देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं? |
|||
मंडी |
फसल |
न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में) |
अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में) |
विजयवाड़ा |
गाजर |
32 |
35 |
विजयवाड़ा |
शिमला मिर्च |
55 |
– |
विजयवाड़ा |
खीरा |
25 |
– |
विजयवाड़ा |
पत्ता गोभी |
20 |
– |
विजयवाड़ा |
अदरक |
60 |
– |
विजयवाड़ा |
लहसुन |
65 |
– |
विजयवाड़ा |
करेला |
25 |
– |
विजयवाड़ा |
हरी मिर्च |
30 |
– |
विजयवाड़ा |
आलू |
23 |
– |
विजयवाड़ा |
बैंगन |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
16 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
17 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
16 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
17 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
16 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
22 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
24 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
25 |
– |
गुवाहाटी |
लहसुन |
22 |
27 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
35 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
23 |
26 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
27 |
35 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
वाराणसी |
प्याज़ |
10 |
11 |
वाराणसी |
प्याज़ |
12 |
14 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
15 |
वाराणसी |
प्याज़ |
15 |
16 |
वाराणसी |
प्याज़ |
10 |
11 |
वाराणसी |
प्याज़ |
13 |
14 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
15 |
वाराणसी |
प्याज़ |
16 |
17 |
वाराणसी |
लहसुन |
12 |
18 |
वाराणसी |
लहसुन |
17 |
25 |
वाराणसी |
लहसुन |
25 |
30 |
वाराणसी |
लहसुन |
30 |
35 |
स्वर्ण शक्ति धान लगाने से किसानों को होगा दोहरा फायदा
खरीफ सीजन में अधिकतर किसान भाई धान की खेती करते हैं। हालांकि दूसरी फसलों के मुकाबले धान की फसल में ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है। वहीं परम्परागत तरीके से एक किग्रा चावल उत्पादन प्राप्त करने में लगभग 3 हजार से 5 हजार लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। यह भी भूमिगत जलस्तर के नीचे जाने का एक मुख्य कारण है।
ऐसे में पानी की बचत को लेकर राज्य सरकारें धान की सीधी बुवाई पर जोर दे रही हैं। अगर आप भी सरकार की इस मुहिम में जुड़कर पानी की बढ़ती कमी को रोकना चाहते हैं तो, धान की खेती के लिए इसकी सीधी बुवाई एक अच्छा विकल्प है। इसके लिए आपको विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
धान की सीधी बुवाई के लिए ध्यान रखने योग्य बातें
सीधी बुवाई के लिए धान की सही किस्म का चयन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए धान की ऐसी किस्म का चयन करें जिससे सूखे की स्थिति या कम पानी में भी बढ़िया पैदावार प्राप्त हो सके। कृषि विशेषज्ञों ने एक ऐसी ही ‘स्वर्ण शक्ति धान’ की किस्म तैयार की है, जो धान के किसानों के लिए वरदान साबित हुई है।
जानें स्वर्ण शक्ति धान की विशेषताएं
-
स्वर्ण शक्ति धान की खेती कम पानी या फिर अंसिचित क्षेत्र में भी बढ़िया तरीके से की जा सकती है।
-
इसकी सीधी बुवाई बिना कीचड़ एवं बिना जल जमाव वाली वायवीय मिट्टी में कर सकते हैं।
-
इस धान की किस्म की फसल अवधि मात्र 115 से 200 दिन की होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 4 से 5 टन चावल का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
-
यह एक उच्च गुणवत्ता वाली धान की किस्म है, जिसमें सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में मुख्यत: जिंक और लोहा प्रचुर मात्रा में जाए जाते हैं।
स्रोत: किसान समाधान
Shareकृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।
मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे लहसुन के भाव?
मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे देवास, जावरा, भोपाल और मनावर आदि में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
भोपाल |
600 |
1800 |
देवास |
200 |
800 |
जावरा |
982 |
11000 |
कुक्षी |
1400 |
2200 |
मनावर |
2300 |
2500 |
मनावर |
2400 |
2600 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
मध्यप्रदेश मंडियों में क्या चल रहे टमाटर के भाव?
आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे भोपाल, खरगोन, देवास, धार और हाटपिपलिया आदि में क्या चल रहे हैं टमाटर के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में टमाटर के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
बड़वानी |
1500 |
1500 |
भोपाल |
1000 |
1800 |
देवास |
500 |
1500 |
धार |
950 |
1300 |
धार |
1950 |
2500 |
हाटपिपलिया |
1800 |
2800 |
खरगोन |
800 |
2500 |
खरगोन |
500 |
2000 |
कुक्षी |
1500 |
2200 |
मनावर |
2267 |
2467 |
मनावर |
2400 |
2600 |
पंधाना |
800 |
860 |
पोरसा |
2000 |
2000 |
शिवपुरी |
1200 |
1200 |
सिंगरोली |
2000 |
2000 |
स्रोत: एगमार्कनेट प्रोजेक्ट
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी टमाटर जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। वीडियो पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
जानिए, सोयाबीन की फसल में सल्फर क्यों है जरूरी?
👉🏻गत वर्षों से संतुलित उर्वरकों के अन्तर्गत केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश के उपयोग पर ही बल दिया जा रहा था। सल्फर के उपयोग पर विशेष ध्यान न दिये जाने के कारण मृदा परीक्षण के दौरान मिट्टी में गंधक (सल्फर) की कमी पाई गई। आज उपयोग में आ रहे सल्फर रहित उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी, एनपीके तथा म्यूरेट आफ पोटाश के उपयोग से सल्फर की कमी निरंतर बढ रही है। इस नतीजे को ध्यान में रखते हुए सल्फर का खेत में डालना बहुत जरूरी है।
👉🏻पौधों के उचित वृद्धि तथा विकास के लिये आवश्यक 18 तत्वों में से गंधक एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा को बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है। सल्फर द्वितीयक पोषक तत्व है इसकी बड़ी मात्रा में पौधों को आवश्यकता होती है।
👉🏻सोयाबीन की उच्च पैदावार के लिए उचित पोषण प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है सोयाबीन में सल्फर की मांग बीज भराव के दौरान अधिकतम होती है, क्योंकि सोयाबीन के बीज में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिए बीज बनने के दौरान सोयाबीन में समुचित प्रोटीन निर्माण के लिए सल्फर और नाइट्रोजन पोषण में संतुलन बहुत ही महत्वपूर्ण है।
👉🏻सोयाबीन की फसल में सल्फर आपूर्ति के लिए मुख्यतः – बेंटोनाइट सल्फर और परंपरागत सल्फर युक्त उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है, सोयाबीन जैसी कम दिनों की फसलों में सल्फर की तुरंत और लगातार आपूर्ति के लिए, ग्रोमर सल्फर 90% जीआर या ग्रोमर सल्फा मैक्स 90% जीआर @ 5 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग कर सकते है।
Shareमहत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
ज्यादातर राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, देखें मौसम पूर्वानुमान
मुंबई और उसके आसपास के जिलों में भारी बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो रहा है। अगले 3 दिनों के दौरान दक्षिणी गुजरात मुंबई तथा कर्नाटक के तटीय भागों में भारी बारिश होगी। गुजरात दक्षिण पश्चिमी मध्य प्रदेश तथा दक्षिणी राजस्थान में भी मूसलाधार बारिश से कई जगहों पर पानी भरने की आशंका है। दिल्ली पंजाब और हरियाणा में हल्की बारिश। उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाके अभी शुष्क बने रहेंगे।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareमौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर जरूर करें।
देश के विभिन्न मंडियों में 6 जुलाई को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?
देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं? |
|||
मंडी |
फसल |
न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में) |
अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में) |
रतलाम |
आलू |
20 |
22 |
रतलाम |
टमाटर |
32 |
36 |
रतलाम |
हरी मिर्च |
25 |
30 |
रतलाम |
अदरक |
23 |
25 |
रतलाम |
कद्दू |
10 |
14 |
रतलाम |
आम |
40 |
45 |
रतलाम |
आम |
32 |
– |
रतलाम |
आम |
30 |
33 |
रतलाम |
पपीता |
14 |
16 |
रतलाम |
नींबू |
25 |
35 |
रतलाम |
बैंगन |
13 |
16 |
रतलाम |
फूलगोभी |
15 |
18 |
रतलाम |
प्याज़ |
4 |
6 |
रतलाम |
प्याज़ |
8 |
11 |
रतलाम |
प्याज़ |
12 |
14 |
रतलाम |
प्याज़ |
14 |
15 |
रतलाम |
लहसुन |
7 |
14 |
रतलाम |
लहसुन |
15 |
21 |
रतलाम |
लहसुन |
26 |
32 |
रतलाम |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
16 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
16 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
19 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
21 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
22 |
– |
गुवाहाटी |
लहसुन |
22 |
27 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
35 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
23 |
26 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
27 |
35 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
जयपुर |
प्याज़ |
11 |
12 |
जयपुर |
प्याज़ |
13 |
14 |
जयपुर |
प्याज़ |
15 |
16 |
जयपुर |
प्याज़ |
4 |
5 |
जयपुर |
प्याज़ |
6 |
7 |
जयपुर |
प्याज़ |
8 |
9 |
जयपुर |
प्याज़ |
10 |
11 |
जयपुर |
लहसुन |
12 |
15 |
जयपुर |
लहसुन |
18 |
22 |
जयपुर |
लहसुन |
28 |
35 |
जयपुर |
लहसुन |
38 |
45 |
जयपुर |
लहसुन |
10 |
12 |
जयपुर |
लहसुन |
15 |
18 |
जयपुर |
लहसुन |
22 |
25 |
जयपुर |
लहसुन |
30 |
32 |
एफपीओ की मदद से किसानों को मिलेगी ये सुविधाएं, पढ़ें पूरी जानकारी
देश के किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का श्रेय किसान उत्पादक संगठन यानी एफपीओ को भी जाता है। एफपीओ के जरिए किसानों को खेती के लिए बेहतरीन सुविधा और नई तकनीकों की मदद मिलती है। कहना का मतलब यह है कि, यह संगठन देशभर में किसानों के लिए हर तरह से सहायता उपलब्ध कराता है।
क्या है एफपीओ ?
यह किसानों के हित में बनाया गया एक उत्पादक संगठन है, जो किसानों को खेती के लिए खाद, बीज, कीटनाशक, सिंचाई जैसे जरूरी कृषि उपकरण उपलब्ध कराता है। हालांक इसके लिए कृषि कंपनी बनानी जरूरी है, जिसमें कम से कम 11 किसान भाई होने चाहिए। इसके बाद ही किसान एफपीओ की मदद से सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
एफपीओ के फायदे
-
एफपीओ से जुड़े किसान बाजार में बिक्री के समय बेहतर सौदेबाजी कर पाएंगे।
-
बड़े स्तर पर व्यापार करने पर भंडारण और परिवहन के खर्चों में बचत होगी।
-
कस्टम केंद्र की मदद से बढ़ी ही आसानी के साथ किसान व्यापार का विस्तार कर सकेंगे।
-
ग्रीन हाउस, कृषि मशीनरी और शीत मशीनरी के लिए बढ़िया सुविधा उपलब्ध होगी।
-
इसके अलावा किसान संगठनों को 3 साल में 15 लाख रूपए की आर्थिक सहायता भी मिलेगी।
कृषि संगठन बनाने के लिए जरूरी पात्रता
अगर किसान भाई आपसी तालमाल के साथ किसान उत्पाद संगठन बनाना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे पहले उन्हें अपने संगठन का नाम रखना होगा। इसके बाद कंपनी एक्ट तहत अपने संगठन को रजिस्टर कराना होगा। इसके लिए आप आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।
149 लाख किसानों का मिला फसल बीमा का लाभ, जल्द कराएं पंजीयन
खरीफ सीजन के शुरू होते ही फसल बीमा के लिए पंजीयन कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। केंद्र की इस लाभकारी योजना का उद्देश्य किसान भाईयों को भविष्य में होने वाले जोखिम से सुरक्षा प्रदान करना है। ऐसे में राज्य सरकारें अपने अपने स्तर पर किसानों को इस योजना से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं। इसके लिए देशभर में 7 जुलाई तक फसल बीमा सप्ताह मनाया जा रहा है।
इसी कड़ी में राजस्थान सरकार प्रदेशभर में फसल बीमा का प्रचार करने में जुट गई है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान भाई फसल बीमा योजना का लभा उठा सकें। इसके लिए राज्य सरकार ने प्रचार-प्रसार का कार्य 35 फसल बीमा वाहनों को सौंपा है, जो राज्य के हर कोने में जाकर फसल बीमा योजना की जानकारी देंगी। इन वैन के माध्यम से किसानों के बीच बढ़े ही सरल भाषा में फसल बीमा पॉलिसी की प्रचार किया जाएगा।
इसके साथ ही किसान पाठशाला के माध्यम से भी ग्राम पंचायतों में योजना की जानकारी दी जाएगी। इस अभियान के तहत 1 से 31 जुलाई तक फसल पॉलिसियों के बारे में प्रचार प्रसार किया जाएगा। इसके अलावा किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ योजना को शुरू करने का निर्णय लिया है। बता दें कि फसल बीमा के जरिए अब तक 149 लाख फसल बीमा पॉलिसी धारक किसानों को लगभग 15 हजार 800 करोड़ रूपये से अधिक की राशि वितरित की जा चुकी है।
स्रोत: कृषि समाधान
Shareकृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।
मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे सोयाबीन के भाव?
मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बड़नगर, मन्दसौर, बदनावर, बैतूल, भीकनगांव, खातेगांव और खरगोन आदि में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
बड़नगर |
4120 |
7140 |
बदनावर |
4000 |
6400 |
बैरसिया |
3000 |
6235 |
बैतूल |
5000 |
6181 |
भीकनगांव |
5650 |
6200 |
बुरहानपुर |
5500 |
5900 |
छिंदवाड़ा |
5945 |
6225 |
इटारसी |
5661 |
5800 |
कालापीपाल |
4850 |
6450 |
खरगोन |
5877 |
6096 |
खातेगांव |
3000 |
6750 |
कोलारास |
4100 |
6305 |
लटेरी |
4705 |
6155 |
मन्दसौर |
5500 |
6410 |
महू |
3400 |
3400 |
पचौरी |
5600 |
6600 |
पथरिया |
5510 |
6250 |
सांवेर |
5685 |
6455 |
श्योपुरकलां |
5800 |
5990 |
सिराली |
4600 |
5980 |
सुसनेर |
6020 |
6020 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी सोयाबीन जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।