Role of Calcium in Onion

कैल्शियम प्याज में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है और यह फसल की पैदावार और गुणवत्ता में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कैल्शियम से जड़ स्थापना में वृद्धि एवं कोशिकाओं का विस्तार को बढ़ता है जिससे पौधों की ऊँचाई बढ़ती है । यह रोग (ब्लैक रोट) और ठण्ड से सहिष्णुता बढ़ता है यद्यपि प्याज में कैल्शियम की सिफारिश की गई मात्रा उपज, गुणवत्ता और भंडारण क्षमता के लिए अच्छी है। कैल्शियम की अनुशंसित खुराक 10 किलोग्राम / हेक्टेयर या मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार है।

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Subsidy on Onion Storage House

परियोजना अंतर्गत NHRDF नासिक की ड्राईंग- डिज़ाईन अनुसार 25-50 मीट्रिक टन के प्याज भण्डार गृह निर्माण का प्रावधान है | MIDH नार्मस अनुसार 25 मीट्रिक टन हैतु निर्धारित इकाई लागत राशि रु. 1.75 लाख पर 50% अनुदान अधिकतम राशि रु. 0.875 लाख एवं 50 मीट्रिक टन हैतु निर्धारित इकाई लागत राशि 3.50 लाख 50% अनुदान अधिकतम राशि रु. 1.75 लाख देय है| परियोजना समस्त जिलो में लागू है | सभी वर्ग के कृषक लाभ ले सकते है | आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Management of Purple Blotch in Onion

प्याज में बैगनी धब्बा रोग का प्रबंधन:

शुरुआत में छोटे, अंडाकार घाव ओर धब्बे जो आगे चल कर बैगनी भूरे हो जाते है पीले किनारों के चारो ओर दिखाई देते है | जब धब्बे बड़े होने लगते है पीले किनारे फ़ैल कर ऊपर नीचे घाव बनाते है| घाव पत्ति के बीच में बने होते है जिससे वो गिर जाता है | घाव पुरानी पत्तियों के सिरे से शुरू होते है |

रोग को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए स्वस्थ बीज का उपयोग किया जाना चाहिए। गैर-संबंधित फसलों के साथ 2-3 साल का फसल चक्र का पालन करना चाहिए। फफुदीनाशक का छिड़काव, मैन्कोज़ेब 75% WP @ 45 ग्राम/ 15 लीटर पानी या हेक्साकोनोजोल 5% एससी @ 20 मिलीलीटर / 15 लीटर पानी या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 15 मिलीलीटर / 15 लीटर पानी 30 दिन से 10-15 दिनों के अंतराल पर रोपण के बाद या जैसे ही बीमारी दिखाई देती है करना चाहिए |

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Thrips management in Onion

थ्रिप्स (तैला) प्याज का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला कीट है | यह देश सभी क्षेत्रो जहा प्याज उगाया जाता है पाया जाता है | थ्रिप्स (तैला) से ग्रसित प्याज की पत्तियों पर धब्बे रस चूसने के कारण विकसित होते हे जो पीले सफेद के क्षेत्रो में बदलते है | थ्रिप्स के कारण कभी कभी 50-60% उपज में कमी देखी गई है| थ्रिप्स के हमले के कारण बीज की जीवन क्षमता सहित बीज उत्पादन में बाधा आती है।यह कीट बहुत छोटा पीले से गहरे भूरे रंग का होता है| इसका जीवन काल 8-10 दिन होता है| यह हरी पत्तियों के जोड़ पाए जाते जहा यह नई निकलती पत्तियों का रस चूसते है| व्यस्क प्याज के खेत में जमीन में, घास पर और अन्य पौघो पर सुसुप्ता अवस्था में रहते है | सर्दियों में थ्रिप्स (तैला) कंद में चले जाते है और अगले वर्ष संक्रमण के स्त्रोत का कार्य करते है | वे मार्च-अप्रैल के दौरान भारत के उत्तरी हिस्सों में बीज उत्पादन और प्याज कंद पर बड़ी संख्या में प्रजननते हैं| ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है जिनकी पत्तियाँ घूमी हुई होती है | यदि प्रकोप वृद्धि की छोटी अवस्था में लगता है तो कंद निर्माण पुरी तरह बंद हो जाता है और पौधा धीरे धीरे मर जाता है| भंडारण के दोरान भी इसका प्रकोप कंदों पर रहता है| प्रोफेनोफोस @ 45 मिली. / पम्प या एमामेक्टीन बेंजोएट 15 ग्राम/पम्प या स्पिनोसेड @ 10 मिली. का स्प्रे करे| छिडकाव सिलिकोन आधारित साल्वेंट मिला कर करे और जमीन से फिप्रोनिल 0.03% GR @ 5 किलो प्रति एकड़ या फोरेट 10 G @ 4 किलो प्रति एकड़ या कार्बोफ्युरोन 3% G @ 4 किलो प्रति एकड़ देने की अनुशंसा है|

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Ideal soil and its preparation for growing Onion

प्याज के लिए मिट्टी एवं उसकी तैयारी:-

  • विभिन्न मृदाओ पर प्याज उगाया जा सकता है। लेकिन रेतीली दोमट, चिकनी दोमट और गहरी भुर भूरी मिट्टी प्याज की फसल के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
  • 5-6 जुताई के द्वारा भूमि तैयार की जाती है।
  • अधिकतम पीएच श्रेणी 5.8 और 6.5 के बीच हो। पीएच स्तर को बनाए रखने के लिए प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम जिप्सम का उपयोग करें। (मिट्टी पीएच स्तर के अनुसार)
  • भूमि को ऐसे तरीके से तैयार किया जाना चाहिए कि अत्यधिक पानी आसानी से बाहर निकाला जा सकता है और खरपतवार मुक्त बन सके|
  • आखरी जुताई से पहले 15-20 टन अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद खेत में देनी है |

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Irrigation management in Onion

प्याज की सिंचाई आवश्यकता मौसम, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई की विधि और फसल की उम्र पर निर्भर करती है। आमतौर पर, रोपाई के समय, रोपाई के तीन दिन बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है और बाद में मिट्टी की नमी के आधार पर 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। सामान्य तौर पर, खरीफ फसल को 5-8 सिंचाई की जरूरत होती है, पिछेती खरीफ फसल को 10-12 सिंचाई की आवश्यकता होती है और रबी की फसल को 12-15 सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्याज एक उथले जड़ों वाली फसल होने के कारण, अच्छी वृद्धि और कंद के विकास के लिए इष्टतम मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए लगातार हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। जब फसल पक जाए (खुदाई के 10-15 दिन पहले ) और उसकी गर्दन गिरने लगे तब सिंचाई बंद कर देने से भण्डारण के दौरान सडन को कम करने में मदद मिलता है|

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Time of fertilization in Onion

प्याज में खाद देने का समय:-
1. खेत की तैयारी के समय
2. रोपा लगते समय
3. रोपा लगाने के 20-30 दिन बाद
4. रोपा लगाने के 30-45 दिन बाद
5. रोपा लगाने के 45-60 दिन बाद
6. यदि किसी कारण से खाद की पुरी मात्रा नहीं दी गयी है तो कुछ जल्दी घुलने वाले उर्वरक 75 दिन की अवस्था में दिए जा सकते है |

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Symptoms of Deficiency and Dose of Sulphur in Onion

सल्फर की कमी के परिणामस्वरूप पत्तियों का एक सामान्य पीलापन नई पत्तों सहित पूरे पौधे पर एक समान होता है| मृदा द्वारा 30 किलो/हे. सल्फर खेत की तैयारी के समय देने की अनुशंसा की जाता है | वैसे तो सल्फर कई रूप में दिया जाता है पर सल्फर 80% WDG छिड़काव के रूप में देने से यह फफूंदनाशी एवं मकड़ी नाशी का भी काम करता है इसलिए सल्फर 80% WDG @ 50 ग्राम/15 लीटर पानी का प्रयोग करे |

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Weed management in Onion

प्याज में खरपतवार नियंत्रण:-पेंडिमेथालीन @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी या ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC @ 15 मिली. / 15 लीटर पानी का उपयोग रोपाई के 3 दिनों के बाद प्याज में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है, इसके साथ ही खरीफ की फसल में रोपाई के 25-30 दिनों के बाद और रबी फसल में रोपण के 40-45 दिन बाद एक हाथ से निदाई करे । रबी मौसम के दौरान चावल का भूरा घास या गेहूं पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाने के लिए सिफारिश की गई है। ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव रोपाई के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है|

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Fertilizer and Manure in Onion

गोबर की खाद 15-20 टन / हेक्टयर की दर से भुमि की तैयारी के समय मिलाये | नाईट्रोजन 120 किलो/. हे. फास्फोरस 60 किलों प्रति हे. पोटाश 75 किलो /हे.
20 किलो सल्फर, 10 किलो बोरेक्स एवं 10-15 किलो जाईम देने से उपज एवं गुणवत्ता बढती है |

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