Chemical management of leaf miner on garlic crop

  • आक्रमण की शुरुआती अवस्था में प्रभावित पौधे को खेत से बाहर निकाल दे या नष्ट कर दे | 
  • वेपकील (एसिटामप्रिड) @ 100 ग्राम /एकड़ का छिड़काव करे  या
  • कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 100 एमएल/एकड़ का छिड़काव करे या
  • एविडेंट (थाइमिथोक्सम) @ 5 ग्राम/पंप का छिड़काव करे या

एबासिन (एबामेक्टिन 1.8% ईसी) @ 150 एमएल का छिड़काव करे |  

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Nutrient management on garlic after 25 day

    • सूक्ष्म पोषक तत्व लहसुन की फसल की उपज बढ़ाने  के लिये प्रभावकारी होते है अतः फसल के विकास हेतु आप निम्नलिखित पोषक प्रबंधन का क्रम अपनाये |
    •  15 दिन बाद की अवस्था पर – 20 किलो यूरिया + 20 किलो 12:32:16 + 300 ग्राम/एकड़ विगोर का छिड़काव करे | 
    •  30 दिन बाद की अवस्था पर –  20 किलो यूरिया + मेक्सग्रो 8 किग्रा / एकड़ | 

 

  •  50 दिन बाद की अवस्था पर – कैल्शियम नाइट्रेट @ 6 किग्रा/एकड़ + जिंक सल्फेट @ 8 किग्रा/एकड़| 

 

 

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Irrigation management on garlic

  •  रोपण के उपरांत पहली सिचाई देनी चाहिये । 
  •   अंकुरण के तीन दिन पश्चात फिर से सिचाई करनी चाहिये।
  •   वनस्पति वृद्धि के एक सप्ताह बाद सिचाई क रना चाहिये। 
  •   आवश्यकता  अनुसार सिचाई  करते रहे। 
  •   जब कंद परिपक्त हो रहे हो तब सिचाई नही देना चाहिये।
  •   फसल को निकालने के 2-3 दिन पहले सिचाई करनी चाहिये जिससे की फसल को निकालने में आसानी होती है। 
  •   फसल के पकने के दौरान भूमि में नमी कम नही होना चाहिये अन्तः कंद के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ता है|
  •  10-15 दिनों में कंद का विकास होता है

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White fly in Garlic

  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों की सतह से रस चूसते हैं|
  • ग्रसित पत्तियाँ मुड़ने एवं सूखने लगती हैं|
  • ग्रसित पौधे की बढ़वार रुक जाती हैं|

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Control of Eriophyid mite in Garlic and Onion

  • व्यस्क एवं अवयस्क दोनों ही कोमल पत्तियों एवं कलियों के बीच में लहसुन एवं प्याज में रस चूसते है| पत्तियाँ पुरी नहीं खुल पाती है पूरे पौधे की छोटा, टेड़ा, घुमावदार एवं पीले धब्बे दार हो जाता है|
  • धब्बे अधिकाँश पत्तियों के किनारों पर दिखाई देते है|
  • माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए,  घुलनशील सल्फर 80% का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।  
  • अधिक प्रकोप होने पर प्रोपरजाईट 57% का  400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें |

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Stem and bulb nematode in Onion and Garlic

प्याज एवं लहसन में तना और कंद सुत्रकृमी:- नेमीटोड रंधो या पौधे के घावों के माध्यम से प्रवेश करती है और पौधों में गांठने या कुवृद्धि पैदा करती है। यह कवक और जीवाणु जैसे माध्यमिक रोगजनकों के प्रवेश द्वार के लिए स्थान देता है। इसके लक्षणों में वृद्धि अवरुद्ध हो जाना, कंदों में रंग हीनता और सूजन पैदा होती है।

प्रबंधन:- ·

  • कंद जो रोग के लक्षण दिखाते हैं वह बीज के लिए नहीं रखना चाहिए।·
  •  खेतों और उपकरणों का उचित स्वच्छता आवश्यक है क्योंकि यह निमेटोड संक्रमित पौधों और अवशेषों में जीवित रहता है और पुन: उत्पन्न कर सकता है।·
  • नेमीटोड के बेहतर नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरोन 3% दानेदार @ 10 किग्रा/एकड़ जमीन से दे|·
  • नेमीटोड के कार्बनिक नियंत्रण के लिए नीम खली @ 200 किग्रा/एकड़ जमीन से दे|

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Weed control in Garlic

लहसुन में खरपतवार नियंत्रण:-

  • पेंडिमेथालीन @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी या ऑक्सीफ़्लोर्फिन @15 मिली. / 15 लीटर पानी का उपयोग लगाने के 3 दिनों के बाद लहसुन में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है, इसके साथ ही फसल में लगाने के 25-30 दिनों के बाद और रोपण के 40-45 दिन बाद दो बार हाथ से निदाई करे।
  • चावल का भूरा घास या गेहूं पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाने के लिए सिफारिश की गई है।
  • ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव लगाने के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है|

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Management of Fusarium basal rot/basal rot

  • ट्राईकोडर्मा @ 6 किलोग्राम/एकड़

  • कार्बेन्डिज़िम + मनकोजेब (साफ/टर्फ) @ 1 किग्रा/एकड़

  • किटजाइन @ 1 लीटर/एकड़

  • कोनिका (कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45%) WP @ 300 ग्राम/एकड़।

  • ट्रिगर प्रो (हेक्साकोनाजोल 5% SC) @ 400 ml/एकड़ + स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट IP90% W/W + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड आईपी 10% W/W) 12 ग्राम/एकड़

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Fusarium rot/basal rot in garlic

  • पौधे की बढ़वार रुक जाती तथा पत्तियो पर पीला पन आ जाता हैं तथा पौधा ऊपर से नीचे की ओर  सूखता चला जाता हैं |

  • संक्रमण के प्रारंभिक चरण में, पौधों की जड़ें रंग में गुलाबी हो जाती हैं और सड़ने लगती हैं। बल्ब निचले सिरे से सड़ने लगता है और अंततः पूरा पौधा मर जाता है।

  • उत्तरजीविता और प्रसार: – रोगज़नक़ मिट्टी और लहसुन के बल्ब में रहता है |

  • अनुकूल परिस्थितियां: – नम मिट्टी और 27 डिग्री सेल्सियस तापमान रोग के विकास के लिए अनुकूल होता है।

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Sowing time, Planting and Seed Rate of Garlic

  • कलियों की चोपाई मध्य भारत में सितम्बर- नवम्बर तक की जाती हैं|
  • लहसुन की कलियॉं को गाँठ से अलग कर लें यह काम बुआई के समय ही करें|
  • कलियों का छिलका निकल जाने पर वह बुआई के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं|
  • कड़क गर्दन वाली लहसुन, जिसके एक एक कली कड़क और अलग अलग हो उपयुक्त होता हैं |
  • बड़ी कलियों (1.5 ग्राम से बड़ी) का चयन करना चाहिए| छोटे, रोग ग्रस्त एवं क्षति ग्रस्त कलियों को हटा दो |
  • लहसुन की बीज दर 160-200 किलो प्रति एकड़.
  • चयनित कलियों को 2 सेमी. की गहराई पर 15 X 10 सेमी. की दूरी पर लगना चाहिए|

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