चारा उत्पादन पर 10 हजार रूपये का अनुदान, ऐसे उठाएं योजना का लाभ

Now subsidy will be given on fodder production

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए कई राज्य सरकारें जरूरी कदम उठा रही हैं। इसी क्रम में किसानों को दोहरा लाभ पहुंचाने के लिए हरियाणा सरकार ने एक विशेष ऐलान किया है। पशुओं को पर्याप्त मात्रा में हरा चारा मिल सके इसके लिए राज्य सरकार ‘चारा बिजाई योजना’ शुरू करने जा रही है।

इस योजना के तहत चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए किसान भाईयों को अनुदान दिया जाएगा। जिसके अन्तर्गत किसानों को चारा उत्पादन पर 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से सहायता राशि प्रदान की जाएगी। यह राशि किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से पहुंचाई जाएगी।

बता दें कि पशुओं के बेहतर स्वास्थ के लिए उन्हें संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है। वहीं हरा चारा पशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार माना जाता है। ऐसे में गौ-शालाओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार ने इस खास योजना का ऐलान किया है। अगर आपके पास भी चारा उत्पादन के लिए उचित भूमि है तो आप भी सरकार की इस लाभकारी योजना का फायदा उठा सकते हैं। 

स्रोत: किसान समाधान

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ड्रोन खरीदी पर पाएं 50% का अनुदान, जल्द उठाएं योजना का लाभ

Get 50% subsidy on drone purchase

खेती किसानी को आसान बनाने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयासों में लगी हुई है। सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में नई तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। हालांकि कई किसान भाई आर्थिक तंगी के चलते इन तकनीकों को नहीं अपना पाते हैं। इसी क्रम में कृषि क्षेत्र में ड्रोन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार ने एक विशेष योजना लागू की है।

केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित करते हुए 100 ‘किसान ड्रोन लॉन्च’ किए हैं। इसके तहत किसानों द्वारा ड्रोन की खरीदी पर 50% की सब्सिडी यानी कम से कम 5 लाख रूपए की आर्थिक मदद की जाएगी। यह अनुदान विशेषकर एससी-एसटी, छोटे-सीमांत किसानों और महिला किसानों के लिए है। इसके अलावा अन्य वर्ग के किसानों को 40% की सब्सिडी यानी 4 लाख रूपए की सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

इस योजना का उद्देश्य खेती किसानी को आसाना बनाना है। किसान भाईयों को ड्रोन की मदद से कृषि योग्य भूमि का सर्वे, फसलों की सुरक्षा और निगरानी करने में काफी मदद मिलेगी। इसके साथ ही काफी कम समय में खरपतवार नियंत्रण और कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकेगा। ड्रोन के उपयोग से किसान भाईयों को खेती के लिए कम लागत में बढ़िया मुनाफा मिलेगा। 

स्रोत: एबीपी न्यूज़

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ट्रैक्टर थ्रेसर की खरीद पर मिल रहा अनुदान, जानें टॉप 5 थ्रेसर की पूरी जानकारी

tractor thresher

खेतीबाड़ी में कृषि मशीनरी का उपयोग बढ़ता जा रहा है। इनके उपयोग से लागत और श्रम दोनों की बचत होती है। इसके साथ ही खेती के दूसरों कामों के लिए भी समय बच जाता है। हालांकि सभी किसान भाई इन कृषि यंत्रों को खरीदने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। ऐसे में कृषि उपकरणों की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए सरकार किसानों के लिए एक खास योजना चला रही है।

केंद्र सरकार की ओर से देश के किसानों के लिए हर तरह की कृषि मशीनरी खरीदने पर 30% से 50% का अनुदान दिया जाता है। हालांकि सभी राज्यों में ये सब्सिडी अलग-अलग तय की गई है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार अपने राज्य के किसानों को ट्रैक्टर थ्रेसर की खरीद पर 50% का अनुदान दे रही है।

खेती में ट्रैक्टर थेसर की उपयोगिता

यह मशीन अनाज को काटने का काम करती है। इसकी मदद से फसल की भूसी और डंठल से बीज निकाला जाता है। सोयाबीन, गेहूं, मक्का, मटर और अन्य कई छोटे अनाज वाली फसलों की कटाई और गहाई के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। थ्रेसर को ट्रैक्टर से जोड़कर चलाया जाता है।

वैसे तो सरकार सभी प्रकार के थ्रेसर पर किसानों को सब्सिडी प्रदान कर रही है। इस लेख के जरिए आपको चुनिंदा 5 कंपनियों के ट्रैक्टर थ्रेसर के बारे में जानकारी देंगे, जो खेतीबाड़ी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं।

  • लैंडफोर्स ट्रैक्टर थ्रेसर

लैंडफोर्स कंपनी के पैडी थ्रेसर, मल्टीक्रोप थ्रेसर, हारम्भा थ्रेसर और मेज थ्रेसर बाजार में काफी लोकप्रिय है। ये उपकरण बड़े क्षेत्रफल में कम समय के साथ कटाई और गहाई का काम करने में सक्षम हैं।

  • दशमेश ट्रैक्टर थ्रेसर

दशमेश कंपनी के मेज थ्रेसर और पैडी थ्रेसर का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। मेज थ्रेसर की क्षमता 4000 से 6000 किलो प्रति घंटा है। जो कि अपनी गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। इसी तरह पैडी थ्रेसर धान की बढ़िया गहाई के लिए जाना जाता है।

  • महिंद्रा ट्रैक्टर थ्रेसर

इसके महिंद्रा थ्रेसर और महिंद्रा एम-55 किसान भाईयों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। ये दोनों ही भूसी से अनाज अलग करने में एक्सपर्ट हैं। इन्हें खेत में किसी भी स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।  

  • केएस ग्रुप ट्रैक्टर थ्रेसर

इसके केएस ग्रुप थ्रेसर और मल्टीक्रॉप थ्रेसर बाजार में काफी प्रचलित है। मल्टीक्रॉप थ्रेसर की मदद से मूंगफली, मक्का, सोयाबीन, राजमा, गेहूंं के अलावा हरी और काली दाल की गहाई आसानी से की जा सकती है। वहीं केएस ग्रुप के थ्रेसर अपनी कार्य कुशलता के लिए जाना जाता है।

  • स्वराज ट्रैक्टर थ्रेसर

इसके पी 550 मल्टीक्रॉप थ्रेसर की मांग किसानों के बीच सबसे ज्यादा है। इसका प्रयोग दाल, सोयाबीन एवं गेहूं सहित फलियों वाली फसल के दाने अलग करने में किया जाता है। हालांकि इस उपकरण का वजन 1550 किलोग्राम है, जो की काफी ज्यादा है।

स्रोत: ट्रैक्टर जंक्शन

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ग्रीन हाउस या शेड नेट के निर्माण पर सरकार दे रही 90 हजार का अनुदान

Government is giving grant of 90 thousand for the construction of green or shade net house

फसलों को खराब मौसम, बीमारियों और कीटों से बचाने के लिए ग्रीन हाउस या शेड नेट हाउस बनवाया जाता है। इसकी मदद से किसान भाईयों को फसल में होने वाले नुकसान की संभावना न के बराबर रहती है। इसके साथ ही फसलों के उत्पादन में भी वृद्धि होती है। हालांकि ग्रीन हाउस बनवाने में ज्यादा लागत लगती है। इसके चलते सभी किसान आर्थिक तंगी के कारण ग्रीन हाउस नहीं बनवा पाते हैं।

राजस्थान सरकार किसानों को ग्रीन हाउस निर्माण के लिए सब्सिडी दे रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस प्रगतिशील तकनीक का प्रयोग कर बंपर कमाई कर सकें। बता दें कि राज्य सरकार इस योजना के माध्यम से किसानों को 90 हजार रूपए तक की मदद दे रही है।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थी किसानों को https://rajkisan.rajasthan.gov.in/ पर आवेदन करना होगा। इसके अलावा आवेदन के साथ जमाबंदी, नक्शा, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, बैंक खाते की पासबुक के साथ ही पॉलिहाउस के लिए मिट्टी व पानी की जांच रिपोर्ट और कोटेशन लगाना होगा। हालांकि लाभार्थी किसानों का चुनाव लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा।

स्रोत: भास्कर

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50% अनुदान पर खेतों में कराएं तारबंदी, जानेंं सरकार की योजना

Get fencing done in the fields on 50% grant

फसलों को आवारा पशुओं से बचाने के लिए खेतों में तारबंदी की जाती है। तारबंदी होने से पशु खेत में नहीं घुस पाते और फसल सुरक्षित रहती है। हालांकि छोटे वर्ग के किसान आर्थिक तंगी के चलते तारबंदी नहीं करवा पाते हैं। इस कारण उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है।

ऐसे में इन किसानों की आर्थिक मदद हेतु राजस्थान सरकार ने तारबंदी योजना शुरू की है। इसके तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तिलहन के अंतर्गत साथी किसान अनुदान पर अपने खेतों के चारों ओर कांटेदार जाल लगवा सकते हैं। इस योजना के माध्यम से तारबंदी की लागत का 50% या फिर अधिकतम 40 हजार रूपए का अनुदान दिया जाएगा। 

इस योजना का लाभ उठाने के लिए कम से कम 3 किसान साथियों का समूह होना जरूरी है। साथ ही किसान समूह के पास 3 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि यानी 12 बीघा जमीन होनी चाहिए। वहीं शर्तानुसार तारबंदी में विद्युत कनेक्शन प्रवाहित नहीं कर सकते हैं।

राजस्थान तारबंदी योजना का लाभ सभी श्रेणी के किसान साथियों को दिया जाएगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए राजस्थान के कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट राज किसान साथी पोर्टल पर जाएं। यहां पर तारबंदी योजना का फॉर्म डाउनलॉड करें। इसके बाद सारी जानकारियों को सावधानीपूर्वक भरकर फॉर्म जमा कर दें।

स्रोत:  कृषि जागरण

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ड्रिप, मिनी व पोर्टेबल स्प्रिंकलर पर पाएं 55% का अनुदान, जल्द करें आवेदन

subsidy on sprinklers

मध्य प्रदेश सरकार अपने राज्य के किसानों को सूक्ष्म सिंचाई की पद्धतियों के इस्तेमाल हेतु सब्सिडी दे रही है। यह सब्सिडी ड्रिप सिंचाई सिस्टम, मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर सिस्टम पर दी जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को अलग-अलग दरों पर सब्सिडी देने का प्रावधान है।

  • स्प्रिंकलर सेट की लागत का लघु और सीमांत किसानों को 55% तक अनुदान दिया जाएगा। वहीं अन्य वर्ग के किसानों को 45% तक का अनुदान देने का प्रावधान है। 

  • इसी तरह, ड्रिप सिंचाई सिस्टम की खरीद पर लघु और सीमांत किसानों को 55% और अन्य वर्गों के किसानों को 45% तक का अनुदान देने का प्रावधान है।

योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इच्छुक किसान आधिकारिक वेबसाइट https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर विभिन्न सिंचाई पद्धति के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। अगर आप भी इस योजना का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं तो जल्द ही ऑनलाइन आवेदन करें।

स्रोत: एबीपी

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बांस के हर पौधे पर सरकार देगी 120 रुपए, जानें कैसे मिलेगा योजना का लाभ?

Subsidy will be given on bamboo cultivation

भारत सरकार देश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए बांस की खेती को बढ़ावा दे रही है। ज्यादा से ज्यादा किसान बांस की खेती करें, इसके के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार राज्य में बांस रोपण को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। 

योजना के तहत दी जा रहीं सुविधाएं

प्रदेश सरकार की ओर से बांस के प्रति पौधे की औसत लागत ₹240 तय की गई है। इसके तहत सरकार द्वारा किसानों को प्रति पौधे पर 50% की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस हिसाब से किसान को 120 रूपए प्रति पौधा दिया जाएगा। जहां 60% सब्सिडी केंद्र सरकार और 40% सब्सिडी राज्य सरकार देगी। इसके साथ ही राज्य के हर जिले में एक नोडल अधिकारी चयनित किया जाएगा। जिसकी मदद से लोग इस योजना से जुड़ी सारी जानकारियां प्राप्त कर सकेंगे।

ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया

इस पर आवेदन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट nbm.nic.in पर क्लिक करें। यहां पर किसान पंजीकरण लिंक पर जाकर अपना पंजीकरण करवाएं। इसके बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुलेगा, इसे सावधानी के साथ भरकर सबमिट कर दें।

स्रोत: किसान समाधान

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सिर्फ 10% खर्च पर लगाएं सोलर पंप, जानें क्या है सरकार की ख़ास योजना

बढ़िया उपज के लिए फसलों को समय पर सिंचाई देना बहुत जरूरी है। हालांकि आज भी सही समय पर सिंचाई उपलब्ध ना हो पाना किसानों के लिए गंभीर समस्या बनी हुई है। एक तरफ जहां डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से किसानों को पंप सेट से सिंचाई करना काफी महंगा पड़ता है तो वहीं दूसरी ओर बिजली के माध्यम से सिंचाई करना भी सस्ता रास्ता नहीं हैं। ऐसे में सोलर पंप एक बेहतर विकल्प बनकर सामने आया है। 

हालांकि हर किसान सोलर पंप स्थापित करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए ऐसे किसानों की मदद के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री कुसुम योजना चला रही है। इसके तहत आर्थिक तौर पर कमजोर किसानों को सोलर पंप लगवाने के लिए 90% की सब्सिडी दी जाती है।

इस योजना की मदद से खेतों मे सिंचाई की जरूरत के साथ ही किसान बढ़िया मुनाफा भी कमा सकते हैं। जिसके अन्तर्गत अपने स्थापित सोलर संयंत्र से 15 लाख रुपये तक का बिजली उत्पादन कर सकते हैं। इच्छुक किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट pmkusum.mnre.gov.in पर विजिट करके आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: आज तक

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अब घर बैठे आसानी से होगा पशुओं का इलाज, जानें सरकार की योजना

देश में अधिकतर किसान खेती के साथ ही पशुपालन व्यवसाय भी करते हैं। पशुपालन के जरिए किसानों को कम लागत में बढ़िया मुनाफा प्राप्त होता है। ऐसे में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस व्यवसाय से लाभ प्राप्त कर सकें। 

इस कड़ी में पशुपालन के लिए राज्य सरकारों की ओर से अपने-अपने स्तर पर अनुदान दिया जा रहा है। जिनकी मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के ईलाज और टीकाकरण के लिए पशु चिकित्सालयों की स्थापनाएं की जा रही हैं। हालांकि इतने प्रयासों के बाद भी कई बार समय पर ईलाज न मिलने की वजह से पशुओं की मौत हो जाती है। 

इस समस्या से निपटने के लिए देशभर में सुदृढ़ीकरण योजना के तहत चलित पशु चिकित्सा इकाई की स्थापना की जा रही है, ताकि वाहनों की मदद से समय पर पहुंचकर पशुओं का ईलाज किया जा सके। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में 406 चलित पशु चिकित्सा इकाई की शुरूआत कर दी है। इसकी मदद से सही वक्त पर घर बैठे या फिर रास्ते में पशुओं का इलाज किया जा सकेगा।

योजना के अंतर्गत वाहनों में पशु चिकित्सा, लघु शल्य चिकित्सा, कृत्रिम गर्भाधान, रोग अन्वेषण से संबंधित जैसे आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही वाहन में एक पशु चिकित्सक, एक पैरावेट और एक वाहन चालक सह-सहायक की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा चलित पशु चिकित्सा इकाई में कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है। इसकी मदद से पशुओं का सही समय पर ईलाज मिल सकेगा। 

स्रोत: आज तक

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इलाइची की खेती से सलाना करें लाखों की कमाई

देश में मसालों की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। इन मसालों में से एक मुख्य मसाला है इलाइची, जिसकी खेती के जरिए किसान बढ़िया कमाई कर सकते हैं। इलाइची का प्रयोग भोजन और पेय पदार्थों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। यही वजह है कि यह मसाला बाजार में हाथोंहाथ बिक जाता है। 

इलाइची की खेती ऐसे क्षेत्रों में की जाती है, जहां सालभर 1500 से 4000 मिमी बारिश होती है। इसकी फसल का विकास 10 से 35 डिग्री सेल्सियस में बेहतर तरीके से होता है। साथ ही इसके लिए लैटेराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली काली मिट्टी भी बढ़िया होती है। 

इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 135 से 150 किलो तक इलायची की उपज प्राप्त की जा सकती है। ऐसे में किसान आसानी से एक हेक्टेयर में खेती करके सालाना 3 लाख रूपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं। बता दें कि जितने बड़े रकबे में इसकी खेती की जाएगी, मुनाफे में भी उतनी ही वृद्धि होगी।

स्रोत: आज तक

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