भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जो, काली मिर्च का उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। काली मिर्च का कुल 90% उत्पादन केरल में ही होता है। मसालों का राजा होने के साथ ही, इसमे औषधिक गुण भी पाए जाते हैं। इस कारण इसकी विदेशी बाजारों में भी खूब मांग हैं। इसके चलते इसे ‘ब्लैक गोल्ड’ के नाम से भी जाना जाता है।
काली मिर्च की खेती ने दिलाया पद्म श्री सम्मान
काली मिर्च के इसी जादू को बिखेरने के लिए मेघालय के किसान नानाद्रो बी मारक को भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया है। नानाद्रो सभी किसानों से विपरित जाकर रसायनिक उत्पादों का इस्तेमाल किए बिना काली मिर्च की खेती कर रहे हैं। वैसे तो खेतीबाड़ी करना आसान नहीं है, लेकिन नानाद्रो ने अपनी मेहनत और लगन से किसानों के बीच एक मिसाल कायम की है।
ऐसे शुरू की काली मिर्च की खेती
नानाद्रो ने मात्र 10 हजार रूपए के निवेश से काली मिर्च की खेती की शुरू की थी। इस दौरान उन्होंने रासायनिक उत्पादों का इस्तेमाल किए बिना 100 पेड़ लगाए। हालांकि पहले तीन साल काली मिर्च के पेड़ों को नुकसान पहुंचा, लेकिन फिर भी बिना हार मानें वे अपने इरादों पर डटे रहे। प्रकृति के अनुकूल कीटनाशक उत्पाद का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने काली मिर्च की खेती की।
आज के समय वह प्रति पेड़ से औसतन 3 किलो से ज्यादा काली मिर्च की उपज प्राप्त कर रहे हैं, जो कि दूसरे राज्यों के उत्पादन की तुलना में लगभग तीन गुना ज्यादा है। गुजरते समय के साथ उन्होंने काली मिर्च के पेड़ों की संख्या भी बढ़ाते रहे। इसके चलते आज वे लाखों रूपए का मुनाफा कमा रहे हैं।
नानाद्रो की इस लगन और पर्यावरण के प्रति प्रेम को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 72वें गणतंत्र दिवस पर पद्म श्री से सम्मानित किया। मिट्टी के स्वास्थ को बरकरार रखते हुए उन्होंने जैविक खाद का इस्तेमाल किया। जिसके चलते आज नानाद्रो बाकी किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
स्रोत: कृषि जागरन
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