आपकी लहसुन फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 16 से 20 दिन बाद- उर्वरको का भुरकाव

बेहतर विकास के लिए और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए यूरिया 25 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा + सल्फर 10 किग्रा मिलाएं प्रति एकड़ मिट्टी पर प्रसारित करें

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आपकी लहसुन फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 11 से 15 दिन बाद- रस चूसक कीटो एवं कवक रोगो की रोकथाम

उचित वनस्पति विकास को बढ़ावा देने के लिए और रस चूसक कीटों और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगोरमैक्स जेल) 400 मिली + एसीफेट 75% एसपी (ऐसीमेन) 300 ग्राम + कार्बेन्डेज़िम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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बुवाई के 3 से 5 दिन बाद- पूर्व उद्धभव खरपतवार के लिए छिड़काव

पूर्व उद्धभव खरपतवार के प्रबंधन के लिए पेण्डीमेथलीन 38.7% CS (धानुटॉप सुपर) 700 मिली प्रति एकड़ की दर की दर से छिड़काव करे। घास उगने के बाद रोपाई के 20-25 दिन में प्रोपॅक्वीझाफॉप ५% + ऑक्सिफ्लूरोफेन (डेकल) @ 350 मिली या क्विजालोफ इथाइल 5% ईसी (टरगा सुपर) 350 मिली प्रति एकड़ मिलकर छिड़काव करें.

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बुवाई के 1 से 2 दिन बाद- बेसल डोज एवं प्रथम सिचाई

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- यूरिया- 20 किलो, डीएपी- 30 किलो, एसएसपी- 50 किलो, एमओपी- 40 किलो, एनपीके बैक्टीरिया (एसकेबी फोस्टरप्लस बीसी-15)- 100 ग्राम, ज़िंक सोलुबलायज़िंग बैक्टीरिया (एसकेबी जेडएनएसबी)- 100 ग्राम, ट्राइकोडर्मा विराइड (राइजोकेयर) 500 ग्राम, समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा (मैक्समाइको) 2 किलो प्रति एकड़

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बुवाई से 1 दिन पहले- बीज़ उपचार

मृदा जनित कवक रोगो से बीज की रक्षा के लिए, बीज को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। बुवाई से तीन दिन पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।

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आपकी लहसुन फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई से 8 से 10 दिन पहले- खेत की तैयारी

5 टन गोबर खाद में 7.5 किग्रा कार्बोफ्यूरन ग्रैन्यूल (फुरी) डालें। ठीक से मिलाएं और एक एकड़ क्षेत्र के लिए मिट्टी में फैलाएं। कार्बोफ्यूरान ग्रैन्यूल मिट्टी में मौजूद मिट्टी के कीड़ों को नियंत्रित करने में मदद करेगा

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प्याज और लहसुन के भंडारण में इन बातों का रखें ध्यान

How to storage onion and garlic
  • कंद को पूरी तरह बिना पके हुए ही निकाल देने से कन्द के अन्दर खाली जगह बच जाती है, जो की बाद में गर्मी और नमी के प्रभाव में आकर सड़न पैदा करती है।
  • इस स्थिति से बचने के लिए कन्द के ऊपरी तने यानि सतह से उपरी भाग को 80% तक सूखने के बाद ही निकाले अतः इस स्थिति में पोधे का तना मुड़कर ज़मीन की और हो जाता है तब निकाले।
  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हो तो तने से कन्द को न काटे जब जरूरत हो तभी काटे। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दे।
  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धुप में सूखने दे। लहसुन कंद की जड़ को तब तक सूखने दे जब तक जड़े बिखर न जाये। फिर कंद से तने के बीच में 2 इंच की दुरी रख कर ही काटे ताकी उनकी परत हटने पर कलिया बिखरे नही और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।
  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। प्याज लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दे, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सडन पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सडन फैल जाती है।
  • मानसून में वातावरण नमी बढ़ जाती है और वो कंद को ख़राब करती है अतः भण्डारित किये गए प्याज लहसुन को समय समय पर देखते भी रहे। यदि कही कंदो से सड़न या बदबू आती है तो उस जगह से ख़राब कंदो को अलग कर ले अन्यथा वह अन्य उपज को भी ख़राब कर देता है।
  • अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए।
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प्याज व लहसुन के कंद को सड़न से बचाने हेतु इन बातों का रखें ध्यान

  • प्याज, लहसुन के अधिक समय तक भण्डारण के लिए भण्डारगृहों के तापमान तथा आद्रता का ध्यान रखना चाहिए।
  • जुलाई से सितम्बर तक नमी 70 प्रतिशत से अधिक होती है, इसकी वजह से इसमें सड़न बढ़ जाती है।
  • अक्टूबर-नवंबर में कम तापमान से सुषुप्तावस्था टूट जाती एवं प्रस्फुटन की समस्या बढ़ जाती है।
  • अच्छे भण्डारण के लिए भंडार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए।
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लहसुन एवं प्याज में मकडी का नियंत्रण

लहसुन एवं प्याज में मकडी का नियंत्रण:-

  • व्यस्क एवं अवयस्क दोनों ही कोमल पत्तियों एवं कलियों के बीच में लहसुन एवं प्याज में रस चूसते है| पत्तियाँ पुरी नहीं खुल पाती है पूरे पौधे की छोटा, टेड़ा, घुमावदार एवं पीले धब्बे दार हो जाता है|
  • धब्बे अधिकाँश पत्तियों के किनारों पर दिखाई देते है|
  • माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए,  घुलनशील सल्फर 80% का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।  
  • अधिक प्रकोप होने पर प्रोपरजाईट 57% का  400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें |

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Role of Calcium in Garlic

  • कैल्शियम लहसुन में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  • कैल्शियम से जड़ स्थापना में वृद्धि एवं कोशिकाओं का विस्तार को बढ़ता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है ।
  • यह रोग और ठण्ड से सहिष्णुता बढ़ता है यद्यपि लहसुन में कैल्शियम की सिफारिश की गई मात्रा उपज, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता के लिए अच्छी है।
  • कैल्शियम की अनुशंसित खुराक 4 किलोग्राम/एकड़ या मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार है।

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