Management of Wilt in Pea

मटर में उकठा रोग का प्रबंधन:-

  • विकसित कोपल एवं पत्तियों के किनारों का मुड़ना एवं पत्तियों का वेल्लित होना इस रोग को प्रथम एवं मुख्य लक्षण है ।  
  • पौधों के ऊपर के हिस्से पीले हो जाते हैं, कलिका की वृद्धि रुक जाती है, तने एवं ऊपर की पत्तियां अधिक कठोर, जड़ें भंगुर व नीचे की पत्तियां पीली होकर झड़ जाती है ।  
  • पूरा पौधा मुरझा जाता है व तना नीचे की और सिकुड़ जाता है ।

नियंत्रण:-

  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  5 ग्राम/किलो बीज से  बुवाई के पूर्व  बीजोपचार करें व अधिक संक्रमित क्षेत्रों में जल्दी बुवाई न करें ।
  • 3 वर्ष का फसल चक्र अपनायें  ।
  • इस रोगों को आश्रय देने वाले निंदाओं को नष्ट करें ।
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

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Seed treatment of Potato

आलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम/ एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेंकोजेब 63% WP @ 200 ग्राम/एकड़ से करना चाहिए |

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