How to Control Weeds in Maize:-

इस साल मक्का की बुवाई का क्षेत्रफल बढा हैं जैसे खंडवा, खरगोन, बैतूल छिंदवाड़ा सिवनी | अच्छी उपज पाने के लिए खरपतवार नियंत्रण करना अति आवश्यक हैं साधारणतः हाथ से निंदाई की जाती हैं कही-कही ‘’हो’’ का भी उपयोग होता हैं परन्तु रासायनिक नियंत्रण किसानो को ज्यादा सुलभ और आसान लगता हैं |

  • बुवाई के 3-5 दिन में एट्राजिन 50% डब्ल्यूपी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • बुवाई के 15-20 दिन बाद टेम्ब्रोट्ररिओन 42% एससी @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • बुवाई के 20-25 दिन बाद 2,4-D 58% @ 400 मिली/एकड़ पानी में घोल बनाकर फ्लेट फेन नोज़ल से स्प्रे करें |
  • जब खरपतवारनाशी का उपयोग किया जाए उस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए |
  • खरपतवारनाशी के प्रयोग के बाद मिट्टी से छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए |
  • यदि दलहन फसल साथ में लगी हैं तो एट्राजीन का उपयोग नहीं करना चाहिए इसके जगह पेंडीमेथलीन 30% ईसी @ 800 -1000 मिली/एकड़ का प्रयोग अंकुरण पूर्व या बुवाई के 3 दिन के अंदर करना चाहिए |

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Why, when and how to add mycorrhiza in the field

  • पौधे की जड़ की वृद्धि और विकास में सहायक हैं | 
  • यह फॉस्फेट को मिट्टी से फसलों तक पहुंचने में मदद करता हैं | 
  • नाइट्रोजन, पोटेशियम,लोहा,मैंगनीज,मैग्नीशियम,तांबा,जस्ता, बोरान, सल्फर और मोलिब्डेनम जैसे पोषक तत्वों को मिट्टी से जड़ो तक पहुंचाने का कार्य करता हैं जिससे पौधों को अधिक मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो पाते  हैं | 
  • यह पौधों को मज़बूती प्रदान करता हैं जिससे वह कई रोग, पानी की कमी आदि के लिए कुछ हद तक सहिष्णु हो जाते हैं |
  • फसल की प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करता हैं परिणाम स्वरूप उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होती हैं | 
  • क्योकी माइकोराइजा जड़ क्षेत्र को बढ़ाता हैं इसलिए फसल अधिक स्थान से जल ले पाते हैं | 
  • मृदा उपचार –  50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुवाई/रोपाई से पहले मिट्टी में मिला दें।
  • बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में उपरोक्त मिश्रण का बुरकाव करें।

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How to Control Cauliflower Diamondback moth:-

पहचान

  • अंडे सफ़ेद-पीले व हल्के हरे रंग लिये होते है|
  • इल्लियाँ 7-12 मिमी. लम्बी, हल्के पीले- हरे रंग की व पुरे शरीर पर बारीक रोयें होते है|
  • वयस्क 8-10 मिमी. लम्बे मटमैले भूरे रंग के व हल्के गेहुएं रंग के पतले पंख जिनका भीतरी किनारा पीले रंग का होता है|
  • वयस्क मादा पत्तियों पर एक एक कर या समूह में अंडे देती है|
  • इनके पखों के ऊपर सफेद धारी होती है जिन्हें मोड़ने पर हीरे जैसी आकृति दिखती है|

नुकसान

  • छोटी पतली हरी इल्लियाँ अण्डों से निकलने के बाद पत्तियों की बाहरी परत को खाकर छेद कर देती है |
  • अधिक आक्रमण होने पर पत्तियां पूरी तरह से ढांचानुमा रहा जाती है | 

नियंत्रण:- 

  • डायमण्ड बैक मोथ की रोकथाम के लिये बोल्ड सरसों को गोभी के प्रत्येक 25 कतारों के बाद 2 कतारों में लगाना चाहिये।
  • प्रोफेनोफ़ोस (50 ई.सी.) का 500 मिली/एकड़ या सायपरमेथ्रिन 4% ईसी + प्रोफेनोफॉस 40% ईसी @ 400 मिली/एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें।
  • स्पाइनोसेड (25 एस.सी.) 100 मिली/एकड़ या ईंडोक्साकार्ब 300 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट @ 100 ग्राम/एकड़ पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 25 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।
  • जैविक नियंत्रण के लिए बेवेरिया बैसियाना @ 1  किलो/एकड़ | 
  • नोट :- हर स्प्रे के साथ स्टीकर अवश्य मिलाये | 

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How to avoid adverse weather conditions in Soybean

  • वर्तमान परिस्थिति में वर्षा का न होना या अल्प वर्षा का होना नव अंकुरित फसले जैसे सोयबीन मक्का आदि के लिए एक समस्या पैदा कर रहा हैं जिसकी वजह से फसल की बढ़वार रुक रही हैं जो की आगे चल कर फसल उपज को  प्रभावित करेगा या कम करेगा | 

लक्षण

  • दोपहर के समय फसल का लटक जाना पत्तियों का मुड़ जाना ये पानी की कमी को दर्शाता हैं सुबह और शाम पौधा स्वस्थ दिखाई देता हैं |  

बचाव:- 

  • अगर संभव हो एक हल्की सिंचाई कर दे |
  • होशी नामक उत्पाद का 250 मिली/एकड़ का छिड़काव करे या रूटस 98 @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करे |
  • आवश्यकता पड़ने पर आप इसके साथ कीटनाशक के तौर पर प्रोफेनोफॉस तथा लैम्डा उपयोग कर सकते हैं 

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Weed management in cucumber

  • फसल की प्रारंभिक अवस्था में खेत को खरपतवार रहित रखना आवश्यक हैं। 
  • जब लताऐ अच्छी तरह से खेत को ढक लेती है, इस दशा में निदाई की आवश्यकता नही होती है।  
  • प्रायः फसल की पहली एवं दूसरी निदाई बुवाई के 20-25 दिन एवं 45-50 दिनों के अंतराल से की जाती है। 
  • मण्डप या सहारे से लगी हुई  ककड़ी में सभी तरह की पत्ती वाले खरपतवार के लिए पैराक्वाट डाईक्लोराइड 24% एस.एल.( ग्रामोक्सोन ) या ग्लाइफोसेट 41% एसएल @ 1 लीटर/एकड़ कतारों के बीच में हुड लगा कर स्प्रे करे क्योकी यह एक नॉन सिलेक्टिव खरपतवारनाशक हैं | अतः हुड लगाना आवश्यक हैं | 

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Fall army worm :- Nature of Damage and Control measures

पहली बार भारत में इस कीट का प्रकोप जुलाई 2018 में कर्णाटक राज्य में देखा गया इसके बाद यह अन्य राज्यों में भी आ गया | मक्के की फसल को नुकसान पहुंचने वाला यह कीट अन्य कीटो की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहता हैं | इस कीट के पतंगे हवा के बहाव के साथ एक ही रात में लगभग 100 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं इसकी एक मादा अपने जीवन काल में 1 से 2 हजार तक अण्डे देती हैं | नुकसान करने की वजह सिर्फ इनकी आबादी ही नहीं बल्कि नुकसान पहुंचाने या फसलों को खाने का तरीका भी हैं, ये कीट फसलों पर झुण्ड में आक्रमण करते हैं| जिसकी वजह से ये कुछ ही समय में पूरी फसल को नष्ट कर देते हैं यह बहु भक्षी कीट लगभग 80 प्रकार की फसलों को खाता हैं परन्तु इसका प्रिय भोजन मक्का हैं 

  • ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
  • क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
  • यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं

नियंत्रण :-

  • प्रकाश प्रपंज लगाए।
  • 5 प्रति एकड़ की दर से खेत में फेरोमोन ट्रेप लगाइये।
  • बिवेरिया बेसियाना @ 1 किलो/एकड़ स्प्रै करवाइये |
  • फ्लूबेंडामीड 480 एससी @ 60 मिली/एकड़। 
  • स्पिनोसेड 45% एससी @ 80 मिली/एकड़ | 
  • थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम/एकड़ | 
  • क्लोरैट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ | 

इनमे से किसी एक कीट नाशक का प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बना कर छिड़काव करे।

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What and When spraying in cotton ?

सभी किसान भाइयो की कपास की फसल को लगभग 35-45 दिन हो गए है,और सभी किसान भाई बारिश के बाद पहले स्प्रे की तैयारी कर रहे है | ग्रामोफ़ोन आपको कपास में स्प्रे निम्नानुसार करने की सलाह देता है 

  1. पहला स्प्रे बुवाई के 20-30 दिन बाद :- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100-120 ml + 19:19:19 @ 1 किलो या विपुल @ 250 मिली + कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 400 ग्राम प्रति एकड़ | इस स्प्रे की सहायता से रस चूसक कीटो व फफूंद के प्रारंभिक संक्रमण से फसल को बचाया जा सकता है | पौधो के शुरूआती विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हो जाते है |
  2. दूसरा स्प्रे बुवाई के 40-45 दिन बाद :- मोनोक्रोटोफॉस 36% SL या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP के  साथ में प्रोफेनोफोस 40% EC + साइपरमेथ्रिन 5% EC के साथ में धनजाइम गोल्ड @ 250 मिली या विपुल बूस्टर @ 300 मिली प्रति एकड़ की दर से दें | इस स्प्रे की सहायता से सभी प्रकार के कीड़ो के लार्वा और अंडो का नियंत्रण किया जा सकता है |

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How much and when apply fertilizer in corn:

  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ अंतिम जुताई के समय मिलाये |
  • मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर यूरिया 20 किलो, डीएपी 70 किलो और पोटाश 35 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुवाई के समय देना चाहिए |
  • फसल में बेसल डोज मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।
  • मक्का की फसल में यूरिया की कुल आवश्यकता 60-72 किग्रा/एकड़ होती है। यूरिया की पूरी मात्रा को निम्न अनुसार देना चाहिए | 
न.        फसल अवस्था       नाइट्रोजन  (%)
1 बेसल (बुवाई के समय )         20
2 V4 (चार पत्ती की अवस्था ) 25
3 V8 (आठ पत्ती की अवस्था) 30
4 VT (फूल आने के बाद ) 20
5 GF (दाने भरने की अवस्था ) 5

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Fall army worm :- Nature of Damage and Control measures

हानि:-

  • ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
  • क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
  • यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं

नियंत्रण :-

  • लाईट ट्रेप लगाए |
  • 5 प्रति एकड़ मादा की खुशबु वाले फेरोमोन ट्रेप सेट लगाए |
  • ईल्ली दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें|
  • फ्लूबेंडामीड 480 एससी @ 60 मिली/एकड़।
  • स्पिनोसेड 45% एससी @ 80 मिली/एकड़
  • थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम/एकड़
  • क्लोरैट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ |

इनमे से किसी एक कीट नाशक का प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बना कर छिड़काव करे।

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Irrigation schedule of soybean:

पानी पौधों के लिए जीवन हैं,जिसकी उचित मात्रा में पूर्ति करना आवश्यक हैं | सोयाबीन की फसल में अधिकांश पानी की पूर्ति वर्षा जल के द्वारा तथा बाकी की पूर्ति सिंचाई के द्वारा की जाती हैं |

    • सामान्यत: सोयाबीन में 3 – 4 सिंचाई की आवश्यकता होती हैं |
    • पहली सिंचाई बुवाई के समय या अंकुरण वाली अवस्था पर करना चाहिए |
    • दूसरी सिंचाई की आवश्यकता फूल बनते समय तथा तीसरी सिंचाई फली बनते समय करना चाहिए | 
    • अंतिम सिंचाई फली में दाना बनते समय करना अतिआवश्यक हैं | सोयाबीन में फली एवं फली में दाने बनते समय पानी की अधिक आवश्यकता होती हैं, यदि उस समय पानी नहीं दिया गया तो उत्पादन में कमी हो सकती हैं | 

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