Damping off disease in Onion

  • खरीफ के मौसम में विशेष रूप से भूमि मे अत्यधिक नमी एवं  मध्यम तापमान इस रोग के विकास के मुख्य कारक होते हैं।  
  • बीज में पहले से ही एवं पौधे मे आर्द्र विगलन हो जाता है।  
  • बाद की अवस्था में रोगजनक पौधा कालर भाग मे आक्रमण करता है।  
  • अतंतः काँलर भाग विगलित होकर पौध गल कर मर जाते हैं। 
  • बुवाई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये। 
  • कार्बेन्डाजिम12% + मेनेकोज़ेब 63% या थियोफीनेट मिथाइल 70% WP 50 ग्राम प्रति पम्प का छिडकाव करें |

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Seed rate of onion crop

  • सामान्यत: 3-4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बीज दर रखना चाहिए|  
  • 3 x 0.6 मीटर की 40 – 44 क्यारियाँ एक एकड़ खेत की बुआई के लिए पर्याप्त होती है|
  • प्याज को सीधे खेत में छिडकाव के द्वारा भी बोया जाता है छिडकाव विधि में बीजदर 6 – 8 किलो ग्राम प्रति एकड़ रखना चाहिये |

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Suitable Soil and Climate for Onion

प्याज के लिए उपयुक्त मौसम एवं मिट्टी:-

  • प्याज ठंडे मौसम की सब्जी है जिसे हल्के जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • मानसून अवधि के दौरान जब औसत वर्षा 75-100 से.मी. अधिक होती है तब यह फसल नही होती हैं।
  • वानस्पतिक विकास के लिये आदर्श तापमान 12.8-23°C होता है।
  • कंद संरचना के विकास के लिये लम्बे दिन एवं उच्च तापमान (20-25°C) आवश्यक होता है।
  • शुष्क वातावरण कंद के परिपक्वता के लिये अनुकूल होता है।

मिट्टी :-

  • प्याज सभी तरह की भूमि में ऊगाया जा सकता है।
  • गहरी भुरभुरी और चिकनी बलुई मिट्टी प्याज उत्पादन के लिये सर्वोत्तम होती है।
  • अच्छी फसल की उत्पादन के लिये भूमि में ज्यादा कार्बनिक पदार्थ की मात्रा पर्याप्त जल निकासी एवं खरपतवार मुक्त होना चाहिये।
  • यह उच्च अम्लीयता एवं क्षारीयता के प्रति संवेदनशील होती है अतः भूमि का आदर्श pH मान 5.8 से 6.5 होना चाहिये।

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Seed and Nursery Bed Treatment in Onion

  • बुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे डंपिंग ऑफ रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 40 ग्राम / पम्प से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | यह उपाय डंपिंग ऑफ नामक बीमारी जो की पौध को नष्ट कर देती हैं के नियंत्रण के लिए बहुत उपयोगी हैं | 

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Management of Purple Blotch in Onion

  • रोग रहित स्वस्थ बीजो का चयन किया जाना चाहिए | 
  • अन्य बिना कंद वाली फसलों के साथ 2-3 साल का फसल चक्र का अपनाना चाहिए। 
  • फफुदीनाशक का छिड़काव, जैसे मैन्कोज़ेब 75% डब्लू पी @ 800 ग्राम/एकड़ या 
  • हेक्साकोनोजोल 5% एससी @ 400 मिली/एकड़ या 
  • प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 200 मिली/एकड़ का पहला स्प्रे 30 दिन से 10-15 दिनों के अंतराल पर रोपण के बाद या जैसे ही बीमारी दिखाई देती है करना चाहिए |

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Purple Blotch in Onion

  • रोग पुरानी पत्तियों के सिरे से शुरू होता है | शुरुआत में छोटे, अंडाकार धब्बे जो आगे चल कर बैगनी भूरे हो जाते हैं तथा इन धब्बो के किनारे पीले रंग के होते हैं | 
  • इस रोग के लिए अनुकूल वातावरण तब बनता हैं जब मौसम गर्म एवं आर्द्ध तथा तापमान 21 oC  से 30 oC तक और सापेक्ष आर्द्धता(80-90 %) तक होती हैं |  
  • पत्तियो और तना क्षतिग्रस्त हो होकर पौधा मुरझा कर झुक कर गिर जाता हैं। 
  • संक्रमित पौधो से कंद का विकास नही होता हैं। 

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Fertilizer management in Onion

  • प्याज की अच्छी उपज के लिये उर्वरक की आवश्यकता अधिक होती हैं | 
  • रोपण के एक माह पहले गोबर की खाद को 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाया जाता हैं।
  • नाईट्रोजन 50 किलो/एकड़, फास्फोरस 25 किलों प्रति एकड़ एवं पोटाश 30 किलो/एकड़ की दर से दी जाती हैं | 
  • पौध रोपण के पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ण मात्रा खेत में मिलाया जाता है।
  • पौध रोपण के 20-25 दिनों के उपरांत नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा एवं तीसरी मात्रा 45-60 दिनों में दिया जाता हैं।
  • जिंक सल्फेट 10 किलो/एकड़ एवं बोरॉन 4 किलो/एकड़ की मात्रा उपज में वृद्धि के साथ कंद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

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Harvest and Post Harvest Management of Onion

प्याज की तुड़ाई एवं तुड़ाई उपरान्त तकनीक

तुड़ाई:-

  • किस्मों के आधार पर प्याज, रोपण के 3 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • गर्मी के दिनों में भूमि कडी हो जाती है तब कंदों को भूमि से बाहर निकालने के लिए खुरपी का इस्तेमाल किया जाता है।
  • रबी मौसम की तुलना में खरीफ मौसम की फसल मे कम उपज होती है।

पैकिंग:-

  • लम्बी दूरी के बाजारों में ट्रक, रेल या वायुयान के द्वारा परिवहन के लिए जूट एवं नेट के बोरो का उपयोग पैकिग के लिए किया जाता है।
  • सामान्यतः 40 कि.ग्राम क्षमता के जूट एवं नेट बैग का उपयोग देश में एवं निर्यात के लिए 6-25 कि.ग्राम क्षमता वाले बोरो का उपयोग किया जाता है।
  • निर्यात के उद्देश्य से प्याज को 14-15 कि.ग्राम क्षमता की टोकरियों में भी पैक किया जाता है।

छटाई:-

  • कंदों को उपचारित करने के बाद हाथों एवं मशीनों के द्वारा आकार के आधार पर विभिऩ्न श्रेणी में श्रेणीकरण किया जाता है।
  • श्रेणीकृत प्याज को भंडारण के पूर्व उसमे से सड़े, कटे एवं अवाँछित लक्षण वाले कंदों को अलग कर देना चाहिये।
  • श्रेणी गत करने से पहले कंदों के ऊपर के सूखे छिलको को अलग कर देना चाहिये जिससे कंद आकर्षक दिखायी देते है।
  • उपचारित प्याजों को उनके आकार एवं घरेलू बाजार की उपलब्धता एवं निर्यात आधार पर श्रेणीकृत किया जाता है।

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Gramophone organised its ‘Field Day’

ग्रामोफ़ोन के फील्ड डे पर उमड़ी किसानो की भीड़ – 08 दिसंबर, 2018 को, ग्रामोफोन ने अपना ‘फील्ड डे’ आयोजित किया जहां सामान्य तौर उपयोग की जाने वाली कृषि पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई आधुनिक कृषि पद्धतियों से किया गया। ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों ने किसान को हर कदम पर निर्देशित किया और फसल चक्र की समीक्षा की जिस वजह से फसल की गुणवत्ता बहुत अच्छी है और परिणाम काफी उत्साहजनक हैं। बैंकपुरा गांव (धामनोद) के किसान मनीष अग्रवाल ग्रामोफ़ोन के बारे में कहते है की, “मैं इस सीजन में ग्रामोफोन के विशेषज्ञों से मदद ले रहा हूं और अन्य क्षेत्रों की तुलना में, मेरी फसल स्वस्थ है और मुझे उम्मीद है कि इस बार 30-40% ज़्यादा उत्पादन होगा”।

आइये देखते है सामान्य किसान द्वारा की खेती की फसल की गुणवत्ता का ग्रामोफ़ोन द्वारा आधुनिक पद्धतियों से उगाई गई फसल का तुलनात्मक अध्ययन

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Seed rate and sowing time for Onion

प्याज की बीज दर व बुआई का समय –

प्याज की खेती करने के लिए उचित बीज दर तथा बुआई के समय पर विशेष ध्यान दिया जाना बहुत ही जरुरी है अन्यथा उत्पादन पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है|

बुआई का समय –

  • प्याज की खेती करने के लिए पहले प्याज की नर्सरी तैयार करना पड़ता है प्याज की नर्सरी रबी में दिसंबर माह में तैयार की जाती है तथा खेत में चौपाई जनवरी माह में की जाती है  
  • खरीफ में 15 जून से लेकर 15 जुलाई तक नर्सरी तैयार की जाती है तथा अगस्त के अंतिम सप्ताह में खेत में चौपाई की जाती है

प्याज की बीज दर –

  • सामान्यत: 8-10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज दर रखना चाहिए|  
  • 3 x 0.6 मीटर की 100 – 110 क्यारियाँ एक हेक्टेयर खेत की बुआई के लिए पर्याप्त होती है|
  • प्याज को सीधे खेत में छिडकाव के द्वारा भी बोया जाता है छिडकाव विधि में बीजदर 15 – 20 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखना चाहिये|

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