Damping off disease in Onion

प्याज में पौध गलन रोग :-खरीफ के मौसम में विशेष रूप से भूमि में अधिक नमी एवं मध्यम तापमान इस रोग के विकास के मुख्य कारक है | इस रोग में प्याज की पौध गल कर मर जाती है |

नियंत्रण – कार्बेन्डाजिम12% + मेनेकोज़ेब 63% या थियोफीनेट मिथाइल 70% WP 50 ग्राम प्रति पम्प का छिडकाव करें |

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Doses of Fertilizer and Manure in Onion Crop

  • प्याज की अच्छी उपज के लिये उर्वरक की आवश्यकता अधिक होती है।
  • रोपण के एक माह पहले गोबर की खाद को 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाया जाता है।
  • नाईट्रोजन 50 किलो/एकड़, फास्फोरस 25 किलों प्रति एकड़ एवं पोटाश 30 किलो /एकड़
  • पौध रोपण के पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ण मात्रा खेत में मिलाया जाता है।
  • पौध रोपण के 20-25 दिनों के उपरांत नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा एवं तीसरी मात्रा 45-60 दिनों में देना चाहिये।
  • जिंक सल्फेट 10 किलो/एकड़ एवं बोरॉन 4 किलो/एकड़ की मात्रा उपज में वृद्धि के साथ कंद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

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Bulb splitting In Onion (physiological Disorder)

प्याज़ में कंदों का फटना:

कारक:-

  • प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है|
  • खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते है|
  • कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है|

लक्षण:-

  • प्रथम लक्षण कंद के फटने पर आधार पर दिखाई देते है|
  •  प्रभावित कंद फटे उभार के रूप में आधार भाग में दिखाई देते है|

रोकथाम:-

  • एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है|
  • धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते है|

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Bolting in Onion (Physiological disorder)

प्याज के फूल निकलना (देहिक विकार)

कारण :-

  • विभिन्न किस्म की आनुवांशिक विविधता के कारण|
  • तापमान में अत्यधिक उतर चढाव होने से|
  • निम्न बीज गुणवत्ता के कारण|
  • नर्सरी बेंड पर पौधो का विकास अवरूध्द हो जाने से|
  • शुरुआत में अत्यधिक कम तापमान फुलो का विकास करता हें|

लक्षण:-

  • यह अवस्था तब होनी हें जब पौधे पांच पत्तियों की अवस्था में होता हें|
  • इसमें अचानक प्याज के कंद के सिर पर केंद्र पर वृन्त विकसित हो जाता है|
  • इस अवस्था में कन्द हल्के एवं रेशेदार हो जाते हें|

रोकथाम:-

  • किस्मो की बुवाई उचीत समय पर करनी चाहिये|
  • उर्वरक का अत्यधिक उपयोग नहीं करना चाहिए|

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Achieved Maximum Yield in Onion

किसान का नाम:- मुकेश पाटीदार

गाँव :-  कनारदी

तहसील और जिला:- तराना और उज्जैन

राज्य :- मध्य प्रदेश

किसान भाई मुकेश पाटीदार ग्रामोफोन के आधुनिक किसान है इन्होने ग्रामोफ़ोन टीम के मार्गदर्शन में प्याज की खेती की जिसकी मध्य प्रदेश में ओसत उपज 70 किवंटल / एकड़ है लेकिन मुकेश जी ने प्रति एकड़ 113 क्विंटल प्राप्त की है |

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Stem and bulb nematode in Onion and Garlic

प्याज एवं लहसन में तना और कंद सुत्रकृमी:- नेमीटोड रंधो या पौधे के घावों के माध्यम से प्रवेश करती है और पौधों में गांठने या कुवृद्धि पैदा करती है। यह कवक और जीवाणु जैसे माध्यमिक रोगजनकों के प्रवेश द्वार के लिए स्थान देता है। इसके लक्षणों में वृद्धि अवरुद्ध हो जाना, कंदों में रंग हीनता और सूजन पैदा होती है।

प्रबंधन:- ·

  • कंद जो रोग के लक्षण दिखाते हैं वह बीज के लिए नहीं रखना चाहिए।·
  •  खेतों और उपकरणों का उचित स्वच्छता आवश्यक है क्योंकि यह निमेटोड संक्रमित पौधों और अवशेषों में जीवित रहता है और पुन: उत्पन्न कर सकता है।·
  • नेमीटोड के बेहतर नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरोन 3% दानेदार @ 10 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|·
  • नेमीटोड के कार्बनिक नियंत्रण के लिए नीम खली @ 200 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|

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Excellent Growth of Root in Onion

किसान का नाम:- देवनारायण पाटीदार

गाँव:- कनारदी

तहसील :- तराना जिला:- उज्जैन

किसान भाई श्री देवनारायण पाटीदार जी ने प्याज में 4 किलो प्रति एकड़ के अनुसार माईकोराईज़ा (जैव उर्वरक) का उपयोग ग्रामोफ़ोन टीम की अनुशंसा से किया जिससे उन्हें उत्तम परिणाम प्राप्त हुए है | जड़ो का सम्पूर्ण विकास होने से पौधे का स्वस्थ अच्छा है एवं कंदों का आकार भी एक समान है |

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Factors Affecting storage of Onion and Garlic

प्याज लहसून के भण्डारण को प्रभावित करने वाले कारक:- किस्म का चुनाव :- सभी किस्मो की भण्डारण क्षमता एक सी नहीं होती है। खरीफ में तैयार होने वाली किस्मों के प्याज टिकाउ नहीं हेाते हैं। रबी मौसम में तैयारी होने वाली किस्मों के प्याज साधारणत: 4-5 माह तक भण्डारित किये जाते हैं। यह किस्म के अनुसार कम या अधिक हो सकता है। पिछले 10-15 वर्षों के अनुभव बताते हैं कि एन-2-4-2, एग्रीफाउंड लार्इट रेड, अर्का निकेतन आदि किस्में 4-5 माह तक अच्छी तरह भण्डारित की जा सकती है। लहसुन की जी-1. जी- 2 ,जी 50 तथा जी 323 आदि जातियों को  6 से 8 महिने तक भण्डारण किया जा सकता हें

उर्वरक एवं  जल प्रबन्ध :- उर्वरकों की मात्रा, उसका प्रकार तथा जल प्रबन्ध का प्याज लहसुन  के भण्डारण पर प्रभाव पड़ता है। गोबर की खाद से भण्डारण क्षमता बढ़ती है। इसलिए अधिक मात्रा में गोबर की खाद या हरी खाद का उपयोग करना आवश्यक है। प्याज लहसून में प्रति हेक्टर 150 किग्रा. नत्रजन, 50 किग्रा.फास्फोरस तथा 50 किग्रा. पौटाश देने की सिफारिश की गर्इ है। यदि हो सके तो सारा नेत्रजन कार्बनिक खाद के माध्यम से देना चाहिए तथा नत्रजन की पूरी मात्रा रोपार्इ के 60 दिन से पहले दे देनी चाहिए। देर से नत्रजन देने से पौधों के तने (गर्दन) मोटे हो जाते हैं तथा प्याज में टिकते नहीं एवं फफुंदीजनक रोगों का अधिक प्रकोप होता है साथ ही प्रस्फुटन भी अधिक होता है। पोटेशियम की मात्रा 50 किग्रा. से बढ़ाकर 80 किग्रा. प्रति हेक्टर तक देनी चाहिए। इसी प्रकार का 50 किग्रा. प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करने से प्याज लहसुन की भण्डारण क्षमता व गुणवत्ता बढ़ती है। गन्धक की पूर्ति के लिए अमोनियम सल्फेट, सिंगल सुपर फास्फेट या पोटेशियम सल्फेट का प्रयोग करने से रोपार्इ के बाद पौधों को पर्याप्त मात्रा में गन्धक मिलता है

भण्डारण गृह का वातावरण :- प्याज लहसुन के अधिक समय तक भण्डारण के लिए भण्डारगृहों का तापमान तथा अपेक्षाकृत आद्रता महत्वपूर्ण कारक है। अधिक आर्द्रता (70% से अधिक) प्याज के भण्डारण का सबसे बडी शत्रु है। इससे फफुंदों का प्रकोप भी बढ़ता है व प्याज सड़ने लगता है।  इसके विपरीत आर्द्रता कम (65% से अधिक) होने पर प्याज के वाष्पोत्सर्जन अधिक होता है तथा वजन में कमी अधिक होने लगती है। अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए। मर्इ-जून के महीनों में भण्डारगृहों का तापमान अधिक होने से तथा नमी कम होने से वजन में कमी अधिक होती है। जुलार्इ से सितम्बर तक नमी 70 प्रतिशत से अधिक होती है। इससे सड़न बढ़ जाती है। इसी समय कम तापमान से अक्टूबर-नवम्बर में ससुप्ताविस्था टूट जाती एवं प्रस्फुटन की समस्या बढ़ जाती है।

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Cultivation of healthy Onion Crop

किसान का नाम:- जगदीश लोधी

गाँव :- चावनी

तहसील :- तराना, जिला:- उज्जैन

किसान भाई जगदीश जी ने 1 एकड़ में प्याज लगाई है और यह पुरी तरह ग्रामोफ़ोन टीम के मार्गदर्शन में खेती कर रहे है | जगदीश भाई का कहना हे कि अब मुझे खेती से सम्बंधित सामान घर बैठे मिल जाता हे वो भी एक्सपर्ट सलाह के साथ जिससे मेरे पैसे व समय दोनों की बचत हो रही है तथा फसल भी पहले से स्वस्थ है यह सुविधा किसान के लिए बहुत उपयोगी है |

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Symptoms and Control of Stemphylium Blight in Onion

स्टेमफाईटम झुलसा रोग:- छोटे पीले से नारंगी धब्बे या धारियां पत्ति के बीच में बनती है जो बाद में बड़ी धुरी के आकार से अंडाकार हो जाती है जो धब्बे के चारो ओर गुलाबी किनारे इसका लक्षण है| धब्बे पत्तियों के किनारे से नीचे की और बढ़ते है| धब्बे आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र बनाते है पत्तियां झुलसी दिखाई है पौधे की सभी पत्तियां प्रभावित होती है| चोपाई के 30 दिन बाद 10-15 दिन के अंतराल पर या बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फफूंदनाशियों मेन्कोजेब 75%WP @ 50 ग्राम प्रति पम्प, ट्रायसाईकलाज़ोल @ 20 मिली प्रति पम्प, हेक्सकोनाज़ोल @ 20 मिली, प्रोपिकोनाज़ोल @ 20 मिली प्रति पम्प का छिडकाव करे |

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