ऐसे करें सरसों की फसल में एफिड के प्रकोप से बचाव

  • एफिड सरसों की फसल में होने वाला एक प्रमुख कीट है जिसे माहू और चेपा के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस कीट का शिशु एवं प्रौढ़ दोनो ही रूप पौधों के कोमल तने, पत्तियों, फूलों एवं नई फलियों से रस चूसकर उसे कमजोर करते हैं।
  • इसके साथ ही ये अपने तेज़ मुख से पत्तियों को खुरचते हैं और उनका रस चूसते हैं।
  • इसके कारण सरसों की पत्तियों पर काले कवक का प्रकोप हो जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभी भावित हो जाती है।
  • इस कीट का प्रकोप दिसम्बर-जनवरी से लेकर मार्च तक बना रहता है और बादल घिरे रहने पर इसका प्रकोप तेजी से होता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 30.5% SC@ 100 मिली/एकड़
    या फ्लोनिकामिड 50% WG@ 60 मिली/एकड़
    या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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