कपास की फसल में फूल गिरने की समस्या का कैसे करें निदान

flower drop in cotton crop
  • कपास की फसल में फूल आने की अवस्था बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
  • इस समय तापमान, फसल में लगने वाले कीटों एवं कवकों के कारण भी फूल गिरने की समस्या हो जाती है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए समय पर उपाय करना बहुत जरुरी होता है।
  • यदि कपास की फसल में फूल गिरने की समस्या है तो होमोब्रेसिनोलाइड@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके उपयोग से कपास में फूल गिरने से रोका जा सकता है।
  • इसी के साथ एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ और जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करने से फूल निर्माण एवं डेंडू निर्माण को बढ़ाया जा सकता है।
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मिर्च की फसल में फल छेदक कीट का प्रबंधन

  • मिर्ची में फसल में फल छेदक कीट काफी नुकसान पहुँचाते हैं अतः इनका नियंत्रण अति आवश्यक होता है।
  • चने की इल्ली और तम्बाकू की इल्ली के द्वारा यह नुकसान पहुँचाया जाता है।
  • यह इल्ली छोटी अवस्था से ही मिर्च की फसल पर नए विकसित फल को खाती हैं तथा जब फल परिपक्व हो जाते हैं तब यह बीजों को खाना पसंद करती है।
  • इस दौरान इल्ली अपने सिर की फल के अंदर रख कर बीजों को खाती है एवं इल्ली का बाकी शरीर फल के बाहर रहता है।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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एसबीआई ने शुरू की नई सेवा, 75 लाख किसानों को मिलेगा इससे लाभ

SBI launches new service, 75 lakh farmers will get benefit from it

भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने खेती से संबंधित कार्यों को आसान बनाने के लिए योनो ऐप में किसान क्रेडिट कार्ड रिव्यू सेवा का शुभारम्भ किया है। इस सेवा के माध्यम से किसान अब घर बैठे ही अपने किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ा सकते हैं और इसके लिए उन्हें बैंक जानें की भी कोई आवश्यकता नहीं होगी।

एसबीआई ने इस विषय पर जानकारी देते हिये कहा कि “अब किसानों को केसीसी सीमा में बदलाव करने के लिए कागजी कार्रवाई करनी आवश्यकता नहीं होगी।” इस सेवा के माध्यम से किसान ऑनलाइन होकर केसीसी की सीमा में परिवर्तन कर सकते हैं। एसबीआई के अधिकारियों की मानें तो इस सेवा के शुरू होने से देश के लगभग 75 लाख से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा।

स्रोत: जागरण

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मध्यप्रदेश सहित इन राज्यों में आने वाले दिनों में भी सक्रिय रहेगा मानसून

Possibility of heavy rains in many states, Orange alert issued

पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात आदि कई राज्यों में लगातार मानसूनी बारिश जारी है। इसके अलावा दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में नमी वाला मौसम छाया हुआ है। वैसे पंजाब सहित उत्तर भारत के हिस्सों में आने वाले 36 घंटों तक बारिश होने की कोई संभावना नहीं है। पर इन इलाकों में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।

इसके बाद बात करें मध्यप्रदेश की तो यहाँ आने वाले कुछ दिन भी मानसूनी बारिश के सक्रिय रहने की संभावना है। निजी मौसम एजेंसी स्काइमेट वेदर के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान गुजरात, कोंकण गोवा, इससे सटे मध्य महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश के उत्तरी तटीय भागों, तेलंगाना के कुछ हिस्सों और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल में मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।

स्रोत: कृषि जागरण

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बायो NPK का उपयोग कब और कैसे करें?

  • यह उत्पाद तीन प्रकार के बैक्टीरिया ‘नत्रजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, PSB और KMB’ से बना है।
  • यह मिट्टी और फसल में तीन प्रमुख तत्वों नत्रजन, पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है।
  • एन पी के बैक्टीरिया की मदद से पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं, विकास अच्छा होता है, फसल उत्पादन बढ़ता है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है।
  • इसका उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है
  • मिट्टी उपचार: इसका उपयोग बुआई के पहले मिट्टी उपचार के रूप में 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिलाकर उपयोग करें।
  • बुआई के समय: यदि मिट्टी उपचार नहीं कर पाए हैं तो बुआई के समय 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिलाकर उपयोग करें।
  • बुआई के 20-25 दिनों में: बुआई के 20-25 दिनों में NPK का उपयोग पुनः भुरकाव के रूप में 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिला कर उपयोग करें।
  • इसका उपयोग बुआई के बाद ड्रैंचिंग एवं छिड़काव के रूप भी किया जा सकता है।
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मायकोराइज़ा का उपयोग कब और कैसे करें

Mycorrhiza effect on chilli plant
  • यह पौधों को मज़बूती प्रदान करता हैं जिससे कई प्रकार के रोग, पानी की कमी आदि के प्रति पौधे सहिष्णु हो जाते हैं।
  • फसल की प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करता है जिसके परिणाम स्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • माइकोराइजा पौधे के जड़ क्षेत्र को बढ़ाता है और इसके कारण जड़ों में जल अवशोषण की क्षमता बढ़ जाती है।

माइकोराइजा का उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है

  • मिट्टी उपचार: 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में मिला दें।
  • भुरकाव: बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में माइकोराइजा को 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में बुरकाव करें।
  • ड्रिप सिंचाई द्वारा: माइकोराइजा को ड्रिप सिचाई के रूप में बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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ग्रामोफ़ोन एप ने की खंडवा के किसान की मुश्किलें आसान, 91% बढ़ गई प्रॉफिट

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है और किसान इस आधार को मज़बूती देने के लिए सालों भर खेतों में अपना पसीना बहाते हैं। खेती के दौरान एक किसान को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इन्हीं समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार साबित हो रहा है ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप। इसी एप की मदद से खंडवा जिले के किसान पवन जी ने कपास की खेती में 91% तक प्रॉफिट बढ़ा लिया।

पवन जी की ग्रामोफ़ोन एप से जुड़ने के बाद की खेती और पहले की खेती में काफी फर्क आया है। प्रॉफिट तो बढ़ी ही साथ ही साथ कृषि लागत में भी कमी आई है। पहले जहाँ पवन जी की कृषि लागत 25000 रूपये तक पहुँच जाती थी वो अब घट कर 17500 रूपये हो गई है। वहीं बात करे मुनाफ़े की तो पहले के 132500 रूपये की तुलना में अब यह 252500 रूपये हो गया है।

पवन जी की ही तरह आगे अन्य किसान भाई भी अपनी कृषि समस्याओं को दूर करते हुए अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो ग्रामोफ़ोन एप तुरंत अपने मोबाईल के इंस्टॉल करें या फिर हमारे टोल फ्री नंबर 1800-315-7566 पर मिस्डकॉल कर के कृषि विशेषज्ञों से अपनी समस्याएं बताएं।

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प्याज़ की नर्सरी की तैयारी कैसे करें?

  • खेत में प्याज़ के पौध की रोपाई से पूर्व इसके बीजों की बुआई नर्सरी में की जाती है।
  • नर्सरी में बेड का आकार 3’ x 10’ और 10-15 सेमी ऊंचाई में रखा जाता है साथ ही दो बेड के बीच लगभग 70 सेमी की दूरी रखी जाती है।
  • जब प्याज़ की नर्सरी तैयार की जा रही हो तब इस बात का ध्यान रखें की निराई सिंचाई आदि कार्य आसानी से हो सके।
  • जिस खेत में भारी मिट्टी होती है वहाँ पर जल भराव की समस्या से बचने के लिए बेड की ऊंचाई अधिक रखी जानी चाहिए।
  • बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
  • नर्सरी की बुआई के पूर्व नर्सरी में मिट्टी उपचार करना भी बहुत आवश्यक होता है। यह उपचार मिट्टी जनित रोगों की रोकथाम के लिए किया जाता है।
  • इसके लिए फिप्रोनिल 0.3% GR@ 10 किलो/नर्सरी और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 25 ग्राम/नर्सरी और सी वीड + एमिनो + मायकोराइज़ा@ 25 ग्राम/नर्सरी से उपचारित करें।
  • इस प्रकार बीजों को पूरी तरह से उपचारित करके ही लगाना चाहिए एवं बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होना चाहिए।
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पावडरी मिल्ड्यू एवं डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण एवं प्रबंधन

Powdery mildew and downy mildew symptoms and management
  • पावडरी मिल्ड्यू एवं डाउनी मिल्ड्यू एक कवक जनित रोग हैं जो मिर्च की फसल की पत्तियों को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। इसके प्रकोप से होने वाले रोग को भभूतिया रोग के नाम से भी जाना जाता है।
  • पावडरी मिल्ड्यू के कारण मिर्च के पौधे की पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद पावडर दिखाई देता है।
  • डाउनी मिल्ड्यू रोग पत्तियों की निचली सतह पर पीले धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं और कुछ समय बाद यह धब्बे बड़े होकर कोणीय हो जाते हैं एवं भूरे रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।
  • जो भूरा पाउडर पत्तियों पर जमा होता उसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बहुत प्रभावित होती है।
  • इस रोग के नियंत्रण के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% SC@ 200 मिली/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मंडी भाव: जानें मध्य प्रदेश की अलग अलग मंडियों में क्या चल रहा है भाव?

Mandi Bhav

इंदौर के गौतमपुरा मंडी में गेहूं का भाव 1900 रूपये प्रति क्विंटल का है।  वहीं इस मंडी में प्याज़ का भाव 410 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। बात करें खरगोन मंडी की तो यहाँ गेहूं का भाव 1725 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है और मक्का का भाव 1150 रूपये प्रति क्विंटल है। 

उज्जैन के बडनगर मंडी में गेहूं का मॉडल रेट 1943 रूपये प्रति क्विंटल, चना 3900 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 5845 रूपये प्रति क्विंटल, मटर 4301 रूपये प्रति क्विंटल, मेथीदाना 5781 रूपये प्रति क्विंटल, लहसुन 5090 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3674 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। 

इसके अलावा बात रतलाम के ताल मंडी की करें तो यहाँ गेहूं का भाव 1672 रूपये प्रति क्विंटल, सरसों 4000 रूपये प्रति क्विंटला और सोयाबीन का भाव 3505 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। 

स्रोत: किसान समाधान

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