कपास की फसल के लिए फॉस्फोरस का महत्व

Importance of phosphorus in cotton crop
  • कपास की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए फॉस्फोरस बहुत महत्वपूर्ण तत्व है 
  • फसल के चयापचय क्रिया में यह बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है 
  • कपास की फसल में फॉस्फोरस के उपयोग से जड़ों का विकास तेज़ी से होता है और पत्तियों में हरापन बना रहता है  
  • कपास की फसल में डेंडू निर्माण के समय फॉस्फोरस की उचित मात्रा की बहुत अधिक आवश्यकता होती है इसके उपयोग से डेंडू का निर्माण बहुत अच्छा एवं समय से होता है। 
  • फॉस्फोरस की कमी के कारण जड़ें कमज़ोर हो जाती हैं कभी कभी तो इसकी कमी से जड़ें सुख भी जाती हैं
  • इसकी कमी से पौधे बौने रह जाते हैं एवं पत्तियां बैगनी रंग की दिखाई देती है
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किसानों की एक-एक इंच भूमि तक पहुँचाई जाएगी पानी, सीएम शिवराज का ऐलान

Water will be delivered to every inch of farmers' land, CM Shivraj announced

किसानों को उन्नत खेती के लिए जो सबसे प्रमुख जरुरत होती है वो है बेहतर सिंचाई साधन की। इसी जरुरत को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है की “हम प्रदेश में किसानों की एक-एक इंच भूमि तक पानी पहुंचाने के प्रभावी प्रयास करेंगे।”

मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा की “मध्यप्रदेश में सिंचाई क्षमताएं बढ़ाने के लिए विशेष कार्य हुए हैं। गत वर्षों में हमने प्रदेश में सिंचाई क्षमता को 7.5 लाख हेक्टेयर से 42 लाख हेक्टेयर तक पहुंचाया है, इसमें नाबार्ड का महत्वपूर्ण योगदान है।” इसके बाद ही उन्होंने कहा की आने वाले वक़्त में किसानों की एक-एक इंच भूमि तक सिंचाई की व्यवस्था की जायेगी।

दरअसल मुख्यमंत्री ने ये बातें नाबार्ड के 39वें स्थापना दिवस पर आयोजित किये गए कार्यक्रम में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कही। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के कई जिले के महिला स्व-सहायता समूह, कृषक उत्पादक संघ के प्रतिनिधि तथा बहुत सारे किसानों शामिल थे।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि “यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि नाबार्ड द्वारा आज मध्यप्रदेश के लिए 1425 करोड़ रूपये की लिफ्ट इरीगेशन को स्वीकृति दी गई है। साथ ही अन्य परियोजनाओं के लिए 4 हजार करोड़ का ऋण भी स्वीकृत किया है। इसके लिए मैं नाबार्ड की पूरी टीम का पूरे हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

स्रोत: भास्कर

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मूंगफली की फसल में टिक्का रोग प्रबंधन

Tikka disease management in groundnut crop
  • यह मूंगफली में लगने वाला मुख्य रोग है और यह एक कवक जनित रोग है 
  • इस रोग के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देते हैं 
  • इस रोग के कारण पत्तियों की ऊपरी सतह पर अनियमित आकार के धब्बे बन जाते हैं 
  • कुछ समय बाद पत्तियों की निचली सतह पर भी यह धब्बे बन जाते हैं 
  • संक्रमण के कुछ समय बाद पत्तियां सूख जाती हैं 
  • इस रोग के प्रबंधन के लिए टेबूकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या पायरोक्लोस्ट्रोबिन + एपोक्सिकोनाज़ोल @ 300 मिली/एकड़ की दर  से छिड़काव करें
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मक्का की फसल में बैक्टीरियल स्टलक रॉट की समस्या

  • बैक्टीरियल स्टलक रॉट दरअसल एक जीवाणु (बैक्टीरिया) जनित रोग है इस रोग के कारण मक्का के तने के निचले भाग के इंटर्नोड्स अर्थात दो गांठों के मध्य के कोमल हिस्से में संक्रमण हो जाता है और इसके कारण तने के उस हिस्से में  सड़ांध की समस्या हो जाती है।
  • इस रोग के कारण पौधे के जिस भाग में संक्रमण हुआ है उस भाग से चिपचिपा पानी निकलने लगता है और अजीब सी गंध भी आने लगती है।
  • शुरुआत में इसके संक्रमण के लक्षण तने पर दिखते हैं पर कुछ समय बाद पत्तियों पर भी इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं और बाद में पूरे पौधे पर यह संक्रमण फैल  जाता है।  
  • इसके प्रबंधन के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट IP 90% w/w + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड IP 10% w/w @ 24 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में मिलेगा अनुदान, किसानों की आय में होगी वृद्धि

खाद्य प्रसंस्करण तथा संरक्षण क्षमता से जुड़े इकाइयों के निर्माण और पहले से बने इकाइयों के आधुनिकीकरण को लेकर सरकार सजग नजर आ रही है। यही कारण है की सरकार इस क्षेत्र में लागत का 35% तक अनुदान देने का निर्णय कर चुकी है। यह अनुदान अधिकतम 5 करोड़ तक के निर्माण पर दिए जाएंगे।

इस योजना के अंतर्गत फल तथा सब्जियों, दूध, मांस/पोल्ट्री/मछली आदि के प्रसंस्करण के साथ साथ रेडी टू ईट/रेडी टू कुक खाद्य उत्पाद ब्रेकफास्ट सीरियल्स/स्नैक्स/बेकरी सहित अनाज/दालें, तेल और अन्य आधुनिक तकनीक से जुड़े प्रसंस्करण शामिल होंगे।

इस अनुदान को दिए जाने का उद्देश्य देश में प्रसंस्करण तथा संरक्षण क्षमताओं का विकास है और इसके अलावा वर्तमान में मौजूद खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के आधुनिकीकरण तथा विस्तार करना भी इसका लक्ष्य है।

स्रोत: कृषि अलर्ट

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मक्का की फसल में तना छेदक मक्खी का निवारण

Stem fly
  • तना छेदक मक्खी मक्का की फसल का एक प्रमुख कीट है जो पौधे के तने पर  प्रहार करती है। इसके प्रकोप के कारण मक्का के पौधे के तने का मुख्य भाग कट जाता है, जिसके कारण मक्का के पौधे का विकास रुक जाता है।
  • इस कीट का युवा रूप नए पौधे पर आक्रमण करता है जिसके कारण मक्का के पौधे सुख कर मर जाते हैं।    
  • इसके निवारण के लिए थियामेथोक्साम 12.6% + लैंबडा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC @80 ग्राम/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें
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फ़सलों में सफेद मक्खी के प्रकोप के लक्षण एवं बचाव

Increase the number of flowers by protecting the crop of moong and urad from white fly
  • सफेद मक्खी के शिशु  एवं वयस्क दोनों ही रूप  फ़सलों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।  
  • यह पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली काली कवक नामक हानिकारक कवक के संक्रमण का कारण भी बनते हैं।  
  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में मिर्च की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण  से फ़सलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं। 
  • प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10%EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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इस तारीख से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की छठी किश्त मिलनी शुरू हो जाएगी

PM kisan samman

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की अगली किश्त जल्द आने वाली है। यह किश्त किसानों के बैंक खातों में दो हफ्ते बाद पहुँचनी शुरू हो जायेगी। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार किसानों के खाते में सीधे 6000 रुपये सालाना जमा करती है। यह 6000 रुपये की रकम तीन किस्तों में किसानों के खातों में भेजी जाती है। इसी रकम की अगली किश्त 1 अगस्त से सरकार किसानों के खातों में डालने जा रही है।

ग़ौरतलब है की केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत 24 फरवरी 2019 को की थी। हालांकि यह योजना 1 दिसंबर 2018 से ही प्रभाव में आ गया था।

अब तक इस योजना के अंतर्गत किसानों के बैंक खातों में 2000 रुपये की 5 किस्त भेजी जा चुकी है और आने वाले 1 अगस्त से किसानों के बैंक खातों छठी किस्त भी पहुँचनी शुरू हो जाएगी।

स्रोत: लाइव हिंदुस्तान

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फसलों पर मकड़ी के प्रकोप के लक्षण एवं बचाव के उपाय

Symptoms and prevention of spider outbreak on crops
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के होते हैं और फ़सलों के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं। 
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में इसकी वजह से पौधा मर जाता है।
  • मिर्च की फसल में मकड़ी के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग किया जाता है।
  • प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से  छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेटारीजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मिर्च की फसल में फलों की सड़न या डाई बैक/वेट रॉट रोग

Transplanting method and fertilizer management of Chilli
  • मिर्च की फसल में फलों की सड़न या डाई बैक रोग कवक के कारण होता है।
  • इस रोग में मिर्च की फसल की पत्तियों पर छोटे एवं गोल, भूरे तथा काले रंग के अनियमित बिखरे हुए धब्बे दिखाई देते हैं। 
  • मिर्च के फल पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जिसके कारण फल में सड़न की समस्या शुरू हो जाती है। 
  • गीला सड़ांध रोग भी कवक जनित रोग है और इस रोग का प्रकोप मिर्च की फूल बनने की अवस्था में अधिक देखने को मिलता है। 
  • इस रोग से ग्रसित पौधे के तने एवं टहनियाँ संक्रमण के कारण गीली नजर आती हैं।   
  • इन रोगों के निवारण के लिए क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या मेटिराम 55% + पायरोक्लोरेस्ट्रोबिन 5% WG@ 600 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • टेबूकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या ऐजोस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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