Control of damping off in tomato

  • प्रायः फंगस का आक्रमण अंकुरित बीजों के द्वारा शुरू होता है, जो धीरे-धीरे नई जड़ से फैलकर तनों के निचले भागों एवं विकसित हो रही मूसला जड़ों पर होता है।
  • इससे संक्रमित पौधों के तनों के निचले भाग पर हल्के-हरे, भूरे एवं पानी के रंग के जले हुये धब्बे दिखाई देते है।
  • पौधशाला की सतह कम से कम 10 से.मी. ऊँची बनना चाहिये।
  • बीज को कार्बेन्डाजिम 50% WP @ 2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन के नियंत्रण के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से जड़ो के पास ड्रेंचिंग करे।

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Control of fusarium wilt in watermelon

  • रेतीली मिट्टी में यह रोग अधिक पाया जाता है।
  • संक्रमित पौधो को नष्ट करें।
  • रोग मुक्त बीज का उपयोग करे।
  • बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें।
  • जब तरबूज के पौधे पर बीमारी दिखाई दे तो प्रोपिकोनाजोल @ 80-100 मिली/एकड़ का प्रयोग करें।

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Control of damping off in coriander

  • इस बीमारी मे बीज या तो मिट्टी से बाहर निकलने से पहले ही सड़ जाते हैं या उगने के तुरंत बाद गिर जाते हैं।
  • धनिया की बुवाई से पहले, खेत की गहरी जुताई कर पुरानी फसल के अवशेषों व खरपतवारो को नष्ट करे|
  • रोग रहित बीज तथा प्रतिरोधी किस्मो का उपयोग करें |
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज की दर से बुवाई से पहले उपचारित करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू पी 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ो के पास छिड़काव करें|

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Downy mildew control in muskmelon

  • पत्तियों की निचली सतह पर पानी वाले धब्बे बन जाते हैं|
  • जब पत्तियों के निचली सतह पर पानी वाले धब्बे होता हैंं, प्रायः उसी के अनुरूप ही ऊपरी सतह पर कोणीय धब्बे बनते हैंं।
  • धब्बे सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर बनते हैंं जो धीरे-धीरे नई पत्तियों पर फैलते हैंं।
  • जब धब्बे फैलने लगते हैं तो यह पीली और फिर भूरे एवं सूखे हुए होते हैं|
  • ग्रसित लताओं पर फल नही लगते हैंं।
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • मैंकोजेब 75% WP @ 350-400 ग्राम / एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 200-250 ग्राम / एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें|
  • फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैंं।

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Anthracnose control in watermelon

  • खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये।
  • बीजों को कार्बोंन्डाजिम 50% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
  • 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Seed Treatment in green gram

बुवाई से पहले बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिये।

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Downy mildew control in watermelon

  • पत्तियों की निचली सतह पर पानी वाले धब्बे बन जाते हैं|
  • जब पत्तियों के निचली सतह पर पानी वाले धब्बे होता हैंं, प्रायः उसी के अनुरूप ही ऊपरी सतह पर कोणीय धब्बे बनते हैंं।
  • धब्बे सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर बनते हैंं जो धीरे-धीरे नई पत्तियों पर फैलते हैंं।
  • जब धब्बे फैलने लगते हैं तो यह पीली और फिर भूरे एवं सूखे हुए होते हैं|
  • ग्रसित लताओं पर फल नही लगते हैंं।
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • मैंकोजेब 75% WP @ 350-400 ग्राम / एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 200-250 ग्राम / एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें|
  • फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैंं।

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Control of gummy stem blight in bottle gourd

  • इस बीमारी में पोधे की जड़ो को छोड़कर सभी भागो में संक्रमण हो जाता है|
  • प्रारम्भिक लक्षण पोधे की पत्ती के किनारों पर पीलापन /हरिम्हीनता दिखाई पड़ती है,और सतह पर जल भरे हुवे धब्बे दिखाई देते है|
  • इस रोग से ग्रसित पोधे के तने पर घाव बन जाते हैं जिससे लाल-भूरे, काले रंग का चिपचिपा पदार्थ (गम) निकलता हैं|  तने पर भूरे-काले रंग के धब्बे बन जाते जो बाद में जाकर घाव से मिल जाते हैं |
  • लौकी के बीजो पर मध्यम-भूरे, काले धब्बे पड़ जाते है|

प्रबंधन:

  • स्वस्थ बीजो का चयन करें |
  • रोपाई का निरीक्षण करें एवं संक्रमित पोधौ को उखाड़ कर खेत से बाहर फैंक दें|
  • बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत ही क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 350 ग्राम/ एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/ एकड़ का घोल बना कर छिड़काव करें|

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Alternaria leaf blight control in bottle gourd

  • पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बन  जाते है जो भूरे रंग से परिवर्तित होकर काले रंग के हो जाते है।
  • ये धब्बे किनारों से शुरू  होते है जो बाद में संकेन्द्रीय रूप धारण कर लेते है।
  • अत्यधिक ग्रसित लताओं के अन्दर चारकोलनुमा पावडर जमा हो जाता है।
  • बीमारी की रोकथाम करने हेतु खेतों की सफाई करें एवं फसल चक्र अपनाएँ।
  • फफूंदनाशक 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75 % डब्ल्यू पी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी @ 300 मिली / एकड़ का स्प्रे करे |
  • क्लोरोथालोनिल 75 डब्ल्यू पी @ 300  ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।

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Collar rot control in bottle gourd

  • तने के आधार पर गहरे भूरे हरे रंग के जल युक्त धब्बों का निर्माण हो जाता है। अंततः संपूर्ण पौधा सड़ कर मर जाता है ।
  • इस बीमारी के संक्रमण अवस्था पर सफेद रंग के धागेनुमा तंतुओं का विकास हो जाता है।
  • ग्रसित पौधे आसानी से तने के आधार वाले भाग से भूमि से उखड़ जाते है, किन्तु पौधे का जड़ वाला भाग भूमि के अंदर ही रह जाता है।
  • बीजों को बुवाई के पूर्व कार्बेन्डाजिम @ 2.5 ग्राम प्रति कि. ग्राम बीज की दर से उपचारित करे।
  • बीजों की बुवाई ऊपरी क्यारियों वाली सतह पर करनी चाहिये।
  • जड़ों के पास मेंकोजेब 63% + कार्बेन्डाजिम 12% WP @  400 ग्राम / एकड़ या थायोफनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम / एकड़ फफूँदनाशक का ड्रेंचिंग करे।
  • खेत में पहले से लगी हुई फसल के अवशेष को भूमि गहराई में दबा देना चाहिये।

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