- रोग पुरानी पत्तियों के सिरे से शुरू होता है | शुरुआत में छोटे, अंडाकार धब्बे जो आगे चल कर बैगनी भूरे हो जाते हैं तथा इन धब्बो के किनारे पीले रंग के होते हैं |
- इस रोग के लिए अनुकूल वातावरण तब बनता हैं जब मौसम गर्म एवं आर्द्ध तथा तापमान 21 oC से 30 oC तक और सापेक्ष आर्द्धता(80-90 %) तक होती हैं |
- पत्तियो और तना क्षतिग्रस्त हो होकर पौधा मुरझा कर झुक कर गिर जाता हैं।
- संक्रमित पौधो से कंद का विकास नही होता हैं।
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