- ग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़/लहसुन समृद्धि किट का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
- इस किट की कुल मात्रा 3.2 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
- इसका उपयोग यूरिया, DAP में मिलाकर किया जा सकता है।
- इसका उपयोग 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, या कम्पोस्ट या मिट्टी में भी मिलाकर कर सकते हैं।
- इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
- अगर बुआई समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाएं है तो बुआई बाद 15 से 20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।
मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, जानें आपके क्षेत्र में कैसा रहेगा मौसम का हाल?
पिछले कई दिनों से देश के कई राज्यों में लगातार बारिश हो रही है जिससे जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार और उत्तरप्रदेश के भी कई क्षेत्रों में बारिश हो रही है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद नदियों का जल स्तर बढ़ने लगा है। इसी वजह से मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 14 अगस्त को बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।
उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश की संभावना मौसम विभाग की तरफ से जताई जा रही है। इसके अलावा मौसम विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बृहस्पतिवार को ज्यादातर राज्यों में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है जबकि कुछ जगहों पर चमक व गरज के साथ बारिश हो सकती है।
आगामी 24 घंटों का मौसमी पूर्वानुमान पर नजर डालें तो संभावना जताई जा रही है की गुजरात, पूर्वी राजस्थान, कोंकण गोवा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़ और लहसुन समृद्धि किट के इस्तेमाल से फसल को मिलेगी बेहतर बढ़वार
- प्याज़ एवं लहसुन की अच्छी पैदावार के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है प्याज़/लहसुन समृद्धि किट।
- यह किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है।
- इस किट को चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक को मिलाकर बनाया गया है, जो मिट्टी में NPK की पूर्ति करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं एवं ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
- इस किट में जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मृदा जनित रोगजनकों को मारता है जिससे जड़ सड़न, तना गलन आदि जैसी गंभीर बीमारियों से पौधे की रक्षा होती है।
- इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करेगा, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करेगा।
- ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके प्याज़/लहसुन की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में सहायता करता है।
कपास की 90 से 110 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग अलग प्रकार के रस चूसक कीटों एवं इल्लियों का प्रकोप होता है। इनमें गुलाबी सुंडी, एफिड, जैसिड, मकड़ी आदि शामिल होते हैं।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती है जैसे जीवाणु धब्बा रोग, जड़ गलन, तना गलन, अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा रोग आदि।
- गुलाबी इल्ली के प्रबंधन हेतु प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कवक जनित रोगों के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या मैंकोजेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- जीवाणु जनित रोगों के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड @ 24 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन के लिए 00:00:50@ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिर्च की 90 से 110 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- मिर्च की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग अलग प्रकार के रस चूसक कीटों एवं इल्लियों जैसे की तम्बाकू की इल्ली, एफिड, जैसिड, मकड़ी, चने की इल्ली आदि का प्रकोप होता है।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित बीमारियाँ भी मिर्च की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं जैसे जीवाणु धब्बा रोग, जड़ गलन, तना गलन, अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा रोग आदि .
- इल्लियों के प्रबंधन हेतु इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- मकड़ी के प्रबंधन हेतु प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कवक जनित रोगो के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या मैंकोजेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जीवाणु जनित रोगों के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड @ 24 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मक्का की फसल में फूल एवं भुट्टे बनने की अवस्था में फसल प्रबंधन
- मक्का की फसल में फसल प्रबंधन समय पर करना बहुत आवश्यक होता है।
- जब मक्का की फसल में फूल एवं भुट्टा बनने की अवस्था हो तब फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- मक्का की फसल में फल एवं भुट्टे बनने की अवस्था बहुत अधिक संवेदनशील होती है। इस अवस्था में निंम्र उत्पादों का उपयोग बहुत आवश्यक होता है।
- कवक जनित रोग के प्रबंधन के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या मैंकोजेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कीटो के प्रबंधन के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन: 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ + एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
12 से 14 अगस्त तक इन राज्यों में हो सकती है भारी मानसूनी बारिश
आने वाले दिनों में मौसम एक बार फिर बदलने वाला है। पिछले दिनों महाराष्ट्र तथा बिहार में मूसलाधार बारिश देखने को मिली है। अब बताया जा रहा है की अगले दो दिनों में महाराष्ट्र में फिर से भारी बारिश हो सकती है। महाराष्ट्र के अलावा देश के उत्तरी भागों में भी आने वाले कई दिनों तक मानसून के सक्रिय रहने की संभावना है। उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है जिससे मौसम का मिज़ाज बदलेगा। मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान में भी आने वाले दिनों में मानसून की बारिश हो सकती है।
प्राइवेट मौसम एजेंसी स्काईमेट वेदर के मुताबिक, गुजरात में आने वाला हफ्ता बारिश से भरपूर रहेगा और 17 अगस्त तक गुजरात के कई क्षेत्र में अच्छी बारिश होगी। इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर और नॉर्थ वेस्ट इंडिया में भी अब मानसून सक्रिय नजर आ रहा है। पूर्व राजस्थान, उत्तर मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के कुछ हिस्सों में तेज बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareसोयाबीन की फसल में तम्बाकू की इल्ली का नियंत्रण
- इस कीट का लार्वा सोयाबीन की पत्तियों को खुरच कर क्लोरोफिल को खाता है, जिसके कारण खाए गए पत्ते पर सफेद पीले रंग के जालनुमा संरचना नजर आते हैं।
- हल्की मिट्टी में, लार्वा जड़ों तक पहुँच कर नुकसान पहुँचा सकते हैं। दिन के वक़्त लार्वा आमतौर पर सोयाबीन की पत्तियों की निचली सतह पर छिपे रहते हैं या फिर पौधों के आधार के आसपास की मिट्टी में छिपे रहते हैं।
- अत्यधिक संक्रमण होने पर पत्तियों को नुकसान पहुंचाने के बाद ये कीट सोयाबीन के कलियों, फूलों और फली को खा जाते हैं जिससे पौधे पर सिर्फ तना और डण्डीया दिखाई देती हैं।
- इसके प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिलीग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिर्च की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण एवं निवारण की विधि
- मिर्च की फसल में इस बीमारी के लक्षण पौधे में पत्ती, तना और फल पर नजर आते हैं।
- मिर्च के फल पर छोटे, गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में धीरे-धीरे फैलकर आपस में मिल जाते हैं।
- इसके कारण फल बिना पके ही गिरने लगते हैं, जिससे उपज में भारी नुकसान होता है।
- यह एक कवक जनित रोग है जो सबसे पहले मिर्च के फल के डंठल पर आक्रमण करता है और बाद में पूरे पौधे पर फैल जाता है।
- इस रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC@ 250 मिली/एकड़ या कैपटान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% WP@ 250 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC@ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
8.55 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना से मिले 17,100 करोड़ रूपये
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के अंतर्गत 8.55 करोड़ से अधिक किसानों को 17,100 करोड़ रुपये की छठी किस्त जारी कर दी है।
किसानों के लिए इस बड़ी रकम को जारी करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “एक देश, एक मंडी के जिस मिशन को लेकर बीते 7 साल से काम चल रहा था, वो अब पूरा हो रहा है। पहले e-NAM के जरिए, टेक्नोलॉजी आधारित एक बड़ी व्यवस्था बनाई गई. अब कानून बनाकर किसान को मंडी के दायरे से और मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया। अब किसान के पास अनेक विकल्प हैं।”
ग़ौरतलब है की पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त के पहले हफ्ते में छठी क़िस्त आने वाली थी और तय वक़्त पर यह रकम किसानों के खातों में भेज भी दी गई है।
स्रोत: एबीपी लाइव
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