- थ्रिप्स कीट के शिशु एवं वयस्क रूप तरबूज के पौधों की पत्तियों को खुरचकर रस चूसते हैं। पौधे के कोमल डंठल, कलियों व फूलों पर इसका प्रकोप होने पर ये टेढी मेढी हो जाती हैं। इसके प्रभाव के कारण पौधे छोटे रह जाते हैं।
- इसके नियंत्रण हेतु लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% एस सी @ 400 मिली/एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।
- कीटनाशक को 15 दिनों के अंतराल में बदलकर उपयोग करें।
मूंग की फसल का एफिड के प्रकोप से ऐसे करें बचाव
- एफिड छोटे व नरम शरीर वाले कीट होते है जो पीले, भूरे, हरे या काले रंग के हो सकते हैं।
- ये आमतौर पर मूंग के पौधे की छोटी पत्तियों और टहनियों के कोनों पर समूह बनाकर रहते हैं और रस चूसते है। इसके साथ ही ये एक चिपचिपा मधु रस (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे फफूंदजनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- इसके गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां और टहनियां कुम्हला सकती हैं या पीली पड़ सकती हैं।
- एफिड कीट से बचाव हेतु थायोमेथोक्सोम 25% WG@100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@100 मिली/एकड या फ्लूनेकामाइड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक रूप से बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
प्याज की फसल में अनियन मेगट का ऐसे करें प्रबंधन
- प्याज का मेगट सफेद रंग का बहुत छोटा कीट होता है।
- यह प्याज़ के कंद को बहुत नुकसान पहुँचाता है।
- बड़े कंदो में 9 से 10 मैगट एक साथ हमला करते हैं और उसे खोखला बना देते हैं।
- इसके कारण प्याज़ का कंद पूरी तरह सड़ जाता है।
- इस कीट के निवारण के लिए फिप्रोनिल 0.3% 7.5 या कारटाप हाइड्रोक्लोरइड 7.5 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाएं।
- फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरोपायरीफॉस 20% EC@ 1 लीटर/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
तरबूज़ की फसल में सफ़ेद मक्खी का प्रकोप एवं नियंत्रण की विधि
- सफ़ेद मक्खी के शिशु एवं वयस्क रूप तरबूज के पौधों की पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते हैं एवं मधु-श्राव का उत्सर्जन करते हैं जिससे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करते हैं ।
- इसके कारण पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती हैं और सूटी मोल्ड से ढक जाती हैं।
- यह कीट पत्ती मोड़क विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है।
- इसके नियंत्रण हेतु डायमेथोएट 30% ईसी @ 300 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ का छिड़काव 10 दिनों के अंतराल पर करें।
मौसम बदलाव के कारण हो सकते है कीट आक्रमण
- मौसम बदलाव को देखते हुए कई तरह के कीट फसलों पर हमले कर सकते हैं क्योंकि नमीयुक्त वातावरण इनके लिए उपयुक्त होता है।
- ग्रीष्मकालीन कद्दूवर्गीय सब्जियों में लाल भृंग कीट के आक्रमण की संभावना रहती है। इस कीट की संख्या अधिक हो तो साइपरमैथ्रिन 4% ईसी + प्रोफेनोफॉस 40% ईसी 400 मिली या बाइफेंथ्रीन 10% ईसी 200 मिली या डाइक्लोरोवोस 76 ईसी 300 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।
- भिंडी में रस सूचक कीट जैसे सफेद मक्खी, एफिड, जैसिड आदि के नियंत्रण के लिए थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
- प्याज में थ्रिप्स (तेला) के प्रकोप की अधिक संभावना बनी हुई रहती है अतः प्रोफेनोफोस 50 ई.सी. @ 45 मिली या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% सी.एस. @ 20 मिली या स्पिनोसेड @ 10 मिली या फिप्रोनिल 5 एस.सी. प्रति 15 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
- रासायनिक दवा के साथ इस मौसम में 0.5 मिली चिपको प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें ताकि दवा पौधों द्वारा अवशोषित हो जाये।
चने में पल्स बीटल का प्रबंधन
- चने में पल्स बीटल का आक्रमण भंडारण के 60 दिनों के बाद तेजी से देखने को मिलता हैंं।
- चने में दलहनी बीटल के संक्रमण के कारण, भंडारण के 120 दिनों के भीतर 87.23% बीज में क्षति तथा 37.15% वजन कम देखा गया है ।
- ऐसा पाया गया है की यदि की नीम और अरंडी के तेल @ 6 मिली / कि.ग्रा. बीज से उपचार करके बीजो को भंडारण किया जाये तो चार महीनों तक इस कीट का प्रभावी नियंत्रण हो जाता हैंं ।
- बीज को वनस्पति तेल या कोई भी खाने के तेल की एक परत चढ़ा कर भंडारित करे एवं नीम के पत्तों को मिलाऐं।
- 10% मैलाथियान घोल में बैग डुबोएं।
- बीजों को रखने के लिए वायु रहित कोठी का उपयोग करे |
- एल्यूमीनियम फास्फाइड फूमिगेशन का उपयोग करके भी बिना अंकुरण को प्रभावित किये बीजो को सुरक्षित रखा जा सकता हैंं।
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Shareगेहूँ में जड़ माहू (रुट एफिड) का नियंत्रण
- गेहूँ में माहु का प्रकोप नवंबर- फरवरी माह में देखने को अधिक मिलता है|
- वर्षा आधारित एवं देर से बुवाई की हुई फसल में यह कीड़ा अधिक नुकसान करता है|
- छोटे-छोटे पीले रंग के मच्छर गेहूँ के तने के आसपास दिखाई देते है|
- यह पौधों से रस चूसता है जिस कारण पौधा पीला पड़ने लगता है|
- यह कीड़ा वायरस रोग फ़ैलाने में भी मदद करता है|
- इस कारण लगभग 50% तक उपज में कमी आ सकती है|
नियंत्रण-
- फसल की देर से बुवाई न करें|
- यूरिया का प्रयोग ज्यादा न करे|
- खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL 60-70 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें|
- या थायमेथॉक्ज़ाम 25% WG @ 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से खाद/रेत/मिट्टी में मिला कर जमीन से दे और सिंचाई करें |
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Shareगेहूँ में सैनिक कीट/कटुआ का नियंत्रण
गेहूँ में सैनिक कीट/कटुआ का नियंत्रण :-
- पत्तियों का झड़ना इस कीट की उपस्थिति का प्राथमिक लक्षण है|
- इसके लार्वा पत्तियों पर क्षति पहुँचाते हैं|
- भारी उपद्रव बहुत विनाशकारी हो सकता है; इस स्थिति में लार्वा पौधे के ऊपरी भाग पर पहुँच कर बालियों के नीचे वाले भाग को काट देते है| एवं कुछ प्रजातियाँ मिट्टी में रहकर फसल के जड़ों को नुकसान पहुँचाती है|
- सैनिक कीट सुबह और शाम की अवधि के दौरान क्षति पहुँचाता है|
प्रबंधन –
- इस कीट के लार्वा पत्तियों की निचली सतह पर पाये जाते है इन्हे आसानी से हाथ से पकड़कर नष्ट किया जा सकता है|
- पक्षिओं को आकर्षित करने के लिए 4-5/एकड़ ‘’T’’ आकर की खूँटी का उपयोग करते है|
- रासायनिक उपचार के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट (5% एस.जी) 100 ग्राम/एकड़ या फिप्रोनिल (5% एस.सी) 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें|
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Shareभिन्डी में पीला शिरा रोग (यलो वेन मोजैक रोग ) का प्रबंधन
भिन्डी का पीला शिरा रोग (यलो वेन मोजैक रोग ) :-
- यह बीमारी सफ़ेद मक्खी नामक कीट के कारण होती है|
- यह बीमारी भिंडी की सभी अवस्था में दिखाई देती है|
- इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती हैं|
- पीली पड़ने के बाद पत्तियाँ मुड़ने लग जाती हैं|
- इससे प्रभावित फल हल्के पीले, विकृत और सख्त हो जाते है|
प्रबंधन:-
- वायरस से ग्रसित पौधों और पौधों के भागों को उखाड़ के नष्ट कर देना चाहिए|
- कुछ किस्मे जैसे परभणी क्रांति, जनार्धन, हरिता, अर्का अनामिका और अर्का अभय इत्यादि वायरस के प्रति सहनशील होती है|
- पौधों की वृद्धि की अवस्था में उर्वरकों का अधिक उपयोग ना करें|
- जहाँ तक हो सके भिंडी की बुवाई समय से पहले कर दें|
- फसल में प्रयोग होने वाले सभी उपकरणों को साफ रखें ताकि इन उपकरणों के माध्यम से यह रोग अन्य फसलों में ना पहुँच पाए|
- जो फसलें इस बीमारीं से प्रभावित होती है उन फसलों के साथ भिंडी की बुवाई ना करें|
- सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए 4-5 चिपचिपे प्रपंच/एकड़ उपयोग कर सकते है|
- डाइमिथोएट 30% ई.सी. 250 मिली /एकड़ पानी मे घोल बना कर स्प्रे करें|
- इमिडाइक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिली /एकड़ की दर से स्प्रे करें|
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ShareManagement of Termites in Wheat
गेहूँ में दीमक (उददी ) का प्रबंधन:-
- बुवाई के बाद और कभी-कभी परिपक्वता की अवस्था पर दीमक द्वारा फसल को नुकसान पहुँचाया जाता है|
- दीमक प्रायः फसल की जड़ों, बढ़ते पौधों के तनों, पौधे के मृत ऊतकों को नुकसान पहुँचाती है|
- क्षतिग्रस्त पौधे पूरी तरह से सूख जाते हैं और आसानी से जमीन से उखाड़े जा सकते है|
- जिन क्षेत्रों में अच्छी तरह सड़ी हुई खाद का प्रयोग नहीं किया जाता उन क्षेत्रो में दीमक का प्रकोप अधिक होता है|
प्रबंधन –
- बुवाई के पहले खेत में गहरी जुताई करें|
- खेत में अच्छी सड़ी हुई खाद का ही उपयोग करे|
- दीमक के टीले को केरोसिन से भर दे ताकि दीमक की रानी के साथ-साथ अन्य सभी कीट मर जाएँ|
- बुवाई से पहले क्लोरोपायरीफोस (20% ई.सी ) @ 5 मिली/ किलो बीज से बीजोपचार करें ।
- क्लोरोपायरीफोस (20% ई.सी) @ 1 लीटर/ एकड़ को किसी भी उर्वरक के साथ मिलाकर जमीन से दें और सिंचाई कर दे|
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