खरीफ सीजन में लगाई जाने वाली मक्का की उन्नत किस्में

  • 6240 (सिंजेटा ):- 80-85 दिन की फसल अवधि, यह परिपक्वता के बाद भी हरी रहती हैं, जिसकी वजह से यह चारे के लिए उपयुक्त किस्म मानी जाती है। इसकी अधिक उपज, दाने सेमी डेंट प्रकार के होते हैं, जो भुट्टे में अंत तक भरे रहते हैं, प्रतिकूल वातावरण में भी उग जाता है  तना और जड़ गलन एवं गेरुआ रोग बीमारियों के लिए  प्रतिरोधक हैं।  

  • 3401(पायनियर):-  दाने भरने की क्षमता अधिक लगभग 80-85 % हर भुट्टे में 16-20 लाइनें होती हैं। अंत तक भुट्टे भरे होते हैं, लंबी अवधि की फसल 110 दिन, अधिक उपज 30-35 कुंतल तक होती है।

  • 8255 (धान्या ):- 115-120 दिन  की फसल अवधि “नमी तनाव के लिए सहिष्णु, चारे के उद्देश्य के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है अच्छी तरह से ढकने वाला भुटे का आवरण और उत्कृष्ट स्थिरता , 26000 पौधा / एकड़ पौध संख्या पर भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन”।

  • NK-30  (सिंजेटा):- 100-120 दिन  की फसल अवधि उष्णकटिबंधीय वर्षा के लिए अनुकूल, तनाव / सूखा आदि की स्थिति को सहन करने की क्षमता, उत्कृष्ट टिप भरने के साथ गहरे नारंगी रंग के दाने, उच्च उपज, चारा के लिए अनुकूल है।

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कपास की फसल में सफेद मक्खी की पहचान

👉🏻किसान भाइयों, कपास की फसल में सफेद मक्खी फसल सुरक्षा की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन गई हैं। सफेद मक्खी आमतौर पर पत्तियों के नीचे अंडे देती हैं।

👉🏻सफेद मक्खी कपास की फसल में पौधों को दो तरह से नुकसान पहुँचाती हैं। 

👉🏻पहला रस चूसकर और वायरल रोग को प्रसारित करके। 

👉🏻दूसरा पत्तियों पर हनीड्यू (मधुस्राव) करके जिसके कारण फफूंदी जनित रोग के प्रकोप की सम्भावना बढ़ जाती है।

कपास की फसल में सफ़ेद मक्खी की निम्न अवस्थायें नुकसान पहुंचाती हैं:- 

👉🏻शिशु – यह शुरुआत में अंडे से निकल कर पत्तियों का रस चूसना प्रारंभ कर देते हैं और सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। 

👉🏻प्रौढ़ – सफेद मोम की सतह लिए पीले शरीर वाले छोटे मच्छर होते हैं, यह फसल को शिशु की अपेछा कम नुकसान पहुंचाते हैं।

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किसानों को स्टार्टअप के लिए मिल रहा लाखों का फंड, यहां देखे पूरी जानकारी

देश के किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकार कई योजनाएं लागू करती रहती है। खेती किसानी के अलावा भी रोजगार के अवसर बढ़ाएं जा सकें, इसके लिए सरकार कई प्रयास कर रही है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार की ओर से स्टार्ट अप के लिए फंड दिया जाता है। 

इसके लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ‘नवाचार और कृषि उद्यमिता विकास कार्यक्रम’ शुरू किया गया है। जिसके माध्यम से कृषि प्रसंस्करण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल कृषि , कृषि यंत्र, दूध डेयरी, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे विभिन्न श्रेणियों के स्टार्ट अप शुरू करने के लिए फंड दिया जा रहा है।

किसानों के बीच स्टार्ट अप को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए 2 महीने के लिए 10 हजार रूपए प्रति माह वजीफा दिया जा रहा है। इस दौरान तकनीकी, वित्त, बौद्धिक संपदा, सांविधिक अनुपालन मुद्दों आदि पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण और विभिन्न कठोर प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही योग्य आवेदकों की सूची तैयार होती है। 

इसके बाद ही लाभार्थियों को स्टार्ट अप के लिए फंडिंग मिलती है। जहां आर-एबीआई एनक्यूबेट्स की सीड स्टेज के लिए 25 लाख की फंडिंग दी जाती है। इस योजना के आधार पर देशभर के 29 कृषि व्यवसाय इनक्यूबेशन केंद्रों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है। इस योजना से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने और आवेदन के लिए आधिकारिक पोर्टल  https://rkvy.nic.in/ पर विजिट करें।

स्रोत: आज तक

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मध्यम अवधि वाली धान की उन्नत किस्में लगाएं भारी उत्पादन पाएं

किसान भाइयों धान की खेती लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है। यदि फसल बुवाई के समय उचित किस्मों का चयन न किया जाएँ तो किसान भाइयों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

मध्यम अवधि वाली धान की उन्नत किस्में लगाकर अच्छा उत्पादन लिया जा सकता हैं, जो इस प्रकार हैं। 

  • पूसा बासमती 1509:- इस किस्म का पौधा अर्ध-बौना होता है। मध्यम अवधि में पककर तैयार हो जाता है। इसकी फसल अवधि 120 दिनों की होती है। अनाज की गुणवत्ता PB 1121 के बराबर है।

  • जे आर-8:- यह किस्म सिंचित एरिया के लिए उपयुक्त है। इसके लंबे पतले दाने होते है। परिपक्वता अवधि 120-125 दिनों की होती है। उपज 55-60 क्विंटल/एकड़ होता है।

  • PAC 837:- यह एक हाइब्रिड संकर किस्म है। यह 120-125 दिनों में तैयार हो जाती है। अधिक उपज देने वाली हाइब्रिड किस्म है।

  • एमपी 3030:- इस हाइब्रिड की अवधि 120 -125 दिनों में तैयार हो जाती है। जिसमें सर्वाधिक कल्लों की संख्या होती है। कम पानी की आवश्यकता के साथ व्यापक अनुकूलन क्षमता है।

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देश के विभिन्न मंडियों में 11 जून को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

12

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

12

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

21

25

गुवाहाटी

प्याज़

22

34

गुवाहाटी

लहसुन

20

38

गुवाहाटी

लहसुन

28

42

गुवाहाटी

लहसुन

34

25

गुवाहाटी

लहसुन

38

33

गुवाहाटी

लहसुन

20

38

गुवाहाटी

लहसुन

27

42

गुवाहाटी

लहसुन

34

11

गुवाहाटी

लहसुन

38

13

पटना

प्याज़

9

पटना

प्याज़

12

11

पटना

प्याज़

16

13

पटना

प्याज़

9

पटना

प्याज़

12

25

पटना

प्याज़

16

33

पटना

लहसुन

20

36

पटना

लहसुन

30

पटना

लहसुन

35

कोयंबटूर

प्याज़

13

कोयंबटूर

प्याज़

14

कोयंबटूर

प्याज़

18

कोयंबटूर

लहसुन

40

कोयंबटूर

लहसुन

45

कोयंबटूर

लहसुन

50

कोचीन

अनन्नास

53

कोचीन

अनन्नास

52

कोचीन

अनन्नास

50

14

आगरा

नींबू

50

आगरा

कटहल

13

25

आगरा

अदरक

19

5

आगरा

अनन्नास

24

30

आगरा

तरबूज

4

45

आगरा

आम

10

68

आगरा

नींबू

40

16

आगरा

लीची

65

26

रतलाम

पपीता

12

11

रतलाम

हरी मिर्च

22

14

रतलाम

तरबूज

8

40

रतलाम

खरबूजा

12

रतलाम

टमाटर

35

रतलाम

केला

22

रतलाम

आम

42

45

रतलाम

आम

32

100

रतलाम

आम

35

रतलाम

अनार

80

रतलाम

आलू

18

विजयवाड़ा

आलू

26

विजयवाड़ा

करेला

30

विजयवाड़ा

भिन्डी

30

विजयवाड़ा

बैंगन

30

विजयवाड़ा

अदरक

55

विजयवाड़ा

पत्ता गोभी

30

विजयवाड़ा

गाजर

30

विजयवाड़ा

खीरा

30

विजयवाड़ा

शिमला मिर्च

50

विजयवाड़ा

टमाटर

40

30

विजयवाड़ा

हरी मिर्च

40

आगरा

शिमला मिर्च

25

आगरा

नींबू

25

आगरा

खीरा

20

आगरा

आलू

21

आगरा

हरी मिर्च

33

30

आगरा

आम

70

30

आगरा

टमाटर

25

55

आगरा

गाजर

25

12

पटना

टमाटर

50

पटना

आलू

10

पटना

लहसुन

12

पटना

लहसुन

28

पटना

लहसुन

36

पटना

तरबूज

18

पटना

कटहल

20

पटना

अंगूर

55

100

पटना

खरबूजा

15

100

पटना

सेब

95

पटना

अनार

95

पटना

हरी मिर्च

25

8

पटना

करेला

30

पटना

खीरा

7

पटना

कद्दू

8

कोलकाता

आलू

20

कोलकाता

अदरक

34

कोलकाता

प्याज़

10

कोलकाता

प्याज़

11

कोलकाता

प्याज़

12

कोलकाता

लहसुन

40

कोलकाता

लहसुन

45

कोलकाता

लहसुन

50

55

कोलकाता

तरबूज

16

140

कोलकाता

अनन्नास

45

70

कोलकाता

सेब

130

55

कोलकाता

आम

60

70

कोलकाता

लीची

45

कोलकाता

नींबू

60

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इन 4 फसलों की खेती से होगी बढ़िया कमाई, जानें इनके बाजार भाव और विशेषता

आज के समय किसान भाई आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। आधुनिक खेती, जिसमें ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलों को उगाया जाता है। इस लेख के जरिए हम आपको ऐसी ही 4 महंगी खेती के बारे में बताएंगे, जो कम लागत में आपको कई गुना मुनाफा देंगी।

अश्वगंधा की खेती

अश्वगंधा का इस्तेमाल आर्युेवेदिक दवा के रूप में किया जाता है। अश्वगंधा के फल, बीज और छाल का उपयोग कई तरह की दवाईयां बनाने में होता है। 

भारत में अश्वगंधा की उन्नत किस्में जैसे- पोशिता, जवाहर असगंध-20, डब्यलू एस. -20 और डब्यलू एस. -134 पाई जाती हैं। इसके बीज की कीमत करीब 130 से 150 रूपए किलो है।

शताबरी की खेती

इसकी गिनती महंगी सब्जियों में की जाती है। इसके साथ ही शताबरी का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने में किया जाता है। शताबरी की उन्नत किस्मों की बात करें तो, एस्पेरेगस एडसेंडेस, एस्पेरेगस सारमेन्टोसस, एस्पेरेगस स्प्रेन्गेरी और एस्पेरेगस आफीसीनेलिस जैसी कई किस्में पाई जाती हैं।

इसके एस्पेरेगस एडसेन्डेस को ‘सफेद मूसली’ के रूप में जाना जाता है। शताबरी के बाजार भाव की बात करें तो इसकी कीमत करीब 1200 से 1500 रूपए किलो है। 

बोक जोय की खेती

यह एक तरह की विदेशी सब्जी है। देखने में यह पत्ता गोभी की तरह लगती है, इस कारण बोक जोय को चीनी गोभी के नाम से भी जाता है। इसमें विटामिन व फाइबर जैसे कई जरूरी पोषक तत्व पाएं जाते हैं, जो इम्युनिटी पावर को मजबूत बनाते हैं। 

बोक चोय में ब्लैक समर, फेंग किंग, जोय चोई, रेड चोई, शिरो, टॉय चॉय, व्हाइट फ्लैश और विन-विन चोई जैसी कई उन्नत किस्में पाई जाती हैं। वैसे तो भारत में इसकी खेती गिनी चुनी जगह पर ही की जाती है। लेकिन इसके एक फल का बाजार का भाव लगभग 115 से 120 रूपए है।

चेरी टमाटर की खेती

इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा सलाद के लिए किया जाता है। यह कम समय में ज्यादा फायदा पहुंचाने वाली फसल है। इसकी उन्नत किस्मों में ब्लैक पर्ल चेरी टोमेटो, येलो पर्ल चेरी टोमेटो, ग्रीन एनवी चेरी टोमेटो, चाडविक चेरी टोमेटो, ब्लडी बुचर चेरी टोमेटो और सन गोल्ड चेरी टोमेटो शामिल हैं।

चेरी टमाटर की खेती, मांग की तुलना में बहुत कम की जाती है। ऐसे में इसकी खेती के जरिए बढ़िया कमाई की जा सकती है। इसके बाजार भाव की बात करें तो करीब  250 रूपए से लेकर 350 रूपए प्रति किलो है।

स्रोत: ट्रेक्टर जंक्शन

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मध्यप्रदेश मंडियों में 11 जून को क्या रहे प्याज़ के भाव?

Onion Mandi Bhaw

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे हरदा, देवास, इंदौर, रतलाम आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

क्रमांक

जिला

मंड़ी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

1

देवास

देवास

300

1,000

2

देवास

हाटपिपलिया

600

1,200

3

हरदा

हरदा

600

700

4

इंदौर

इंदौर

300

1,600

5

शाजापुर

कालापीपल

110

1,020

6

रतलाम

रतलाम

360

1,350

स्रोत: राष्ट्रीय कृषि बाजार

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  टमाटर जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे झाबुआ, श्योपुर, पन्ना, विदिशा, मन्दसौर, राजगढ़, अशोकनगर आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

क्रमांक

जिला

मंड़ी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

1

विदिशा

लटेरी

1,850

1975

2

अशोकनगर

ईसागढ़

1,880

2,250

3

सागर

शाहगढ़

1,875

1,955

4

विदिशा

लटेरी

2,375

2,450

5

अनुपपूर

जैथरी

1,850

1,850

6

मन्दसौर

शामगढ़

1,890

2,035

7

विदिशा

लटेरी

2,000

2,255

8

झाबुआ

झाबुआ

2,050

2,050

9

श्योपुर

श्योपुरबड़ोद

1,865

2,021

10

पन्ना

अजयगढ़

1,900

1,930

11

राजगढ़

पचौरी

1,900

2,121

स्रोत: राष्ट्रीय कृषि बाजार

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ऐसे करें, सोयाबीन की फसल के लिए खेत की तैयारी

👉🏻प्रिय किसान, सोयाबीन की फसल के लिए 3 वर्ष में कम से कम एक बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिये। 

👉🏻वर्षा प्रारंभ होने पर 2 या 3 बार कल्टीवेटर तथा हैरो चलाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिये। अंत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। इससे हानि पहुंचाने वाले कीटों की सभी अवस्थाएं नष्ट होगी। ढेला रहित और भुरभुरी मिट्टी वाले खेत सोयाबीन के लिये उत्तम होते हैं।

👉🏻खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद @ 4-5 टन + सिंगल सुपर फॉस्फेट @ 50 किलो प्रति एकड़ की दर से बुवाई से पहले खेत में मिलाना चाहिए।  

👉🏻बुवाई के समय DAP @ 40 किलो + म्यूरेट ऑफ़ पोटाश @ 30 किलो + 2 किलो फॉस्फोरस (घुलनशील बैक्टीरिया) + पोटाश गतिशील बैक्टीरिया का कन्सोर्टिया + 1 किलो राइज़ोबियम कल्चर को प्रति एकड़ की दर से खेत में सामान रूप से मिला देना चाहिए। 

👉🏻खाद एवं उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट, स्थान एवं किस्मों के अनुसार भिन्न हो सकती है। 

👉🏻सफ़ेद ग्रब की समस्या से बचने के लिए उर्वरकों के पहले डोज़ के साथ कालीचक्र (मेटाराईजियम स्पीसीज) @ 2 किलो की मात्रा को 50 किलो गोबर की खाद/कम्पोस्ट के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।

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कपास की शुरुआती अवस्था में रस चूसक कीटों का प्रबंधन

👉🏻कपास एक प्रमुख नकदी फसल है। यह खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। 

👉🏻फसल की शुरुआती अवस्था में ही रस चूसक कीट जैसे – सफेद मक्खी, माहू, हरा तेला की समस्या मुख्यता से देखी जाती है। 

👉🏻यह कीट पौधों की पत्तियों से रस चूसते हैं, जिसके कारण शुरुआत में ही पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। 

सुरक्षा के उपाये:- 

👉🏻रसायनिक नियंत्रण के लिए फसल की अवस्था 15 दिन की होने पर, असटाफ (एसीफेट  75% एसपी) @ 300 ग्राम + फॉस्किल (मोनोक्रोटोफॉस 36%SL) @ 400 मिली + (विगरमैक्स जैल गोल्ड) @ 400 ग्राम + सिलिको मैक्स 50 मिली, प्रति एकड़ 150 – 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। 

👉🏻जैविक नियंत्रण के लिए – बवे कर्ब  (बवेरिया वेसियाना) @ 500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से 150 – 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

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