परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से जैविक खेती को दिया जायेगा बढ़ावा

Paramparagat Krishi Vikas Yojana

केंद्र और राज्य सरकारें जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं। इसके अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत तीन वर्ष तक प्रति हेक्टेयर भूमि पर 50 हजार रुपये की मदद दी जा रही है। इस मदद में किसान जैविक खाद, जैविक कीटनाशक तथा वर्मी कंपोस्ट इत्यादि खरीद सकता है। इस खरीदी के लिए 31000 रुपये मिलेंगे जो कुल लागत का 61 प्रतिशत होगा।

भारत सरकार इस योजना के लिए आवंटन दोगुना तक बढ़ा के जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली है। कृषि मंत्रालय ने सरकार को इस क्षेत्र हेतु आवंटित राशि को दोगुना बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा है। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले सालों में इस मद में सालाना 1300 करोड़ रुपये तक का आवंटन होगा।

स्रोत: एच एस न्यूज़

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सोयाबीन की फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग

Alternaria leaf spot disease in soybean crop
  • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग सोयाबीन की फसल में कभी-कभी बुआई के बाद से  ही दिखाई देने लगता है।
  • जब पौधा बड़ा हो जाता है तब यह सोयाबीन की फसल की पत्तियों और फली पर अपना प्रभाव छोड़ता है। 
  • इस रोग में पत्तियो पर भूरे रंग के गोल धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं और आखिर में ग्रसित पत्तियां सूख कर गिर जाती है। 
  • इस रोग के निवारण के लिए कार्बनडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन @ 300 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

 

 

 

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बुआई के 25 से 30 दिनों बाद सोयाबीन की फसल में करें ये छिड़काव

Spray management in Soybean Crop in 20-25 days
  • सोयाबीन की फसल में बुआई के 25 से 30 दिनों बाद कीट, रोग एवं पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक हो जाता है।
  • बुआई बाद सोयबीन की फसल में कवक जनित रोग जैसे अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट, जीवाणु धब्बा रोग आदि के निवारण के लिए कार्बनडेंजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें। 
  • सोयाबीन की फसल में होने वाले कीट जैसे तना छेदक एवं पत्ती छेदक आदि का भी प्रकोप होता है। इन कीटों के नियंत्रण के लिए लैंबडा साइहलोथ्रिन 4.9 CS@ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% SC@ 500 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सोयाबीन की फसल की अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए सी वीड @ 400 मिली/एकड़ या एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

 

 

 

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बुआई के 20वें से 50वें दिन के मध्य सोयाबीन की फसल में करें खरपतवारनाशी का उपयोग

Use Weedicide in Soybean Crop between 20th to 50th day of sowing
  • सोयबीन की फसल खरीफ सीजन की मुख्य फ़सलों में से एक है।
  • लगातार बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल में बुआई के बाद समय समय पर खरपतवार का नियंत्रण करना आवश्यक हो जाता है। 
  • सोयबीन की फसल में बुआई के बाद चौड़ी पत्ती एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवार  बहुत अधिक मात्रा में उग जाते हैं। 
  • इन सभी प्रकार के खरपतवारों का नियंत्रण फसल बुआई के 20वें दिन से 50वें दिन के मध्य कर लेना चाहिए। 
  • इन खरपतवारो के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है।
  • प्रोपैक्विज़ोफ़ॉप 10% EC @ 400 मिली/एकड़ यह एक चुनिंदा खरपतवार नियंत्रक है जिसका उपयोग चौड़ी पत्ती के खरपतवारों के लिए किया जाता है। 
  • क्विज़ोलोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ चुनिंदा खरपतवार नियंत्रक है जिसका उपयोग सकरी पत्ती के खरपतवारों के लिए किया जाता है।
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सी वीड एवं एमिनो एसिड की फ़सलों में उपयोगिता

Importance of Seaweed in Crops
  • एमिनो एसिड एवं सी वीड का प्रयोग बीज अंकुरण में तेजी ला सकता है।  
  • यह फसल की जड़ विकास पर विशेष प्रभाव डालता है।
  • पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति के आधार पर, सी वीड और एमिनो एसिड पौधे की ऊंचाई, स्टेम व्यास, पत्ती की संख्या आदि का विकास करते हैं।
  • उच्च उत्पादन एवं फसल सुधार में ये सहायक होते हैं। 
  • मिट्टी में प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्वों के संरक्षण में भी ये सहायक होते हैं।
  • अति सूक्ष्म जीवों के द्वारा कार्बन व नाइट्रोजन के अनुपात को नियंत्रित करने में  भी ये सहायक होते हैं।
  • पोषक तत्वों की अपघटन की प्रक्रिया को संतुलित करके कृषि भूमि की सतत रूप से प्रबंधन करने में भी यह सहायक होते हैं।
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मानसून की अच्छी बारिश के कारण पिछले साल की तुलना में हुई बेहतर फसल बुआई

Monsoon effect: 104% increase in cotton sowing with pulses, oilseed crops

इस साल मानसून ने तय समय पर दस्तक दी है और अभी ज्यादातर राज्यों में अच्छी बारिश भी हुई है। इसी अच्छे मानसून की वजह से वर्तमान समय तह विभिन्न फसलों की बुआई का आंकड़ा 87 प्रतिशत तक पहुँच गया है जो पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक है।

अगर बात मध्य भारत की करें तो यहाँ मानसून की सामान्य से अधिक वर्षा हुई है जिसकी वजह से किसानों ने सोयाबीन के फसल की बड़े पैमाने पर बुआई की है। सोयाबीन की इतनी ज्यादा बुआई किये जाने से इसकी खेती का रकबा पिछले साल की तुलना में पांच गुना बढ़ गया है। इसके अलावा भारत चावल तथा कपास का सबसे प्रमुख निर्यातक भी है और इसकी अच्छी फसल के लिए इन दोनों की भी अच्छी बुआई की गई है।

स्रोत: फसल क्रांति

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मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन का महत्व

Importance of Organic Carbon in soil testing
  • मृदा जैविक/आर्गेनिक कार्बन (SOC) मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण घटक है। 
  • यह मृदा के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को बेहतर बनाने में अपनी भूमिका निभाता है। 
  • उच्च मृदा कार्बनिक कार्बन मृदा संरचना कि अधिक से अधिक भौतिक सरचना में सुधार करता है। 
  • यह मिट्टी में ऑक्सीजन और पानी की निकासी और अवधारण में सुधार करता है, और मिट्टी में कटाव और पोषक तत्वों की कमी को कम करता है। 
  • सूक्ष्म जीवों जैसे केचवे एवं लाभकारी कवक एवं जीवाणु के विकास में सहायक होता है। 
  • कार्बन मृदा कार्बनिक पदार्थों का मुख्य घटक है और यह मृदा को इसकी जल-धारण क्षमता, इसकी संरचना और इसकी उर्वरता प्रदान करने में मदद करता है।  ।
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जैविक खेती में ह्यूमिक एसिड का प्रयोग

  • ह्यूमिक एसिड खदान से उत्पन्न एक बहुपयोगी खनिज है. इसे सामान्य भाषा में मिट्टी का कंडीशनर कहा जा सकता है. जोकि बंजर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है तथा मिट्टी की संरचना को सुधार कर एक नया जीवन दान देता है।
  • इसका सबसे महत्वपूर्ण कार्य मिट्टी को भुरभुरा बनाना है जिससे जड़ों का विकास अधिक हो सके।
  • ये प्रकाश संलेषण की क्रिया को तेज करता है जिससे पौधे में हरापन आता है और शाखाओं में वृद्धि होती है।
  • यह पौधों की तृतीयक जडों का विकास करता है जिससे की मिट्टी से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक होता है।
  • पौधों की चयापचयी क्रियाओं में वृद्धि कर मृदा की उर्वरा शक्ति को भी यह बढाता है।
  • पौधों में फलों और फूलों की वृद्धि कर फसल की उपज को बढ़ाने में भी यह सहायक होता है।
  • यह बीज की अंकुरण क्षमता बढाता है तथा पौधों को प्रतिकूल वातावरण से भी बचाता है।
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पीएम मोदी ने की मध्यप्रदेश की तारीफ, कहा ‘गेहूं के बाद ऊर्जा क्षेत्र में भी बनाएगा रिकॉर्ड’

PM Modi praised Madhya Pradesh, said 'After wheat, energy will also create record'

शुक्रवार, 10 जुलाई के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एशिया के सबसे बड़े सोलर प्लांट का उद्घाटन किया। इस प्लांट का निर्माण मध्यप्रदेश के रीवा में किया गया है। पीएम ने इस प्लांट की शुरुआत वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की। इस दौरान पीएम मोदी ने मध्यप्रदेश के लोगों और किसानों की खूब तारीफ की।

पीएम ने अपने सम्बोधन में कहा कि “इस प्लांट लाभ मध्य प्रदेश के गरीब, मध्यम वर्गीय लोगों, किसान और आदिवासियों को होगा।” पीएम मोदी ने आगे कहा की “कोरोना संकट के दौरान मध्य प्रदेश के किसानों ने रिकॉर्ड तोड़ फसल उत्पादन किया और सरकार ने उसे खरीदा, जल्द ही मध्य प्रदेश के किसान बिजली पैदा करने का रिकॉर्ड भी तोड़ देंगे।”

गौरतलब है की मध्यप्रदेश के किसानों ने गेंहू उपार्जन में देश के अन्य सभी राज्यों को पछाड़ कर रिकॉर्ड बनाया है। इसी का जिक्र पीएम ने अपने भाषण में किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा की “सोलर प्लांट से जुड़े सामान को भारत में बनाया जाएगा। आत्मनिर्भर भारत के तहत आयात पर इनकी निर्भरता कम की जायेगी और यहां पर इसके उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।”

स्रोत: प्रदेश टुडे

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फ़सलों में मायकोराइज़ा का महत्व

Mycorrhiza effect on chilli plant
  • किसी भी कवक तथा पौधों की जड़ों के बीच एक परस्पर सहजीवी संबंध को माइको राइडर कहते हैं। इस प्रकार के संबंध में कवक पौधों की जड़ पर आश्रित हो जाता है और मृदा-जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक बन जाता है। 
  • अच्छी फसल के लिए माइकोराइजा एक अहम रोल अदा करता है। माइकोराइजा कवक और पौधों की जड़ों के बीच का एक संबंध होता है।
  • माइकोराइजा मिट्टी से पौधों के विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन और छोटे पोषक तत्व को ग्रहण करने में मदद करता है 
  • फ़सलों की पैदावार बढ़ाने में यह एक अहम भूमिका निभाता है। माइकोराइजा पौधों के द्वारा अंत: प्रक्रिया को बढ़ा देता है। सूखे जैसी परिस्थितियों में यह पौधों को हरा भरा रखने में मदद करता है।
  • माइकोराइजा का काम फास्फोरस की उपलब्धता को 60-80% तक बढ़ाना है।
  • माइकोराइजा के उपयोग से जड़ों का बेहतर विकास होता है।
  • माइकोराइजा से पौधों मे जड़ों द्वारा पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है तथा पौधों के आसपास नमी बनाए रखने मे भी यह सहायक होता है।
  • माइकोराइजा फ़सलों को मिट्टी जनित रोगाणुओं से भी बचा कर रखता है।
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