बेल वाली फसलों में फल मक्खी की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

फल मक्खी के पहचान

  • यह कीट विकसित मुलायम फलों को क्षति पहुंचाते हैं।

  • फल मक्खी का प्रकोप जुलाई से अक्टूबर माह तक जारी रहता है।

  • इन कीटों की मादा मक्खी मुलायम फलों के गूदे में प्रवेश करके उसमें अपने अण्डे देती है। 1-2 दिन में (शिशु ) फलों के अंदर ही निकल आते हैं और फल के अंदर ही गूदे को खाकर विकसित होते हैं। 

  • साथ ही फलों के अंदर ही अपशिष्ट पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे फल सड़ने लगता है। फलों के क्षतिग्रस्त भाग से तेज गंध आने लगती है एवं फल टेड़े- मेड़े आकार के हो जाते हैं। इस कारण फलों की गुणवत्ता खराब होती है, जो कि फिर बिक्री योग्य नहीं रहते हैं। 

फेरोमोन ट्रैप :- 

यह एक प्रकार की विशेष गंध होती है, जो मादा पतंगा छोड़ती हैं। यह गंध नर पतंगों को आकर्षित करती है। विभिन्न कीटों द्वारा विभिन्न प्रकार के फेरोमोन छोड़े जाते हैं, इसलिए अलग-अलग कीटों के लिए अलग-अलग ल्यूर काम में लिए जाते हैं। कद्दू वर्गीय फसल में फल मक्खी की रोकथाम के लिए आईपीएम ट्रैप ( मेलोन फ्लाई ल्यूर) 8 से 10 ट्रैप प्रति एकड़ स्थापित करें।   

रोकथाम

  • बेनेविया (सायंट्रानिलिप्रोल 10.26% ओडी) @ 360 मिली + स्टिकर (सिलिको मैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के के हिसाब से छिड़काव करें। 

जैविक नियंत्रण के लिए, बवे-कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें।

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जल्द कराएं अपना बिजली बिल आधा, पढ़ें पूरी जानकारी

तपती गर्मी के साथ बढ़ते बिजली का बिल आम जनता के लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ‘हाफ बिजली बिल योजना’ चला रही है। इसके माध्यम से प्रदेश के लोगों को बिजली के बिल का सिर्फ आधा भाग ही देना होगा। इतना ही नहीं, योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों को हर महीने 30 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जा रही है। 

योजना का लाभ उठाने के लिए पात्रता 

400 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ प्राप्त होगा। 400 यूनिट से ज्यादा का बिल होने पर आप इस योजना से वंचित रह जाएंगे। इसके अलावा योजना का लाभ उन उपभोक्ताओं को मिलेगा, जिन्होंने अपने पिछले बकाया सभी बिजली के बिल को पूरा भरा हो। 

बिजली बिल में 50% छूट पाने के लिए उपभोक्ता के पास मूल निवास का प्रमाण पत्र, पुराने बिजली बिल, पहचान पत्र और आधार कार्ड होना जरूरी है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको आधिकारिक वेबसाइट पर आवेदन करना होगा। 

स्रोत : कृषि जागरण

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कद्दू वर्गीय फसलों में फूल और फल गिरने का कारण और रोकथाम के उपाय

कद्दू वर्गीय फसल जैसे लौकी, तोरई, तरबूज,खरबूज, पेठा, खीरा, टिण्डा, करेला आदि में फूल झड़ने व फल गिरने से पैदावार में भारी गिरावट आती है। इसके कारण निम्न हैं –

  • परागण की कमी

विभिन्न तंत्रों के कारण परागण विफल हो सकता है तथा परागण की कमी, पराग कर्ता की कमी या विपरीत पर्यावरण के कारण पर परागण विफल हो सकता है।

  • पोषक तत्वों की कमी

कई बार सही मात्रा में  पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाते जिसके कारण फूल एवं फल  पूर्णरूप से विकसित नहीं हो पाते हैं और गिर जाते हैं। इसके लिए पौधे को गंधक, बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि तत्वों का मिलना बहुत जरूरी होता है

  • जल की कमी /नमी :

पर्याप्त जल की कमी के कारण पौधे पोषक तत्वों को भूमि से अपनी जड़ों के द्वारा अवशोषित नहीं कर पाते जिसके कारण फूलों व फलों में कई प्रकार के तत्वों की कमी हो जाती है और वह गिरने लगते हैं। साथ ही अत्यधिक तापमान और तेज हवा के चलने से पानी का अत्यधिक वाष्पीकरण होता है। जिससे पेड़ों की पत्तियां मुरझा जाती हैं, जो फल गिरने का कारण बनती हैं।

  • बीज का विकास

बीज से निकलने वाले ओक्सीटोक्सिन, पोधो से फलों को जोड़े रहने में सहायक होते हैं | परागण कम या नहीं होने पर, बीज सही से बन नहीं पाते या बीज का सही विकास नहीं हो पाता है, इन दोनों ही अवस्थाओं में फल अधिक मात्रा में गिरते हैं।

  • कीट तथा बीमारियां

विभिन्न प्रकार के कीट एवं सूक्ष्म जीवों के पौधों में लगने से फल एवं फूल झड़ने लगते हैं।

  • कार्बोहाइड्रेट की मात्रा : 

फलों को बनाने और उन को विकसित करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है और अगर पौधों में कार्बोहाइड्रेट का स्तर कम होता है तो फलों के झड़ने की समस्या अधिक होने लगती है।

फल एवं फूलों के झड़ने से रोकने के उपाय

    • पोषक तत्वों का छिड़काव:- पौधों में समय-समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाना चाहिए।  मुख्य एवं सूक्ष्म जैसे – बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि। 

    • सिंचाई:- आवश्यकता अनुसार एक निश्चित अंतराल से फसलों में सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहे। ध्यान रहे जरूरत से ज्यादा सिंचाई भी नुकसानदायक हो सकती है।

    • गुड़ाई:- बेल वाली सब्जियों में समय-समय पर गुड़ाई व अन्य अंतर सस्य कार्य होते रहना चाहिए ताकि खेत खरपतवारों से मुक्त रहे। गोबर की अच्छी पकी हुई खाद या केंचुआ खाद (Vermicompost) का इस्तेमाल समय समय पर करना जरूरी है।

    • कीट नियंत्रण : फसलों  में कीट व बीमारी अधिक मात्रा में हानि पहुंचाते हैं। इसलिए समय पर देखरेख करें और कीट नियंत्रण करें। 

    • हार्मोन का संतुलन बनाए रखना : सामान्य फसल में, हार्मोन के असंतुलन के कारण भी अधिक नुकसान होता है| तो हार्मोन का संतुलन बनाए रखें। इसमें नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001%) @ 300 मिली प्रति एकड़, @ 150 से 200 लीटर पानी  के हिसाब से छिड़काव करें।

  • परागण कर्ता का उपयोग

इन फसलों के परागण  के लिए मधुमक्खी या अन्य कीटों  का होना आवश्यक है। इन कीटो की उपस्थिति  के समय किसी भी प्रकार का छिडकाव या अन्य कृषि कार्य खेत में ना करें। इससे  परागण  के कार्य सरलता से व समय पर होता है।

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मक्का की फसल में 40 से 45 दिन की अवस्था में पोषक प्रबंधन

  • मक्का खरीफ ऋतु की प्रमुख फसल है। हालांकि जहां सिंचाई के साधन हैं, वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में मक्का की खेती की जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहुपयोगी फसल है, मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा मक्का की खेती का औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है।

  • मक्का फसल को खरपतवार रहित होना चाहिए। जिससे सीधे मुख्य फसल ही पोषक तत्व ग्रहण करेंगे और पोषक तत्व का नुकसान नहीं होगा एवं फसल भी स्वस्थ रहेगी।

  • मक्का की अधिक पैदावार लेने के लिये पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं।  यूरिया 35 किग्रा, सूक्ष्म पोषक तत्व  मिश्रण केलबोर (बोरॉन 4 + कैल्शियम 11 + मैग्नीशियम 1 + पोटेशियम 1.7 + सल्फर 12 %) @ 5 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकाव करें। 

  • मक्का की फसल में 40 से 45 दिन की अवस्था में फूल आना शुरू होता है। ज्यादा फूल लगने के लिए, होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू (डबल) @ 100 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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देश के विभिन्न मंडियों में 24 जुलाई को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

लखनऊ

प्याज़

10

11

लखनऊ

प्याज़

12

13

लखनऊ

प्याज़

14

लखनऊ

प्याज़

15

16

लखनऊ

प्याज़

11

लखनऊ

प्याज़

13

लखनऊ

प्याज़

15

लखनऊ

प्याज़

18

लखनऊ

लहसुन

25

लखनऊ

लहसुन

30

लखनऊ

लहसुन

30

38

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

आलू

18

19

लखनऊ

आम

30

32

लखनऊ

अनन्नास

25

30

लखनऊ

हरा नारियल

40

43

लखनऊ

मोसंबी

28

32

लखनऊ

केला

15

लखनऊ

हरी मिर्च

40

45

लखनऊ

नींबू

45

50

रतलाम

अदरक

22

24

रतलाम

आलू

21

22

रतलाम

टमाटर

22

24

रतलाम

हरी मिर्च

44

50

रतलाम

कद्दू

15

18

रतलाम

भिन्डी

25

28

रतलाम

नींबू

35

42

रतलाम

फूलगोभी

15

16

रतलाम

बैंगन

13

16

रतलाम

आम

40

45

रतलाम

पपीता

14

16

रतलाम

खीरा

12

14

रतलाम

शिमला मिर्च

28

30

रतलाम

केला

30

34

रतलाम

करेला

32

35

कोयंबटूर

प्याज़

13

कोयंबटूर

प्याज़

16

कोयंबटूर

प्याज़

18

कोयंबटूर

आलू

26

कोयंबटूर

लहसुन

25

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

लहसुन

21

25

गुवाहाटी

लहसुन

28

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

27

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

रतलाम

प्याज़

3

6

रतलाम

प्याज़

6

9

रतलाम

प्याज़

9

12

रतलाम

प्याज़

12

14

रतलाम

लहसुन

7

12

रतलाम

लहसुन

13

19

रतलाम

लहसुन

20

28

रतलाम

लहसुन

30

34

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के ताजा भाव ?

Indore onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बड़वाह, ब्यावर, देवास, इछावर, इंदौर और मन्दसौर आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

बड़वाह

1000

2000

ब्यावरा

300

1000

देवास

500

1200

इछावर

175

905

इंदौर

100

1300

कालापीपाल

110

1255

खरगोन

500

1000

खरगोन

500

1500

कुक्षी

500

900

मन्दसौर

201

1040

सनावद

800

1000

सांवेर

600

1050

शाजापुर

225

1110

शामगढ़

520

820

थांदला

1000

1400

स्रोत: एगमार्कनेट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे लहसुन के भाव?

Indore garlic Mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे पिपलिया, इछावर, सिंगरौल, देवास और कालापीपल आदि में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

पिपलिया

300

7500

इछावर

205

1165

सिंगरौल

2000

2000

देवास

400

800

कालापीपल

350

3550

स्रोत: एगमार्कनेट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  लहसुन जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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गोबर के बाद अब गौ-मूत्र भी इस दर पर खरीदेगी सरकार

किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार ने गाय के गोबर के बाद अब गौ-मूत्र खरीदने की घोषणा की है। इस योजना के तहत जहां एक ओर किसानों और पशुपालकों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। वहीं दूसरी ओर जैविक खेती के लिए जीवामृत और गौ-मूत्र से कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जा सकेंगे, इससे खेती में भी कीटनाशकों के लिए कम लागत खर्च होगी।

घोषणा के अनुसार, राज्य के मुख्यमंत्री विशेष कार्यक्रम के जरिए राज्य के गौठानों में 28 जुलाई के दिन गौमूत्र खरीदी का कार्य शुरू कर रह हैं। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ में गौठान प्रबंध समिति द्वारा पशुपालक से गौ-मूत्र खरीदी के लिए न्यूनतम राशि 4 रूपए प्रति लीटर तय की गई है। कहने का मतलब यह है कि, किसानों को गौ-मूत्र बेचने पर कम से कम 4 रूपए प्रति लीटर के भाव मिलेंगे। यह क्रय राशि बढ़ भी सकती है जो कि गोठान समिति पर निर्भर करेगी। बहरहाल गोबर के बाद गौ-मूत्र के खरीदे जाने से किसानों और पशुपालकों को दोहरा लाभ प्राप्त होगा।

स्रोत : किसान समाधान

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मिर्च की फसल में पत्तियाँ मुड़ने की समस्या और समाधान

मिर्च की फसल में पत्ता मोडक बीमारी सबसे घातक एवं ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली बीमारी है। जिसे विभिन्न स्थानों में कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग के नाम से जाना जाता है। यह रोग न होकर, थ्रिप्स, सफ़ेद मक्खी, व मकड़ी के प्रकोप के कारण होता है। 

सफेद मक्खी –

इस कीट का वैज्ञानिक नाम (बेमेसिया टेबेसाई) है इस कीट के शिशु एवं वयस्क, शिशु पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर रहकर प्यूपा में बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। जिन पर काली फंफूदी लग जाती हैं। यह कीड़े न केवल रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं। बल्कि पौधों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं, जिससे फफूंद जनित रोग की सम्भावना बढ़ जाती है। इसका प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियां सुकड़कर मुड़ने लगती हैं।

नियंत्रण के उपाय

  • इसके नियंत्रण के लिए, मेओथ्रिन (फेनप्रोपेथ्रिन 30% ईसी) @ 120 मिली + (सिलिको मैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, (बवे-कर्ब) बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

मकड़ी

इस कीट का वैज्ञानिक नाम पॉलीफैगोटार्सोनमस लैटस है। यह छोटे-छोटे जीव होते हैं, जो पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं। परिणामस्वरूप पत्तियां सिकुड़ कर नीचे की ओर मुड़ जाती हैं। जिन्हें साधारण आंखों से देखना संभव नहीं हो पाता है। यदि मिर्च की फसल में थ्रिप्स व मकड़ी का आक्रमण एक साथ हो जाये तो पत्तियां विचित्र रूप से मुड़ जाती हैं। इसके प्रकोप से फसल के उत्पादन में बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है।

नियंत्रण के उपाय

  • इसके नियंत्रण के लिए, ओबेरोन (स्पाइरोमेसिफेन 22.90% एस सी) @ 160 मिली या ओमाइट (प्रोपरजाईट 57% ईसी) @ 600 मिली + (सिलिको मैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

थ्रिप्स

इस कीट का वैज्ञानिक नाम (सिर्टोथ्रिप्स डोरसालिस) है। यह छोटे एवं कोमल शरीर वाले हल्के पीले रंग के कीट होते है, इस कीट का शिशु एवं वयस्क दोनों ही मिर्च की फसल को नुकसान पहुंचाते है। यह पत्तियो एवं अन्य मुलायम भागों से रस चूसते हैं। थ्रिप्स के प्रकोप के कारण मिर्च की पत्तियां ऊपर की ओर मुड़ कर नाव का आकार धारण कर लेती है। 

नियंत्रण के उपाय –

  • फिपनोवा  (फिप्रोनिल 5% एससी) @ 320 मिली या लैमनोवा (लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% सीएस) @ 200 मिली + (सिलिको मैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, (बवे-कर्ब) बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम / एकड़ के हिसाब  से 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

इसके अलावा किसान भाई कीट प्रकोप की सूचना के लिए, नीले  चिपचिपे ट्रैप (ब्लू  स्टिकी ट्रैप ) @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाव से खेत में स्थापित करें| । यह कीट प्रकोप को इंगित करें जिसके आधार पर किसान भाई ऊपर बताए गए उपाय अपनाकर फसल को कीट प्रकोप से बचा सकते हैं।

महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।

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देश के विभिन्न मंडियों में 23 जुलाई को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

अदरक

22

24

रतलाम

आलू

21

22

रतलाम

टमाटर

28

32

रतलाम

हरी मिर्च

44

48

रतलाम

कद्दू

15

18

रतलाम

भिन्डी

25

28

रतलाम

नींबू

35

42

रतलाम

फूलगोभी

15

16

रतलाम

बैंगन

13

16

रतलाम

आम

40

45

रतलाम

पपीता

14

16

रतलाम

खीरा

12

14

रतलाम

शिमला मिर्च

28

30

रतलाम

केला

30

लखनऊ

प्याज़

10

11

लखनऊ

प्याज़

12

13

लखनऊ

प्याज़

14

लखनऊ

प्याज़

15

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लखनऊ

प्याज़

10

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प्याज़

12

लखनऊ

प्याज़

15

लखनऊ

प्याज़

17

लखनऊ

लहसुन

25

लखनऊ

लहसुन

30

लखनऊ

लहसुन

30

38

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

आलू

17

18

लखनऊ

आम

30

32

लखनऊ

अनन्नास

20

25

लखनऊ

हरा नारियल

43

46

लखनऊ

मोसंबी

28

32

लखनऊ

शिमला मिर्च

50

60

लखनऊ

हरी मिर्च

40

45

लखनऊ

नींबू

40

45

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

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गुवाहाटी

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गुवाहाटी

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19

गुवाहाटी

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13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

20

गुवाहाटी

प्याज़

21

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

लहसुन

22

27

गुवाहाटी

लहसुन

28

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

गुवाहाटी

लहसुन

23

26

गुवाहाटी

लहसुन

27

35

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

गुवाहाटी

लहसुन

40

42

रतलाम

प्याज़

3

6

रतलाम

प्याज़

6

9

रतलाम

प्याज़

9

12

रतलाम

प्याज़

12

14

रतलाम

लहसुन

7

12

रतलाम

लहसुन

13

22

रतलाम

लहसुन

22

32

रतलाम

लहसुन

32

43

शाजापुर

प्याज़

3

5

शाजापुर

प्याज़

6

8

शाजापुर

प्याज़

9

13

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