास की व्यवस्था हो।
  • इस फसल को मृदा जनित बीमारियों से बचाने के लिये एक ही खेत में कम से कम दो साल का फसल चक्र अपनाना चाहिये।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

 

Share

Suitable Climate for Cauliflower

फूलगोभी के लिए अनुकूल वातावरण:-

  • फूलगोभी की किस्में तापमान के प्रति अति संवेदनशील है।
  • अच्छे अंकुरण के लिए 10°C से 21°C तापमान उपयुक्त है।
  • पौधों व फूलगोभी के विकास के लिए 10°C से 21°C तापमान अनुकूल है।
  • 10°C से कम तापमान पर पौधों का विकास कम होता व फूलगोभी भी देर से बनती है।
  • अधिक तापमान में फूलगोभी से पत्तियाँ निकलती है।
  • इसलिए उचित किस्म का चुनाव अति आवश्यक है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Land Preparation and Seed Rate for Okra Cultivation

भिन्डी के लिए भूमि की तैयारी एवं बीज दर:-

  • दो बार गहरी जुताई करने के बाद दो या तीन बार बखर से भूमि को भुरभुरी एवं आवश्यकतानुसार पाटा चलाकर समतल बना लेना चाहिये।
  • भारी भूमि में बुवाई मेढ़ पर करनी चाहिये। गोबर का खाद, कम्पोस्ट खाद एवं नीम केक इत्यादि का उपयोग कर उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है।
  • ग्रीष्म कालीन फसल के लिये 7 से 8 कि.ग्रा. बीज/एकड़ की दर से बोना चाहिये।
  • वर्षा कालीन फसल के लिये बीज दर 3-4 कि.ग्रा.बीज/प्रति हेक्टेयर है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Cordially Greetings and Good wishes of 72 th Independence Day

तहे दिल से मुबारक करते हैं,

चलो आज फिर उन आजादी के लम्हों को याद करते हैं,

कुर्बान हुए थे जो वीर जवान भारत देश के लिए,

उनके जज्बे और वीरता को चलो आज प्रणाम करते है|

ग्रामोफ़ोन टीम की और से 72 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Management of Mealy Bug in Cotton

कपास में मिली बग का प्रबंधन :-

  • मिली बग कपास के पत्तों के नीचे बड़ी संख्या में समूह बना कर एक मोम की परत बना लेते हैं |
  • मिली बग बड़ी मात्रा में मधुस्राव छोड़ता हैं जिस पर काली फफूंद जमती हैं|
  • ग्रसित पौधे कमज़ोर और काले दिखाई देते है जिससे फलन क्षमता काम हो जाती है|

प्रबंधन:-

  • पुरे साल खेत खरपतवार मुक्त रखना चाहिए |
  • खेत की निगरानी रखनी चाहिए ताकि शुरुआत में ही कीट को देखा जा सके|
  • अधिकतम नियंत्रण के लिए शुरुआती अवस्था में ही प्रबंधन के उपाय करें |
  • आवश्यकता होने पर नीम आधारित वानस्पतिक कीटनाशक जैसे नीम तेल @ 75 मिली प्रति पंप या नीम निंबोली सत @ 75 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए डायमिथोएट @ 30 मिली प्रति पम्प या प्रोफेनोफॉस @ 40 मिली प्रति पम्प या ब्यूप्रोफेज़िन @ 50 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of Red Spider Mites in Okra

भिन्डी में लाल मकड़ी का नियंत्रण:-

  • लाल रंग के शिशु एवं वयस्क दोनो पौधे का रस चूसते है, जिसके  कारण पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे बन जाते है।
  • इस कीट से ग्रसित पत्तियाँ चितकबरी होकर धीरे-धीरे भूरे रंग की हो जाती है और बाद में गिर जाती है।
  • भूमि में कम सापेक्ष आर्द्रता माइटस के फैलाव हेतु अनुकूलित होती है।
  • माइटस के द्वारा पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रंग के धागे नुमा गुच्छे का निर्माण करते है।

नियंत्रण:-

  • माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए,  घुलनशील सल्फर का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर  छिड़काव करें।
  • अधिक प्रकोप होने पर प्रोपरजाईट 57% का  400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें |
  • इस कीट को फैलने से रोकने के लिये ग्रसित सभी प्रभावित भागों को इकट्ठा करके जला कर नष्ट कर देना चाहिये।  खेत की सफाई एवं उचित सिंचाई इस कीट की वृद्वि को नियंत्रित करती है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share