Control Of Jassid in Okra

भिन्डी में जेसिड (फुदका) का नियंत्रण:-

पहचान:-

  • शिशु एवं वयस्क दोनों समान आकार के होते है, किन्तु शिशु में पंखों का निर्माण नही होता है।
  • खेत के अन्दर फसल में प्रवेश करने पर शिशु एवं वयस्क दोनों उड़ते हुये दिखाई देते है।  
  • वयस्क पत्तियों एवं शाखाओं की निचली सतह पर अण्डे देते है।  
  • इनका जीवन चक्र 2 सप्ताह में पूरा होता है।

हानि:-

  • शिशु एवं वयस्क कीट दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते है।
  • शिशु एवं वयस्क, पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं ।
  • ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती है जो बाद में पीली हो जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते है। इनके द्वारा माइकोप्लाज्मा रोग जैसे लघु पर्ण एवं विषाणु रोग जैसे चितकबरापन स्थानांतरित होता है।  
  • इस कीट के अत्यधिक प्रभाव देखे जाने पर पौधे में फल लगना कम हो जाता है।

नियंत्रण:-

  • बुआई के समय कार्बोफुरोन 3 जी @ 10 किलो प्रति एकड़ जमीन में मिलाये|
  • जेसिड की रोकथाम हेतु जेसिड दिखाई देने पर हर 15 दिन में प्रोफेनोफॉस 50 % ईसी @ 400 मिली या एसीटामाप्रीड 20% @ 80 ग्राम का स्प्रे करें |
  • जैसिड से बचाव के लिए नीम- लहसुन का सत जैसिड आने से पहले हर 15 दिन में करें|

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Management of Carrot fly

गाजर की मक्खी का प्रबंधन:-

क्षति के लक्षण:-

  • गाजर की मक्खी गाजर के अंदर किनारे के चारो ओर अण्डे देती हैं|
  • लगभग 10 मिमी लम्बाई वाली ईल्ली गाजर की जड़ों के बाहरी भाग को मुख्यतः अक्टूम्बर नवम्बर के दौरान नुकसान पहुँचाती है, जो धीरे-धीरे जड़ों में प्रवेश कर जड़ों के आंतरिक भागों को नुकसान पहुंचने लगती है|
  • गाजर के पत्ते सूखने लग जाते है|  पत्तियां कुछ पीले रंग के साथ लाल रंग की हो जाती हैं। परिपक्व जड़ों की बाहरी त्वचा के नीचे भूरे रंग की सुरंगें दिखाई देने लगती हैं।

नियंत्रण –

  • गाजर कुल से संबंधित सभी फसलों मे 3-5 साल का फसल चक्र अपनाना चाहिए|
  • प्रोफेनोफोस 50 ईसी @ 400 मिली / एकड़ का छिड़काव करना चाहिए|
  • क्विनोलफोस 25 ईसी @ 300 मिली / एकड़ का छिड़काव करना चाहिए|

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Control of Jassids in Brinjal

बैंगन में जैसिड का नियंत्रण:-

  • शिशु एवं वयस्क कीट दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते है।
  • शिशु एवं वयस्क, पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं ।
  • ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती है जो बाद में पीली हो जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते है ।
  • इनके द्वारा माइकोप्लाज्मा रोग जैसे लघु पर्ण एवं विषाणु रोग जैसे चितकबरापन स्थानांतरित होता है।
  • इस कीट के अत्यधिक प्रभाव देखे जाने पर पौधे में फल लगना कम  हो जाता है।

नियंत्रण:-

  • जेसिड की रोकथाम हेतु पौध रोपाई के 20 दिन बाद से  एसीटामिप्रिड 20% WP @ 80 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8%@ 80 मिली/ एकड़ दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Control of Aphids in Cabbage

पत्ता गोभी में एफिड का नियंत्रण:-

  • शिशु व वयस्क कोमल नाशपाती के आकार के काले रंग के होते है ।
  • यह कीट कोमल डालियों पर एक साथ रहते है व पत्तियों का रस चूसते है ।
  • अधिक ग्रसित पौधा पूरी तरह से सूखकर मर जाता है ।  

नियंत्रण:-

  • निम्नलिखित में से किसी एक  का छिड़काव करें :-
    1. डायमेथोएट 30 ईसी @ 300 मिली/एकड़
    2. क्यूनॉलफॉस 25 ईसी @ 300 मिली/एकड़
    3. प्रोफेनोफॉस 50 ईसी @ 400 मिली/ एकड़
  • पौधे अवशेषों को नष्ट करे व  जंगली घास व निंदाओं को हटायें ।
  • दानेदार फोरेट 10 जी का 10 किलोग्राम /हेक्टर की दर से मिट्टी में मिलाने से एफिड के दोबारा प्रकोप को  रोका जा सकता है ।

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Management of Mealy Bug in Cotton

कपास में मिली बग का प्रबंधन :-

  • मिली बग कपास के पत्तों के नीचे बड़ी संख्या में समूह बना कर एक मोम की परत बना लेते हैं |
  • मिली बग बड़ी मात्रा में मधुस्राव छोड़ता हैं जिस पर काली फफूंद जमती हैं|
  • ग्रसित पौधे कमज़ोर और काले दिखाई देते है जिससे फलन क्षमता काम हो जाती है|

प्रबंधन:-

  • पुरे साल खेत खरपतवार मुक्त रखना चाहिए |
  • खेत की निगरानी रखनी चाहिए ताकि शुरुआत में ही कीट को देखा जा सके|
  • अधिकतम नियंत्रण के लिए शुरुआती अवस्था में ही प्रबंधन के उपाय करें |
  • आवश्यकता होने पर नीम आधारित वानस्पतिक कीटनाशक जैसे नीम तेल @ 75 मिली प्रति पंप या नीम निंबोली सत @ 75 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए डायमिथोएट @ 30 मिली प्रति पम्प या प्रोफेनोफॉस @ 40 मिली प्रति पम्प या ब्यूप्रोफेज़िन @ 50 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Control of Fruit fly in Sponge Gourd

गिल्की में फल मक्खी:-

हानि:-

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते है|
  • इनसें ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है|
  • मक्खी प्राय: कोमल फलों पर अंडे देती है|
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेद करके उन्है हानि पहुचाती है| इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है|
  • अन्तत: छेद ग्रसित फल सड़ने लगते है|
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है|

नियंत्रण:-

  • ग्रसित फलों को इकटठा करके नष्ट कर देना चाहिए|
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोथाम के लिए खेत में फेरोमेन ट्रेप लगाना चाहिये, इस फेरोमेन ट्रेप में मक्खी को मारने के लिए 1% मिथाईल इजीनोल या सिंत्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टिक अम्ल का घोल बनाकर रखा जाता है|
  • परागण की क्रिया के तुरंत बाद तैयार होने वाले फलों को पोलीथीन या पेपर से ढक देना चाहिए|
  • इन मक्खियों को नियंत्रण करने के लिए गिल्की के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को लगाना चाहिए, इन पौधों की उचाई ज्यादा होने से मक्खी पत्तो के नीचे अंडे देती है|
  • जिन क्षेत्रों में फल माखी का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है, वहां पर कार्बारिल 10% चूर्ण खेत में मिलाये|
  • डायक्लोरोवास कीटनाशक का 3 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अन्दर की मक्खी की सुप्तावस्था को नष्ट करना चाहिए|

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Management of Chilli Thrips

मिर्च में थ्रिप्स का प्रबंधन:-

लक्षण :-

  • रोग से ग्रस्तित पत्तिया ऊपर की और मुड़ती हुई दिखाई देती है|
  • कलिया नाज़ुक हो कर गिर जाती है|
  • शुरूआती अवस्था में फसल की वृद्धि और फूलो की मात्रा में कमी आती है |

प्रबंधन:-

  • ज्वार की फसल के बाद मिर्च की फसल नहीं लगाना चाहिए |
  • मिर्च और प्याज की मिश्रित खेती ना करें|
  • बीज का उपचार इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूएस @ 12 ग्राम / किग्रा  से करें|
  • कार्बोफुरन 3% जी @ 33 किलो / हेक्टेयर या फोरेट 10% जी @ 10 किलो / हेक्टेयर जमीन से दें |
  • इनमे से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करे |

 

           कीटनाशक मात्रा
इमिडाक्लोप्रिड 17.8 % एस.एल. 100 मिलि/एकड़
डायमिथोएट 30 % ईसी 300 मिलि/एकड़
इमामेक्टिन बेन्झोएट 5 % एसजी 100 ग्राम/एकड़
प्रोफेनोफोस  50% ईसी 500 मिली/एकड़
फिप्रोनिल 5 % एससी 500 मिलि/एकड़
स्पिनोसेड  45 % एससी 70 मिली/एकड़

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Control of Gram pod borer in Soybean

सोयाबीन में चने की ईल्ली का नियंत्रण:-

नुकसान के लक्षण: –

  • लार्वा नयी पत्तियों से क्लोरोफिल को भोजन के रूप में खाते है|  
  • वे शुरुआती चरण में पतियों से भोजन प्राप्त करते हैं,और बाद में वे फूलों और फली से भोजन प्राप्त करते है|

प्रबंधन :-

  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करे |
  • फेरोमेंन ट्रैप 5 प्रति हेक्टेयर स्थापित करे |
  • क्लोरोपायरीफोस 20% ईसी @750 मिली/एकड़ और क्विनालफॉस 25% ईसी @ 250 मिली/एकड़ का छिड़काव करें | या
  • डेल्टामैथ्रिन 2.8% ईसी @ 250 मिली/एकड़ और फ्लुबेंडीयामाइड 20% डब्लू जी @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें |

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Contro of Diamondback Moth (DBM) in Cabbage

पत्ता गोभी की ईल्ली का नियंत्रण:-

पहचान

  • अंडे सफ़ेद-पीले व हल्के हरे रंग लिये होते है|
  • इल्लियाँ 7-12 मिमी. लम्बी, हल्के पीले- हरे रंग की व पुरे शरीर पर बारीक रोयें होते है|
  • वयस्क 8-10 मिमी. लम्बे मटमैले भूरे रंग के व हल्के गेहुएं रंग के पतले पंख जिनका भीतरी किनारा पीले रंग का होता है|
  • वयस्क मादा पत्तियों पर समूह में अंडे देती है|
  • इनके पखों के ऊपर सफेद धारी होती है जिन्हें मोड़ने पर हीरे जैसी आकृति दिखती है|

नुकसान:-

  • छोटी पतली हरी इल्लियाँ अण्डों से निकलने के बाद पत्तियों की बाहरी परत को खाकर छेद कर देती है|
  • अधिक आक्रमण होने पर पत्तियां पुरी तरह से ढांचानुमा रहा जाती है|

नियंत्रण:- डायमण्ड बैक मोथ की रोकथाम के लिये बोल्ड सरसों को गोभी के प्रत्येक 25 कतारों के बाद 2 कतारों में लगाना चाहिये। प्रोफेनोफ़ोस (50 र्इ.सी.) का 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। स्पाइनोसेड (25 एस. सी.) 0.5 मि.ली. प्रति ली. या ईंडोक्साकार्ब 1.5 मि.ली. प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 25 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।

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Control of white grubs in Soybean and Groundnut

सोयाबीन एवं मूंगफली में सफ़ेद ग्रब का नियंत्रण

नुकसान के लक्षण:- ग्रब जड़ों को खाता है | ग्रब बारीक जड़ों को खाता हैं जिससे पौधे सूखने लगते हैं पौधों का सुखना पेचों में दिखाई देता हैं |

सफ़ेद ग्रब का प्रबंधन:-

  • जैव-नियंत्रण:- मेटाराहीजियम एनीसोप्ली जोकि एक फफूंद हैं यहाँ सफ़ेद ग्रब, दीमक एवं जैसिड में रोग पैदा कर के उन्हें मारता है | जमीन से:- 2-4 किलो मेटाराहीजियम एनीसोप्ली को 50 किलो गोबरखाद/कम्पोस्ट खाद/खेत की मिट्टी में मिला कर खेत की तैयारी के समय या खड़ी फसल में दे| छिड़काव:- 2 किलो मेटाराहीजियम एनीसोप्ली को 150- 200 लीटर पानी में घोल बना कर 1 एकड़ में छिड़काव करें |
  • रासायनिक दवाई का छिड़काव मध्य जुलाई तक प्रत्येक बारिश के बाद करना चाहिए|
  • पहली बारिश के 3-4 दिन के बाद खेत के आसपास एवं पेड़ों के पास शाम के समय क्लोरोपाइरीफॉस 20% EC @ 2 मिली/लीटर का छिड़काव करेने से ग्रब के व्यस्क मर जाते है और ग्रब की संख्या नियंत्रित रहती हैं|
  • क्लोरोपाइरीफॉस 20% EC ( 6.5 to 12.5 Ml/kg बीज ) से बीज उपचार करना बहुत प्रभावी पाया गया हैं |
  • बहुत अधिक प्रकोप होने पर निम्न मे से किसी एक का प्रयोग करें |
  • कार्बोफुरान 3 % @ 10 किलो प्रति एकड़
  • क्लोरोपाइरीफॉस 20 EC @ 500 मिली प्रति एकड़
  • फोरेट 10% @ 10 किलो प्रति एकड़

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