गर्मियों के मौसम में लोबिया की फसल को चारे के रूप में करें उपयोग

Benefits of planting cowpea crop as fodder in summer
  • गर्मियों के मौसम में पशुओं के लिए हरे चारे का इंतजाम करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में पशुपालकों को इस समय लोबिया की बुआई करनी चाहिए।
  • लोबिया पशुओं के लिए पौष्टिक चारे के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • लोबिया सबसे तेज बढ़ने वाला दलहनी चारा फसल है।
  • लोबिया के अधिक पौष्टिक व पाचकता से भरपूर होने के कारण ही इसे घास के साथ मिलाकर बोने से इसकी पोषकता बढ़ जाती है।
  • लोबिया सब्ज़ी के रूप में भी उपयोग की जाती है। ख़ास कर के इसका उपयोग बरसात में होता है क्योंकि इस समय हरी सब्जियों की उपलब्धता कम हो जाती है।
  • इस समय हरी सब्जी के लिए लोबिया का उत्पादन किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाता है।
  • लोबिया दलहनी फसल है तो यह मिट्टी में नाइट्रोज़न नामक पोषक तत्व की उपलब्धता को बहुत बढ़ाती है।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में गर्मी का दौर रहेगा जारी, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather Update Hot

मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में हीट वेव कंडीशन है। गुजरात, मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तरी तेलंगाना के कुछ इलाकों में तापमान 40 डिग्री के पार बने हुए हैं। इन इलाकों में आने वाले दिनों में भी काफी ज्यादा गर्मी रहने की संभावना है। इसके साथ ही मौसम साफ़ रहेगा और गर्मी से राहत मिलने की अभी कोई संभावना नहीं है।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

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वर्मी वाश के उपयोग से कृषि में मिलते हैं कई सारे लाभ

The use of VermiWash gives many benefits to crops
  • वर्मीवाश एक तरल पदार्थ होता है जो केंचुए द्वारा स्रावित हार्मोन्स, पोषक तत्वो एवं एन्ज़ाइमयुक्त होता है। इसमें रोग रोधक गुण पाए जाते हैं।
  • इसमें ऑक्सिन एवं साइटोकाईनिन हार्मोन्स और विभिन्न एन्ज़ाइम भी पाए जाते हैं, साथ ही इसमें नाइट्रोजन फिक्सिंग जीवाणु जोटोबैक्टर और फॉस्फोरस घोलक जीवाणु भी पाए जाते हैं।
  • वर्मीवाश का उपयोग फसलों मैं रोगरोधी और कीटनाशक दोनों ही रूप में किया जाता है।
  • वर्मीवाश के उपयोग से फसलों में अधिक उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त होती है जिससे बाजार में किसानों को फसलों के अच्छे दाम प्राप्त होते हैं।
  • वर्मीवाश के उपयोग से किसान की लागत में कमी आती है और उत्पादन बढ़ जाता है।

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वर्मी कम्पोस्ट बनाते समय अपनाई जाने वाली सावधानियां

Precautions to be taken while preparing vermicompost
  • वर्मी बेडों में केंचुआ छोड़ने से पूर्व कच्चे माल (गोबर व आवश्यक कचरा) का आंशिक विच्छेदन जरूर करें। इस प्रक्रिया में 15 से 20 दिन का समय लगता है और इसे करना अति आवश्यक होता है।
  • वर्मी बेडों में भरे गये कचरे में कम्पोस्ट तैयार होने तक 30 से 40 प्रतिशत नमी बनाये रखें। कचरे में नमी कम या अधिक होने पर केंचुए ठीक तरह से कार्य नहीं करते हैं।
  • वर्मी बेड में ताजे गोबर का उपयोग कदापि न करें। ताजे गोबर में गर्मी अधिक होने के कारण केंचुए मर जाते हैं अतः उपयोग से पहले ताजे गोबर को 4 व 5 दिन तक ठंडा अवश्य होने दें।
  • केंचुआ खाद बनाने के दौरान किसी भी तरह के कीटनाशकों का उपयोग न करें।
  • कचरे का पी. एच. उदासीन (7.0 के आसपास) रहने पर केंचुए तेजी से कार्य करते हैं। अतः वर्मीकम्पोस्टिंग के दौरान कचरे का पी.एच. उदासीन बनाये रखे। इसके लिए कचरा भरते समय उसमें राख अवश्य मिलाएं।

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अगर 30 अप्रैल तक जमा करें फसली ऋण, तो नहीं चुकाना होगा कोई ब्याज

If you deposit the crop loan by 30 April, then no interest will have to be repaid

देश के लाखों किसान अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फसली ऋण लेते हैं। किसानों को फसली ऋण सरकार द्वारा कम ब्याज दर पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। हालांकि कई बार समय पर ऋण ना चुका पाने के कारण किसानों को ज्यादा ब्याज देना पड़ जाता है।

मध्यप्रदेश सरकार ने फसली ऋण को लेकर एक नया ऐलान किया है जिससे किसानों को बिना किसी ब्याज के फसली ऋण चुकाने के लिए एक माह का समय दे दिया है। किसान खरीफ सीजन के दौरान लिए गए फसली ऋण को 30 अप्रैल तक जमा कर सकेंगे।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्य भारत में अब होगी तापमान में थोड़ी गिरावट, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

मध्य भारत में तापमान 40 डिग्री के ऊपर बना हुआ है और कई क्षेत्रों में तापमान 42 डिग्री को भी पार कर गया है। हालांकि अब इन इलाकों में थोड़ी राहत मिलने की संभावना है। विपरीत चक्रवातीय हवाओं का का क्षेत्र गुजरात के ऊपर बना हुआ है और इसके प्रभाव से हवाओं की दिशा उत्तर-पश्चिमी हो जाएगी। 40 डिग्री तक पहुँच चूका तापमान अब गिरकर 35-36 डिग्री तक रह जाएगा जिससे मध्य भारत को हल्की राहत मिलेगी।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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जायद सीजन में खीरे की खेती से कमाएं बंपर मुनाफा

Earn bumper profits from cucumber cultivation in Zaid Season
  • खीरा गर्मियों में लगाई जाने वाली एक बहुत महत्वपूर्ण फसल है।
  • इस मौसम में दलहनी फसलों के अलावा यदि कोई सबसे ज्यादा लाभ देने वाली फसल है तो वह है खीरा जिसकी खेती कर किसान भारी मुनाफा कमा सकते हैं।
  • खीरे के लिए आवश्यक उन्नतशील प्रजातियों का चयन करें। इनमें स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण अगेती, कल्याणपुर हरा, पन्त खीरा-1, फाइन सेट, जापानी लांग ग्रीन आदि शामिल हैं।
  • जायद सीजन में खीरे की फसल लगाने के लिए बीज प्रति एकड़ 300-350 ग्राम लगता है।
  • जायद के खीरे की फसल की बुआई मार्च के माह में कर लेनी चाहिए। अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए समय समय पर आवश्यक उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें।
  • सावधानी पूर्वक समय से सिंचाई करते रहना चाहिए। पानी की उपलब्धता वाले खेतों का चयन करना चाहिये।

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फसल चक्र अपनाने से मिलते हैं कई फायदे, पढ़ें पूरी जानकारी

What is crop rotation and its benefits
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए विभिन्न फसलों को किसी निश्चित क्षेत्र पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में बोने को फसल चक्र कहते है।
  • इसका उद्देश्य पौधों के भोज्य तत्वों का सदुपयोग तथा भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित करना है।
  • किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए फसल चक्र एक बहुत महत्वपूर्ण कारक होता है।
  • फसल चक्र के प्रकार फसल बोये जाने वाले मौसम पर निर्भर करते हैं। इनमें खरीफ के मौसम का फसल चक्र, रबी के मौसम का फसल चक्र, जायद के मौसम का फसल चक्र शामिल है।

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टमाटर की फसल में जड़ ग्रंथि निमेटोड से होगा नुकसान

Damage from root knot nematode in tomato
  • जड़ ग्रंथि निमेटोड छोटे ‘ईलवर्म’ होते हैं जो मिट्टी में रहते हैं।
  • अक्सर ये नेमाटोड टमाटर की जड़ों में प्रवेश करते हैं और जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती जाती है, छोटी जड़ें नष्ट होती जाती हैं, और अनियमित आकार की गठाने बन जाती हैं।
  • यह कीट टमाटर की फसल में नर्सरी अवस्था में ज्यादा आक्रमण करता है।
  • इसके कारण टमाटर की फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है।
  • बचाव हेतु कारबोफुरान 3% GR@ 8-10 किलो/एकड़ या कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50% SP की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में पॅसिलोमायसिस लीनेसियस @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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फल छेदक कीट से बैंगन की फसल का ऐसे करें बचाव

How to protect brinjal crop from fruit borer
  • इस कीट के मादा रूप हल्के पीले सफ़ेद रंग के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर एवं तने, फूल  कलिकाओं या फलों के निचले भाग पर देती हैं।
  • अंडे से निकली हुई इल्ली 15-18 मिमी. लम्बी हल्के सफ़ेद रंग की होती है, जो व्यस्क होने पर हल्के गुलाबी रंग में परिवर्तित हो जाती है।
  • यह प्रारंभिक अवस्था में छोटी इल्ली रहती है, जो तने में छेद करके तने के अंदर प्रवेश करती है जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सुख जाती हैं।
  • बाद में इल्ली फलों में छेद कर प्रवेश करती है और गुदे को खा जाती है।
  • इसकी लार्वा अवस्था का जीवन चक्र पूरा हो जाने पर ये तने, सुखी शाखाओं या गिरी हुई पत्तियों पर प्यूपा का निर्माण करती है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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