गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी से बने पंचगव्य से बढ़ाएं फसल की उपज

Increase crop yield with Panchgavya made of 5 cow products
  • पंचगव्य को गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी के मिश्रण से तैयार किया जाता है।
  • इसका उपयोग खेतों की उर्वरा शक्ति एवं फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही यह पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • पंचगव्य एक अत्यधिक प्रभावी जैविक खाद है। इसका निर्माण देसी गाय के पांच उत्पादों से होता है। देशी गाय के उत्पादों में पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त व संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं।
  • इसकी मदद से भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी होती है और फसल में रोग व कीट का प्रभाव कम हो जाता है।
  • यह उत्पाद सरल एवं सस्ती तकनीक पर आधारित है।
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इंदौर, उज्जैन, रतलाम, देवास और धार में अगले दो दिन होगी बारिश

weather forecast

उत्तर भारत के पहाड़ों से लेकर मैदानी राज्यों तक अगले 24 घंटों के दौरान हल्की वर्षा होने की संभावना है। इसके बाद मौसम साफ हो जाएगा। जबकि महाराष्ट्र से लेकर गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु में अगले तीन-चार दिनों के दौरान व्यापक वर्षा जारी रहेगी।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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मध्यप्रदेश के इस शहर में सड़क पर गोबर करने पर पशु मालिक को देना पड़ा जुर्माना

Animal owner was fined for dung on the road in this city of Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश के ग्वालियर नगर निगम द्वारा कुछ ऐसा किया गया है जिससे पशुपालकों में नाराज़गी है। दरअसल ग्वालियर नगर निगम द्वारा एक डेयरी संचालक पर 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना एक भैंस के गोबर करने पर उसके मालिक को भरना पड़ा।

इस जुर्माने के बारे में नगर निगम ने कहा कि जुर्माना लगाने का आशय पशुपालकों में डर का माहौल पैदा करना नहीं, बल्कि सड़कों को साफ रखना है। निगम ने कहा कि किसी भी कारण से सड़कों की गंदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर कोई भी सड़क पर गंदगी करता पाया जाएगा, तो उसे कानून दण्डित किया जाएगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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ऐसे करें सरसों की फसल में एफिड के प्रकोप से बचाव

aphid outbreak in mustard crop
  • एफिड सरसों की फसल में होने वाला एक प्रमुख कीट है जिसे माहू और चेपा के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस कीट का शिशु एवं प्रौढ़ दोनो ही रूप पौधों के कोमल तने, पत्तियों, फूलों एवं नई फलियों से रस चूसकर उसे कमजोर करते हैं।
  • इसके साथ ही ये अपने तेज़ मुख से पत्तियों को खुरचते हैं और उनका रस चूसते हैं।
  • इसके कारण सरसों की पत्तियों पर काले कवक का प्रकोप हो जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभी भावित हो जाती है।
  • इस कीट का प्रकोप दिसम्बर-जनवरी से लेकर मार्च तक बना रहता है और बादल घिरे रहने पर इसका प्रकोप तेजी से होता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 30.5% SC@ 100 मिली/एकड़
    या फ्लोनिकामिड 50% WG@ 60 मिली/एकड़
    या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मध्य प्रदेश के करनावद में बनेगी आलू चिप्स बनाने की इकाई, किसानों को होगा लाभ

Potato chips manufacturing unit to be built in Karnawad Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश के देवास में पिछले दिनों राज्य पोषित योजनान्तर्गत आलू की फसल के लिए प्रसंस्करण संबंधी कृषक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे विधायक श्रीमती गायत्री राजे पंवार और कलेक्टर श्री चंद्रमौली शुक्ला। इस प्रशिक्षण में 250 किसान सम्मिलित हुए l

इस दौरान कलेक्टर श्री चंद्रमौली शुक्ला ने जानकारी दी कि बागली अनुभाग के करनावद में फूड प्रोसेसिंग का क्लस्टर बनाकर आलू चिप्स बनाने की इकाई आरम्भ की जा रही है। उन्होंने कहा की इस नई शुरुआत से किसानों की आय दोगुनी हो जायेगी। उन्होंने कहा की किसानों द्वारा उत्पादित आलू सीधे मंडी में बेचने से अच्छे दाम नहीं मिलते, इसलिए वे आलू का प्रसंस्करण कर अच्छी आय अर्जित कर सकते हैंl

स्रोत: कृषक जागरण

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में बारिश का मौसम बरकरार रहेगा

weather forecast

आने वाले 48 घंटे में देश के कई क्षेत्रों में पुनः बारिश की संभावना बनी हुई है। इस बीच मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों महाराष्ट्र के अधिकांश भागों, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में भी बारिश का मौसम बरकरार रहेगा।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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टमाटर की फसल में फल छेदक का नियंत्रण कैसे करें

How to control fruit borer in tomato
  • फल छेदक कीट टमाटर की फसल को काफी नुकसान पहुँचाते हैं।
  • इस कीट का वयस्क भूरे रंग का तथा इल्ली हरे रंग की होती है।
  • इस कीट की सबसे हानिकारक अवस्था ही इल्ली होती है।
  • इल्ली शुरूआती अवस्था में मुलायम पत्तों पर हमला करती है तथा बाद में फलों पर आक्रमण करती है।
  • यह इल्ली टमाटर के फल के अंदर घुस कर अंदर ही अंदर पूरे फल को नष्ट कर देती है।
  • एक इल्ली 8-10 फलों को नष्ट करने में सक्षम होती है जिससे यह कीट टमाटर की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान पहुंचाती है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 50% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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फसलों में सिंगल सुपर फॉस्फेट के उपयोग से मिलते हैं कई फायदे

The use of single super phosphate in crops gives many benefits
  • सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) भूरे या या राख के रंग के सख्त दानेदार पाउडर के दानों वाला उर्वरक होता है।
  • इस उर्वरक के दाने आसानी से हाथ से नहीं टूटते हैं।
  • दानेदार एसएसपी में नाईट्रोजन की मात्रा – 0% फास्फोरस – 16% सल्फर की मात्रा – 11% कैल्शियम – 19% तथा जिंक – 1% होता है।
  • एसएसपी बाकी दूसरे खाद से कम घुलनशील है, इसका प्रयोग हमेशा जुताई के समय कराना चाहिए।
  • एसएसपी का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में भी किया जा सकता है जिसका फायदा पौधों को अंकुरण के समय अधिक होता है।
  • एसएसपी का उपयोग सही समय पर करने से फल एवं फूल अधिक मात्रा में लगते हैं।
  • एसएसपी के उपयोग से फसलों में फास्फोरस, सल्फर, कैल्शियम तथा ज़िंक की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
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पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष रबी फ़सलों की बुआई हुई अधिक

देश में रबी फ़सलों की बुआई अब लगभग पूरी हो चुकी है। अब तक 597 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि पर बुआई की गई है। इस सीजन के बुआई का आंकड़ा पिछले साल की तुलना में अधिक है। पिछले साल इस समय तक 573.23 लाख हेक्टेयर में बोनी की गई थी वहीं इस साल ये आंकड़ा बढ़कर 597.92 लाख हेक्टेयर हो गया है।

अगर बात करें रबी सीजन के मुख्य फसल गेहूँ की तो देश में अब तक गेहूँ का रकबा 313.24 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले वर्ष इस अवधि में यह आंकड़ा 297.39 हेक्टेयर ही था। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार रबी सीजन में बुआई बेहतर होगी तथा उत्पादन भी अच्छा होने की उम्मीद है।

स्रोत: कृषक जगत

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गेहूँ की फसल में पीलेपन की समस्या का ऐसे करें नियंत्रण

How to prevent yellowing problems in wheat crops
  • गेहूँ की फसल में 35-40 दिनों की अवस्था में पीलेपन की समस्या दिखाई देती है।
  • यह समस्या गेहूँ की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • इसके अलावा 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ या 20:20:20 @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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