फल मक्खी के पहचान
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यह कीट विकसित मुलायम फलों को क्षति पहुंचाते हैं।
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फल मक्खी का प्रकोप जुलाई से अक्टूबर माह तक जारी रहता है।
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इन कीटों की मादा मक्खी मुलायम फलों के गूदे में प्रवेश करके उसमें अपने अण्डे देती है। 1-2 दिन में (शिशु ) फलों के अंदर ही निकल आते हैं और फल के अंदर ही गूदे को खाकर विकसित होते हैं।
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साथ ही फलों के अंदर ही अपशिष्ट पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे फल सड़ने लगता है। फलों के क्षतिग्रस्त भाग से तेज गंध आने लगती है एवं फल टेड़े- मेड़े आकार के हो जाते हैं। इस कारण फलों की गुणवत्ता खराब होती है, जो कि फिर बिक्री योग्य नहीं रहते हैं।
फेरोमोन ट्रैप :-
यह एक प्रकार की विशेष गंध होती है, जो मादा पतंगा छोड़ती हैं। यह गंध नर पतंगों को आकर्षित करती है। विभिन्न कीटों द्वारा विभिन्न प्रकार के फेरोमोन छोड़े जाते हैं, इसलिए अलग-अलग कीटों के लिए अलग-अलग ल्यूर काम में लिए जाते हैं। कद्दू वर्गीय फसल में फल मक्खी की रोकथाम के लिए आईपीएम ट्रैप ( मेलोन फ्लाई ल्यूर) 8 से 10 ट्रैप प्रति एकड़ स्थापित करें।
रोकथाम
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बेनेविया (सायंट्रानिलिप्रोल 10.26% ओडी) @ 360 मिली + स्टिकर (सिलिको मैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के के हिसाब से छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण के लिए, बवे-कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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