Transplanting Precautions in Chilli

  • मिर्च की रोपाई जुलाई-सितम्बर तक की जाती है |
  • अगस्त का महीना मिर्च की रोपाई के लिए सर्वोत्तम है, तत्पश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है |
  • ट्रांसप्लांटिंग से 5-7 दिन पहले टेबुकोनाज़ोल का स्प्रे या ड्रेंचिंग करे जिससे की डम्पिंग ऑफ की समस्या न आये | ट्रांसप्लांटिंग से पहले रोपे की जड़ो को माइकोराइजा के घोल (100 ग्राम/10 लीटर पानी ) में डुबोये |
  • पौधों की स्पेसिंग ( कतार से कतार X पौधे से पौधे 3.5-5 फ़ीट X 1-1.5 फ़ीट ) को उचित अनुपात में रखना चाहिए|
  • अगर खेत में कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो कार्बोफुरोन 3G @ 8 किलो/एकड़ की दर से बुरकाव करे| साथ ही खेत में पौधे सूखने की समस्या आती हो तो ट्राइकोडर्मा 4 किलो/एकड़ की दर से बुरकाव करे |

 

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Use of Trichoderma :- When, How and Why ?

ट्राइकोडर्मा सभी प्रकार के पौधों और सब्जियों के लिए जरूरी है जैसे कि गोभीवर्गीय, कपास, सोयाबीन आदि।

  • बीजोपचार:  1 किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति क्विंटल बीज की दर से बुवाई से पहले बीजो में मिलाएं।
  • जड़ो के उपचार हेतु : 10  किलो गोबर की अच्छे से सड़ी हुई खाद तथा 100 लीटर पानी मिला कर घोल तैयार करे फिर इसमें 1 किलो  ट्राइकोडर्मा पाउडर मिला कर तीनो का मिश्रण तैयार कर ले अब इस मिश्रण में पौध की जड़ो को रोपाई के पहले 10 मिनट के लिए डुबोएं।
  • मृदा उपचार: 4  किलो ट्राइकोडर्मा पाउडर प्रति एकड़ की दर से 50 किलो गोबर की खाद के साथ मिला कर बेसल डोज के रूप में खेत में मिलाईये |    
  • खड़ी फसल में : खड़ी फसल में उपयोग हेतु एक लीटर पानी में 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा पाउडर मिलाकर तना क्षेत्र के पास की मिट्टी में ड्रेंचिंग करें |

सावधानियां

  • ट्राइकोडर्मा के प्रयोग के बाद 4-5 दिनों के तक कोई भी रासायनिक कवकनाशी का उपयोग न करें।
  • सूखी मिट्टी में ट्राइकोडर्मा का प्रयोग न करें। इसकी वृद्धि और उत्तरजीविता के लिए नमी एक आवश्यक कारक है।
  • उपचारित बीज को सीधे सूर्य की किरणों में न रखे।
  • ट्राइकोडर्मा को FYM के साथ मिला कर अधिक समय तक न रखें।
  • ज्यादा जानकारी के लिए हमारे टोल फ्री न.( 1800-315-7566 ) पर मिस कॉल दे | 

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

seed treatment in soybean

सोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बुवाई के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Improved Variety of Soybean :- NRC-7

  • यह मध्यम अवधि की किस्म हैं जो लगभग 90-99 दिन में तैयार हो जाती हैं | 
  • इसके 100 दानो का वजन13 ग्राम से ज्यादा होता हैं | 
  • पौधों की सीमित वृद्धि होने की वजह से कटाई के समय सुविधा रहती हैं साथ ही इस किस्म में परिपक्व होने के बाद भी फल्लिया चटकती नही हैं फलस्वरूप उत्पादन में कोई नुकसान नहीं होता | 
  • फूलो का रंग बैगनी होता हैं इस किस्म की मुख्य विशेषता यह हैं की यह गर्डल बीटल और तना-मक्खी के लिए सहनशील हैं | 
  • इस किस्म की उपज 10-12 क्विंटल/एकड़ होती हैं | 

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

How to protect Crop from nematode

  • निमेटोड से ग्रसित पौधों की पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता तथा वृद्धि रुक जाती है जिससे पौधा छोटा ही रहता हैं तथा फलन पर प्रभाव पड़ता हैं |
  • निमेटोड जड़ों पर हमला करता है और जड़ो पर छोटी छोटी गठान बना देता हैं।
  • संक्रमित पौधे में मुरझाने के लक्षण दिखाई देते हैं |
  • जड़ो में गाठे बनने की वजह से जड़ो को मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्वों तथा पानी की उपलब्धता कम हो जाती हैं परिणाम स्वरूप पौधे मर जाते हैं |
  • कार्बोफ्युरोन 3% G @ 8 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए | या
  • नीम खली 80 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए | या
  • पेसिलोमाइसेस स्पी. 1% डब्ल्यूपी,
    • बीज उपचार के लिए 10 ग्राम/किलो बीज,
    • नर्सरी उपचार के लिए 50 ग्राम/वर्ग मीटर,
    • 2 किलो/एकड़ जमीन से देना चाहिए |

 

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Why use Magnesium on cotton crop

  • कपास के पौधे में भोजन बनाने की प्रक्रिया में मैग्नीशियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, यह क्लोरोफिल का महत्वपूर्ण घटक होता है इसके अलावा मैग्नीशियम पौधे में होने वाली विभिन्न एन्जायमिक क्रियाओ में तथा पौधे के उत्तको को बनाने में मुख्य भूमिका निभाता है |
  • कपास की फसल में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण बुवाई के 25-30 दिनों बाद पौधे की निचली पत्तियों पर दिखाई देते है, मैग्नीशियम की कमी से ग्रसित पत्तियाँ बैंगनी से लाल रंग की तथा पत्तियों की शिराये हरे रंग की दिखाई देती है |
  • कपास की फसल को मैग्नेशियम की कमी से बचाने के लिए मैग्नेशियम को 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय बेसल डोज के साथ मिलाकर दिया जाता है |
  • कपास की फसल में मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिये मेग्नेशियम सल्फेट @ 70-80 ग्राम प्रति एकड़ की दर  से एक सप्ताह के अंतराल में दो बार स्प्रे किया जाता है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

 

Share

Suitable varieties of Cauliflower

अच्छी किस्म सिर्फ अच्छी पैदावार ही नहीं बल्कि किसानो की कई समस्याओ को कम करती हैं जैसे अगर किस्मे किसी रोग के प्रति टॉलरेंस या सहिष्णु होती है तो किसानो का दवाओं एवं मजदूरो पर होने वाले खर्चे को कम करती हैं। गोबी की किस्मो का चुनाव करते समय हमें इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए की वह उस मौसम के लिए अनुकूल हो जिस समय आप उसे लगाना चाहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम अभी आपको ऐसी दो किस्मो के बारे में बता रहे हैं जो अभी लगाने के लिए उपयुक्त मानी गई हैं |  

इम्प्रूव्ड करीना

यह जल्दी तैयार होने वाली किस्म हैं जो की बाजार के लिए उपयुक्त है इसकी बुवाई का उचित समय मई के पहले सप्ताह से अगस्त के आखरी सप्ताह तक हैं यह रोपाई 55-60 दिनों में तैयार हो जाती हैं इसकी पत्तिया मुड़ी हुई होती हैं तथा फूल का वजन 1.2 किलो के लगभग होता जिसका सफ़ेद हैं फूल गुम्बद के जैसा होता है | इसके लिए धूप अच्छी होती हैं |

सुपर फर्स्ट क्रॉप:-

मध्यम तापमान और जलवायु में समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म हैं जिसे मार्च से अगस्त माह तक लगा सकते हैं यह सर्दियों में कठोर होता है और मध्यम तापमान पर भी अच्छे फूल का उत्पादन करता है सफ़ेद रंग का तथा संगठित फूल होता हैं जिसका वजन लगभग 800 ग्राम से 1 किलो तक होता हैं |फूल लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाते हैं | लम्बी दूरी के बाजारों में पहुंचने के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती हैं |इसकी एक खासियत यह भी हैं की यहाँ ब्लैक रॉट रोग के प्रति सहिष्णु हैं |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Improved Varieties of Soybean

किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ, लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 % से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |

मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-

क्र. किस्म का नाम अवधि दिन में उपज प्रति हेक्टेयर
1. JS-9560 82-88 18-20
2. JS-9305 90-95 20-25
3. NRC-7 90-99 25-35
4. NRC-37 99-105 30-40
5. JS-335 98-102 25-30
6. JS-9752 95-100 20-25
7. JS-2029 93-96 22-24
8. RVS-2001-4 92-95 20-25
9. JS-2069 93-98 22-27
10. JS-2034 86-88 20-25

 

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें|

Share

Chilli nursery spray schedule

अच्छी पैदावार के लिए नर्सरी का ठीक से तैयार होना अति आवश्यक है अगर नर्सरी में पौध रोग रहित एवं स्वस्थ रहेगी तभी खेत में रोपाई के बाद तैयार मिर्च का पौधा भी मजबूत रहेगा इसलिए नर्सरी में पौधे की उचित देखभाल अवश्य करे | अच्छी पौधे तैयार करने हेतु ग्रामोफोन मिर्च की नर्सरी में तीन बार स्प्रै करने की सलाह देता हैं जो इस प्रकार है

  • पहला स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8 ग्राम/पम्प + एमिनो एसिड 20 मिली/पम्प (पत्तियों का रस चूसने वाले कीटो के नियंत्रण में सहायक) |
  • दुसरा स्प्रे – मेटलैक्सिल-M (मेफानोक्सम) 4% + मैनकोज़ब 64% डब्ल्यूपी 30 ग्राम/पम्प + 19:19:19 @ 100 ग्राम/पम्प ( डम्पिंग ऑफ के नियंत्रण में सहायक ) |
  • तीसरा स्प्रे – थायोमेथोक्साम 25% डब्ल्यूजी 8-10 ग्राम/पम्प + हुमिक एसिड 10-15 ग्राम/पम्प
  • समयानुसार अन्य कीट व रोग लगने पर उनका नियंत्रण करें |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Cotton fertilizer management

फसल में उर्वरक का प्रबंधन मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार करना चाहिए |

यदि मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर हमें उर्वरको का निम्नानुसार प्रबंधन करना चाहिए |

बुवाई के 15-20 दिन बाद: – मानसून की पहली बौछार के बाद |

  • (यूरिया 50 किलो + डीएपी 50 किलो + एमओपी 50 किलो + PSB 1 ltr.+ KMB  1 ltr + NFB 1 ltr) प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाये ।

बुवाई के 30-35 दिन बाद: –

  • (डीएपी 50 किलो + यूरिया 25 किलो + Mgso4 10 किलो + ROOTZ 98 250 ग्राम + ( PSB @ 1 ltr.+ KMB @ 1 ltr+ ) प्रति एकड़ की दर से खेत में समान रूप से मिलाये और फिर सिंचाई शुरू करें।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share