👉🏻प्रिय किसान, सोयाबीन की फसल के लिए 3 वर्ष में कम से कम एक बार ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिये।
👉🏻वर्षा प्रारंभ होने पर 2 या 3 बार कल्टीवेटर तथा हैरो चलाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिये। अंत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर लेना चाहिए। इससे हानि पहुंचाने वाले कीटों की सभी अवस्थाएं नष्ट होगी। ढेला रहित और भुरभुरी मिट्टी वाले खेत सोयाबीन के लिये उत्तम होते हैं।
👉🏻खेत की तैयारी के समय गोबर की खाद @ 4-5 टन + सिंगल सुपर फॉस्फेट @ 50 किलो प्रति एकड़ की दर से बुवाई से पहले खेत में मिलाना चाहिए।
👉🏻बुवाई के समय DAP @ 40 किलो + म्यूरेट ऑफ़ पोटाश @ 30 किलो + 2 किलो फॉस्फोरस (घुलनशील बैक्टीरिया) + पोटाश गतिशील बैक्टीरिया का कन्सोर्टिया + 1 किलो राइज़ोबियम कल्चर को प्रति एकड़ की दर से खेत में सामान रूप से मिला देना चाहिए।
👉🏻खाद एवं उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट, स्थान एवं किस्मों के अनुसार भिन्न हो सकती है।
👉🏻सफ़ेद ग्रब की समस्या से बचने के लिए उर्वरकों के पहले डोज़ के साथ कालीचक्र (मेटाराईजियम स्पीसीज) @ 2 किलो की मात्रा को 50 किलो गोबर की खाद/कम्पोस्ट के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें।
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