मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे खातेगांव, इटारसी, कालापीपल, बदनावर, जावरा और खंडवा आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मंडी का नाम

न्यूनतम मूल्य (रु./क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (रु./क्विंटल)

अजयगढ़

1900

1980

आलमपुर

1900

2030

अलीराजपुर

1800

1900

बादामलहेरा

1900

2828

बड़नगर

1850

2351

बड़नगर

1860

2175

बदनावर

1850

2385

बाणपुरा

1801

2120

भीकनगांव

1900

2130

भितरवाड़

2040

2055

देवास

1900

2485

डिंडोरी

1850

2000

गंधवानी

2128

2180

गारोठ

1970

1990

हरपालपुर

1890

2000

इटारसी

2026

2103

जैसीनगर

1940

1955

जावरा

2100

2100

झाबुआ

2050

2050

जोबाट

2000

2100

कैलारासो

2109

2121

कालापीपल

1850

2000

कालापीपल

1700

1900

कालापीपल

1850

2210

करेलिक

1975

2050

खाचरोद

1960

2181

खंडवा

1986

2217

खानियाधना

1800

2010

खातेगांव

1800

2331

खातेगांव

1800

2120

खिरकिया

1800

2095

खुजनेर

1940

2050

कोलारस

1950

2127

लोहरदा

1925

2048

मन्दसौर

1980

2326

मोमनबादोदिया

1930

2015

मुरैना

2061

2100

नागदा

1851

2175

पलेरा

1820

1890

पन्ना

1840

1860

राघोगढ़

1905

2200

राहतगढ़

2000

2040

रायसेन

1921

2124

सैलाना

2021

2490

सनावद

1900

2131

सांवेर

1860

2275

सेमरीहरचंद

1875

2000

सिओनी

1975

2040

श्योपुरबडोद

2010

2051

शिवपुरी

2070

2070

स्रोत: एगमार्कनेट

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के ताजा भाव?

onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे अलीराजपुर, देवास, मन्दसौर, कालापीपल, खरगोन, हरदा और पिपरिया आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मंडी का नाम

न्यूनतम मूल्य (रु./क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (रु./क्विंटल)

अलीराजपुर

1000

2000

ब्यावरा

400

1000

देवास

400

1500

हरदा

700

850

कालापीपल

110

1300

खरगोन

500

1000

मन्दसौर

351

1250

पिपरिया

350

1600

सांवेर

725

1325

टिमर्नी

800

1000

स्रोत: एगमार्कनेट

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मिर्च की फसल में डैम्पिंग ऑफ (आर्द्र गलन) के लक्षण और नियंत्रण के उपाय ?

क्षति के लक्षण

  • इस रोग का प्रकोप पौधे की छोटी अवस्था नर्सरी में एवं रोपाई के बाद होता है। इस रोग का कारण पीथियम  एफनिडर्मेटम, राइजोक्टोनिया सोलेनी फफूंद है, जिस वजह से नर्सरी में पौधा भूमि की सतह के पास से गल कर गिर जाता है।

रोकथाम / नियंत्रण के उपाय 

  • मिर्च की नर्सरी उठी हुयी क्यारी पद्धति से तैयार करें, जिसमें  जल निकास की उचित व्यवस्था हो।

  • बीज की  बुआई के पूर्व बीज को कॉम्बेट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) @ 1 ग्राम + मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस) @ 1 ग्राम, प्रति 100 ग्राम बीज के हिसाब से बीज को उपचारित करें | 

  • नर्सरी में समस्या दिखाई देने पर, रोको (थायोफिनेट मिथाइल 70%डब्ल्यू/डब्ल्यू) @ 2 ग्राम + मैक्सरुट (ह्यूमिक, फ्लुविक एसिड) @ 1 ग्राम, प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव या ड्रेंचिंग करें।

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मूसलाधार बारिश होने की संभावना, देखें अपने क्षेत्र का मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

मुंबई सहित मध्यप्रदेश के दक्षिणी जिलों गुजरात महाराष्ट्र और दक्षिणी राजस्थान में मूसलाधार बारिश होने की संभावना। अगला निम्न दवाब का क्षेत्र उड़ीसा पर बनेगा जो पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए उड़ीसा छत्तीसगढ़ तेलंगाना सहित कई राज्यों में भारी बारिश देगा। दिल्ली पंजाब हरियाणा उत्तरी राजस्थान तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 9 जुलाई से तेज बारिश संभव है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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फूलों की खेती करें और कम लागत के साथ कमाएं बढ़िया मुनाफा

फूलों का उपयोग ज्यादातर पूजा, सजावट और त्यौहारों पर किया जाता है। इसके साथ ही फूल का इस्तेमाल इत्र, अगरबत्ती, गुलाल और तेल बनाने में होता है। फूलों में औषधीय गुण भी पाया जाता है, इसलिए इनका दवा बनाने में भी इस्तेमाल होता है। ऐसे में फूलों की खेती कर के किसान भाई बढ़िया कमाई कर सकते हैं।

खेती से पहले फूलों का चुनाव जरूरी

संबंधित जलवायु के अनुसार फूलों का चुनाव करना चाहिए, ताकि फूलों का बेहतर विकास हो सके। वैसे देशभर में बड़े पैमाने पर गुलाब गेंदा, जरबेरा, रजनीगन्धा, चमेली, रजनीगंधा, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी व एस्टर बेली जैसे फूलों की खेती होती है। हालांकि इनकी खेती के दौरान सिंचाई व्यवस्था का दुरुस्त होना जरूरी है। इसके साथ ही जल निकासी व्यवस्था पर भी खास ध्यान रखना चाहिए, ताकि जल का जमाव न हो सके।

ऐसे कमाएं फूलों से बढ़िया मुनाफा

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो फूलों की खेती में ज्यादा खर्च नहीं आता है। 1 हेक्टेयर में की गई फूलों की खेती में ज्यादा से ज्यादा 25 से 30 हजार रूपए का खर्च आता है। जिसमें बीज खरीद से लेकर इनकी बुआई, उर्वरक, खेत जुताई और सिंचाई जैसे जरूर कृषि खर्च शामिल हैं। ऐसे में आप कम लागत के साथ बाजार में इनकी बिक्री कर के शुद्ध एक लाख रूपए का मुनाफा कमा सकते हैं।

स्रोत: आज तक

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के ताजा भाव ?

onion Mandi Bhaw

आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बड़वाह, देवास, मन्दसौर, कालापीपल, कालापीपल, खरगोन, हरदा और  मनावर आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अलीराजपुर

1000

1900

बड़वाह

1000

1500

देवास

400

1500

देवास

400

1700

हरदा

700

850

हरदा

720

780

कालापीपल

120

1320

खरगोन

500

1000

खरगोन

500

1500

मनावर

800

1000

पिपरिया

400

1600

सैलाना

301

1400

शाजापुर

250

1400

सीतमऊ

200

1190

स्रोत: एगमार्कनेट

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संपूर्ण देश में तेज बारिश की है संभावना, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

मुंबई में भारी से अति भारी बारिश होने की संभावना है इसके साथ ही गुजरात के दक्षिण जिलों में भी मूसलाधार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। मध्य प्रदेश के दक्षिणी भागों सहित दक्षिणी राजस्थान विदर्भ मराठवाड़ा कर्नाटक तथा पहाड़ों पर भी भारी बारिश संभव है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी जिलों सहित तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में तेज बारिश। दिल्ली तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हल्की बारिश होगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे खातेगांव, खटोरा, कालापीपल, गोरखपुर, लटेरी और रतलाम आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अमरपाटन

1900

2100

भीकनगांव

2104

2203

धामनोद

2032

2208

गोहद

2035

2070

गोरखपुर

1800

1950

कालापीपाल

1870

2015

कालापीपाल

1750

1900

कालापीपाल

1855

2230

करही

2010

2040

खातेगांव

1980

2174

खटोरा

2176

2255

लटेरी

1855

1985

लटेरी

2700

2700

लटेरी

2020

2200

पचौर

1800

2111

पिपल्या

2000

2240

रतलाम

2030

2530

सेमरी हरचंद

1900

1960

शाहगढ़

1940

2000

श्योपुरकलां

2000

2000

सिमरिया

1810

1880

उदयपुरा

1860

1940

उमरिया

1800

1950

स्रोत: एगमार्कनेट

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खेत की मेड़ पर करें ये खेती, लाखों की कमाई के साथ पाएं दोहरा लाभ

ग्रामीण इलाकों में बांस की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। एक बार बांस की फसल लगाने के बाद इससे 30 से 40 साल तक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। बांस का प्रयोग बल्ली, सीढ़ी, टोकरी, चटाई, फर्नीचर, खिलौने और सजावट के सामान से लेकर घर बनाने तक में भी किया जाता है। इस कारण बाजार में भी बांस की खूब मांग है। ऐसे में किसानों की आय बढ़ाने का यह एक बढ़िया स्रोत है। भारत सरकार भी देश में बांस की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।

इस दिशा में केंद्र सरकार द्वारा बांस की खेती को लेकर ‘राष्ट्रीय बांस मिशन’ चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से बांस की खेती के लिए किसानों की आर्थिक मदद की जाती है। बता दें कि बांस की खेती करना बहुत ही आसान और फायदेमंद है। इस लेख में हम आपको बांस की खेती के फायदे के बारे में बताएंगे।

खेतों की मेड़ का ऐसे करें इस्तेमाल

आपके पास अगर बांस के पेड़ लगाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है तो, आप इसकी फसल के लिए मेड़ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ऐसा करने से खेत में लगी दूसरी फसलों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसके साथ ही खेत में लगी फसलों की आवारा पशुओं से सुरक्षा भी होगी। इस तरह बांस की खेती से किसानों को दोहरा लाभ प्राप्त होगा।

सहफसली तकनीक से कमाएं दोहरा लाभ

सहफसली तकनीक से खेती करने के लिए बांस की फसल एक बढ़िया विकल्प है। बांस के हर पौधे की बीच में ठीक-ठाक जगह छोड़कर इसमें अदरक, हल्दी, लहसुन एवं अलसी की पौध लगाई जा सकती है। इस तरह खेती करने से किसान भाई बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

बांस को आप बीज, कटिंग या फिर राइजो़म तरीके से भी लगा सकते हैं। बता दें कि बांस के पेड़ की आयु लगभग 40 साल तक होती है, ऐसे में 150 से 250 बांस के पेड़ लगाकर किसान 40 सालों तक लाखों की कमाई कर सकते हैं।  

स्रोत: आज तक

कृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।

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सब्जी वर्गीय फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व क्यों है जरूरी ?

भूमि में  मुख्य पोषक तत्वों के लगातार इस्तेमाल से सूक्ष्‍म पोषक तत्वों की कमी दिनों दिन बढ़ती जा रही है। किसान मुख्य पोषक तत्वों का उपयोग फसलों में ज्यादा करते है एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे – तांबा, जिंक, लोहा, मोलिब्डेनम, बोरॉन, मैंगनीज आदि का लगभग नगण्य उपयोग करते हैं। पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर उसके लक्षण पौधों में प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देने लगता है। फसल में इन पोषक तत्वों की कमी  इन्हीं तत्वों की पूर्ति के माध्यम से की जा सकती है।  

  • मॉलिब्डेनम कार्य:- पौधों में नाइट्रेट के अवशोषण के बाद मोलिब्डेनम नाइट्रेट को तोड़ने का काम करता है, जिससे नाइट्रेट पौधों के विभिन्न भागो में चला जाता है। इस कारण पौधे में नाइट्रोजन की कमी नहीं होती है और पौधे का विकास अच्छी तरह से होता है। मोलिब्डेनम जड़ ग्रंथि जीवाणुओं द्वारा वायुमंडलीय नाइट्रोजन के निर्धारण में मदद करता है। इसकी कमी से फूलगोभी में व्हिपटेल रोग होता है।

  • आयरन / लोहा:- आयरन क्लोरोफिल निर्माण में सहायक होता है। पौधों में श्वसन तथा प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक है, इसकी कमी से पौधों में  हरिमाहीनता हो जाता है।

  • जिंक / जस्ता:- ज़िंक पौधों में एंजाइम क्रिया को उत्तेजित करता है। यह हार्मोन्स बनाने में सहायक होता है। साथ ही यह पौधे में रोग रोधक क्षमता को बढ़ाता है एवं नाइट्रोजन और फास्फोरस के उपयोग में सहायक होता है। 

  • तांबा/कॉपर:- तांबा एंजाइम में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण का काम करता है। ये एंजाइम पौधों में ऑक्सीडेशन और रिडेक्शन क्रिया में सहयोग करता है। इसी क्रिया के द्वारा पौधों का विकास एवं प्रजनन होता है। 

  • बोरॉन:- फूलों में परागण, परागनली का निर्माण, फल व दाना बनाना, पादप हार्मोन के उपापचय एवं पौधे के सभी अंगों तक पहुंचाने का कार्य बोरान तत्व का है।

  • मैंगनीज:- यह क्लोरोफिल निर्माण में सहायक होता है। विभिन्न क्रियाओं में यह उत्प्रेरक का कार्य करता है। पौधों में मैंगनीज की कमी से पत्तियों में छोटे-छोटे भूरे धब्बे बन जाते हैं। इनकी कमी के लक्षण दिखाई देने पर, सूक्ष्म पोशाक तत्व, मिक्सॉल (लौह, मैंगनीज, जस्ता, तांबा, बोरॉन, मोलिब्डेनम) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

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