रोपाई के 96 से 100 दिन बाद- सिंचाई बंद करे
कंदो के सड़ने से बचाने के लिए कटाई से 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।
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रोपाई के 96 से 100 दिन बाद- सिंचाई बंद करे
कंदो के सड़ने से बचाने के लिए कटाई से 10 दिन पहले सिंचाई बंद कर दें।
Shareरोपाई के 90 से 95 दिन बाद- कंद का आकार बढ़ाने के लिए छिड़काव
वानस्पतिक विकास को कम करने और कंद का आकार बढ़ाने के लिए पॅक्लोबुट्राझोल 23% (जीका)- 50 मिली या पॅक्लोबुट्राझोल 40 SC (ताबोली)- 30 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करे।
Shareरोपाई के 75 से 80 दिन बाद- कंद का आकार बढ़ाने के लिए छिड़काव
कंद का आकार बढ़ाने के लिए और कवक या कीट संक्रमण को रोकने के लिए 200 लीटर पानी में टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC (फोलिक्योर) 200 मिली + सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD (बेनेविया) 250 मिली + 00:00:50 @ 1 किलोग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करे।
Shareरोपाई के 65 से 70 दिन बाद- मकड़ी एवं कवक रोगो से फसल बचाव
फसल को कवक या मकड़ी के संक्रमण से बचाने के लिए कीटाजिन 48%EC (किटाजिन) 400 मिली + एबामेक्टिन 1.9% EC (एबासिन) 150 मिली + 00:52:34 1 किग्रा प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलकर छिड़काव करे ।
Shareरोपाई के 56-60 दिन बाद- रसचूसक कीट व फफूंदजनित रोग नियंत्रित करने के लिए
रसचूसक कीट व फफूंदजनित रोग नियंत्रित करने के लिए मायक्रोन्यूट्रिएंट मिक्सचर (मिक्सोल) 250 ग्राम + (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC) (नोवालक्सम) 80 मिली+ (कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोज़ेब 63%) (करमनोवा) 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।
Shareरोपाई के 46-50 दिन बाद- रसचूसक कीट व फफूंदजनित रोग नियंत्रित करने के लिए
अच्छे विकास के लिए और रसचूसक कीट व फफूंदजनित रोग नियंत्रित करने के लिए जिब्बरेलिक एसिड (नोवामेक्स) 300 मिली + (फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG) (पोलिस) 40 ग्राम+ (टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG) (नोवाकेमा) 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।
Shareरोपाई के 41 से 45 दिन बाद- तीसरी पोषण खुराक
यूरिया 30 किलो + कैल्शियम नाइट्रेट 10 किलो + मैगनेशियम सल्फेट (ग्रोमोर) 10 किलो प्रति एकड़ की दर से आपस में मिलाकर मिट्टी में मिलाएं।
रोपाई के 36 से 40 दिन बाद- थ्रिप्स और बैंगनी धब्बा रोग नियंत्रण के लिए
संतुलित पोषण प्रदान करने और थ्रिप्स और बैंगनी धब्बा रोग नियंत्रण के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगरमैक्स जेल) 400 मिली + फ्लोनिकेमिड 50.00% WG (पनामा) 60 ग्राम + क्लोरोथालोनिल 75% WP (जटायु) 400 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
रोपाई के 31 से 35 दिन बाद- उर्वरको का भुरकाव
बेहतर विकास के लिए और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए यूरिया 30 किग्रा + मेक्सग्रो 8 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा + सल्फर 5 किग्रा प्रति एकड़ मिट्टी पर प्रसारित करें
Shareरोपाई से 26 से 30 दिन बाद – थ्रिप्स, एवं कवक रोगो की रोकथाम
वानस्पतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए और थ्रिप्स और कवक रोग के प्रबंधन के लिए, 19:19:19 (ग्रोमोर) 1 किलो + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% SC (लेमनोवा) 200 मिली + हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी (नोवाकोन) 400 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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