जीवामृत बनाने की विधि और उपयोग

जीवामृत:- जीवामृत मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ावा देकर उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है और प्रासंगिक पोषक तत्व भी प्रदान करता है। यह जैविक कार्बन और अन्य पोषक तत्वों का भी स्रोत है, किंतु इनकी मात्रा कम ही होती है। यह सूक्ष्म जीवों की गतिविधि के लिए एक प्राइमर की तरह काम करता है, और देशी केंचुए की संख्या को भी बढ़ाता है।

आवश्यक सामग्री: 10 किलो ताजा गोबर, 5-10 लीटर गोमूत्र, 50 ग्राम चूना, 2 किलो गुड़, 2 किलो दाल का आटा, 1 किलो बांध मिट्टी और 200 लीटर पानी l

जीवामृत तैयार करने की विधि : सामग्री को 200 लीटर पानी में मिलाकर अच्छी तरह से हिलाना चाहिए । इसके बाद इस मिश्रण को छायादार स्थान पर 48 घंटे के लिए किण्वन के लिए रख दें। इसे दो बार–एक बार सुबह और एक बार शाम – लकड़ी की छड़ से चलाना चाहिए। तैयार मिश्रण का प्रयोग सिंचाई के पानी के माध्यम से या सीधे फसलों पर करें। इसे वेंचुरी (फर्टिगेशन डिवाइस) का उपयोग करके ड्रिप सिंचाई के माध्यम से भी अनुप्रयुक्त किया जा सकता है।

जीवामृत के अनुप्रयोग : इस मिश्रण का प्रयोग प्रत्येक पखवाड़े में किया जाना चाहिए। इसके प्रयोग सीधे फसलों पर छिड़काव के जरिए या सिंचाई जल के साथ फसलों पर प्रयोग किया जाना चाहिए। फल वाले पौधों के मामले में, इसका अनुप्रयोग एक-एक पेड़ पर किया जाना चाहिए। इस मिश्रण को 15 दिनों के लिए भंडारित किया जा सकता है।

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ज्यादातर राज्यों में भारी बारिश के आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

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दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हवाओं की दिशा बदली है। पूर्वी दिशा से नम हवाएं चलने लगी हैं। उत्तर प्रदेश में बारिश शुरू हो चुकी है। अब दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात और पूर्वी राजस्थान में बारिश शुरू होगी। उत्तराखंड में भी बारिश की गतिविधियां बढ़ेगी। मानसून अब आगे बढ़ना शुरू होगा। पूर्वोत्तर में भारी बारिश होगी। दक्षिणी प्रायद्वीप में बारिश की गतिविधियां कम हो जाएंगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सोयाबीन की खेती करते समय ध्यान रखने योग्य जरूरी बातें

  • प्रिय किसान भाइयों, सोयाबीन की बुवाई से पहले किसान सोयाबीन के 100 दाने का अंकुरण परिक्षण करें।

  • यदि 75 से अधिक दाने अंकुरित होते हैं तो ही बीज को बुवाई योग्य माना जाता है।  

  • इससे सोयाबीन की अच्छी उपज होगी और किसानों को लाभ मिलता है। 

  • फसल के लिए उर्वरक व्यवस्था समिति या निजी व्यापारी से अपनी आवश्यकता अनुसार क्रय कर भंडारित करें, जिससे बुवाई के समय पर कृषकों को किसी भी प्रकार समस्या का सामना ना करना पड़े।

  • किसान प्रायोगिक तौर पर प्राकृतिक खेती के घटक को सोयाबीन फसल पर प्रयोग कर बेहतर परिणाम लें सकते हैं एवं आगामी फसलों के अधिक रकबे पर प्राकृतिक खेती करें।

  • किसान बीज उर्वरक एवं कीटनाशक खरीदते समय संस्थाओं से पक्के बिल लें।

  • फसल विविधीकरण अपनाकर एक से अधिक फसल लें ताकि, अल्प या अधिक वर्षा से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके।

  • बीज का चयन करते हुए नवीन किस्म (10 वर्ष के अन्दर) का चयन करें।

  • सोयाबीन की बुवाई लगभग 15 जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह का उपयुक्त समय है।

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मिर्च की पौध रोपाई के लिए खेत की तैयारी ऐसे करें

  • किसान भाइयों, मिर्च के पौधो की अच्छी बढ़वार के लिए मिट्टी का भुरभुरा होना आवश्यक है। 

  • पिछली फसल की कटाई के बाद एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 जुताई कल्टीवेटर या हैरो की सहायता से की जानी चाहिए। 

  • खेत में मौजूद, अन्य अवांछित सामग्री को हटा दें, अगर मिट्टी में नमी कम हो तो पहले पलेवा करें फिर खेत की तैयारी करें। 

  • आखिरी में पाटा चला कर खेत समतल बना लें। 

  • 5 टन गोबर की खाद + टीबी 3- 3 किग्रा (एनपीके बैक्टीरिया का संघ) + स्पीड कम्पोस्ट 4 किग्रा (कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया) + कॉम्बैट 1 किग्रा (ट्राइकोडर्मा विरीडी) + मैक्समाइको 2 किग्रा (समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और ताबा जी (ZnSB) 4  किग्रा, उपरोक्त सभी को प्रति एकड़ के हिसाब से आपस में मिलाकर खेत में समान रूप से भुरकाव करें।

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देश के विभिन्न मंडियों में 25 जून को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

शहर

मंडी

कमोडिटी

वैरायटी

ग्रेड (एवरेज/सुपर)

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

जयपुर

मुहाना मंडी

अनन्नास

क्वीन

54

55

जयपुर

मुहाना मंडी

तरबूज

बैंगलोर

14

15

जयपुर

मुहाना मंडी

अदरक

हसन

28

29

जयपुर

मुहाना मंडी

कटहल

केरल

28

30

जयपुर

मुहाना मंडी

कच्चा आम

केरल

50

55

जयपुर

मुहाना मंडी

कच्चा आम

तमिलनाडु

55

60

जयपुर

मुहाना मंडी

टमाटर

12

15

जयपुर

मुहाना मंडी

हरा नारियल

बैंगलोर

30

32

जयपुर

मुहाना मंडी

आलू

चिप्सोना

सुपर

10

12

जयपुर

मुहाना मंडी

आलू

पुखराज

10

12

जयपुर

मुहाना मंडी

प्याज

नासिक

14

15

जयपुर

मुहाना मंडी

प्याज

कुचामन

7

9

जयपुर

मुहाना मंडी

प्याज

सीकर

12

13

जयपुर

मुहाना मंडी

लहसुन

फूल

40

42

जयपुर

मुहाना मंडी

लहसुन

मिडियम

34

35

जयपुर

मुहाना मंडी

लहसुन

छोटा

30

31

जयपुर

मुहाना मंडी

नींबू

महाराष्ट्रा

110

115

आगरा

सिकंदरा मंडी

प्याज

सागर

10

11

आगरा

सिकंदरा मंडी

प्याज

नासिक

12

13

आगरा

सिकंदरा मंडी

लहसुन

8

13

आगरा

सिकंदरा मंडी

लहसुन

न्यू

30

35

आगरा

सिकंदरा मंडी

कटहल

24

आगरा

सिकंदरा मंडी

अदरक

औरंगाबाद

22

आगरा

सिकंदरा मंडी

हरी मिर्च

कोलकाता

40

45

आगरा

सिकंदरा मंडी

नींबू

मद्रास

85

आगरा

सिकंदरा मंडी

नींबू

महाराष्ट्रा

105

आगरा

सिकंदरा मंडी

अनन्नास

किंग

35

आगरा

सिकंदरा मंडी

आलू

पुखराज

7

8

आगरा

सिकंदरा मंडी

आलू

ख्याति

7

8

आगरा

सिकंदरा मंडी

आलू

चिप्सोना

10

11

आगरा

सिकंदरा मंडी

आलू

गुल्ला

5

आगरा

सिकंदरा मंडी

तरबूज

महाराष्ट्रा

15

16

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फिर गति पकड़ेगा मानसून, इस दिन से शुरू होगी भारी बारिश

know the weather forecast,

पिछले दो-तीन दिनों के दौरान पूरे भारत में मानसून की बारिश में कमी आई है तथा भारत में बारिश का अनुपात कम हुआ है। 26 और 27 जून तक मानसून कमजोर ही बना रहेगा परंतु उसके बाद बहुत तेजी से गति पकड़ेगा। उत्तर प्रदेश को कवर करता हुआ उत्तराखंड दिल्ली पंजाब और हरियाणा के पूर्वी जिलों तक पहुंचेगा। जुलाई के शुरुआत में गुजरात और राजस्थान में भी तेज वर्षा हो सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

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मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे अलोट, बदनावर, आलमपुर, बड़नगर, बड़वाह और पन्ना आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अलोट

1800

1950

आलमपुर

1900

1970

बड़नगर

1850

2237

बड़नगर

1854

2171

बदनावर

1850

2385

बड़वाह

1830

2121

बकतरास

2000

2019

बमोरा

1900

2500

बाणपुरा

1802

2000

बेतुल

1829

1997

भीकनगांव

1960

2120

भितरवार

1950

1985

देवास

1850

2435

गोरखपुर

1850

1850

जैसीनगर

1860

1880

जैथरी

1810

1810

जावद

2015

2021

झाबुआ

2020

2100

जोबाट

1900

2000

कालापीपल

1850

2050

कालापीपल

1700

1850

कालापीपल

1900

2150

करेरा

1900

2020

करही

2030

2030

करही

2050

2065

कसरावद

2060

2130

खाचरोड

1500

2121

खरगोन

1940

2222

खातेगांव

1980

2150

खातेगांव

1800

2200

खुजनेर

1730

1910

कुंभराज

1935

2270

लटेरी

1780

1960

लटेरी

2600

2600

लटेरी

2045

2260

मन्दसौर

1871

2221

नलकेहदा

1800

2011

नीमच

1846

2300

पन्ना

1840

1872

पवई

1875

1875

पिपल्या

1763

2050

राहतगढ़

1900

1900

रायसेन

1901

2003

रामनगर

1900

1905

रेवा

1901

1932

सनावदी

1770

2100

शाहगढ़

1875

1901

शामगढ़

1890

2015

श्योपुरबडोद

1934

1954

श्योपुरकलां

1840

2030

स्रोत: एगमार्कनेट

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी  फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। जानकारी पसंद आये तो लाइक और शेयर जरूर करें।

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे प्याज़ के भाव?

onion Mandi Bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे मन्दसौर, देवास, हाटपीपलिया, जावद, खरगोन और नीमच आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

देवास

400

900

हाटपीपलिया

500

1400

जावद

600

1000

जावद

300

600

खरगोन

500

1500

खरगोन

500

1500

मन्दसौर

547

1274

नीमच

325

1036

पिपरिया

400

1500

स्रोत: एगमार्कनेट

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धान की फसल में ज़िंक क्यों आवश्यक

किसान भाइयों, जिंक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है, जो पौधों को सामान्य वृद्धि और प्रजनन के लिए आवश्यक है। पौधे की चयाअपचय क्रियाओं में कार्यों और संरचना के निर्माण के लिए ज़िंक की आवश्यकता होती है। पौधों को कई प्रमुख क्रियाओं के लिए ज़िंक की आवश्यकता होती है। 

जिनमें प्रकाश संश्लेषण, प्रोटीन संश्लेषण, फाइटोहोर्मोन संश्लेषण (जैसे ऑक्सिन), बीज की अंकुरण शक्ति, शर्करा का निर्माण, रोग और अजैविक तनाव (जैसे, सूखा) से फसलों की सुरक्षा करता है।

धान की फसल में इसकी कमी से होने वाले रोग:- 

  • धान की फसल में ज़िंक की कमी से खैरा रोग होता है। 

  • पौधे की गांठ (जॉइंट ) की कम वृद्धि के साथ कम लम्बाई, पौधे की पत्तियां छोटी रह जाती हैं। 

  • इसकी कमी से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और पत्तियों की बीच की शिराओं का रंग हरा दिखाई देता है। 

समाधान – 

धान रोपाई के पूर्व ज़िंकफेर (ज़िंक सल्फेट) @ 5-7 किलो (मृदा परीक्षण के अनुसार) प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन के माध्यम से दें। नर्सरी में ज़िंक की कमी के लक्षण दिखाई देने पर नोवोजिन (चिलेटेड ज़िंक) 250-300  ग्राम / एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

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