Control of anthracnose in bottle gourd

  • खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये।
  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 50% WP फफूदनाशक के द्वारा 2.5 ग्राम की दर से उपचारित करें।
  • 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75%डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Control of downy mildew in Snake gourd

  • अधिक नमी वाले मौसम के दौरान, फसल पत्तियों की निचली सतह पर है।
  • पत्तिया जल्द ही पूरी तरह से सूख जाती है।
  • अच्छी जल निकासी और हवा की आवाजाही के साथ साथ अच्छी तरह धूप की उपलब्धता के लिए चौड़ी नालियों वाली क्यारियों बनानी चाहिए इससे रोग का फैलाव कम होता हैं|
  • मैंकोजेब 75% WP @ 350-400 ग्राम /एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 200-250 ग्राम /एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें|

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Control of Powdery Mildew of Snake gourd

  • पत्तियों पर सफ़ेद या धूसर रंग के धब्बों का निर्माण होता है| जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग का पाउडर में बदल जाते है|
  • पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 300 मिली. प्रति एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 400 ग्राम प्रति एकड़ का घोल बनाकर छिडकाव करें|

 

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Control of Blight in Maize

मक्का का यह रोग फफूंद जनित रोग है जो की फसल की विभिन्न अवस्थाओ पर लगता है इसके लक्षण पत्तियो पर तथा मक्का के भुट्टों पर देखने को मिलते है शुरुआती लक्षण के रूप में पनीले धब्बे पत्तियों पर बनते है, जो बाद में बड़े होते जाते है जिनका रंग धूसर भूरा होता है|

  • फसल चक्र अपनाने से फसल अवशेषों में उपस्थित रोग को कम किया जा सकता है|
  • खेत की अच्छे  से जुताई करने से भी फसल अवशेषों को ख़त्म कर देती है |
  • उपज में होने वाले नुकसान को कम करने के लिए फफूंदीनाशक का स्प्रे करे |
  • मेंकोजेब 75% WP 400 ग्राम या मेटालेक्ज़ील 35% WS 150 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें|

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Management of Black Rust disease in Wheat

  • यह फफूंद पौधों की पत्तियों और तनों पर लम्बे,अण्डाकार आकृति में लाल-भूरे रंग के धब्बे बनाता है|
  • संक्रमण के 10-20 दिनों के बाद धब्बे देखे जा सकते है|
  • कुछ दिनों बाद यह धब्बे फट जाते है और इनमे से पाउडरी तत्त्व निकलता है|
  • रोग विभिन्न माध्यमों जैसे -सिंचाई, बरसात और हवा के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचता है और अन्य फसलों को क्षति पहुँचाता है |
  • काला कण्डुआ अन्य कण्डुआ की तुलना में अधिक तापमान 18 -30°से.ग्रे.पर फैलता है|

नियंत्रण-

  • कंडुआ रोग के नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए|
  • रोग प्रति-रोधी किस्मों की बुवाई करें |
  • बीज उपचार बुवाई के चार सप्ताह तक कण्डुआ को नियंत्रित कर सकता है और उसके बाद इसे दबा सकते है।
  • एक ही सक्रिय घटक वाले कवकनाशी का बार-बार उपयोग नहीं करें।
  • कासुगामीसिन 5%+कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ई.सी.240 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें|

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Seed Treatment in Bitter gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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Seed Treatment in Bottle gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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Seed Treatment in snake gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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Seed treatment of Muskmelon

खरबूज में बीज उपचार:-

  • खरबूज बुवाई से लेकर कटाई तक विभिन्न बिमारियों से ग्रसित रहता है जिस कारण इसका उत्पादन कम हो जाता है|
  • खरबूज के इन रोगो के नियंत्रण के लिए एवं इसके प्रकोप को कम करने के लिए बीज उपचार एक महत्वपूर्ण काम है|
  • बीज को कार्बेन्डाजिम 50% WP 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए|
  • या फिर कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37. 5 % ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए|
  • वायरस के कारण आने वाले रोग को रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस (48%) 1 एम.एल./किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रसायन से बीज उपचारित करने के उपरांत बीज को ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 4 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर सकते है|
  • एक केमिकल के बाद दूसरे केमिकल से उपचार करने के मध्य 20-30 मिनिट का अंतराल रखना चाहिए|
  • बीज को उपचार करने के बाद इसे लगभग 30 मिनिट तक छाँव वाले स्थान पर सुखाना चाहिए|

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Management of Black Scurf Disease of Potato

आलू में काला चित्ती रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग के कारण आलू की त्वचा पर काली सतह बन जाती है|
  • कन्दो का राइजोकटोनिया से संक्रमित मिट्टी के संपर्क मे आने से यह रोग फैलता है|
  • इस रोग के लक्षण पौधों के ऊपरी एवं निचले दोनों भागो में देख सकते है|
  • इस रोग के कारण पौधे के ऊपरी भाग में हरापन कम होने लगता है एवं पत्तियाँ बैंगनी रंग की दिखाई देती है|
  • पौधों के निचले भागों जैसे -जड, कन्द इत्यादि मे धब्बे बनने लग जाते है|
  • कन्द मे रोग आने के कारण इसकी गुणवत्ता के साथ-साथ इसका बाजार भाव भी कम हो जाता है|

प्रबंधन:-

  • फसल को लगाने से पहले मृदा के पौषक तत्त्व एवं पी.एच.की जाँच करा लेना चाहिए| मृदा का पी.एच.कम होने की दशा में यह रोग फ़ैल नहीं पाता है|
  • ऐसी जगह जहाँ यह रोग हर साल आता है उस स्थान पर आलू की फसल नहीं लेना चाहिए|
  • प्रमाणित कन्दों का ही उपयोग करें यदि ऐसा संभव ना हो सके तो कन्दों को फफूँदनाशक से उपचार करके ही बोए|
  • सल्फर 90% wdg @ 6 किलो/प्रति एकड़ आवश्यक रूप से दे | या अमोनियम सल्फेट खाद का उपयोग करें |
  • रोग के उपचार के लिए कन्दों को पेंसिकुरोन 250 सी.एस. 25 मिली /क्विंटल कन्द या पेनफ्लूफेन 10 मिली/ क्विंटल कन्द की दर से उपचारित करें|

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