देश के विभिन्न मंडियों में 2 जुलाई को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

आलू

22

23

रतलाम

टमाटर

40

45

रतलाम

हरी मिर्च

24

28

रतलाम

अदरक

28

30

रतलाम

कद्दू

10

14

रतलाम

आम

37

रतलाम

आम

32

रतलाम

आम

30

33

रतलाम

केला

22

24

रतलाम

पपीता

14

16

रतलाम

अनार

65

70

रतलाम

प्याज़

4

6

रतलाम

प्याज़

8

11

रतलाम

प्याज़

12

14

रतलाम

प्याज़

17

रतलाम

लहसुन

7

11

रतलाम

लहसुन

12

19

रतलाम

लहसुन

20

31

रतलाम

लहसुन

33

35

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

लहसुन

22

27

गुवाहाटी

लहसुन

28

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

लहसुन

23

26

गुवाहाटी

लहसुन

27

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

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भिंडी की फसल में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा की पहचान एवं रोकथाम

किसान भाइयों, भिंडी की फसल में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग एक संक्रामक बीमारी है। यह मिर्च, बैंगन, भिंडी, पपीता, अनार, मूंगफली, शकरकंद आदि फसलों का प्रमुख रोग है।

 क्षति के लक्षण:- 

  • यह रोग सर्कोस्पोरा मालाएंसिस नामक फफूंद के कारण होता है।

  • रोग में पत्तियों पर कोणीय से लेकर अनियमित धब्बे बनते हैं। 

  • जो कि बाद में भूरे या स्लेटी भूरे रंग के हो जाते हैं,अधिक संक्रमण की स्थिति में यह धब्बे पूरी पत्ती पर फ़ैल जाते हैं, जिसके कारण प्रभावित पत्तियाँ जल्दी ही गिर जाती हैं। 

रोकथाम –  

रोग के लक्षण दिखाई देने पर जटायु (क्लोरोथैलोनिल 75% डब्ल्यूपी) @ 400 ग्राम या नोवाकोन (हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी) @ 400 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मिली + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001% एल) @ 300 मिली, प्रति एकड़ के हिसाब से 150-200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।  

जैविक नियंत्रण के लिए मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेंस) 250-500 ग्राम/एकड़ के हिसाव से छिड़काव करें।

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प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय की खरीद पर पाएं 50% का अनुदान

मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार मिट्टी के पोषक तत्वों को बनाए रखने के लिए जीवामृत बहुत उपयोगी है। जिसे गाय के गोबर और गौमूत्र के मिश्रण से बनाया जाता है। खेती के दृष्टिकोण से भी गाय किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में हरियाणा सरकार अपने प्रदेश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए देसी गाय की खरीद पर सब्सिडी प्रदान कर रही है। 

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रूपए तक सब्सिडी दी जा रही है। इसके साथ ही किसानों को जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए चार बड़े ड्रम मुफ़्त में दिए जाएंगे। बता दें कि हरियाणा इस तरह की योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा। 

प्राकृतिक खेती के लिए तैयार होगा पोर्टल

हरियाणा मुख्यमंत्री के अनुसार प्राकृतिक खेती को सरल बनाने के लिए एक पोर्टल तैयार किया जाएगा। जिसके माध्यम से रजिस्टर्ड 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसान जो स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती करना चाहते हैं, उन्हें देसी गाय खरीदने के लिए 50% का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावा किसानों को 20-25 के छोटे-छोटे समूह में फसल उत्पादन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

स्रोत: कृषि समाधान

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मक्का की फसल में बुवाई के समय खाद, उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन

👉🏻किसान भाइयों, मक्का की अधिक पैदावार लेने के लिये खाद, उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण पहलू है, अगर पोषक तत्व का सही से प्रबंधन किया जाये तो पौधों को स्वस्थ रखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें प्राकृतिक तनाव एवं कीट के प्रति सहनशील बनाने में मदद किया जा सकता है।

👉🏻पोषक तत्व प्रबंधन में रासायनिक उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जैविक उर्वरक, गोबर की खाद एवं हरी खाद आदि का समुचित उपयोग किया जा सकता है।

👉🏻बीज की बुवाई के 15 -20 दिन पहले गोबर की खाद 4 टन + कॉम्बेट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से फैला दें। 

👉🏻इसके बाद बीज की बुवाई के समय, डीएपी 50 किग्रा, एमओपी 40 किग्रा, यूरिया 25 किलो, ताबा जी (जिंक घोलक बैक्टीरिया) 4 किलोग्राम, टीबी 3 (एनपीके कन्सोर्टिया) 3 किलोग्राम, मैक्समाइको (समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा) 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें।

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धान की नर्सरी एवं रोपाई के समय खरपतवार नियंत्रण के उपाय

धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण:- धान खरीफ मौसम की एक महत्वपूर्ण फसल है। इसलिए समय रहते खरपतवारों को नष्ट करना बहुत जरूरी है, धान की खेती में रोग और कीटों के अलावा खरपतवार भी काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके साथ ही धान की फसल के लिए हानिकारक खरपतवारों के कारण विभिन्न कीट भी आकर्षित होते हैं।

बुवाई के 10-12 दिन बाद:-

नॉमिनी गोल्ड:- धान की फसल में प्रमुख घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करता है। खरपतवार के 2-4 पत्ती वाली अवस्था में प्रयोग करना उपयुक्त समय होता है। यह एक चयनात्मक शाकनाशी है।

धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 10-12 दिन बाद, नॉमिनी गोल्ड (बिस्पायरीबैक-सोडियम 10% एससी) @ 8 मिली प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

खरपतवार नाशक का छिड़काव करते समय फ्लैट फेन (कट वाले) नोज़ल का इस्तेमाल करें। 

रोपाई  के 0 से 3 दिन के बाद  (धान रोपाई के बाद एवं खरपतवार अंकुरण से पहले) 

एरोस गोल्ड (प्रेटिलाक्लोर 50%ईसी)

  • यह एक व्यापक स्पेक्ट्रम और चयनात्मक शाकनाशी है। धान में लगभग सभी खरपतवारों (सकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार) को नियंत्रित करता है।

  • धान की फसल में रोपाई के 0-3 दिन के बाद खरपतवारों के जमाव को रोकने के लिए एरोस गोल्ड (प्रेटिलाक्लोर 50%ईसी) @ 400 मिली, 40 किलो रेत के साथ मिलाकर खेत में समान रूप से भुरकाव करें। भुरकाव के समय खेत में 4-5 सेंटीमीटर जल स्तर बनाए रखें।

  •  रोपाई के 3-7 दिन बाद साथी (पायराज़ोसल्फ्यूरॉन एथिल 10% डब्ल्यूपी) 40-50 ग्राम प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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सोयाबीन की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें

  • प्रिय किसान भाइयों, सोयाबीन की बुवाई से पहले किसान सोयाबीन के 100 दाने का अंकुरण परिक्षण करें।

  • यदि 75 से अधिक दाने अंकुरित होते हैं तो ही बीज को बुवाई योग्य माना जाता है।  

  • इससे सोयाबीन की अच्छी उपज होगी और किसानों को लाभ मिलता है। 

  • फसल के लिए उर्वरक व्यवस्था समिति या निजी व्यापारी से अपनी आवश्यकता अनुसार क्रय कर भंडारित करें, जिससे बुवाई के समय पर कृषकों को किसी भी प्रकार समस्या का सामना ना करना पड़े।

  • किसान प्रायोगिक तौर पर प्राकृतिक खेती के घटक को सोयाबीन फसल पर प्रयोग कर बेहतर परिणाम लें सकते हैं एवं आगामी फसलों के अधिक रकबे पर प्राकृतिक खेती करें।

  • किसान बीज उर्वरक एवं कीटनाशक खरीदते समय संस्थाओं से पक्के बिल लें।

  • फसल विविधीकरण अपनाकर एक से अधिक फसल लें ताकि, अल्प या अधिक वर्षा से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके।

  • बीज का चयन करते हुए नवीन किस्म (10 वर्ष के अन्दर) का चयन करें।

  • सोयाबीन की बुवाई लगभग 15 जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह का उपयुक्त समय है।

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धान की फसल में ज़िंक क्यों आवश्यक

किसान भाइयों, जिंक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है, जो पौधों को सामान्य वृद्धि और प्रजनन के लिए आवश्यक है। पौधे की चयाअपचय क्रियाओं में कार्यों और संरचना के निर्माण के लिए ज़िंक की आवश्यकता होती है। पौधों को कई प्रमुख क्रियाओं के लिए ज़िंक की आवश्यकता होती है। 

जिनमें प्रकाश संश्लेषण, प्रोटीन संश्लेषण, फाइटोहोर्मोन संश्लेषण (जैसे ऑक्सिन), बीज की अंकुरण शक्ति, शर्करा का निर्माण, रोग और अजैविक तनाव (जैसे, सूखा) से फसलों की सुरक्षा करता है।

धान की फसल में इसकी कमी से होने वाले रोग:- 

  • धान की फसल में ज़िंक की कमी से खैरा रोग होता है। 

  • पौधे की गांठ (जॉइंट ) की कम वृद्धि के साथ कम लम्बाई, पौधे की पत्तियां छोटी रह जाती हैं। 

  • इसकी कमी से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और पत्तियों की बीच की शिराओं का रंग हरा दिखाई देता है। 

समाधान – 

धान रोपाई के पूर्व ज़िंकफेर (ज़िंक सल्फेट) @ 5-7 किलो (मृदा परीक्षण के अनुसार) प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन के माध्यम से दें। नर्सरी में ज़िंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर नोवोजिन (चिलेटेड ज़िंक) 250-300  ग्राम / एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

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प्याज की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं

प्रेमा 178:- 

  • इस किस्म की फसल अवधि लगभग 110 दिन की होती है। 

  • जल्दी पककर तैयार होने वाली किस्म है। 

  • औसतन 12-14 पत्तियों के साथ तने का उत्कृष्ट विकास होता है। 

  • बल्ब का वजन माध्यम 170-220 ग्राम का होता है। 

  • कंद का रंग लाल होता है। 

  • कंद का व्यास 7X8 होता है। 

कोहिनूर चाइना:- 

  • इस किस्म की फसल अवधि लगभग 95 से 100 दिन की होती है। 

  • कंद का रंग गहरा लाल/बैंगनी का होता है। 

  • कंद ग्लोब के आकार का होता है। 

  • जुड़ा हुआ कंद तथा बोल्टिंग के प्रति सहनशीलता किस्म है। 

  • इस किस्म की पैदावार अधिक होती है। 

  • इस किस्म को लगभग 3 महीने तक भण्डारण कर सकते है। 

  • इसका बीज 3 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से लगता है। 

पंचगंगा सरदार:- 

  • इस किस्म की हार्वेस्टिंग रोपनी के लगभग 90 दिन बाद होती है। 

  • यह किस्म खरीफ के लिए उपयुक्त है। 

  • इस किस्म के कंद का रंग लाल होता है। 

  • इसका बीज 3 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से लगता है।

भूमि:- 

  • फसल की अवधि लगभग 150 दिन की होती है। 

  • इसके कंद का वजन 90-100 ग्राम का होता है।

  • कंद आकर्षक लाल रंग का होता है।  

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धान की खेती के लिए भूमि की तैयारी क्यों आवश्यक है?

👉🏻किसान भाइयों धान की अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को सही से तैयार करना अति आवश्यक है। 

👉🏻अच्छी तरह से तैयार भूमि खरपतवार रहित होते हैं एवं जल धारण क्षमता भी अधिक होती है। 

👉🏻भूमि में पाए जाने वाले जैविक तत्व (केंचुआ) अच्छी तरह से काम करते हैं। इससे पौध का जड़ का विकास सही से होता है। 

👉🏻धान क फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई  कल्टीवेटर करके खेत तैयार करना चाहिए। इसके बाद खेत को मचाकर एक समान रूप से समतल कर लेना चाहिए। 

👉🏻खेत में चारों तरफ से मजबूत मेढ़ बंदी कर देनी चाहिए, जिससे की वर्षा जल को खेत में लम्बे समय तक संचित किया जा सके। 

👉🏻पडलिंग पद्धति द्वारा एक असामान्य खेत को समतल बनाया जाता है। 

👉🏻खेत में पानी की सामान्य गहराई को बनाए रखता है। 

👉🏻पानी की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए भूमि का समतलीकरण अति आवश्यक है। 

👉🏻एक अच्छी जुताई से खेती योग्य भूमि में ऑक्सीजन की उपलब्धता बनी रहती है।

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सोयाबीन की बुवाई के बाद खरपतवार नियंत्रण के उपाय

यांत्रिक विधि:- सोयाबीन की बुवाई के 20-25 दिन बाद हाथों से पहली निराई-गुड़ाई करें एवं दूसरी निराई-गुड़ाई बुवाई के 40-45 दिनों की अवस्था पर करें।

चौड़ी और सकरी पत्ती के खरपतवार के लिए:- सोयाबीन उगने के 12 – 20 दिन बाद तथा 2 – 4 पत्ती वाली अवस्था में मिट्टी में पर्याप्त नमी के साथ शकेद (प्रोपाक्विजाफोप 2.5% + इमाज़ेथापायर 3.75% डब्ल्यूपी) @ 800 मिली या वीडब्लॉक, एस्पायर (इमाज़ेथापायर 10% एसएल) @ 400 मिली प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

सकरी पत्ती के खरपतवार के लिए 

सोयाबीन के उगने के बाद 20-40 दिन की अवस्था में, टरगा सुपर (क्यूजालोफाप इथाइल 5% ईसी) @ 400 मिली या गैलेन्ट (हेलोक्सीफॉप आर मिथाइल 10.5% ईसी) @ 400 मिली प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में नमी अवश्य रखे एवं फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।

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