फसलों में सल्फर की कमी के लक्षण

Sulfur deficiency symptoms in crops
  • सभी फसलों में सल्फर की कमी देखी जा सकती है।
  • सल्फर फसलों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है।
  • सल्फर की कमी के लक्षण नाइट्रोज़न की कमी के लक्षणों के सामान ही होते हैं।
  • सल्फर की कमी के कारण पौधे का विकास पूरी तरह नहीं हो पाता है।
  • अनाज वाली फसलों में सल्फर की कमी के कारण परिपक्वता बहुत देर से होती है।
  • फसलों की प्रकृति के अनुसार किसी फसल पर इसके प्रकोप के लक्षण नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं और कुछ फसलों में पुरानी पत्तियों पर भी दिखाई देते हैं।
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मिर्च की फसल में पत्ते मुड़ने (पत्ता कर्ल) की समस्या

  • एफिड, जैसिड, मकड़ी, सफेद मक्खी आदि जैसे रस चूसक कीट मिर्च की फसल में पत्ते मुड़ने की समस्या के वाहक होते हैं।
  • सफेद मक्खी वायरस फैलाने का कार्य करती है जिसे चुरा-मुरा (लीफ कर्ल वायरस) के नाम से जाना जाता है।
  • इस वायरस के कारण पत्तियाँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
  • परिपक्व पत्तियों पर इसकी वजह से उभरे हुऐ धब्बे बन जाते हैं एव पत्तियां छोटी और कटी – फटी नजर आती हैं।
  • इसके कारण पत्तियाँ सूख सकती हैं या गिर सकती हैं, एवं मिर्च की फसल के विकास को भी अवरुद्ध कर सकती हैं।
  • वायरस जनित इस समस्या के लिए प्रीवेंटल BV @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • वायरस के वाहक कीटों के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 400 ग्राम/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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सोयाबीन की फसल में पत्ती खाने वाली इल्ली का प्रबंधन

leaf-eating caterpillar in soybean
  • सोयाबीन की फसल में पत्तियों को खाकर नुकसान पहुंचाने वाली इल्लियों का बहुत प्रकोप होता है।
  • यह इल्लियाँ सोयाबीन की फसल को बहुत प्रभावित करती हैं।
  • नवजात इल्लियाँ झुंड में रहती हैं एवं ये सभी एक साथ मिलकर पत्तियों पर आक्रमण करती हैं।
  • पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर ये खा जाती है एवं बाद में पूरे पौधे पर फैल जाती हैं।
  • यह पूरे पौधे की पत्तियों को नुकसान पहुँचाती हैं। इल्लियों के द्वारा खायी गयी पत्तियों पर सिर्फ जाली ही रह जाती है।
  • इन इल्लियों का नियंत्रण समय पर करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इनके नियंत्रण के लिए जैविक उपचार के रूप में गर्मियो के समय खाली खेत में गहरी जुताई करें।
  • उचित समय पर यानि मानसून के शुरूआती समय पर ही बुआई करें।
  • बवेरिया बेसियाना @500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

रासायनिक प्रबंधन:

  • प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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