- सोयाबीन की फसल की बुआई के समय जिस प्रकार उर्वरक प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के 20 से 25 दिनों बाद भी छिड़काव प्रबंधन बहुत आवश्यक होता है।
- इस छिड़काव को करने से सोयाबीन की फसल में लगने वाले कीटों एवं कवकों से फसल की सुरक्षा हो जाती है।
- इसके लिए लैंबडा-साइफलोथ्रिन 4.9%CS @ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफॉस 50% SC @ 500 मिली/एकड़।
- कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ और समुद्री शैवाल @ 400 मिली/एकड़ और एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ या G A 0.001%@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
मक्का की फसल में पोषण प्रबंधन
- भारत में मक्का की खेती ख़रीफ़ (जून से जुलाई), रबी (अक्टूबर से नवम्बर) एवं ज़ायद (फ़रवरी से मार्च) तीनों ऋतुओं में की जाती है।
- अधिकतम लाभ के लिए इसकी बुआई से पहले मिट्टी की जांच करवाना आवश्यक है। भूमि की तैयारी करते समय 5 से 8 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद खेत मे मिलानी चाहिए।
- खेतों में डाले जाने वाले खाद व उर्वरक की मात्रा भी चुनी हुई किस्म पर ही निर्भर करती है। मक्का की खेती के दौरान खाद व उर्वरक प्रबंधन की सही विधि अपनाने से मक्का के फसल की वृद्धि और उत्पादन दोनों को ही अच्छा होता है।
- मक्का की बुआई से 10-15 दिन बाद मक्का की संकर एवं संकुल किस्मों द्वारा अधिकतम उपज लेने के लिए खाद एवं उर्वरक की पर्याप्त मात्रा उपयुक्त समय पर ही देनी चाहिए।
- मक्का की बुआई से 10-15 दिन बाद यूरिया 35 किलो/एकड़ + मैगनेशियम सल्फेट 5 किलो/एकड़ + जिंक सल्फेट 5 किलो/एकड़ की दर से देना बहुत आवश्यक है।
अब टिड्डी दल पर नियंत्रण के लिए हेलीकॉप्टर सेवाओं की ली जा रही है मदद
पिछले कई हफ़्तों से राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में पाकिस्तान से आये टिड्डी दल का हमला हो रहा हो। ऐसे में भारत में टिड्डी नियंत्रण अभियान के लिए कई कोशिश की गयी है जिसके कारण टिड्डियों के नियंत्रण में कामयाबी भी मिल रही है। इसी कड़ी में पिछले दिनों टिड्डी दल पर काबू करने के लिए हेलीकॉप्टर का भी उपयोग किया जा रहा है।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले दिनों स्प्रे उपकरण से युक्त एक बेल हेलीकॉप्टर को हरी झंडी दिखाई। हेलीकॉप्टर उत्तरलाई, बाड़मेर स्थित वायु सेना स्टेशन के लिए रवाना होगा, जहां वह शुरुआती तौर पर तैनात रहेगा और वहां से अलग अलग क्षेत्रों में होने वाले टिड्डी हमले पर नियंत्रण करेगा।
इस हेलीकॉप्टर को एक ही पायलट चलाएगा और इसमें एक बार में 250 लीटर कीटनाशक ले जाने की क्षमता है। यह हेलीकॉप्टर एक बार में 25 से 50 हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशक का छिड़काव कर देगा।
इससे पहले भारत ने टिड्डियों को कंट्रोल करने में कुछ ऐसा भी किया है जिसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। दरअसल भारत ने टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का सहारा लिया है और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश भी बन गया है।
स्रोत: कृषक जगत
Shareमध्यप्रदेश के किसानों को बिजली बिल में भारी छूट
मार्च महीने के आखिरी हफ्ते से शुरू हुए देशव्यापी लॉक डाउन की वजह से किसान भाइयों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान झेलना पड़ा है। इसको देखते हुए अलग–अलग राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार किसानों को आर्थिक सहयोग कर रही है। इस क्रम में मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को कृषि के साथ–साथ घरेलू बिजली बिल में राहत देने का फैसला लिया है।
इस छूट के अंतर्गत प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ता जो संबल योजना के हितग्राही है एवं जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके आगामी तीन माह अर्थात मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 50 रूपये प्रति माह लिया जा रहा है।
इसके अलावा ऐसे सभी घरेलू उपभोक्ता जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके आगामी तीन माह अर्थात मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये से 400 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 100 रूपये प्रति माह की राशि ली जा रही है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareसोयाबीन की फसल में खरपतवार प्रबंधन
सोयाबीन की फसल खरीफ के मौसम की मुख्य फसल है। खरीफ सीजन में बुआई होने के कारण सोयाबीन की फसल में खरपतवारों का बहुत अधिक प्रकोप होता है।
अंकुरण के पहले उपयोग के लिए (बुआई के 1 से 3 दिन बाद)
इमिजाथपायर 2% + पेंडिथमलिन 30% @ 700मिली/एकड़ या डाइक्लोसुलम 84% WDG @ 12.4 ग्राम/एकड़।
बुआई के 12 से 18 दिन बाद
फॉम्साफेन 11.1% + फ्लुज़िफ़ॉप-पी-ब्यूटाइल 11.1% SL @ 400 मिली/एकड़ फ्यूसिफ़्लेक्स) या क्लोरिमुरोन इथाइल 25% WG @ 15 ग्राम/एकड़ या सोडियम एसिफ़्लुफ़ोरेन 16.5% + क्लोडिनाफ़ॉप प्रॉपगेल 8% EC @ 400 ग्राम/एकड़ या इमिजाथपायर 10% SL @400 मिली/एकड़ या इमिजाथपायर + प्रोपैक्विज़ाफोप @ 800 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
Shareटमाटर की फसल में नर्सरी उपचार
- नर्सरी में बुआई हेतु 1X 3 मी. की उठी हुई क्यारियां बनाकर पकी हुई गोबर एवं DAP प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिलाएं।
- बीजों को बीज कार्बेन्डाजिम + मेंकोजेब @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्राइकोडर्मा @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुये कतारों में बीजों की बुआई करें। बीज बोने के बाद गोबर की खाद या मिट्टी से इसे ढक दें।
- नर्सरी में बुआई के 7 दिनों बाद क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 30 ग्राम 15 लीटर पानी और थियामेथोक्साम 25% WG@ 10 ग्राम 15 लीटर पानी में मिलाकर नर्सरी में ड्रैंचिंग करें।
- नर्सरी में बुआई के 20 दिनों के बाद तैयार पौध की खेत में रोपाई से पूर्व मेटलैक्सिल 8% + मैनकोज़ब 64% @ 60 ग्राम 15 लीटर और फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 5 ग्राम 15 लीटर पानी में मिलाकर नर्सरी में ड्रैंचिंग करें।
- मेड़ों पर चारों तरफ गेंदा की रोपाई करें। फूल खिलने की अवस्था में फल भेदक कीट टमाटर की फसल में कम जबकि गेदें की फलियों/फूलों में अधिक अंडा देंगे।
धान की नर्सरी में छिड़काव प्रबंधन
- धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए बीजों का अच्छा होना जरूरी है। कई बार किसान महंगा बीज-खाद तो लगा देता है, लेकिन इससे भी सही उपज नहीं मिल पाती है, इसलिए बुआई से पहले बीज व खेत का उपचार कर लेना चाहिए। बीज महंगा होना ज़रूरी नहीं है बल्कि विश्वसनीय और आपके क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के मुताबिक होना चाहिए।
- नर्सरी की बुआई के 15 -20 दिनों के बाद कीटों और कवकों की रोकथाम के लिए एवं नर्सरी की अच्छी वृद्धि के लिए छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- कई बार नर्सरी में हापर, स्टेम बोरर कीटों का प्रकोप हो जाता है, ऐसी स्थिति में कीटों के प्रकोप को नियंत्रित करना बहुत आवश्यक होता है।
- इसके लिए फिप्रोनिल 5% SC@ 30 मिली/पंप और कासुगामायसीन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 20 ग्राम/पंप और हुमीकएसिड @ 20 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।