- मिर्ची के फल पर एक गोलाकार छेद पाया जाता हैं जिसके कारण फल और फूल परिपक्व होने से पहले ही गिर जाते हैं।
- यह इल्ली छोटी अवस्था में मिर्च की फसल पर विकसित नए फल को खाती है तथा जब फल परिपक्व हो जाते हैं तब यह बीजों को खाना पसंद करती है।
- इस दौरान इल्ली अपने सिर को फल के अंदर रख कर बीजों को खाती है एवं इल्ली का बाकी शरीर फल के बाहर रहता हैं।
- इसके प्रबंधन के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
फसलों के लिए जैविक NPK का महत्व
- जैविक NPK में नाईट्रोज़न, फॉस्फोरस, पोटाश शामिल होते हैं।
- यह तीन मुख्य पोषक तत्व हैं जो फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं।
- जैविक NPK मिट्टी की सरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है।
- जैविक NPK पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सहायक की भूमिका निभाता है।
- मिट्टी में उपस्थित अघुलनशील फॉस्फोरस एवं पोटाश को घुलनशील रूप में परिवर्तित करता है और वायुमंडलीय नाइट्रोज़न को सरल रूप में परिवर्तित करता है।
- यह फसलों में दाना भरने एवं दाना पकने की क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- जैविक NPK फसल सुधारक की तरह कार्य करता है।
निमेटोड क्या है?
- निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।
- फसल के लिए यह परजीवी की तरह होता है, यह मिट्टी में या पौधों के ऊतकों में रहते हैं एवं पौधे की जड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं।
- इसके प्रकोप के कारण पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं एवं पौधा मुरझा जाता है जिसके कारण पौधे में फल नहीं लगते हैं।
- इसके प्रकोप का सबसे मुख्य लक्षण पौधों की जड़ में देखने को मिलता है और जड़ें सीधी ना होकर आपस में गुच्छा बना लेती हैं एवं जड़ों में गांठे दिखाई देती हैं।
- इसका प्रकोप सभी फसलों पर होता है और इसके नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे कारगर उपाय माना जाता है।
फसलों में एमिनो एसिड का महत्व
- यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाला एक प्राकृतिक अवयव है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक होता है।
- यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती है, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
- यह मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है।
- यह जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है।
- यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
- एमिनो एसिड पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है।
हेलिकोवरपा आर्मीजेरा का नियंत्रण कैसे करें?
- हेलिकोवरपा आर्मीजेरा एक बहुत ही हानिकारक एवं बहुभक्षीय कीट है जिसे फल व फली छेदक कीट के रूप में भी जाना जाता है।
- इस कीट का प्रकोप सभी फसलों पर होता है, मुख्य रूप से इसका प्रकोप चना, मटर, कपास, अरहर, भिन्डी, टमाटर व गोभी में अधिक देखा गया है।
- हेलिकोवरपा आर्मीजेरा (फल व फली छेदक कीट) की केवल सुण्डियां ही नुकसान पहुंचाती हैं। इस कीट का प्रकोप फसल की शुरूआती अवस्था से ही शुरू हो जाता है।
- यह कीट पहले पौधे के नरम भागों को और बाद में फल एवं बीज को खाता है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
बवेरिया बेसियाना का फसलों में महत्व
- बवेरिया बेसियाना एक जैविक कीटनाशक है। यह दरअसल एक प्रकार का फफूंद है जिसका उपयोग सभी फसलों में लगने वाले सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
- बवेरिया बेसियाना का उपयोग विभिन्न प्रकार की लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुंडियों जैसे चने की सुंडी, बालदार सुंडी, रस चूसने वाले कीट, एफिड, फुदको, सफेद मक्खी, दीमक तथा मकड़ी आदि के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
- यह कीटों की सभी अवस्थाएं जैसे अण्डे, लार्वा, प्यूपा, ग्रब और निम्फ इत्यादि पर आक्रमण करके उनको ख़त्म कर देता है।
- बवेरिया बेसियाना का उपयोग छिड़काव के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यह फसल की पत्तियों पर चिपक कर वहाँ पर अपनी क्रिया द्वारा पत्तियों पर उपस्थित रस चूसक कीटों एवं सुंडी वर्गीय कीटों को खत्म करने का काम करता है।
- इसका उपयोग मिट्टी उपचार में भी किया जा सकता है क्योंकि यह मिट्टी में जाकर वहाँ उपस्थित मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आने वाले कुछ दिनों में देश के कई राज्यों में होगी तूफ़ानी बारिश, मौसम विभाग का अलर्ट जारी
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश जारी है जिसकी वजह से शहर का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर में मानसूनी प्रवाह बना हुआ है साथ ही मध्य प्रदेश के दक्षिणी इलाकों में कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इन्हीं वजहों से इन क्षेत्रों में बारिश हो रही है।
मौसम विभाग की मानें तो आने वाले 2 दिनों तक यह स्थिति बनी रहेगी और अगले 4 से 5 दिनों में कई राज्यों में भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले 24 घंटों के दौरान गंगीय पश्चिम बंगाल, तटीय ओडिशा, गुजरात, कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक, केरल और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। इसके अलावा दक्षिण-पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम मानसूनी बौछारों के बीच एक या दो जगहों पर भारी वर्षा देखने को मिल सकती है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप भारी नुकसान पहुँचाते हैं।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती है।
इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग किया जाता है
- इल्ली के प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या मोनोक्रोटोफॉस 36% SL @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिर्च की 60 से 80 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- मिर्च एक कीट प्रिय पौधा है और इसी कारण मिर्च की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग-अलग प्रकार की इल्लियों एवं रस चूसक कीटों का प्रकोप होता है।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित एवं जीवाणु जनित बीमारियाँ भी मिर्च की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं।
इनके प्रबंधन के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग करें
- रस चूसक कीट प्रबंधन के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली।एकड़ का उपयोग करें।
- इल्ली के प्रबंधन हेतु प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- इसके जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोग प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- इसके जैविक उपचार के रूप में सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन: मिर्च की फसल में अच्छी वृद्धि के लिए एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ + 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
किसानों को सरकार की तरफ से मिलेगा 15 लाख करोड़ का कृषि कर्ज
कृषि क्षेत्र को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है ऐसे में सरकार हमेशा कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए कार्य करती रहती है। इसी कड़ी में सरकार ने इस साल 15 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज किसानों को देने का लक्ष्य बनाया है। सरकार इस बड़ी धन राशि को कृषि क्षेत्र की अलग-अलग योजनाओं के अंतर्गत किसानों को देने वाली हो।
15 लाख करोड़ रुपये के कृषि कर्ज के लक्ष्य के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण योजना किसान क्रेडिट कार्ड है। अब तक इस योजना का लाभ 1 करोड़ से ज्यादा किसानों को दिया भी जा चुका है। इसी प्रकार अन्य कृषि योजनाओं के अंतर्गत भी इस बड़ी राशि को कर्ज के रूप में किसानों में वितरित किया जाएगा।
स्रोत: कृषि जागरण
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