Suitable climate for Garlic Cultivation

लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:-

  • लहसुन को विभिन्न जलवायु में उगाया जा सकता हैं|
  • हालांकि बहुत अधिक गर्म एवं ठन्डे तापमान पर नहीं उगाया जा सकता हैं वानस्पतिक वृद्धि एवं कंदों के विकास के समय ठंडा एवं नमी युक्त वातावरण एवं कंदो की परिपक्वता के समय गर्म एवं शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती हैं|
  • सामान्यत: बढ़वार के समय ठंडा मौसम अधिक उपज के लिए अच्छा होता हैं|
  • लम्बे समय तक 20°C या इससे कम तापमान 1-2 माह तक (लहसुन की किस्म के अनुसार) होने पर बलबिल्स बनते हैं ऐसे वातावरण में उत्पादन नहीं हो पाता हैं या छोटे कंद बनते हैं|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Harvesting of Garlic

  • किस्मों के आधार पर लहसुन, रोपाई  के 4 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • पौधों को हाथ से उखाड़ कर खेत में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता हैं।
  • फ़सल सुखने के बाद उन्हें बाज़ार की आवश्यकता के अनुसार काटा या बंडल बनाया जाता है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of White fly in Garlic

  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों की सतह से रस चूसते हैं|
  • ग्रसित पत्तियाँ मुड़ने एवं सूखने लगती हैं|
  • ग्रसित पौधे की बढ़वार रुक जाती हैं|

नियंत्रण

  • 5 किलो प्रति एकड़ के अनुसार कार्बोफुरोन 10 G जमीन से चोपाई के समय दें |
  • कीट दिखाई देने पर निम्न में से किसी एक कीटनाशक स्प्रे करें |
  • एसीफेट 75% एसपी @ 80-100 ग्राम प्रति एकड़
  • एसीटामाप्रीड 20% एसपी @ 100 ग्राम/ एकड़
  • बाइफेंथ्रीन 10% ईसी @ 200 मिली/ एकड़

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Role of Calcium in Garlic

  • कैल्शियम लहसुन में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
  • कैल्शियम से जड़ स्थापना में वृद्धि एवं कोशिकाओं का विस्तार को बढ़ता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है ।
  • यह रोग और ठण्ड से सहिष्णुता बढ़ता है यद्यपि लहसुन में कैल्शियम की सिफारिश की गई मात्रा उपज, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता के लिए अच्छी है।
  • कैल्शियम की अनुशंसित खुराक 4 किलोग्राम / एकड़ या मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार है।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Sowing time, Planting and Seed Rate of Garlic

लहसुन लगाने का समय, लगाने का तरीका एवं बीज दर:-

  • कलियों की चोपाई मध्य भारत में सितम्बर- नवम्बर तक की जाती हैं|
  • लहसुन की कलियॉं को गाँठ से अलग कर लें यह काम बुआई के समय ही करें|
  • कलियों का छिलका निकल जाने पर वह बुआई के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं|
  • कड़क गर्दन वाली लहसुन, जिसके एक एक कली कड़क और अलग अलग हो उपयुक्त होता हैं |
  • बड़ी कलियों (1.5 ग्राम से बड़ी) का चयन करना चाहिए| छोटे, रोग ग्रस्त एवं क्षति ग्रस्त कलियों को हटा दो |
  • लहसुन की बीज दर 400-500 किलो प्रति हे.
  • चयनित कलियों को 2 सेमी. की गहराई पर 15 X 10 सेमी. की दूरी पर लगना चाहिए|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Stem and bulb nematode in Onion and Garlic

प्याज एवं लहसन में तना और कंद सुत्रकृमी:- नेमीटोड रंधो या पौधे के घावों के माध्यम से प्रवेश करती है और पौधों में गांठने या कुवृद्धि पैदा करती है। यह कवक और जीवाणु जैसे माध्यमिक रोगजनकों के प्रवेश द्वार के लिए स्थान देता है। इसके लक्षणों में वृद्धि अवरुद्ध हो जाना, कंदों में रंग हीनता और सूजन पैदा होती है।

प्रबंधन:- ·

  • कंद जो रोग के लक्षण दिखाते हैं वह बीज के लिए नहीं रखना चाहिए।·
  •  खेतों और उपकरणों का उचित स्वच्छता आवश्यक है क्योंकि यह निमेटोड संक्रमित पौधों और अवशेषों में जीवित रहता है और पुन: उत्पन्न कर सकता है।·
  • नेमीटोड के बेहतर नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरोन 3% दानेदार @ 10 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|·
  • नेमीटोड के कार्बनिक नियंत्रण के लिए नीम खली @ 200 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Use of FYM in Garlic Cultivation

किसान का नाम:- मनीष पाटीदार

गाँव:- कनारदी

तेहसील और जिला:- तराना और उज्जैन

राज्य :- मध्य प्रदेश

किसान भाई मनीष जी ने 1 एकड़ लहसुन लगाई हे जिसमे उन्होंने खेत की तैयारी के समय प्रचुर मात्रा में गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद का उपयोग किया है जिससे उनकी फसल स्वस्थ हे और अभी तक कोई बीमारी भी नहीं आई है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Factors Affecting storage of Onion and Garlic

प्याज लहसून के भण्डारण को प्रभावित करने वाले कारक:- किस्म का चुनाव :- सभी किस्मो की भण्डारण क्षमता एक सी नहीं होती है। खरीफ में तैयार होने वाली किस्मों के प्याज टिकाउ नहीं हेाते हैं। रबी मौसम में तैयारी होने वाली किस्मों के प्याज साधारणत: 4-5 माह तक भण्डारित किये जाते हैं। यह किस्म के अनुसार कम या अधिक हो सकता है। पिछले 10-15 वर्षों के अनुभव बताते हैं कि एन-2-4-2, एग्रीफाउंड लार्इट रेड, अर्का निकेतन आदि किस्में 4-5 माह तक अच्छी तरह भण्डारित की जा सकती है। लहसुन की जी-1. जी- 2 ,जी 50 तथा जी 323 आदि जातियों को  6 से 8 महिने तक भण्डारण किया जा सकता हें

उर्वरक एवं  जल प्रबन्ध :- उर्वरकों की मात्रा, उसका प्रकार तथा जल प्रबन्ध का प्याज लहसुन  के भण्डारण पर प्रभाव पड़ता है। गोबर की खाद से भण्डारण क्षमता बढ़ती है। इसलिए अधिक मात्रा में गोबर की खाद या हरी खाद का उपयोग करना आवश्यक है। प्याज लहसून में प्रति हेक्टर 150 किग्रा. नत्रजन, 50 किग्रा.फास्फोरस तथा 50 किग्रा. पौटाश देने की सिफारिश की गर्इ है। यदि हो सके तो सारा नेत्रजन कार्बनिक खाद के माध्यम से देना चाहिए तथा नत्रजन की पूरी मात्रा रोपार्इ के 60 दिन से पहले दे देनी चाहिए। देर से नत्रजन देने से पौधों के तने (गर्दन) मोटे हो जाते हैं तथा प्याज में टिकते नहीं एवं फफुंदीजनक रोगों का अधिक प्रकोप होता है साथ ही प्रस्फुटन भी अधिक होता है। पोटेशियम की मात्रा 50 किग्रा. से बढ़ाकर 80 किग्रा. प्रति हेक्टर तक देनी चाहिए। इसी प्रकार का 50 किग्रा. प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करने से प्याज लहसुन की भण्डारण क्षमता व गुणवत्ता बढ़ती है। गन्धक की पूर्ति के लिए अमोनियम सल्फेट, सिंगल सुपर फास्फेट या पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग करने से रोपार्इ के बाद पौधों को पर्याप्त मात्रा में गन्धक मिलता है

भण्डारण गृह का वातावरण :- प्याज लहसुन के अधिक समय तक भण्डारण के लिए भण्डारगृहों का तापमान तथा अपेक्षाकृत आद्रता महत्वपूर्ण कारक है। अधिक आर्द्रता (70% से अधिक) प्याज के भण्डारण का सबसे बडी शत्रु है। इससे फफुंदों का प्रकोप भी बढ़ता है व प्याज सड़ने लगता है।  इसके विपरीत आर्द्रता कम (65% से अधिक) होने पर प्याज के वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है तथा वजन में कमी अधिक होने लगती है। अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए। मर्इ-जून के महीनों में भण्डारगृहों का तापमान अधिक होने से तथा नमी कम होने से वजन में कमी अधिक होती है। जुलार्इ से सितम्बर तक नमी 70 प्रतिशत से अधिक होती है। इससे सड़न बढ़ जाती है। इसी समय कम तापमान से अक्टूबर-नवम्बर में ससुप्ताविस्था टूट जाती एवं प्रस्फुटन की समस्या बढ़ जाती है।

Share

Growing Healthy Garlic Crop

किसान का नाम:-  श्री सालिकराम जी चंदेल

ग्राम:- धन्या

तहसील:- देपालपुर, जिला:- इंदौर

राज्य:- मध्य प्रदेश

जैविक उर्वरक मायकोराईजा(VAM):- मायकोराईजा फफूंद मायसेलिया और पौधे की जड़ों के बीच गठबंधन है। VAM एक कवक है जो पौधों की जड़ों में प्रवेश करता है जिससे उन्हें मिट्टी से पोषक तत्व लेने में मदद मिलती है।VAM मुख्य रूप से फास्फोरस, जस्ता और सल्फर पोषक तत्वों को लेने में मदद करता है|  VAM हाईफा पौधों के जड़ो  के आसपास नमी बनाए रखने में मदद करता है। ग्रामोफोन के सुझाव पर जैविक उर्वरक माईकोराईज़ा का उपयोग लहसुन में किया है जिससे फसल स्वस्थ एवं कीट -बीमारियों रहित है तथा किसान श्री सालिकराम जी खुश है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Time for Fertilization in Garlic

लहसुन में खाद देने का समय:-

  1. खेत की तैयारी के समय
  2. लगते समय
  3. लगाने के 20-30 दिन बाद
  4. लगाने के 30-45 दिन बाद
  5. लगाने के 45-60 दिन बाद
  6. यदि किसी कारण से खाद की पुरी मात्रा नहीं दी गयी है तो कुछ जल्दी घुलने वाले उर्वरक 75 दिन की अवस्था में दिए जा सकते है |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share