इस कीट का लार्वा सोयाबीन की पत्तियों को खुरच कर क्लोरोफिल को खाता है, जिसके कारण खाए गए पत्ते पर सफेद पीले रंग के जालनुमा संरचना नजर आते हैं।
हल्की मिट्टी में, लार्वा जड़ों तक पहुँच कर नुकसान पहुँचा सकते हैं। दिन के वक़्त लार्वा आमतौर पर सोयाबीन की पत्तियों की निचली सतह पर छिपे रहते हैं या फिर पौधों के आधार के आसपास की मिट्टी में छिपे रहते हैं।
अत्यधिक संक्रमण होने पर पत्तियों को नुकसान पहुंचाने के बाद ये कीट सोयाबीन के कलियों, फूलों और फली को खा जाते हैं जिससे पौधे पर सिर्फ तना और डण्डीया दिखाई देती हैं।
इसके प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिलीग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।