पहचान:-
- अंडे 1.0 से 1.5 मिमी., लम्बे, बेलनाकार आकार के सफ़ेद के रंग एवं किनारे पर पतले होते है|
- पूर्ण विकसित लार्वा 5 से 10 मिमी. लम्बे, बेलनाकार सामने की तरफ पतले, एवं पीछे का हिस्सा भोथरा एवं सफ़ेद रंग का होता है|
- प्यूपा 5 से 8 सेमी. लंबा. नलीनुमा आकार का एवं भूरे रंग लिए हुए होता है|
- वयस्क मक्खी का शरीर लाल भूरे रंग का, पंख पारदर्शक एवं चमकदार जिन पर पीले भूरे रंग की धारियां होती है|
- वयस्क मक्खी 4 से 5 मिमी. लम्बी होती है| वयस्क मादा मक्खी अपने पंखो को 14 से 16 मिमी. एवं नर मक्खी अपने पंखों को 11 से 13 मिमी. तक फैला सकती है|
हानि:-
- मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते है|
- इनसें ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है|
- मक्खी प्राय: कोमल फलों पर अंडे देती है|
- मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेद करके उन्है हानि पहुचाती है| इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है|
- अन्तत: छेद ग्रसित फल सड़ने लगते है|
- मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है|
नियंत्रण:-
- ग्रसित फलों को इकटठा करके नष्ट कर देना चाहिए|
- अंडे देने वाली मक्खी की रोथाम के लिए खेत में फेरोमेन ट्रेप लगाना चाहिये, इस फेरोमेन ट्रेप में मक्खी को मारने के लिए 1% मिथाईल इजीनोल या सिंत्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टिक अम्ल का घोल बनाकर रखा जाता है|
- परागण की क्रिया के तुरंत बाद तैयार होने वाले फलों को पोलीथीन या पेपर से ढक देना चाहिए|
- इन मक्खियों को नियंत्रण करने के लिए करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को लगाना चाहिए, इन पौधों की उचाई ज्यादा होने से मक्खी पत्तो के नीचे अंडे देती है|
- जिन क्षेत्रों में फल माखी का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है, वहां पर कार्बारिल 10% चूर्ण खेत में मिलाये|
- डायक्लोरोवास कीटनाशक का 3 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें|
- गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अन्दर की मक्खी की सुप्तावस्था को नष्ट करना चाहिए|
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